Nadan Ishq - 3 in Hindi Love Stories by rk bajpai books and stories PDF | नादान इश्क़ - 3

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नादान इश्क़ - 3

अब तक आपने देखा



की वीर घर आकर ईशान को लेकर कैसे अपनी वाइफ से बात करता है और ईशान के अतीत के बारे में बताने के लिए उसको कहानी सुनाने वाला है



अब आगे

वीर बोलता है

कुछ साल पहले की बात है जब ईशान की स्कूल की पढ़ाई खत्म हुई है।

फ्लैशबैक

18 साल का ईशान, जो अभी बहुत ही छोटी उम्र का है। आज उसकी ज़िंदगी का एक बहुत ही मुश्किल दिन है, जिससे शायद उसकी ज़िंदगी का फैसला होने वाला है। क्योंकि आज उसके बारहवीं क्लास का रिजल्ट आने वाला है। लेकिन वीर, जो कि ईशान का बचपन का दोस्त है, उसका दोस्त होने के बावजूद आज उसके साथ नहीं है।

ईशान को आज वीर की काफी ज़्यादा ज़रूरत है ताकि वह उसे मोटिवेट कर सके, उसके साथ रह सके। लेकिन दसवीं क्लास के बाद ही दोनों अलग हो चुके हैं और अपने पापा के ट्रांसफर की वजह से वीर को यह शहर छोड़कर बाहर जाना पड़ा था।



रोज़ की तरह आज भी ईशान उठता है और अपना फोन चलाने लगता है। वह बिस्तर पर बैठा हुआ अपने फोन में कुछ कर रहा है। तभी उसे किसी के आने की आवाज़ सुनाई देती है। उसने सर उठाकर देखा तो उसकी मां, कामिनी मल्होत्रा, उसके लिए चाय लाई हैं।

ईशान ने अपनी मां को आते देखा और फिर उनके हाथ से चाय ले ली। कामिनी जी ईशान को चाय देकर वहां से चली गईं।



चाय पीते-पीते ईशान अपने आगे के फ्यूचर के बारे में ही सोच रहा है। वह अपने मन में बोलता है, "मैंने पूरे साल पढ़ाई की नहीं है तो फिर रिजल्ट क्या ही अच्छा आएगा? और अगर मैं पास ना हुआ तो घर में सबको क्या जवाब दूंगा! सब तो यही लगते हैं कि इस 'कंप्यूटर माइंड' के पास बहुत दिमाग है और जब उन्हें मेरी परसेंटेज के बारे में पता चलेगा तो क्या होगा।"



ईशान यही सब सोच रहा है और उसके दिमाग में काफी सारी बातें गूंज रही हैं जो लोग उसे बचपन से कहा करते थे।



"इसे तो बहुत कंप्यूटर की नॉलेज है, इसे B.Tech कर लेना चाहिए।"

कोई बोलता, "अरे, इसे तो एनीमेशन कोर्स करना चाहिए।"

कभी कोई और कुछ बोलता। यही सब बातें उसके दिमाग में गूंज रही हैं कि तभी उसके फोन में एक नोटिफिकेशन आती है जो कि रिजल्ट आने की है।

नोटिफिकेशन आते ही उसका दिल तेजी से धड़क उठता है। उसने अपनी आंखें एक बार कसकर बंद की और फिर एक गहरी सांस लेकर उसने रिजल्ट चेक किया। रिजल्ट देखने के बाद वह एक राहत की सांस लेता है।

पूरी रात वह चैन से नहीं सो पाया था, लेकिन अब उसे थोड़ा सुकून आया है क्योंकि ज्यादा तो नहीं, लेकिन उसके तकरीबन 57 प्रतिशत आए हैं। रिजल्ट देखने के बाद उसकी आंखों में एक नई उम्मीद जाग उठी है कि अभी भी कुछ किया जा सकता है। वह तुरंत उठता है और जल्दी से नीचे जाकर सबको यह खबर दे देता है कि वह पास हो चुका है।



वहीं विक्रम जी बैठे हुए हैं। विक्रम जी ईशान से बोले, "हां, बताओ ईशान बेटा, आगे क्या करना है? देखो, रहने को घर है, खाने के लिए भी सब कुछ है। यह समझ लो कि हम गरीब तो नहीं, लेकिन बहुत ज्यादा अमीर भी नहीं हैं। भले ही हम मिडिल क्लास फैमिली से बिलॉन्ग करते हैं, लेकिन इतना विश्वास रखना कि जितना मुझसे होगा, मैं तुम्हारे लिए करूंगा। तुम्हें जो भी आगे जाकर पढ़ना है, मैं उसमें तुम्हारे साथ रहूंगा। बाकी तुझे जो करना है, कर सकते हो। मैं कभी तुम्हें बाकी लोगों की तरह यह नहीं कहूंगा कि तुम IPS बनो या डॉक्टर बनो। जो तुम्हारा मन है, जो तुम्हारा सपना है, तुम उसे पूरा करो।"



