अब तक हम ने पढ़ा की लूसी और रोवन की सगाई हो चुकी थी। वो बच्ची लूसी को अब तक नहीं मिली जिस वजह से लूसी को थोड़ी चिंता सता रही थी। उसे एक साथ बहुत से काम आ पड़े थे जिस वजह से उलझी हुई थी। इधर शादी की तैयारियां फिर कॉलेज का असाइनमेंट और कमेला को दूर रखने के तरीके पर सोच विचार, ये सब अकेले कर पाना उसके लिए मुश्किल होने लगा था।
देर रात हो रही थी। लूसी ने अपने कमरे के खिड़की परदे ठीक से लगा दिए ताकी उसके बात करने की आवाज़ बाहर न जाए, उसने बिस्तर पर पड़े अपने मोबाइल को घूरते हुए कहा :" अब हम इंगेज हो गए हैं फिर भी रोवन सर ने एक बार भी न कॉल किया ना मैसेज!...क्या वो सिर्फ अपनी मम्मी की खुशी के लिए शादी कर रहे हैं। बे शर्मों की तरह मुझे ही कॉल करना पड़ता है।....क्या उन्हें मेरी बिलकुल भी याद नहीं आती!"
अपने बिस्तर पर बैठ कर रोवन को कॉल करने लगी।
दो तीन रिंग होने के बाद उसने कॉल रिसीव कर के हेलो कहा।
शायद वो सो गया था। उसकी नींद की खुमारी घुली हुई आवाज़ सुन कर लूसी हड़बड़ा गई और हिचकते हुए बोली :" आप सो गए थे क्या?... ओह सॉरी मैंने डिस्टर्ब कर दिया!"
रोवन जल्दी में बोला :" नहीं कोई बात नहीं हम बात कर सकते हैं! बस अभी अभी आंख लग गई थी!...क्या बात है तुम अब तक जाग क्यों रही हो? सब ठीक है ना?
लूसी ने मुसीमियत से कहा :" हां सब ठीक ही है! मुझे तो 12:00 बजे के बाद ही नींद आती है। मैं ऐसी ही हूं बचपन से!....दरअसल मैं ये कह रही थी के हम राइफल लेने आपके असली घर कब जाने वाले हैं?
रोवन :"क्या तुम शादी से पहले यहां आओगी?....तुम्हारा प्लान क्या है ये मुझे साफ साफ बताओ!"
लूसी ने बताया :" कमेला ने मुझे धमकी दी है कि वह शादी के दिन ज़रूर आएगी और आपको भी पता है कि वह आएगी मुझे मारने के लिए!...इस से पहले की वो हमारी सुहागरात खराब करे....मेरा मतलब है हमारी शादी खराब करे मैं उसे कुछ दिनों के लिए बादलों में भेजना चाहती हूं! ज़्यादा दिनों के लिए अगर भेजना है तो दमदार हथियार चाहिए, पिछली बार जब मैने उसे पांच बार चाकू से वार किया था तब वह बस तीन दिन के लिए गायब थी! इस बार उसे गोलियों से छलनी कर देना है।"
रोवन उसकी बाते सुन कर हैरत में था। कुछ देर खामोश रहने के बाद उसने कहा :" देखो लूसी तुम्हारे हिम्मत को अप्रिशियट करता हुं लेकिन इसमें बहुत खतरा है! एक तो रायफल भारी भरकम होती है और दूसरी बात ये के तुम सही निशाना लगा पाओगी या नही, कहीं गोली इधर उधर न हो जाए! बहुत सी बातें हैं!... और हां तुम कहीं जाने की भी बात कह रही थी ना? कहां जाना है हमे?"
रोवन ने इतनी सारी बाते कह दी लेकिन लूसी को सिर्फ रोवन के मुंह से पहली बार अपना नाम सुन कर इतना अपनापन लगा जैसे वो अब उसी का हो चुका है। उसने उसके बातों पर गौर ना कर के शरमाते हुए कहा :" आप ने मेरा नाम लिया!"
रोवन मुस्कुरा कर :" क्यों, नाम नहीं लेना था!.... उसके बाद मैंने क्या कहा तुम ने सुना?
लूसी अपने आप को संभालते हुए :" ओ हां!... मुझे एक और बात करनी थी!"
रोवन :" हम्म बोलो!"
लूसी ने शर्माते हुए कहा :" ओह मैं कैसे कहूं समझ नहीं आ रहा है। पता नही बोलने से पहले मेरा कमबख्त दिल इतना उछल क्यों रहा है। मुझे शर्म आ रही है!"
रोवन सोच में पड़ गया के आखिर वो क्या कहने वाली है की उसे इतनी शर्म आ रही है। उसने हिचकिचा कर अटकते हुए कहा :" क, क्या बात है। अब मैं तुम्हारा मंगेतर हूं। मुझसे शरमाने की ज़रूरत नहीं है।"
लूसी ने झट से कहा :" मैं बोल नहीं सकती लेकिन मैसेज कर सकती हूं। मैं आपको मैसेज करती हूं आप पढ़ लीजिएगा!.... बाए गुड नाईट!"
