भूल भुलैया ३ एक और भूत प्रेत की कहानी है जिसमें डर कम पर कॉमेडी अधिक है। भय केवल नाम का है पर एक्टिंग भरपूर है। एक बड़े वर्ग को आकर्षित किया गया है। एक तरफ युवा वर्ग को कार्तिक और तृप्ति ढिमरी को देखने के लिए ललचाया गया है तो दूसरी तरफ विद्या बालन और माधुरी दीक्षित को लाकर एक वयस्क वर्ग को भी थियेटर में आने को आमंत्रित किया गया है। कहानी पर और अच्छा काम किया जा सकता था पर अब लगता है अनीस बाज़मी को पता चल गया है कि बाप बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रुपैया।
कार्तिक आर्यन अब अक्षय कुमार को चुना जा सके ऐसी भूमिकाओं को प्राप्त कर रहें हैं, फिल्म निर्माताओं को एक नया चेहरा मिला है और साथ ही बजट में भी किफायत हो जाती है। चंदू चैंपियन, भूल भुलैया २ और अब भूल भुलैया ३. लड़का अच्छा है, कॉमेडी टाइमिंग अच्छा है और युवा वर्ग को आकर्षित कर रहा है। थोड़ी अक्षय जैसी फिटनेस और चार्म लाने में समय लगेगा, वैसे अक्षय के सितारे भी तो ४० के बाद चमकना शुरू हुए थे।
तृप्ति ढिमरी एक्टिंग नहीं करतीं, लोग केवल उन्हें देखने के लिए आते हैं। ज्यादातर दृश्यों में उन्हें केवल आकर्षण वाले वस्त्र पहनाकर खड़ा कर दिया गया है और वो उम्फ फैक्टर वाली बात उनमें है। उनको एक्टिंग तो करनी ही पड़ेगी अन्यथा ५ – १० फिल्मों के बाद उन्हें तमन्ना भाटिया की तरह आइटम सॉन्ग में लिया जाएगा।
विद्या बालन का स्क्रीन प्रेजेंस जबरदस्त है, उनके आने से फिल्म में जैसे तड़का लगना शुरू हो गया और दर्शक चाहते थे कि उन्हें अब हर दृश्यम में जगह मिले। पर इतना काफी नहीं था, सिनेमा घरों में मेरे जैसे ४० – ५० साल वाले दर्शकों के लिए बड़ा धमाका आने वाला था और वह था माधुरी दीक्षित। अब क्या होना था, आतिशबाजी। दोनों की अदाएं और डायलॉग डिलीवरी पर आफरीन होना हमारी किस्मत में लिखा था। फिर और एक ट्रीट, विद्या और माधुरी का डांस सीक्वंस। आमी जे तोमार, सिधू जे तोमार....मेरे ढोलना सुन मेरे प्यार की धुन। यह गाना फिल्म की आन बान शान है। विद्या का डांस माधुरी जैसा नहीं है पर दोनों ने उस नृत्य को न्याय दिया है और इस फिल्म को एक अलग कक्षा में रख दिया है।
राजपाल यादव, संजय मिश्रा और सीआईडी वाली अश्विनी कलसेकर की कॉमेडी ठीक ठाक रही, राजपाल यादव और संजय मिश्रा बहुत अच्छे कलाकार हैं पर उन्हें स्क्रिप्ट का साथ नहीं मिला। कौआ बिरयानी वाले विजय राज और धोनी फिल्म में धोनी के स्कूल वाले कोच राजेश शर्मा का अभिनय भी ठीक ठाक रहा, केंद्र में थे केवल कार्तिक आर्यन , इसलिए उनके खाते में कॉमेडी अधिक सीक्वंस रही। मनीष वाधवा, जिन्होंने गदर २ में विलन की भूमिका निभाई, यहां वे राजपुरोहित बने हैं और अपनी डायलॉग डिलीवरी से प्रभावित करते हैं।
फिल्म के गानों से प्रभावित होना संभव नहीं, अगर मुख्य गाने जैसे टाइटल सॉन्ग और मेरे ढोलना को छोड़ दें तो बाकी गाने अधिक यादें बना नहीं पाए। एक बड़ी बात सामने आई की यहां अरिजीत सिंह का एक भी गाना नहीं, तो मेरे लिए बाकी सभी गानों के लिए ना है। ठीक है प्रीतम दा ने मेहनत की है कि मोड तोड़ के कुछ यहां कुछ वहां से उठा कर गानों की खिचड़ी बनाई जाए पर खिचड़ी बेस्वाद है।
कहानी में इतना दम नहीं जितना इस श्रृंखला के पहले संस्करण में था। भूल भुलैया १ हॉरर फिल्म की केटेगरी में कभी आई ही नहीं। वहां अभिनय, कहानी, गाने और कॉमेडी सब में श्रेष्ठता थी। खास तौर पर पहली फिल्म में कहानी साइक्लोजी और आस्था दोनों के बीच की कड़ी थी जिसको एक विशेष बौद्धिक वर्ग के दर्शकों ने सराहा था। अब २ और ३ दोनों में बौद्धिक वर्ग शायद कहानी को नहीं पसंद करेगा। पर एक मनोरंजन के तौर पर फिल्म को अच्छी ओपनिंग मिली है। फिल्म का अंत सुखद है और यह बात साकारात्मक परिणाम दिलाएगी।
रूह बाबा का किरदार और वेशभूषा ट्रेंड में आएं तो आश्चर्य नहीं होगा।
कुल मिलाकर दिवाली की छुटियां हैं , या फिर वीकेंड हॉलिडे है और परिवार के साथ मनोरंजन चाहते हैं तो आपके पैसे व्यर्थ नहीं जाएंगे। फिल्म को सिंगल स्क्रीन पर भी सफलता मिली है ऐसे शुरुआती समाचार मिल रहे हैं। आपको फिल्म रिव्यू कैसा लगा अवश्य कमेंट करके बताएं।
– महेंद्र शर्मा