अब तक हम ने पढ़ा की लूसी और रोवन उनके पुराने घर गए थे। वहां उन्हें गन तो मिला लेकिन साथ ही कुछ शैतानों से सामना हो गया। रोवन ने उन पर गोली तो चलाई लेकिन उन्हें ज़्यादा फ़र्क नहीं पड़ा और उनमें से एक रोवन पर हावी हो गया। उसने लूसी के गर्दन पर मुंह लगाया तो एक झटका खा कर पीछे हट गया।
अब लूसी ने उसका चहरा देखा तो उसकी पलके आधी ढलकी हुई दिखने लगी थी। लूसी घबराई हुई उसके पास जा ही रही थी के रोवन के अंदर से कोई हवा की तरह बड़ी तेज़ी के साथ सन्न से निकल गया। उसके निकलते ही रोवन को एक ज़ोर की हिचकी आई। लूसी ये सब देख कर हैरान थी के उसने देखा रोवन के ठीक पीछे दुलाल है जो अभी अभी रोवन के बॉडी से गुज़र कर उस शैतान का गला दबोच कर खड़ा है।
रोवन को अपना सर बहुत भारी महसूस हो रहा था और तेज़ तेज़ सांसे चल रही थी। उस से खड़ा नहीं रहा गया और वोही घुटनों पर बैठ गया। लूसी जल्दी से जा कर उसे संभालने लगी। उसने देखा के दुलाल और शैतान की लड़ाई हो रही है। दुलाल उसके आगे बहुत कमज़ोर लग रहा था। लूसी ने चिल्ला कर कहा :" दुलाल वो खतरनाक है!"
दुलाल ने मुश्किल से चिल्लाते हुए कहा :" मैं ज़्यादा देर इसे रोक नहीं पाऊंगा! तुम रोवन पार्कर को लेकर जल्दी यहां से निकलो!...मेरी फिक्र मत करो अगर मैं कुछ दिन गायब रहूं तो कुछ भी बिगड़ने वाला नहीं है!...जाओ जल्दी!"
लूसी ने रोवन का चहरा अपने हाथों में लेते हुए कहा :" सर आपको चलना होगा! सर उठाए प्लीज़!"
फिर उसने वहां पड़े गन को तेज़ी से जा कर उठाया और रोवन के करीब आ गई।
रोवन ने मुश्किल से अपने आप को संभाल कर लूसी का हाथ पकड़ा और में गेट से बाहर निकल गया। दोनों अपनी गाड़ी में बैठे, रोवन ने गाड़ी में रखे पानी के बोतल से पानी पिया और लूसी की ओर देख कर हांफते हुए कहा :" मुझे क्या हो गया था! मैं ने तुम्हारे साथ कुछ गलत किया है! मैं ने जैसे अपने आप को देखा अजीब हरकते करते हुए लेकिन मैं खुद को रोकने के लिए कुछ भी नहीं कर पा रहा था!...मैंने तुम्हारे गले में मुंह लगाया था। दिखाओ मुझे कहीं चोट तो नहीं आई? दांत तो नहीं गड़ा है ना?"
लूसी ने अपने गर्दन पर हाथ फेरते हुए कहा :" नहीं ऐसा कुछ नही हुआ है! आप ठीक तो है ना आप मुझे ठीक नही लग रहे हैं!"
रोवन ने स्टेयरिंग पर हाथ रखा और कार चालू कर के कहा :"मैं ठीक हूं बस सर भारी सा लग रहा है!....पता नहीं ये भूखे बेघर शैतान यहां कब से आ गए पहले तो नहीं थे!...एक बात बताओ ये लोग इंसान के घरों में क्यों आ जाते हैं इनके अपने घर नहीं है क्या?
उसने कार ड्राइव करते हुए पूछा।
लूसी :" कुछ भूत मेंढक की तरह होते हैं!"
रोवन हैरत में उसकी ओर देखते हुए :" मेंढक!"
" हां मेंढक!...जैसे मेंढक पानी में भी रह सकते हैं और ज़मीन पर भी उसी तरह इनके रहने के लिए पहाड़ों की ऊंची चोटियां, आइलैंड और गुफाएं होती है लेकिन इन्हें कोई घर, महल या इंसानों का बनाया हुआ कोई ऐसी जगह जो लंबे समय से खाली पड़ा हो, पसंद आ जाए तो वहां रहने लगते हैं और अपना कब्ज़ा जमा लेते हैं।"
(फिर चैन की सांस लेते हुए बोली) मैने पहले कभी इतने गंदे दिखने वाले भूत नहीं देखे थे।"
लूसी ने मायूसी में बताया।
रोवन :" तुन्हें इतना सब कुछ कैसे पता इनके बारे में?
लूसी :" जब मैने भूतों से डरना छोड़ दिया तब मैने सोचा के अगर मैं उन्हें देख सकती हूं तो मुझे उनके बारे में सब कुछ पता होना चाहिए! फिर मैने अलग अलग और बहुत पुरानी किताबे पढ़ी जिसमे किसी न किसी भूतों के प्रजाति के बारे में लिखा होता था। पर मुझे अभी भी बहुत कुछ नही पता!"
