Khamoshi ka Rahashy - 5 in Hindi Moral Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | खामोशी का रहस्य - 5

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खामोशी का रहस्य - 5

"मैं तुम्हारे लायक नही हूँ
"क्यो
"क्योकि मैं परित्यक्ता हूँ।तलाकशुदा
"यह तुंमने पहले कभी बताया नही।"
"पहले कब यह बात चली।आज चली है तो बता रही हूं,"माया बोली,"मैं परित्यक्ता हू।तलाकशुदा औरत।इन मर्द द्वारा ठुकराई बासी औरत
"कौन ऐसा मूर्ख मर्द था जिसने इतनी सुंदर और समझदार पत्नी को त्याग दिया
"वह क्या करता।मेरे दामन में दाग़ लग चुका था।कलंक का टीका और ऐसी पत्नी को रखकर कौन समाज और लोगो की सुनता
"माया तुम पहेलियों बुझा रही हो।तुमहारकोई बात मेरी समझ मे नही आ रही।साफ साफ कहो न
"वो मेरा अतीत था।जिसे में याद करना नही चाहती
"क्या मुझे अपना दोस्त नही मानती,"दीपेन बोला था
",तुम ।ेेरे दोस्त ही नही अजीज हो
"तो मुझे बताओ तुम्हे पति ने तलाक क्यो दिया
"मेरा जन्म
और माया को अपना अतीत याद आने लगा
माया का जन्म एक मध्यम वर्ग के परिवार में हुआ था।जब वह कॉलेज में पढ़ती थी तब उसे अपने साथ पढ़ने वाले अनुराग से प्यार हो गया था।अनुराग भी उसे चाहता था।जब उसने बी ए कर लिया तब उसके पेरेंट्स को उसकी शादी की चिंता हुई।तब माया ने अपनी माँ को अपने
प्या के बारे मे बताया था। अनुराग का अपना बिजिनेस था।औऱ वह उनकी जाति का भी था।इसलिये उसकी माँ को क्या दिक्कत हो सकती थी।एक दिन शांति अनुराग के घर गयी थी।अपनी बेटी केरिश्ते के लिय।अनुराग कि माँ कमला भी इसके लिये तैयार थी।कमला का परिवार बड़ा नही था।बेटा अनुराग और दो बेटियां सुधा और मधु।संपन्न परिवार था।उनकी कोई । मांग नही थी।
औऱ शांति ने अपनी बेटी । माया कि शादी धूमधाम से अनुराग से कर दी थी।माया को ससुराल बहुत बढ़िया मिला था।सास उसे माँ जैसी मिली थी।और नंदे बहन की तरह उसका ख्यल रखती थी।अनुराग का बिजिनेस था।उसे कभी कभी कम के सिलसिले में बाहर भी जाना पड़ता था।पति घर पर ही रहते तब दिन तो उसका सास और ननदो के साथ गुजर जाता।खूब हंसी मजाक चलती रहती।ननदे उसे भाभी भाभी करते हुए उसके आगे पीछे घूमती रहती।उसके दिन चांदी के और राते सोने की थी।अनुराग से वह प्यार करती थी।अनुराग भी उसे जी जान से चाहता था।प्यार करता था।उसके बिना रह नही सकता था।जब अनुराग बिजिनेस के सिलसिले में बाहर जाता तब उसकी रात काटना मुश्किल हो जाता।वह तनहा अकेली रात के सन्नाटे में बिस्तर पर पड़ी करवटे बदलती रहती।लाख प्रयास करने पर भी उसे नींद नही आती।और उसको देख कर बड़ी ननद अक्सर हंसी मजाक करती
भाभी भैया की याद में लगता है रात में सोई नही हो
माया चुप रह जाती।ननद उसकी हमउम्र थी लेकिन माया कुछ न बोलती।अनुराग जब टूर से लौटकर आया तो माया को उदास देखकर बोला
क्या बात है।किसी ने कुछ कहा क्या जो उदास नजर आ रही हो
"कोई कुछ कई कहेगा।सब मुझे खूब चाहते हैं।सास मुझे मा जैसा लड़ प्यार करती है।ननदे बहन मानती है।हर लड़की को ऐसा ही ससुराल मिलना चाहिए।"
"तुम्हे ससुराल इतना अच्छा मिला है।पति जिसे तुम चाहती थी।प्यार करती थी।वो मिला है।फिर भी तुम उदास हो,"पत्नी की बात सुनकर अनुराग बोला,"फिर इस उदासी का कारण क्या है
"तुम्हारे बिना अकेले मन नही लगता।तुम एक एक सप्ताह के लिए बाहर चले जाते हों
"ओहो तो ये बात है।हमारी रानी इसलिए उदास है