विक्रम जी की बात सुनकर ईशान के चेहरे पर खुशी की चमक आ जाती है। उसे एहसास होता है कि उसके काफी दोस्तों को वही करने को बोला गया था जो उनकी फैमिली चाहती थी, लेकिन उसे पूरी छूट दी गई है अपना फ्यूचर चुनने के लिए। ईशान के मन में कुछ नया करने की इच्छा जाग उठती है। वह हमेशा से ही कुछ नया और क्रिएटिव करने की सोचता है।



पापा की बात सुनने के बाद वह अपने कमरे में जाता है और मोबाइल में अपने लिए कोर्स सर्च करने लगता है। वह गूगल पर यही सब सर्च कर रहा है कि उसे कुछ ऐसा मिले जो सबसे अलग हो, जो उसकी फैमिली में अब तक किसी ने ना किया हो। वह कुछ अलग करना चाहता है।



पहले उसने B.Tech करने का सोचा लेकिन 12वीं में मैथ्स न लेने की वजह से उसकी यह उम्मीद टूट जाती है। जब वह सब जगह से हार जाता है तो अंत में वह सोचता है, "मैं क्यों ना BA करके घर में ही कोई बिजनेस कर लूं।"



यह सोचते ही वह शांत हो जाता है और बोलता है, "नहीं-नहीं, बिजनेस तो घर में काफी लोग करते हैं। मुझे कुछ ऐसा करना है जो अभी तक मेरे घर में किसी ने ना किया।"



प्रेजेंट टाइम



छाया बड़े ही ध्यान से वीर से कहानी सुन रही है। जब वीर चुप हो जाता है तो छाया बोलती है, "आगे क्या हुआ? फिर ईशान ने क्या करने का सोचा?"



वीर बोला, "वह तो कुछ और सोच रहा था, लेकिन शायद किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।"



छाया काफी ज्यादा एक्साइटेड होकर बोलती है, "अच्छा तो जल्दी बताइए आगे क्या हुआ? क्या मंजूर था किस्मत को?"

वीर फिर से कहानी को वहीं ले जाता है और छाया को कहानी सुनाने लगता है।

फ्लैशबैक

ईशान अपने कमरे में बैठा बस सोचे जा रहा है। कुछ टाइम बाद ईशान की मां की आवाज़ आती है, "ईशान, चलो कमरे से बाहर आ जाओ और जल्दी से आकर खाना खा लो।"



अपनी मां की आवाज़ सुनते ही कमरे में बैठा हुआ ईशान बोलता है, "आया, बस दो मिनट।"



ईशान बेड से उठता है और फिर अपनी मां की आवाज़ सुनकर बाहर सबके साथ आकर खाना खाने लगता है। खाते टाइम भी वह यही सोच रहा है कि उसे अब आगे क्या करना है। सामने ही टीवी चल रही है। खाना खाते-खाते ईशान की नज़र टीवी पर पड़ती है जिसमें कोई मूवी चल रही है।

ईशान देखता है कि मूवी में इस वक्त कोर्ट का सीन चल रहा है। यह देखकर ईशान का दिल तेज़ी से धड़कने लगता है। वह अपना खाना जल्दी से खत्म करता है और फिर से अपने रूम में भाग जाता है।



वह जल्दी से कमरे में आता है और अपने कमरे का दरवाजा बंद करके बेड पर आकर बैठ जाता है। दोबारा से अपने फोन में कुछ सर्च करने लगता है। वह अपने फोन में लॉ से जुड़ी सारी इनफार्मेशन लेने लगता है।

(ईशान एक काफी मस्तमौला और मज़ाकिया किस्म का इंसान है। उसके अंदर हर दिन कुछ ना कुछ नया करने की जिज्ञासा रहती है। उसे काफी अच्छा लगता है जब वह हर दिन कुछ नया सीखता है या करता है।)

काफी देर तक वह अपने फोन में इनफार्मेशन लेता है और उसके बाद वह अपना फोन वहीं बेड पर रख देता है। उसके चेहरे पर अब एक मुस्कान है। वह काफी देर से परेशान था और कुछ सोच रहा था लेकिन अब उसके चेहरे की चमक बता रही है कि उसकी यह परेशानी खत्म हो चुकी है और उसने ठान लिया है कि अब उसे आगे क्या करना है।