रोवन :" लूसी I'm sorry!.... मैं तुम्हारे लिए दानव बनने वाला था! पहले ऐसा कभी नहीं हुआ मेरे साथ!...वो दुलाल वोही है ना जिस से तुम कॉलेज कैंपस में बैठ कर बातें कर रही थी?.... उस ने दूसरी बार मेरी मदद की! Thanks to him"
लुसी :" वो आपको पसंद करता है। आप सॉरी फील मत कीजिए!... मैं तो डर रही थी के आपके पेट के ज़ख्म पर न लग जाए फिर हमारी शादी को भी ज़्यादा टाइम नहीं बचा है।....वैसे आप दानव नही वैमपायर बनने वाले थे जो आप पहले से दिखते हैं।"
" क्या?....क्या कहा तुम ने?
रोवन ने आंखें छोटी करते हुए कहा।
लूसी मुस्कुरा कर :" कुछ भी तो नहीं!...आप आगे देखिए!"
रोवन ने दबी मुस्कान से उसकी ओर देखा और फिर तेज़ी से गाड़ी चलाने लगा।
जब वो दोनों घर पहुंचे तब कियान ने आर्यन से जल्दी चलने को कहा क्यों के दिन ढल चुका था।
रास्ते भर लूसी के दिमाग में कई तरह के भूचाल हलचल मचा रहे थे। झुमकी की बेचैन रूह और उसका कातिल, अब दुलाल भी बादलों में जा चुका होगा और वो शैतान उन्हें घर से कैसे निकाला जाए, फिर कमेला भी है जो जान की दुश्मन है। ये सब सोचते सोचते वो घर पहुंची।
उधर रोवन ने अपनी दीदी से हिचकते हुए वो सब कहा जो लूसी ने उसे कहने के लिए कहा था। उसने कहा के शादी कर के वे लोग कॉलेज वाले घर में चले जायेंगे।
दीदी खुशी खुशी मान गई और कहा के तुम दोनों बस खुश रहो यही हमारे लिए सब से बड़ी बात है।
शादी का समय आया। लूसी के घर में अब हल्दी और मेहंदी की रस्में हो रही थी लेकिन रोवन के घर ऐसा कुछ नही था। रोवन ने इस दौरान कई लोगों से बात की जो पैरानॉर्मल चीजों पर रिसर्च करते हैं उन्हें भी अपनी परेशानी बताई। कई लोग उसके घर आ कर देखने के लिए तैयार थे।
रोवन मैसेज कर के बार बार लूसी को चौकन्ना रहने की चेतावनी देता रहता था। क्यों के उसे पाने से पहले उसे खोने का डर सताने लगा था।
शादी के रस्मों के दौरान लूसी को कोई भी नहीं दिखा। ना झुमकी न दुलाल न ही कमेला। झुमकी और दुलाल को समय लग रहा था क्यों के उन्हें गहरी चोट लगी थी लेकिन कमेला को तो जैसे सांप ही सूंघ गया हो। वो इतनी बेखबर तो नहीं हो सकती। ज़रूर कुछ न कुछ खिचड़ी पका रही होगी।
इन्ही बातों में खोई हुई लूसी बस वोही करती जो घर की औरते करने को कहती।
दो दिन के रस्मों के बाद आज शादी है।
लूसी के घर वालों ने तो पूरे खानदान को दावत दे रखा था लेकिन रोवन के उधर से बारात में कुछ ही लोग आए, उसके दो चाचा चाची और उनके बच्चे, रोवन की फैमिली और कॉलेज के सभी स्टाफ जिसमे नताशा मैम भी थीं। उन्हें देख कर लूसी थोड़ी सी घबरा गई। उसके भोले मन में ये ख्याल आ गया के कहीं ये असाइनमेंट के लिए उसे डांट ना दे लेकिन जब उन्होंने मुस्कुरा कर बधाई दी तो फिर उसकी घबराहट कम हुई। फिर जब उसे याद आया के वो अब कॉलेज के डायरेक्टर की दुल्हन है तब खुश हो कर मुस्कुराने लगी।
रूमी, रौशनी और वर्षा तीनों उसके आसपास ही थी।
शादी में आए हुए लोगों ने तो दिन भर मज़े किए लेकिन रोवन और उसके परिवार के दिल में एक दहशत बार बार तूफान बन कर उठता जिसे उन सब ने अपनी मुस्कान के पीछे छुपाए रखा था। वोही डर के कहीं पिछली दो शादियों जैसा इस बार कुछ न हो।
लूसी के घर वाले इस बात से तो अंजान थे की उनकी बेटी की शादी जिस लड़के से हुई है वो श्रापित है लेकिन जिसे जिसे ये बात मालूम थी उनका दिल कहीं न कहीं डरा सहमा दुवाएं मांग रहा था के बस कोई बुरी खबर न आए, इतनी प्यारी दुल्हन और इतनी प्यारी जोड़ी को किसी श्राप का काला साया न घेरे और एक खुशगवार ज़िंदगी गुज़रे लेकिन आगे क्या होने वाला है ये लूसी और रोवन ही बेहतर जानते थे। इस लिए उन्होंने अपनी पहली रात की कई तरह से तैयारी कर रखी थी।
लूसी की बहुत ही भावुक विदाई हुई और वो रोवन के साथ कॉलेज वाले घर में पहुंची।
(पढ़ते रहें अगला भाग जल्द ही)