Mumbai सपनों का शहर जहां कितने अमीर परिवार रहते थे। और उसी शहर में रहता था एक गरीब फटीचर लडका जिसके पास अपने कॉलेज की फीस के भी पैसे नहीं होते थे।
" अरे ध्रुव तुम कहां थे हमने खाना ऑर्डर किया था तो ये बच गया है और आसपास कोइ कुत्ता भी नहीं है तो सोचा की तुझसे बड़ा कुत्ता कौन होगा ले खाले!" एक लडके ने ध्रुव का मजाक उड़ाते हुए कहा।
" अरे इसकी औकात तो कुत्ते से भी गई गुजरी है ये तो धरती पर एक बोझ है!" पास बैठे दूसरे लडके ने कहा और सब मिलकर हंसने लगे। ध्रुव को गुस्सा तो आ रहा था पर वो कुछ कर भी नहीं सकता था।
" अपनी हद में रहो यश अपनी अमीरी आपने पास रखो!" एक लड़की ने कहा। जिसने बड़ा सा चस्मा लगाया हुआ था। " ओ मिस चस्मिस भी यहां है ध्रुव तेरी गर्लफ्रेंड भी तेरी तरह ही नल्ली है!" यश ने कहा।
" यश अगर तूने सुमन के बारे में कुछ भी बोला तो मैं तेरा मूंह तोड़ दूंगा!" ध्रुव ने कहा ध्रुव अपनें बारे में सह सकता था पर सुमन के बारे में बिल्कुल नहीं एक सुमन ही तो थीं जो कॉलेज में उसके साथ खड़ी रहती थी।
" क्या बे तू मुझे मारेगा हाथ तो लगा!" यश ने ध्रुव को धक्का देते हुए कहा। यश बात्मीजी पर उतर आया था और उसने केंटिन में ही झगड़ा शुरू कर दिया था। यश ने ध्रुव के चेहरे पर जोर का मुक्का मारा ध्रुव के नाक से खून निकलने लगा।
" तुम उसे मार क्यों रहे हो?" सुमन ने चिल्लाते हुए कहा। लेकीन पीछे से यश के एक आदमी ने सुमन के बाल पकड़ लिए और उसे नीचे गिरा दिया इतना ही नहीं उसने सुमन को पूरे केंटिन का चक्कर लगवाया।
ध्रुव ने उठकर सुमन की मदद करने की कोशिश की ध्रुव ने उस लडके को लात मारी जिसने उसके बाल पकड़े हुए थे। ध्रुव की लात खाने की वजह से वह आदमी जमीन पर गिर पड़ा।
यश ने भी ध्रुव पर हाथ उठाया लेकीन ध्रुव ने उसके हमले को रोका और उसे मारा भी अब ध्रुव और यश के बीच में कोइ अंतर नहीं था दोनों के ही शरीर से खून निकल रहा था।
लेकीन ये बाजी ध्रुव पर भारी पड़ी यश ने अपनें बॉडीगार्ड को इशारा किया यश के इशारे पर यश के बॉडीगार्ड्स ने ध्रुव को मारना शुरू कर दिया। ध्रुव को मार खाते हुए देख सुमन ने यश के पांव पकड़ लिए।
" अगर इसे बचाना है तो मेरे पैर पकड़ और उन्हे चाट!" यश ने कहा। भले ही ये घिनौनी हरकत थीं पर ध्रुव को बचाने के लिए सुमन को ये करना पड़ा।
यश ने जैसा कहा सुमन ने वैसे ही किया। तब तक ध्रुव का बहुत सारा खून बह चूका था उसका सर फूट चूका था ध्रुव बेहोश हो चूका था। " लें जाओ इसे और किसी सरकारी हॉस्पिटल में भर्ती करवा दो!" यश ने कहा। यश नही चाहता था कि अब ध्रुव की जान उसकी वजह से चली जाए।
इसी तरह दो दिन बीत चुके थे और ध्रुव को अचानक से होश आया। जब ध्रुव ने देखा तो शाम हो चुकी थी और सुमन उसके बेड पर सर रखकर सो रही थी। ध्रुव ने देखा की सुमन के माथे पर पट्टी बंधी हुई थी और उसके हाथ पैरों पर भी खरोच के निशान थे जैसे उसे जमीन पर घसीटा गया हो।
ध्रुव को याद आया कि कैसे यश और उसके आदमियों ने सुमन को पुरी केंटिन में चक्कर लगवाया। सिर्फ उसके कारण ये सोचकर ध्रुव के दिल में बहुत दर्द उठा पर वो कुछ कर भी नहीं सकता था।
तभी सुमन नींद से उठी उसने देखा की ध्रुव उसे ही देख रहा था। " क्या हुआ तुम मुझे इस तरह से क्यों घूर रहे हो?" सुमन ने पुछा। " देख रहा हुं कि तुमने मेरे लिए कितना दर्द सहा है!" ध्रुव ने कहा।
" तुम भी ना ध्रुव छोड़ो जाने दो मैं तुम्हारे लिए खाना लाई हुं!" सुमन ने कहा। ध्रुव ने खाना खा लिया सुमन ने कहा," ठीक है मैं चलती हूं कल शाम को मिलते हैं!" सुमन ने कहा।
" कल शाम को सुबह कहां जओगी?" ध्रुव ने पुछा। " तुम्हारे इस हॉस्पिटल का बिल भी तो भरना है!" सुमन ने ये बात एक मुस्कान के साथ कहा। सुमन की बात से ध्रुव का चेहरा उदास हो गया।
" thank you सुमन पता नहीं मैं तुम्हरा ऐसान पता नहीं कैसे चूका पाऊंगा!" ध्रुव ने सुमन के सामने हाथ जोड़ते हुए कहा। " अरे ध्रुव तुम क्या कर रहे हो अगर तुम्हें मेरा एहसान चुकाना ही है तो जल्दी ठीक हो जाओ!" सुमन ने मुस्कुराते हुए कहा।