वो जल्दी से कमरे से बाहर निकलता है और वापस हॉल में आ जाता है। ईशान जल्दी से अपने पापा के पास आता है और उनसे बोलता है, "पापा, मुझे पता चल गया है कि मुझे क्या करना है और मैंने ठान लिया है कि एक यही चीज़ है जिसमें मैं कुछ कर पाऊंगा।"



विक्रम जी ने जब यह सुना तो वह खुशी से बोले, "मुझे भी बताओ कि तुमने ऐसा क्या सोचा है।"

ईशान उत्साहित होकर बोला, "पापा, मुझे लॉ करना है और एक अच्छा और बड़ा वकील बनना है।"



यह सुनकर विक्रम जी थोड़ा हैरान हो गए और बोले, "अरे ईशान बेटा, उसके लिए तो बहुत ज्यादा पढ़ना पड़ता है और मेहनत भी करनी पड़ती है। और तुझे तो शुरू से ही पढ़ाई में इतना मन नहीं है। वकील बनना इतना आसान नहीं है। बोलना और करना दोनों में बहुत फर्क होता है।"



विक्रम जी की बात सुनकर ईशान खड़ा होता है और दृढ़ निश्चय के साथ बोलता है, "पापा, मैं बस इतना जानता हूं कि एक यही मेरे पास आखिरी ऑप्शन है जिसमें मुझे आगे बढ़ने की उम्मीद दिख सकती है। क्योंकि मैं आप सबकी तरह एक नॉर्मल जॉब नहीं कर सकता, आप सबकी तरह शॉप नहीं खोल सकता। मुझे कुछ बड़ा करना है ताकि मैं आपका नाम रोशन कर सकूं। और आज के जमाने में यह छोटी-मोटी जॉब किसी काम की नहीं है। मुझे अपने और आप सबके शौक पूरे करने के लिए अब यही पढ़ाई करनी है।"

ईशान दोबारा उनके पास आता है और विनम्रता से बोलता है, "पापा, ये छोटी-मोटी कमाई तो हर कोई कर लेता है। क्या फायदा ऐसी कमाई का जिसमें सिर्फ ज़रूरतें पूरी होती हैं, शौक नहीं। और मुझे जरूरत नही शौक करने है पापा और आपने ही तो बोला था कि जो मेरा मन हो मैं वह कर सकता हूं। तो पापा, मैं समझ गया कि शायद यही एक डिग्री है जिससे मैं पढ़ाई और समाज का ज्ञान ले सकता हूं और कुछ बड़ा और अलग करने की हिम्मत रखता हूं।"

विक्रम जी उसे दोबारा समझाना चाहते हैं, इसलिए वह बोले, "लेकिन बेटा, मेरी बात तो सुनो..."

विक्रम जी आगे कुछ बोलते कि ईशान ने उन्हें कुछ बोलने से पहले ही रोक दिया और बोला, "लेकिन-वेकिन कुछ नहीं पापा, मैंने सोच लिया है कि मैं यही करूंगा।"

इतना बोलते हुए वह वापस नीचे जमीन पर बैठ जाता है और फिर अपने पापा के घुटनों पर हाथ रखते हुए भावुक होकर बोलता है, "पापा, सोचिए, आज 8 घंटे की पढ़ाई करने के बाद मैं कुछ बड़ा कर सकूंगा, लेकिन पूरे दिन काम करके दस से पंद्रह हजार नहीं कमा सकता।"

ईशान की यह लगन देखकर विक्रम मल्होत्रा को थोड़ी सी आस जागती है। उन्हें अच्छा लग रहा है कि उनका बेटा कुछ बड़ा करना चाहता है। उन्हें भी गर्व महसूस हो रहा है अपने बेटे पर।



उन्होंने कुछ सोचा और फिर मुस्कुराते हुए बोले, "ठीक है, मैं तुम्हें यह एक मौका देता हूं।"



उन्होंने ईशान के सर पर प्यार से हाथ रखा और बोले, "मेरा आशीर्वाद है तुम्हें, ईशान। तुम आगे जाकर एक बहुत बड़े वकील बनोगे। अच्छा, अब जाओ और अपने लिए कोई अच्छा सा कॉलेज देख लो।"

उनकी बात सुनकर ईशान के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ जाती है। वह बोला, "पापा, आपने मेरे ऊपर इतना भरोसा किया है तो अब आप देखिएगा, सिर्फ 5 साल... और इन 5 साल में मैं अपनी पूरी जान लगा दूंगा और आपका नाम रोशन करूंगा।"



