Nadan Ishq - 4 in Hindi Love Stories by rk bajpai books and stories PDF | नादान इश्क़ - 4

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नादान इश्क़ - 4

अब तक आपने देखा

की ईशान कॉलेज जाता है और एडमिशन फॉर्म लेकर अपने सपनो की ऊंची उड़ान के साथ फॉर्म भरने लगता है

अब आगे

 

ईशान ने जल्दी से फॉर्म लिया और फॉर्म भरने लगा ईशान फॉर्म भर ही रहा है कि तभी एक 19 साल का लड़का ईशान के सामने आकर शांति से खड़ा हो गया लेकिन ईशान का ध्यान सिर्फ फॉर्म भरने पर ही लगा हुआ है । ।

     काफी देर बाद जब उसे महसूस हुआ कि कोई उसके सामने खड़ा है तो उसने अपना सर उठाकर ऊपर की तरफ देखा और सामने खड़े लड़के को देखकर हैरान वो हो जाता है । ।

                    ईशान के सामने खड़ा हुआ लड़का कोई और नहीं वीर था । वीर खुराना उसके बचपन का दोस्त जो 2 साल पहले अपने पापा के ट्रांसफर की वजह से यहां से जा चुका था पर आज उसके सामने खड़ा हुआ था । ।

     वीर को अपने सामने खड़ा देख ईशान काफी ज्यादा हैरान और खुश हुआ उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि वह किस तरह रिएक्ट करें । ईशान ने कुछ देर वीर को ऐसे ही देखा । ।

       वीर भी उसे मुस्कुराते हुए देख रहा था ईशान जल्दी से वीर के गले लगाया और उसका नाम लेकर बोला “वीर तू यहां” ? इतना बोलकर ईशान उससे अलग हो गया । ।

            ईशान : “अबे यार कहां था तू 2 साल से जब मुझे तेरी जरूरत थी जब तू यहां से गायब हो गया था और आज तू मुझे मिला भी तो यहां इस कॉलेज में , वैसे यह बता कैसा है तू ? और घर में अंकल आंटी सब कैसे हैं ? तू जानता भी है तेरे जाने के बाद मैंने तुझे कितना मिस किया” । ।



          ईशान इतना ज्यादा एक्साइटेड था कि उसे यह भी नहीं पता चला कि वह एक के बाद एक वीर से बस सवाल किए जा रहा है और उसे बोलने का मौका भी नहीं दे रहा । ।



   उसे इस तरह खुश देख वीर को भी काफी खुशी हो रही है । वीरों उसे रोकते हुए बोला “अरे बस बस मेरे भाई जरा सांस तो ले ले और मुझे बोलने का मौका तो दे” । ।

     उसकी बात सुनकर ईशान रुक गया । और उसे शांत होता देख वीर मुस्कुराते हुए बोला ।

वीर : “ बस कर तू तो इस तरह रिएक्ट कर रहा है जैसे हम सालों के बिछड़े हुए दोस्त हैं अरे बस दो ही साल तो हुए थे हमें अलग हुए और देखो तो साल बाद मैं फिर से वापस आ गया”। ।

      यह बोलकर उसने अपने हाथ में पकड़ा हुआ फॉर्म ईशान के सामने रख दिया । ईशान ने देखा कि वह वही फॉर्म था जो वह खुद एडमिशन काउंटर से लेकर आया था । फॉर्म देखकर ईशान वीर से बोला “क्या तू भी इसी कॉलेज में एडमिशन लेने वाला है” । ।



   वीर ने अपनी गर्दन हां में दिला दी तो ईशान और ज्यादा खुश हो गया और बोला।



            ईशान : “भाई तेरे बिना यह 2 साल मुझे दो जन्म की तरह लगे मुझे काफी याद आई इन दो सालों में तेरी क्योंकि एक तू ही तो मेरे इतने करीब था बचपन में भी काफी दोस्त थे लेकिन एक तू ही तो मेरा जिगरी यार था जिससे मैं सब कुछ शेयर करता था और वह भी मेरे से दूर चला गया और आज मिला तो मुझे मेरे इस नए कॉलेज में , मेरी जिंदगी की नई शुरुआत में मेरा जिगरी यार मेरे साथ है इस बात कि मुझे बहुत ज्यादा खुशी है” । ।



