Jungle - 8 in Hindi Thriller by Neeraj Sharma books and stories PDF | जंगल - भाग 8

Featured Books
  • द्वारावती - 71

    71संध्या आरती सम्पन्न कर जब गुल लौटी तो उत्सव आ चुका था। गुल...

  • आई कैन सी यू - 39

    अब तक हम ने पढ़ा की सुहागरात को कमेला तो नही आई थी लेकिन जब...

  • आखेट महल - 4

    चारगौरांबर को आज तीसरा दिन था इसी तरह से भटकते हुए। वह रात क...

  • जंगल - भाग 8

                      अंजली कभी माधुरी, लिखने मे गलती माफ़ होंगी,...

  • My Devil Hubby Rebirth Love - 51

    अब आगे मैं यहां पर किसी का वेट कर रहा हूं तुम्हें पता है ना...

Categories
Share

जंगल - भाग 8

                  अंजली कभी माधुरी, लिखने मे गलती माफ़ होंगी, नहीं, नम्बर कट गए। कया से कया हो गया उपन्यास, टूट गया। सलाब गया। थोड़ी सी गलती, कितना कहानी को रिस्क दें गया।

अब कहा कहा कया करू। कया कहु। मुझे भूलने की बीमारी है, ये तो मज़ाक़ बन गया।

अजली कभी माधुरी ------एक साथ कभी नहीं दिखे।

कौन माँ होंगी, माधुरी जा अजली। माधुरी। मिस्टेक किसे नहीं होती। ईसाई वर्ग से बिलोग करता ये उपन्यास, श्रेष्ठ है। भावना शुद्ध है। तलाक हो गया हो, और माँ रोक नहीं पायी। आँखो मे आंसू लिए, जॉन के पास..... कभी होता है।

धारको से माफ़ी माग ही लेता हुँ, ये उपन्यास अजली और माधुरी के बीच लटक रहा है। माधुरी ही माँ है, जॉन की... भलेखा लग जाने से सब करना पड़ा।

               रीना ने नया लिबास डाल लिया था, कयो की उसके पसीने से बू आती थी, कॉस्मेटिक सेंट बगेरा जयादा इस्तेमाल करने से त्वचा गौरी थी मगर बू वाली।

मन टिकता नहीं था, पैरो मे सूजन थी, और बू पैरो मे, जयादा बाते उसकी दुबई की ही होती थी।इसलिए बनती कम थी। जयादा पसद वो राहुल को ही करती थी... उसने कभी हरकत कोई गलत कभी की ही नहीं थी। एक बात कह दू, रीना उसे चाहती थी। पता नहीं कयो??? एक उसके लड़की थी, पांच वर्ष की। अब जैसे वो फ्री थी। न कोई डर था न कोई धर्म विरोधी बात, ईसाई थे। एक बात खुल कर बता दू, कोई  पाप करे, साथ ईसाई हो... चाहती थी इस कदर कि जान मांगे तो देदे। पर न मुमकिन को कैसे आपना करे। नहीं। रूम मे दोनों थे।

ऊपर से रात, ठंडी रात... अब रीना और राहुल... "एक बात बोलू।"रीना ने कहा। "बोलो, कोई मना है!" मुस्कराते हुए  राहुल ने कहा।

तभी फोन की रिंग टोन... "हैल्लो!!"

उधर से आवाज़ धीमी थी।

"कहो।'जॉन का फोन था।

"हाँ -------"

"पापा कब आओगे। " राहुल बोला यही कोई एक घंटे मे, डर कयो रहे हो। "नहीं पापा, डर लगता है, मम्मी ले आओ।" राहुल चुप। "पापा वही वाली, जो मुझे देखने आयी थी।"बेटा रोते हुए बोला।

"हाँ जरूर बेटा "कोई  बहाना नहीं बन  पा रहा था। रीना सुन कर आँखे भर रही थी....

--"फोन रखो बेटा " राहुल ने कट किया फोन को।

दोनों खूब रोये। जैसे कोई पतंग टूट गया, मुड़ न आने को। सागर की एक लहर, विछड़ गयी हो, लहरों से।

एक वाइन का पेग पीने के बाद दूसरा बनाने को रीना को दिया। फिर ---------- दरवाजे पर खड़खड़ हुआ...

"प्ल्ज़ कमिंग " दो पुलिस की वर्दी पहने अंदर आये।

"आप मे रीना कौन है "पुलिस कर्मी ने कहा। राहुल ने सिगरेट एस्ट्रा मे दबा के बुझायी।

"कहिये " राहुल ने कहा। "रीना जी आप से जान सकता हुँ, ये दुबई पुलिस है, ये महाशय कौन है।" रीना को आपनी एडनटी दिखते हुए कहा।

"---आप हस्बैंड है " एक ने कहा। शायद जानबूझ के कहा होगा।

"नहीं सर, ये मेरे जीजा जी है " ---"माने हुए वपारी वर्ग से है। "रीना ने खीझते हुए कहा।

"आप ---गलत  शब्द इस्तेमाल कर रहे है "रीना  ने आख़री पेग वाइन का रखते हुए कहा।

"बात कया हुई " राहुल ने गहरायी की और जाते  बात की जड़ को पकड़ा।

"आप हमारे साथ इज़त से पुलिस स्टेशन चले।" एक ने कहा।

----------------चलदा -----**