ईशान खुश होकर जल्दी वहां से अपने कमरे में चला जाता है और फिर से लॉ से रिलेटेड सब चीजें देखने लगता है। उसने कुछ ही देर में कॉलेज, कोर्स सब डिसाइड कर लिए।

रात भी हो चुकी है। ईशान ने जल्दी से सब चीजें डिसाइड कर लीं और फोन वहीं साइड में रख दिया। बिस्तर पर लेटकर वह अपने आने वाली जिंदगी के बारे में सोचने लगता है।



अपने सपने, अपनी ज़िंदगी, सब उसकी आंखों के सामने घूम रहे हैं। कल उसकी ज़िंदगी की नई शुरुआत है। नया कॉलेज, नया दिन, नए लोग, सब कुछ उसके लिए नया होने वाला है और इन सबके लिए वह काफी ज़्यादा एक्साइटेड है। पर ईशान को भी क्या पता था कि आगे जाकर क्या होने वाला है। आगे जाकर वो क्या बना सकता है और क्या बिगाड़ सकता है।

वह यही सब सोचते हुए कब सो गया, उसे खुद पता नहीं चला।

अगली सुबह



सुबह के 8:00 बज रहे हैं। बाहर धूप निकली हुई है और मौसम काफी सुहावना है। ईशान रोज़ की तरह अपने बेड से उठता है, तैयार होता है और अपने पापा के पास जाकर उनसे कॉलेज की फीस और बाकी खर्चों के बारे में बात करता है।



विक्रम जी ने उसे पैसे दिए और ईशान जल्दी से तैयार होकर कॉलेज के लिए निकल जाता है।

उसने इस वक्त शर्ट, पैंट और फॉर्मल जूते पहने हुए हैं। हाथ में एक घड़ी पहनी हुई है। उसी हाथ में वह डॉक्यूमेंट की फाइल लेकर घर के बाहर आ गया और बस का इंतजार करने लगा।

बस के आते ही वह जल्दी से बस में बैठता है और अपने सपनों की तरफ बढ़ जाता है।



कुछ ही देर में वह कॉलेज के लिए पहुंच जाता है। वह बस से उतरकर कॉलेज के सामने आकर खड़ा हो जाता है

(R.k law college) 

और कॉलेज को काफी ध्यान से देखने लगता है। और उस कॉलेज का नाम पढ़ता है जो राजवीर खुराना जो शहर के सबसे बड़े बिजनेस मैन का है ईशान मन में बोलता है

राजवीर खुराना का कॉलेज... यहीं से मेरी ज़िंदगी बदलने वाली है।"

यह कॉलेज, जहां से उसकी ज़िंदगी बदलने वाली है। उसके सपनों को एक नई उड़ान मिलने वाली है। काफी देर तक कॉलेज को ऐसे ही देखने के बाद वह एक गहरी सांस लेकर अंदर चला जाता है और वहां का माहौल देखने लगता है।

कॉलेज में काफी भीड़ है। एक से एक अच्छे घर के बच्चे वहां पर आए हुए हैं। (ईशान ऐसे माहौल में भले ही पहली बार आया है, लेकिन उसमें जवाब देने का तरीका और लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करने का एक बहुत ही बड़ा हुनर है।)



ईशान ने चारों तरफ देखा और फिर आत्मविश्वास से भरा हुआ एडमिशन के लिए अंदर चला गया।



वह जल्दी से एडमिशन सेक्शन में पहुंचा और वहां पर बैठे हुए आदमी से बोला, "सर, वह लॉ सेक्शन का एडमिशन फॉर्म चाहिए।"



एडमिशन काउंटर पर बैठे हुए आदमी ने एक नजर ईशान की तरफ देखा और फिर बोला, "हां, यह लो फॉर्म और इसे फिल करके यहां जमा कर दो।"



ईशान ने जल्दी से फॉर्म लिया और फॉर्म भरने लगा। वह फॉर्म भर ही रहा है कि तभी एक 19 साल का लड़का ईशान के सामने आकर शांति से खड़ा हो जाता है, लेकिन ईशान का ध्यान सिर्फ फॉर्म भरने पर ही लगा हुआ है।



काफी देर बाद जब उसे महसूस हुआ कि कोई उसके सामने खड़ा है, तो उसने अपना सर उठाकर ऊपर की तरफ देखा और सामने खड़े लड़के को देखकर हैरान हो जाता है।



कौन था वो 19 साल का लड़का ? और क्या ईशान की जिंदगी यहां से बदल जायेगी? और क्या थी आगे की सच्चाई? क्यों वीर उसे सही मानता था? और क्या होगा ईशान की जिंदगी का फैसला ?



जानने के लिए पढ़ते रहिए



"नादान इश्क़ "