         उसके बाद ईशान हंसा और बोला “वैसे तू भी मेरी तरह ही निकला और इस प्रोफेशन में आ गया” । ।

वीर : “हां भाई आगे जाकर मुझे अपने पापा का बिजनेस संभालना है तो सोचा बिजनेस संभालने के लिए लॉ की भी कुछ जानकारी हासिल कर ही लू जिससे मुझे आगे जाकर अपना बिजनेस संभालने में मदद मिले ! वैसे तू बता तू यहां क्या कर रहा है ? और तूने इस प्रोफेशन में आने का कैसे सोचा” । ।





     वीर की बात सुनने के बाद ईशान थोड़ा शांत हो गया और फिर एक गहरी सांस लेते हुए बोला 



ईशान : “अब क्या बताऊं भाई तू तो निकल आया शहर से और मैं उसी स्कूल में पढ़ता रहा लेकिन तेरे जाने के बाद पता नहीं क्यों पढ़ाई से मेरा मन हटता गया मैं बस उस स्कूल में अपने उन 2 सालों को काट रहा था जिसके चलते मेरी 57 परसेंटेज आई , मैंने काफी ज्यादा सर्च किया कि मैं अब आगे क्या कर सकता हूं जब मुझे लॉ के बारे में पता चला वैसे भी मैं कुछ ऐसा करना चाहता था जो मेरे घर में अब तक किसी ने ना किया हो और इसके लिए मुझे यही प्रोफेशन सबसे बेस्ट लगा” । ।



          वीर ने उसकी बात ध्यान से सुनी और फिर बोला “अरे अब तू टेंशन मत ले तू एकदम सही जगह आया है और अब तो हम दोनों भाई मिलकर तबाही मचाएंगे मुझे तो लगा था कि इस नए कॉलेज में कैसे और किसे दोस्त बनाऊंगा किससे बातें करूंगा लेकिन अब तो हम दोनों ही काफी है और हमें किसी की जरूरत भी नहीं है” । ।



    ईशान : “हां बात तो तू सही बोल रहा है” । कि तभी ईशान को याद आता है की बातों बातों में उन्होंने फॉर्म तो भर लिया लेकिन उसे जमा करना भूल ही गए । ।

    यह याद आते ही वह वीर से तुरंत बोला

“ईशान - अभी पूरी बातें यही करेगा क्या ? या एडमिशन भी लेने चलना है ! चल पहले अपना काम खत्म करते हैं उसके बाद बाहर चाय की चुस्की के साथ बचपन की यादें ताजा करेंगे” । ।

   ईशान की बात सुनकर वीर भी अपने सर पर हाथ रखते हुए बोला “ओ तेरी अबे यह तो भूल ही गया जिसके लिए आए थे वही काम रह गया , कहीं पता चले की हम दोनो बचपन की यादें ताजा करते-करते रह गए और उधर सीट फुल हो गई , अगर ऐसा हुआ तो बन गया मैं बड़ा बिजनेसमैन और बन गया तू एक बड़ा वकील” । ।

        उसकी ऐसी बातें सुनकर ईशान हंसने लगा और उसे देख कर साथ में वीर भी हंसने लगा । ।

ईशान बोला “तू अभी तक नहीं बदला ना” । ।

  वीर : “बदला तो तू भी नहीं है मेरे भाई” । ।

   ईशान : “चल बे ज्यादा इमोशनल ना हो और दोनों जल्दी से जाकर फॉर्म सबमिट करवा देते हैं” । ।

ईशान और वीर ने जल्दी से बाकी की डिटेल्स भी फार्म में फिल करी और कुछ टाइम में ही दोनों फॉर्म और फीस जमा करके आ गए । ।

