जिंदगी एक तरफा नहीं दो तरफा और कभी ब्रेक डाउन तो कभी अप लग जाता है। जो सोचते है कभी होता नहीं। कयो नहीं होता?
पांच सौ करोड़ , बेटा जॉन के आगे कुछ भी नहीं थे। शायद पता नहीं राहुल सोचता कया कर जाता मै।
अचानक ये कया, माधुरी। भागी हुई आयी। जॉन उसकी बाहो मे वो बे होश हालत मे उसे सहलाती और चूमे जा रही थी। कुछ भी उसे जैसे पता नहीं था। कौन देख रहा है कौन नहीं। राहुल बिलख पड़ा। जॉन ने छोटे कोमल हाथो को चुम रही थी।
"कया हुआ मेरे बेटे को...."एकसार रोरही थी।
"नजर लग गयी।"माँ अक्सर कहती है।
राहुल चीखा "बस करो अब!"आँखो मे मोटे मोटे आंसू थे...
"कैसे रोक सकते हो मुझे "माधुरी ने विरोध किया।
"माँ हुँ... मै माँ...."राहुल कुछ आगे कह ही नहीं पाया।
जॉन देखता रहा कभी, राहुल की और कभी माँ की और।
"क़ानून की हद भी कोई चीज है, बेटी...."दादा ने बेवाक कहा। एक दम से रुक गयी, स्तम्भ हो गयी, माधुरी।
"क़ानून ------ कोर्ट।"वो संबली
और भाग कर वो बाहर निकल गयी। जॉन देखता ही रह गया। आँखे जिसमे बुदे थी.. हल्की सी रुकी हुई।
बस वो माँ को भागते देख रहा था। राहुल हस्ताप्रब बैठा कम गिरा जयादा लगा सोफे पे।
जॉन का दिल मचला... उलटी.... फिर उसे बिस्तर पे लिटा दिया गया।
डॉ से बातचीत... बेहोशी दवा का असर... किशोर का भी यही हाल था। लेकिन उसकी उम्र तीन साल बड़ी थी जैसे उनीस का।
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कितना आत्म बिबोर कर देती है जिंदगी के पथ पारदर्शिक कितने बिन्रम होते है।
जॉन विसमय मे था। कि उसकी माँ ने ऐसा कया कर दिया था। सोच थी। माँ से दूर। कितना दूर.... नहीं माँ तो पास है, मैं ही दूर हुँ। आखिर माँ ने ऐसा कया कर दिया था..."फिर वही बात " जरुरी नहीं कुछ हो। "
सफऱ ही कुछ ऐसे है, कि कोई जागता कर रहा है, कोई सुता, कोई बेहोश।
डॉ ने कहा "हालत ठीक है "पर जो " डॉ किसी का भी ये शब्द जान निकाल देता है।
"कया हुआ "राहुल ने कहा। वो इतना टुटा हुआ था कि कोई उसे कहे बगला देदे, जॉन ले ले ," तो कर जाता।"
"डॉ "वो चीखा।"माँ माँ माँ -माँ की रट लगी हुई है।"
"डॉ ने कहा "------ "कैसा धर्म संकट है " दादा ने कहा।
"बेटे के लिए कुछ भी कर सकता हुँ "राहुल ने सुना, और जल्द वो दादा जी को छोड़ वो कार मे दिल्ली के कनाट प्लेस मे था।
चलता हुआ एक दीवार पर छाया उबरा।"राहुल ओ माय जीजा " ये आवाज रोमी की ही थी।
------" स्वागत है आओ "रोमी ने तीन चार साथियो के साथ कुछ अच्छा नहीं किया।
"बेटा, बीमार तो बहन याद आ गयी।"ये आवाज़ इतनी उच्ची थी। माधुरी भागी हुई बाहर आयी थी।
"रोमी "वो चिलाई, उसके हाथ से कुल्हाड़ी छीन लीं।
छिना झपटी मे माधुरी ज़ख्मी हो गयी थी।
रोमी भाग गया था। एक ऐसा चित्र था, राहुल की आँखो मे पानी बेह निकला था।
"माधुरी।"डूबा हुआ स्वर करुणा का कान मे पड़ा।
"हाँ, राहुल ----कया हुआ ----टूटे से हो।" माधुरी को चिता जॉन की थी।
"कया हुआ "बिलख पड़ा राहुल।
जॉन "तुम्हे याद कर रहा है।" इतना कहना था, माधुरी का बाप बिलख पड़ा।
"कया हुआ।" बापू ने माधुरी बेटी को कहा "जवाई को अंदर लेकर आओ।"
माधुरी ने शांत होकर, आँखो से आंसू पुछ दिए।
( चलदा )