ये कह कर उसने हड़बड़ाहट में फोन रख दिया क्यों के शर्म के मारे उसके कान गर्म हो गए थे।
कुछ देर अपने दिल पर हाथ धरे बैठी रही फिर मैसेज टाइप करने लगी।
उधर रोवन अपने छोटे मोबाइल के स्क्रीन पर उसके मैसेज के इंतज़ार में देख रहा था और दिल ही दिल उतावला हो रहा था के न जाने क्या कहने वाली है।
देखते देखते मैसेज आने की घंटी बजी। उसने फौरन खोल कर देखा। उसमें लूसी ने कुछ ऐसा लिखा था।
" मैं चाहती हूं कि हमारी शादी की पहली रात हम कॉलेज के घर में बिताएं क्योंकि कमेला मेरे अंदर घुसकर मुझे आसानी से नहीं मार सकती है। मुझे मारने के लिए या तो वह किसी हथियार का इस्तेमाल करेगी या फिर किसी के बॉडी का इस्तेमाल करेगी! हो सकता है किसी के बॉडी में प्रवेश कर जाए इस तरह मैं समझ नहीं पाऊंगी की कब और किस तरह वो मुझे मार डालेगी! जहां तक मैं जानती हूं मुझे मारने के लिए वह हमारी सुहागरात में ही आयेगी। इस बारे में दीदी से आपको बात करनी होगी ताकी वे सब हमारी मजबूरी समझे और शादी के बाद घर न जा कर हमे कॉलेज वाले घर में जाने की परमिशन दे! एक बार कमेला काबू में आ जाए फिर हम सब के साथ रहेंगे!"
रोवन को लूसी की बातें बिलकुल सही लगी। इस तरह से घर के लोग भी महफूज़ रहेंगे।
कुछ देर तक वो लूसी की लिखी हुई बातों को देखता रहा। अब उसकी नींद उड़ने लगी थी। ना चाह कर भी बार बार आंखों में लूसी का चहरा घूमने लगा था। उसके ख्यालों की दुनियां में हर जगह लूसी ही नज़र आ रही थी। कई बार करवटें बदलने के बाद सोने में नाकाम रहा तो सीधा चित हो कर लेट गया और सेलिंग पर नज़रे टिकाए अपने मन में सोचने लगा "वो फूलों जैसी नाज़ुक दिखने वाली लड़की मैग्नेटिक फ़ोर्स जैसी पूरी ताकत के साथ मुझे अपनी ओर खींच रही है और मैं बेबस सा बस खींचा चला जा रहा हूं। जब तक वो मेरे ख्यालों में चलती रहती है तब तक मैं भूल जाता हूं के मैं तो कर्सड हूं। उसकी वो चुलबुली नज़रे मेरी आंखों से जुदा ही नहीं होती। क्या मुझे उस से प्यार......नही नही!.... मैं उस से प्यार नहीं जाता सकता! अगर कमेला को पता चला की मुझे उस से प्यार हो गया है तो शादी से पहले ही वो उसे मारना चाहेगी! उसका मकसद मेरे प्यार को मुझसे छीनने का है और चाहे कुछ भी हो जाए मैं लूसी को मरने नहीं दे सकता!"
ये सब सोचने के बाद उसने जल्दी से लूसी को मैसेज किया के वो अभी से हमेशा चौकन्ना रहे और अपना पूरा ख्याल रखे।
दूसरे दिन लूसी रायफल गन को चलाने की अभ्यास करने के लिए किशनगंज वापस जाने की ज़िद करने लगी लेकिन मम्मी और भाभी ने डांट दिया के शादी से पहले कहीं नहीं जाना है। उन्हें ये भी लग रहा था के रोवन से मिलने के बहाने ढूंढ रही है। जब लूसी ने बार बार ज़िद किया तो भाभी ने उकताहट में कह दिया :" बस पांच दिनों में ही तुम्हारी शादी हो जायेगी फिर चिपके रहना अपने हसबैंड से! इतनी भी उतावली मत हो जाओ! शर्म लिहाज़ में रहा करो लड़कियों पर वोही सूट करता है।"
भाभी की बात लूसी के दिल पर लगी और नाराज़गी से अपने कमरे में जा कर ज़ोर से दरवाज़ा लगा लिया। उसका पूरी तरह से मूड खराब हो गया। पैर पटकते हुए अपने स्टडी टेबल के सामने रखे कुर्सी पर बैठ गई तभी उसे उसी बच्ची की आवाज़ आई " दीदी!"
उसने पीछे मुड़ कर देखा तो वो बच्ची खिड़की पर बैठी हुई रो रही है।
(अगला भाग जल्द ही)