   प्रेजेंट टाइम,

वीर के चेहरे पर कहानी सुनाते वक्त हल्की सी प्यारी सी मुस्कुराहट थी । उसके चेहरे से साफ पता चल रहा था की वो अपनी पुरानी यादों को ताजा करके कितना खुश है । ।

उसी के पास बैठी हुई छाया बोली। 

छाया : “क्या सच में ईशान आपसे मिलकर इतना ज्यादा खुश था मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा की कोई अपने दोस्त से मिलने के बाद इतना ज्यादा भी एक्साइटेड होता होगा, मुझे तो आज तक यही लगता था कि आप ही अपने दोस्त के लिए पागल है लेकिन आज उसकी कहानी सुनने के बाद पता चल रहा है कि वह भी आपके लिए ऐसे ही पागल है” । ।



    वीर भी मुस्कुराया और फिर बोला “यही तो मैंने बोला था तुमसे छाया तुम सिर्फ सिक्के का एक पहलू देख रही हो दूसरा नहीं और दूसरा पहलू सिर्फ मैंने देखा है तुम्हें हमेशा यही लगा कि मैं ईशान का सच्चा दोस्त हूं लेकिन ऐसा नहीं है बल्कि वह मेरा सच्चा दोस्त है और मुझे दिल से अपना मानता है” । ।



    उसकी बात सुनकर छाया की नजरे नीचे हो गई और फिर वह बोली “आप सही कह रहे थे शायद मैने हमेशा से सिक्के का वही पहलू देखा जो मेरी आंखों के सामने था और सिक्के का छिपा हुआ पहलू मैंने कभी देखने की कोशिश ही नहीं की लेकिन अब मैं उस पहलू को भी जानना चाहती हूं मुझे बताइए ना कि आगे क्या हुआ” । ।



वीर फिर से उसे कहानी सुनाने लगा ।



फ्लैशबैक,



    कल से दोनो के कॉलेज की नई शुरुआत थी यही सोचते हुए वह बाहर चाय पीने के लिए निकलने लगे।।



क्योंकि जब दो यार मिले और साथ में चाय ना हो तो वह यारी ही क्या ? 

     कहते हैं कि

"जब दोस्त हो पास में और चाय का प्याला हो हाथ में" "फिर क्या ही कमी जिंदगी के किसी हालत में""

"बातें होती हैं और दिल की हंसी में खो जाते हैं"

ऐसी यारी में चाय के साथ छोटे छोटे पल भी सज जाते हैं । ।



      दोनों ऐसे ही एक दुसरे से हंसते बात करते हुए कॉलेज से बाहर जा रहे हैं की तभी कॉलेज कैंपस के हॉल में वीर और ईशान को उनके सीनियर मिल गए जो एक ग्रुप में थे और उनकी तरफ ही देख रहे थे । ।



    जिस तरफ उनकी नजरे थी उस तरफ सिर्फ वीर और ईशान ही थे । वीर समझ गया की ये अब जरूर उनकी रैगिंग करेंगे पर वीर ये बात भी अच्छे से जानता था कि अगर इनमें से कोई भी कुछ बोला तो ईशान अपनी बातों से ही उनकी टांग खींच लेगा । ।



     इसलिए वीर ईशान से बोला “वीर चल ना भाई उधर मत देख फालतू रैगिंग करेंगे यह लोग” वीर ईशान को समझा ही रहा है कि उस ग्रुप में से एक लड़का वही सीढ़ी पर से बैठा बैठा उन्हें आवाज देता है । ।



      उसका नाम रॉकी है जो कॉलेज में बदतमीजी की वजह से काफी फेमस था और रॉकी उन दोनों को अपने पास बुलाते हुए बोलता है । ।

         रॉकी ; “ओय मोटू पतलू की जोड़ी चलो इधर आओ” ।।

   रॉकी की बात सुनकर दोनो के एक दूसरे की तरफ देखा और फिर उनके पास चले गए और उनसे थोड़ी दूर खड़े हो गए । ।



