Jungle - 3 in Hindi Thriller by Neeraj Sharma books and stories PDF | जंगल - भाग 3

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जंगल - भाग 3

 -------------"मुदतों बाद किसी के होने का डर ---" कौन सोच सकता है, वो शख्स जो कभी शिकार नहीं हुआ अजगर का।

"हाँ ---" बात कर रहा हुँ, राहुल के आस्तित्व की...

माया एक ऐसा जिंदगी मे अल्फाज़ था। न मिटा सकते थे, न पंने पे लिखा रह सकता था।

आज गिफ्ट लाया था -------कयो?

आज जन्म दिन था। माया था। उसे पसंद था, डेरी मिल्क की कितनी चॉकलेट और गुलाबी कवर गाउन।

होटल 219 मे ठहरी थी।

"तुम्हे निगाह मे उतार लू, बस यही मुराद है।" माया ने उसकी बाहो मे झूलते कहा।

"दीवानो की हालत परवानो जैसी है, शमे आ जला दें। "

राहुल ने झटके से बाहो मे उठा लिया.... "हुँ !!"

रात के दस वज रहे थे, अलग थे दोनों अब, बायीं भुजा पे सिर रख के लेटा हुआ राहुल माया की तरफ देख के बोला।

" ----माया जिंदगी मे मुदतों बाद मिले हो, अगर मनासिब हो तो रोज तुम मेरे ऑफिस मे लग जाओ, मन मर्जी आपकी चलेगी हजूर.... "राहुल ने मुस्कराते कहा।

माया जो प्रेम तुम मुझे कभी करते हो, तो तोड़ देते हो।

रोज ऐसा असभव है।

राहुल ने पूछा,"तुम ने रंगीले टकले का कभी बताया नहीं।"

"हाहाहा -----" माया हस पड़ी।

"आज जनाब से कुछ ऐसा मांगू कि हैरान मत होना।" माया गंभीर होकर कहा।

"---हाहाहा, तुम मागो मैं दू ना... अच्छा।"राहुल ने मजाक मे कहा।

"सच मे "------राहुल हैरान होके बोला।

"पांच सौ करोड़ का प्रोजेक्ट तुम अतुल मतरियल के नाम करोगे।" बेबाक हो गयी माया।

बिजली गिरी हो जैसे। "झूठ बोल रही हो "घूरते हुए कहा राहुल ने।

सात आसमान की बिजली  गिरी ----"झूठ हो तो खुश हुँ, अगर सच है, तो माया तुम आपनी तक़दीर को कोसोगी।"

----------"सच है। "माया एकाएक बोल पड़ी।

"तुम जो कर रहे हो, आपने लिए, आपने परवार के लिए, मेरे लिए.... बस यौवन है तो बस, बूढ़े होने के बाद कौन किसी का, राहुल।"

बेबाक कहा उसने।

राहुल जैसे शराब के नशे मे गिर पड़ा हो। "नहीं माया ----नहीं माया.... आज भी तुम अतुल के लिए हो " मैं लक्की नम्बर था, उसने सोचा।

"कभी ऐसा नहीं होगा।"राहुल ने घूरते हुए कहा था।

माया बेबाक हसी हसती रही।"चल झूठे " माया ने पेत्रा बदला।

"तुम मेरे हो, रहे गे, पर एक बात बोलू।"माया एक दम से खुशक हो गयी थी।

"तुम सुन सकोगे।" राहुल की तरफ उसने देखा।

----"-हाँ " राहुल एक दम चकरा सा गया।

"आपने लिए नहीं, आपनी बहन की खातर.... अतुल उसे तंग करता है, प्रोजेक्ट के बारे मे... कहता है माया अगर ऐसा करे, तो वो सब कुछ सहन कर लुगा... घर वस जायेगे। नहीं तो तलाक पक्का है।" माया ने बड़ा दिल से पत्थर परे किया।

"किस विडंबना मे पा रही हो "राहुल का गुसा उड़ गया था।

बहुत सोचने के बाद उसने कहा, अगर कोई चाल होई तो माया ये आख़री मुलाक़ात होंगी। उसे पता न लगे।

हमारे बीच कोई डील हुई है। जंगल मे आग सुलग चुकी थी। कौन भस्म होगा, कोई जानता भी होगा जा नहीं...

औरत को समझना बहुत कठिन है। जंग कभी कोई होनी भी थी, नहीं 

बस औरत के मीठे वचन जा कोड़े वचन ही जहर बन जाते है। कोई जानता नहीं, छुरा आपना भी हाथ काट ले... कोई जानेगा....समझना किसी को बहुत कठिन है, मीठे अल्फाजो से दुनिया लूट जाती है।      

                                              जंगल (चलदा )