सांप को देख कर न जाने अनंता को कुछ हो जाता हैं! ओर वो लगातार सांप को देखे जा रही थी! सांप जो अनंता को लगातार देखे जा रहा था! ... लेकिन तभी अनंता के कंधे पर पीहू हाथ रख देती हैं.. ओर अनंता होश में आते हुए जब अपने हाथो में सांप को देखती है! तो वो उसे फेक देती है! उसके इस तरह से कर ने पर सांप वहां से जल्दी रगड़ते हुए चले जाता हैं!
पीहू को देख कर अनंता कहती है: तुम ??
पीहू जो अभी वहा पर खड़ी खड़ी ये सब देख रही थी! उसकी आंखे डर की वजह से बड़ी बड़ी हो जाती है! ओर वो डरते हुए कहती है: अनंता ये सब क्या था?? वो सांप तुम्हे इस तरह से देख रहा था कि जैसे तुम उसकी दोस्त हो! आखिर ये क्या था???
अनंता: नहीं तो! लेकिन पीहू मुझे नई पता चला आखिर में ऐसा क्यों हुआ है!
अनंता से ज्यादा अभी पीहू घबराई हुई थी!
पीहू को देख कर अनंता कहती है: तुम यह पर क्या कर रही हो?
पीहू: वो मुझे तुमसे बात करनी है! कुछ..
अनंता: क्या??
पीहू: तू चल न अंडर मेरे साथ;
अनंता: देख मुझे शिव के बारे में कुछ नहीं बात करनी .. तो प्लीज मेहरबानी करके अकेला छोड़ दे!
पीहू: नहीं बाबा तू फिकर मत कर में शिव के बारे में सच में कुछ कुछ बात नहीं करने वाली!
अनंता: फिर??
पीहू: चल न अंडर .. तू मेरे साथ मेरी मां...
अनंता: ठीक है!
पीहू और अनंता दोनों ही एक दूसरे के साथ मिल कर अंडर चले जाते है! उन दोनो के जाते ही गिरा हुआ सांप जाती हुई अनंता की ओर लगातार देखने लगता है! उसकी काली आंखे हरी आंखों में परिवर्तित हो जाती है!
दूसरी तरफ
शिव बालकनी में खड़े होते हुए बाहर का नजारा देख रहा था! चांद की रोशनी पूरे आसमान से लेकर धरती पर आ रही थी! तभी उसके कंधे पर विवेक रख देता है!
विवेक को देख कर शिव कहता है: तुम यह??
विवेक: ये सवाल मुझे करना चाहिए .. तुम ये पार्टी वाली महफिल छोड़ कर अकेला यह पर क्या कर रहे हो??
शिव: कुछ नहीं! बस तुम्हे भी पता है! मुझे भी!
विवेक: वो सब कुछ छोड़ चल अंडर मेरे साथ!
शिव: देखो मुझे वापस से अनंता के बारे में बात नहीं करनी! तुम्हे पता है! वो मुझे पसंद नई करती!
विवेक: में उसके बारे में बात करना चाहता भी नहीं हु! तू चल मेरे साथ!
शिव: ठीक है!
वो दोनो भी अंडर चले जाते है!
वो पांचों मिलकर एक साथ वापस से बैठ जाते है!!
शिव : कहो क्या बात है!
अनंता: हा क्या बात हैं??
पीहू: तुम दोनो शांत हो जाओ पहले .. मेरी बात सुनो देखो हमारी एग्जाम खत्म हो गई है! ओर रिजल्ट आने में भी देरी है! तो क्यों न हम सब पिकनिक के लिए जाए!
शिव: मुझे नई आना है!
अनंता: मुझे भी!
विवेक: देखो हमारा ग्रुप है! ये ! अगर तुम दोनो नहीं आओगे तो कैसे चलेगा?? ओर मुझे लगता है! तुम दोनो की वजह से हमारा प्लान भी बेकर हो जाएगा! प्लीज चलो ऐसा करते हो??
शिव: देखो मुझे.. वो आगे बोल पता उसे पहले अनंता कहती है: ठीक है! में आने के लिए तैयार हु! लेकिन सिर्फ तुम लोगो की वजह से ,न
अभिषेक : यार शिव प्लेस चलना..
शिव: अरे यार नहीं ..
पीहू: ठीक है! हमे भी नहीं जाना है!
शिव उन सभी का चेहरा देखते हुए कहता है: ठीक है! चलो लेकिन जाना कहा पर है?? अनंता सुन सब के सामने देखते हुए कहती है: पीहू; तुम्हारे गांव !
अनंता ये सुनकर हैरान हो जाति है! ओर वो कहती है: ओर ये किसने कहा?? ।
विवेक: वो क्या है! हम बाहर जाने की बात कर रहे थे! पर पीहू कह रही थी कि तुम्हरा गांव बहुत ही सुंदर है! इसलिए!
अनंता: मां नहीं मानेगी!
पीहू: लेकिन क्यो???
अनंता: पता नहीं लेकिन में भी कभी नहीं गई! तो मुझे नहीं लगता कि हमे भी जाना चाहिए!
शिव: तो रहने दे न! दूसरी जगह जाते है! वो मना कर रही है! तो!
Ananta: ठीक है! में बात करती हु! वैसे भी मुझे किसी के सपोर्ट जरूरत नहीं है!
विवेक: wow एक बार ने करके देखो! शायद आंटी मान जाए!
ये देख कर अनंता कहती है: चलिए अब हमे चलना चाहिए .. वो सब वहां से चले जाते है!
To be continued 💫 🦋 💙