     उन दोनों के आने के बाद रॉकी उन्हें ऊपर से नीचे देखते हुए बोला “तुम तो यार बड़े ही होशियार दिखते हो कहां से हो?” । ।



    रॉकी की बात सुनकर उसका पूरा ग्रुप हंसने लगा क्योंकि ईशान पतला और वीर थोड़ा मोटा था । ।



        वह दोनों हिचकिचाते हुए उनके और पास आ गए वीर जानता था कि ईशान को रॉकी कुछ बोला तो ईशान जवाब देने से पीछे नहीं हटेगा लेकिन फिर भी वीर चुप रहा और दोनों उनके पास जाकर खड़े हो गए । ।



   रॉकी फिर अपनी यूपी की भाषा में बोलते हुए बोला    



रॉकी : “काहे बे शांत काहे खड़े हो गए कुछ नाम वाम पता है कि वह भी तुम्हाए पिता श्री बताने आएंगे”। ।



    रॉकी की बात सुनकर उसका पूरा ग्रुप हंसने लगा लेकिन वीर और ईशान शांत खड़े हैं और कुछ देर बाद दोनों अपना नाम बताते हैं और फिर ईशान चुप हो जाता है । ।



    वीर को लगा ईशान शायद बदल गया है इसलिए वह कुछ नहीं बोल रहा और वीर की उम्मीद टूटने लगी कि तभी रॉकी की नजर ईशान के जूते पर पड़ी और ईशान के जूते को देखकर रॉकी हंसते हुए बोला अबे...... बे...ये कौन सा जमाने के जूते पहन आए बे ऐसे जूते तो हमाये दादा पहनते थे”

और यह बोलकर रॉकी और उसके साथी ताली मार कर जोर-जोर से हंसने लगे । ।



    अब काफी देर से उनकी बकवास सुन रहा ईशान अपने सबर को तोड़ते हुए बोला

“अगर तुझे लगता है ये तेरे दादाजी के जूते हैं तो यही समझ कर आ पैर छू ले आशीर्वाद में दे दूंगा” । ।

ईशान इतना बोला ही था की हंसता हुआ पूरा ग्रुप सन्नाटे में बदल गया । ।



    तभी बस एक साथ आवाज निकली “ओए” ये आवाज पूरे ग्रुप की थी । ।

      इस बात पर रॉकी को काफी गुस्सा आया उसका चेहरा गुस्से में लाल हो गया क्युकी उसने अब तक काफी लोगो की रैगिंग की थी पर कभी किसी ने उसे इस तरह से उल्टा जवाब नहीं दिया था। और ईशान की बात सुनकर उसका पारा हाई हो गया । ।



    वह अपनी जगह पर से खड़ा हुआ और ईशान के पास गुस्से में जाकर उसकी शर्ट का कॉलर पढ़ते हुए बोला । 



रॉकी : “काहे बे जानता भी है हम कौन हैं” ?



   ईशान रॉकी के उस हाथ पर अपना हाथ रखते हुए और उसकी आंखों में आंखें डालकर बिना डरे बोला ।



ईशान : “और तू जानता है मैं कौन हूं ?नहीं ना तो चल निकल यहां से और जा कर अपना काम कर” । ।



     ईशान की बात सुनकर रॉकी गुस्से से फिर आगे बढ़ा कर वह कुछ बोलता तभी उधर से एक प्रोफेसर सामने आते हुए बोलते हैं “क्या चल रहा है यहां पर”?

     रॉकी प्रोफेसर को देखकर ईशान का कॉलर छोड़ते हुए कहता है “तुझे तो हम बाद में देखेंगे” । ।

    ईशान : “कल से मैं इसी कॉलेज में आऊंगा इसलिए जितना मन हो देख लेना”। ।

    रॉकी प्रोफेसर को देख वहां से अपने ग्रुप के साथ क्लास की तरफ चला जाता है और प्रोफेसर वीर ईशान के पास आकर बोलता है । ।

            प्रोफेसर : “नए लगते हो बेटा पहली बार आए हो क्या”?

