Bugurgo ka Aashish - 3 in Hindi Spiritual Stories by Ashish books and stories PDF | बुजुर्गो का आशिष - 3

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बुजुर्गो का आशिष - 3

*🪔आज का प्रेरक प्रसंग🪔*

*"दीपावली का असली अर्थ: हौसले और मेहनत की जीत"*

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*बहुत समय पहले की बात है। एक छोटे से गाँव में एक गरीब किसान रहता था। वह किसान पूरे साल कड़ी मेहनत करता, लेकिन उसकी फसल हमेशा किसी न किसी कारण से खराब हो जाती। एक बार जब दीपावली का त्योहार नजदीक आया, तो वह बहुत दुखी था, क्योंकि उसकी फसल बर्बाद हो चुकी थी और उसके पास इतने भी पैसे नहीं थे कि वह अपने बच्चों के लिए दीपावली मना सके।*

*गाँव में उसी दौरान एक साधु आए। उन्होंने किसान को निराश देखकर कहा, "बेटा, हमेशा याद रखना कि दीपावली केवल दिए जलाने का त्योहार नहीं है, बल्कि यह त्योहार अपने अंदर की अच्छाइयों को पहचानने और बुराई को जलाकर खत्म करने का भी है।" साधु ने किसान से कहा कि अगर वह अपनी कड़ी मेहनत और ईमानदारी से काम करता रहे, तो भगवान जरूर उसकी मदद करेंगे।*

*साधु की बातें सुनकर किसान को हौसला मिला। उसने साधु की सलाह मानी और फिर से मेहनत शुरू कर दी। उसने अपने खेत की देखभाल पूरे मन से की और अगले साल उसकी फसल इतनी अच्छी हुई कि पूरे गाँव में उसकी मेहनत की चर्चा होने लगी। अब उसके पास इतना था कि वह अपने बच्चों के साथ खुशी-खुशी दीपावली मना सकता था।*

*इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि दीपावली का असली अर्थ हमारे अंदर की बुराइयों को दूर करना, अच्छाई को बढ़ाना, और हर परिस्थिति में धैर्य और मेहनत से काम लेना है।*

*सदैव प्रसन्न रहिये - जो प्राप्त है, पर्याप्त है।*

*जिसका मन मस्त है - उसके पास समस्त है।।*

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*"छोटी दीपावली पर आपके घर खुशियों की बौछार हो, समृद्धि का उजाला हो, और हर दिन आनंदमय हो।"*

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*सच्चा धन*

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*पुराने समय की बात है, एक छोटे-से गाँव में एक साधु रहते थे, जो हर किसी को जीवन का सच्चा अर्थ समझाते थे। एक बार धनतेरस के दिन, एक धनी व्यापारी उनके पास आया और बोला, “साधु महाराज, मेरे पास अपार धन-संपत्ति है, पर मैं खुश नहीं हूँ। मुझे समझ नहीं आता कि मेरे जीवन में सच्चा सुख और संतोष कैसे आए।”*

*साधु मुस्कुराए और बोले, “अगर तुम सच्चा धन पाना चाहते हो, तो कल सुबह सूर्योदय से पहले गाँव के बाहर की पहाड़ी पर जाओ। वहाँ तुम्हें जो सबसे पहला व्यक्ति दिखे, वही तुम्हें सच्चे धन का राज़ बताएगा।”*

*अगले दिन व्यापारी उत्सुकता से सूर्योदय से पहले ही पहाड़ी पर पहुँचा। वहाँ उसे एक गरीब लकड़हारा दिखा जो मेहनत से लकड़ियाँ काट रहा था। व्यापारी ने हैरानी से पूछा, “तुम यहाँ इतनी सुबह क्या कर रहे हो?”*

*लकड़हारा मुस्कुराते हुए बोला, “मैं अपने परिवार के लिए मेहनत कर रहा हूँ ताकि उनकी जरूरतें पूरी कर सकूँ। मेरे पास भले ही धन-संपत्ति नहीं है, पर मेरे पास मेरे परिवार का प्रेम, मेरी मेहनत से अर्जित संतोष और परमात्मा की भक्ति है। यही मेरे लिए सच्चा धन है।”*

*व्यापारी को समझ आ गया कि सच्चा सुख और संतोष बाहर की चीज़ों में नहीं, बल्कि हमारे भीतर होता है—हमारे रिश्तों में, हमारी सेवा में, और हमारे कर्मों में। वह साधु महाराज के पास लौट आया और उन्हें धन्यवाद देते हुए कहा, “अब मुझे सच्चे धन का अर्थ समझ आ गया है।”*

*सीख: धनतेरस का असली संदेश यह है कि सच्ची समृद्धि सिर्फ भौतिक संपत्ति में नहीं, बल्कि हमारे रिश्तों, हमारे सेवा भाव, और हमारे कर्मों की सच्चाई में है। जब हम दूसरों की भलाई के लिए और खुद की आत्मा की शांति के लिए कार्य करते हैं, तभी हमें जीवन का असली धन प्राप्त होता है।*

*सदैव प्रसन्न रहिये - जो प्राप्त है, पर्याप्त है।*

*जिसका मन मस्त है - उसके पास समस्त है।।*

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*आपको धनतेरस और दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ।*

*यह त्योहार आपके जीवन में समृद्धि, सुख - शांति और उजाला लाए।*

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आशिष का आशिष 

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