अब तक हम ने पढ़ा की लूसी और रोवन की शादी हो चुकी थी। जैसा के लूसी ने प्लान किया था के वे लोग कॉलेज के घर में रहेंगे इस लिए सभी लोग अपने अपने घर चले गए और वे दोनों अपने कॉलेज के घर आ गए। रोवन के घर वाले बस यही चाहते थे की किसी तरह उसका घर बस जाए और लूसी सही सलामत रहे।
वे लोग शाम को निकले थे लेकिन आते आते रात हो गई। कॉलेज के सन्नाटे छाए कैंपस में एक बड़ा सा लाइट बल्ब जल रहा था जिसके आसपास छोटे छोटे कीड़े मोकोड़े मंडरा रहे थे।
मेन गेट के पास गाड़ी रोक कर रोवन ने हॉर्न बजाया तो दो लोगों ने दरवाज़ा खोला। उन दोनों के हाथ में अलग तरह की बंदूक थी।
उन्हें देख कर लूसी ताज्जुब हुई के ये दोनो कौन है।
अंदर जा कर जब वे दोनों कार से उतरे तो लूसी ने देखा की सिर्फ वो दो अंजान लोग नही थे बल्के और चार लोग थे जिन्होंने एक जैसे काले काले सूट बूट लगाए रखा था। हाथों में दस्ताने और सर पर काला हैट भी था। अभी लूसी उन्हें हैरानी से देख ही रही थी के रोवन ने उसका हाथ पकड़ा और उसकी उंगलियों में अपनी उंगलियां मजबूती से उलझा ली।
वे सभी लोग उनके सामने आए तो रोवन ने पूछा :" आप लोगों को अभी तक कुछ मिला?
उनमें से एक ने जवाब दिया :" नहीं! हमारा सर्च जारी है!... Don't worry sir everything will be fine!"
रोवन ने हां में सर हिलाया और लूसी की ओर देखते हुए बोला :" चलो चलते हैं!"
लूसी जाते हुए बोली :" सर ये लोग कौन हैं और किस चीज़ की सर्च कर रहे हैं?"
रोवन ने सीढ़ियों पर चलते हुए जवाब दिया :" ये लोग पैरानॉर्मल इन्वेस्टिगेटर हैं। भूतों को डिटेक्ट करना और ट्रैप करना इनका काम है! मैने इन्हें मुंबई से बुलाया है।"
लूसी :" ओह ये लोग हैं।....वैसे आपको डर लग रहा है क्या? आप ने बड़ी मज़बूती से मेरा हाथ पकड़ा है!...डरने की ज़रूरत नहीं है। मैं हूं ना!"
लूसी शरमाते हुए दबी मुस्कान के साथ बोली।
रोवन ने मुस्कुरा कर उसे देखा और चिंतित हो कर बोला :" तुम हो इस लिए डर लग रहा है!....काश के कमेला से मुझे खतरा होता तो मैं बिल्कुल नहीं डरता लेकिन खतरा तो तुम्हें है और आज मेरी बीवी बन कर आई हो जिसका उसे इंतज़ार था।"
वे दोनों अपने कमरे में पहुंचे। पूरे घर में और बरामदों में ढेर सारी लाइट जलाई गई थी। कमरे में आकर रोवन ने लूसी को बिस्तर पर बैठाया और ड्रॉअर से कुछ मोमबत्तियां निकालने लगा।
दो मोमबत्ती जला कर टेबल पर रख दिया और बिजली के बल्ब ऑफ कर दिए सिर्फ एक नाईट बल्ब ऑन रखा। ये देख कर लूसी ने पूछा :" सर आप कैंडल्स क्यों जला रहे हैं?"
रोवन उसके पास आ कर बैठते हुए हुए बोला :" कैंडल्स इस लिए जलाया है ताकी अगर कमेला यहां आए तो हमे तुरंत पता चल जाए!...उसके आते ही ये जलती हुई कैंडिल्स बुझ जायेगी!...और तुम मुझे अब सर सर बुलाना बंद कर दो! अब मुझे अजीब लग रहा है ऐसा लग रहा है मैं टीचर हूं और मैंने किसी स्टूडेंट से शादी कर ली है।"
लूसी नज़रे झुकाए अटकते हुए बोली :" तो मैं आपको क्या बुलाऊं आप मुझसे बड़े हैं!.... ए जी, वो जी, सुनो जी! इस तरह बुलाऊं क्या?"
रोवन हंस कर :" बिलकुल नहीं!.... हां मैं तुम से छह साल बड़ा हूं लेकिन इसका मतलब ये नही के हम दोस्त नहीं हो सकते!"
लूसी हिचकते हुए उसकी आंखों में देख कर बोली :" दोस्त? लेकिन हम तो पति पत्नी है अब कैसी दोस्ती!"