 ईशान : “हां सर आज ही एडमिशन कराया है कल से कॉलेज आना है” । ।

    प्रोफेसर : “ठीक है लेकिन अच्छे से पढ़ना और इनके चक्कर में मत पड़ना इनका तो काम है न्यू स्टूडेंट्स को परेशान करना और अपनी दादागिरी दिखाना” । ।

  ईशान : “जी सर आप चिंता मत कीजिए हम अच्छे से पढ़ाई करेंगे” । ।

   प्रोफेसर ईशान और वीर को समझने के बाद वहां से चले गए । ।

प्रोफेसर के जाने के बाद वीर ईशान से बोला ।

वीर : “अबे यार तू सच में नहीं बदला न आज भी क्या वाट लगाई उसकी, वह भी कॉलेज में एडमिशन लेने के तुरंत बाद ही ! मान गया भाई तुझे तो मैं”। ।

 ईशान : “बस बस अब रहने दे ज्यादा चने के झाड़ पर मत चढ़ा चल कर चाय पीते हैं” । ।

    वीर : “हां तो चल न देरी किस बात की है मैं तो कब से तैयार हूं” । ।

     वीर और ईशान आपस में बात करते हुए कॉलेज से बाहर निकल गए और कॉलेज के बाहर ही बनी चाय की दुकान पर चाय पीने के लिए बैठ गए। । ।

   उन्होंने दो कप चाय ऑर्डर करी । कुछ देर में ही चाय उनके सामने हाजिर हो गई । ।

   चाय मिलते ही दोनों चाय पीते हुए बात करते हैं । ।



वीर “और बता ईशान कोई गर्लफ्रेंड बनाई कि नहीं अब तक या सिंगल ही है, वैसे तुझसे उम्मीद तो नही है की तू सिंगल रहेगा” । ।



 ईशान : “कहां यार वही बचपन में जो थी बस वही” । ।



उसकी बात सुन वीर ईशान को चीढ़ाते हुए बोलता है “ओए होए , बचपन का प्यार मेरा भूल नहीं जाना रे” ।। 

  ईशान वीर की बात सुनकर उसके सर पर मारते हुए बोला “चुप कर” । ।



 वीर : “हां महाशय अब तो कॉलेज में मिलेगा प्यार कोई तुझे वैसे भी तू फ्लर्ट करने में माहिर है और जहां एक दो शायरी फेक कर मारी और लो हो गई लड़की सेट” । ।



   ईशान उसकी बात पर हंसते हुए बोला “चल चल अब।। कुछ भी बोलता है ऐसा कुछ भी नहीं है” । ।



   ईशान और वीर हंसी मजाक करते हुए चाय खत्म करते हैं और दोनों एक दूसरे को बाय बोलते हैं और फिर अपने अपने घर के लिए निकल जाते है। । ।

   ईशान बस में अपने घर के लिए निकल जाता है और कुछ ही देर में घर पहुंच जाता है । ।



    घर जाकर सबसे पहले उसने अपनी मां को सब कुछ बताया जो आज कॉलेज मे हुआ और उसके बाद वो बाकी सबको भी एडमिशन के बारे में बताता है और खाना खाकर शाम होते ही जल्दी से अपनी कमरे मे चला जाता है। ।

   वह कल से अपनी न्यू लाइफ के लिए एक्साइटेड था बेड पर लेटे लेटे पता नही उसने कितनी चीजे सोच ली थी । यही सब सोच वो जल्दी से सो जाता है । ।



  पर उसे क्या पता था की कल का दिन उसकी जिंदगी में कितना बड़ा बदलाव लाने वाली है । और उसकी जिंदगी का एक नया चैप्टर शुरू होने वाला है । ।



कैसा होगा ईशान का कॉलेज का पहला दिन? किससे मुलाकात होगी? किससे दोस्ती और किससे प्यार? या ऐसे

ही ईशान और वीर की दोस्ती चलेगी आगे? और क्या ईशान और रॉकी के बीच आज की बात को लेकर कोई लड़ाई? जानने के लिए पढ़ते रहिए......

"नादान इश्क़"