रोवन ने उसके हाथों को अपने हाथों में लिया और उसके सामने मुड़ कर बैठते हुए कहा :" मैने एक नॉवेल में पढ़ा था!...किसी भी रिश्ते की शुरुआत करने से पहले दोस्ती ज़रूरी है। खास कर पति पत्नी के बीच प्यार से पहले दोस्ती होनी चाहिए फिर जब प्यार होता है तो बहुत गहरा होता है! जब तक हम दोस्त नहीं बनेंगे एक दूसरे के साथ खुल कर बात नहीं कर पाएंगे न अपनी फीलिंग्स ठीक से जाता पाएंगे! इस लिए तुम मुझे दोस्त समझ कर मेरे नाम से बुलाओ!...मुझे अच्छा लगेगा।"
लूसी चहरे पर छोटी से मुस्कान सजा कर बोली :" आपको देख कर लगता नहीं है की आप नॉवेल भी पढ़ते होंगे!"
रोवन :" इंसान को जब अपनी ज़िंदगी से उम्मीद खत्म हो जाती है तब उसे किताबे पढ़ना चाहिए इस से हम अपनी एक अलग दुनिया बना लेते हैं और उसी में वक्त गुजरता रहता है।"
लूसी ने नम्र आवाज़ में पुछा :" वैसे ये सब आप ने किस की नॉवेल में पढ़ा हैं?
रोवन :" आयशा दीवान की!...लेकिन तुम नहीं पढ़ सकती क्यों के तुम्हें क्लास की किताबें पढ़नी है।"
लूसी मुंह लटका कर :" हां मुझे तो असाइनमेंट भी कंप्लीट करना है। थोड़ा सा बचा है मैं कर लूं क्या?"
इस बात पर रोवन उसे बिना पलकें झपकाए एक टूक नशीली आंखों से देखने लगा। उसे इस तरह देखते हुए लूसी ने देखा तो उसका दिल धक धक सा हुआ और रुके रुके लफ्ज़ों में बोली :" क...क्या हुआ!... अ आप मुझे ऐसे क्यों देख रहे हैं?"
रोवन उसी तरह देखते हुए बोला :" कितनी भोली हो ना तुम!....हमारी फर्स्ट नाइट में तुम असाइंगमेंट बनाओगी?....कल दिन में पूरी कर लेना मैं हेल्प कर दूंगा!"
लूसी ने शर्म से नज़रे झुका ली। रोवन ने उसे गौर से देखते हुए धीरे से कहा :" तुम ने ये क्यों नहीं पूछा के मैं श्रापित क्यों हूं!....क्या तुम जानना नहीं चाहती?
लूसी ने मासूमियत से कहा :" मुझे जानना तो है लेकिन मैं इस लिए नहीं पूछती क्यों के मुझे लगता है पूछ कर मैं आपको हर्ट कर दूंगी!"
रोवन के चहरे पर उसके लिए एक उल्फत से लिपटी हुई मुस्कान उभर आई। उसने उसके माथे को धीरे से चूम लिया। उसके ऐसा करते ही लूसी की आंखें बड़ी हो कर उल्लू की तरह गोल गोल हो गई।
रोवन ने बड़े प्यार से उसके सर को अपने सीने में रखते हुए कहा :" उम्मीद करता हूं हमारे बीच कमेला न आए!...वो मेरी एक गलती की सिला है।"
लूसी की हालत न कुछ पूछने जैसा था ना बोलने जैसा वो तो उसके बाहों में बस तेज़ तेज़ सांसे ले रही थी और अपने शोर मचाते हुए दिल को संभालने की कोशिश में लगी थी।
पलंग के सिरहाने में रोवन ने टेक लगा दिया। लूसी उसके सीने पर सर रखे बैठी रही।
रोवन ने अफसोस भरी एक गहरी सांस ली और कहा :" मैं बीस साल का हो गया था लेकिन कभी इधर उधर दोस्तों के साथ मस्ती करने नहीं जाता था ना ही मुझे ठीक से ड्राइविंग आती थी क्यों के पापा स्ट्रिक्ट थे और मैं उनका दुलारा! इस लिए मुझे इधर उधर घूमने फिरने की आज़ादी नहीं थी। कॉलेज में मेरे कई दोस्त थे जो मुझे बिगाड़ने पर तुले रहते थे लेकिन उन्हें भी पापा से डर रहता था इस लिए बार बार मुझे बाहर साथ चलने के लिए उकसाते रहते थे।
एक बार ऐसा हुआ के एक दोस्त का बर्थडे आया। पापा एक कांफ्रेंस में पटना गए हुए थे। शाम के समय तीन चार लड़के मेरे घर आ गए और मुझे साथ ले जाने के लिए मम्मी से ज़िद करने लगे। मुझे भी जाने का मन था और मां तो मां होती है मेरा चहरा देख कर उन्हें तरस आ गया और जाने की परमिशन दे दी। यही मेरी ज़िंदगी की सब से बड़ी भूल थी।......
(आगे रोवन अपने गुज़रे हुए समय के बारे में बताएगा जो गुज़र कर भी नहीं गुज़रा और उसके गर्दन पर ही बोझ बन कर रह गया है। पढ़ते रहें अगला भाग जल्द ही)