Teri Meri Yaari - 6 in Hindi Children Stories by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | तेरी मेरी यारी - 6

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तेरी मेरी यारी - 6


        (6)




कबीर के अपने घर जाने के बाद इंस्पेक्टर आकाश फौरन कंट्रोल रूम पहुँचे। उन्होंने मि.लाल के फोन की लोकेशन पता करने को कहा। पर यह जानकर वह और भी चौंक गए कि फोन की लोकेशन तो उनके घर में ही दिखा रहा है। उन्होंने सोचा कि कहीं कबीर से कोई गलती तो नहीं हो गई। हो सकता है कि सोनम ने ही कुछ गलत सुना हो। 


फिर अगले ही पल उनके मन खयाल आया कि मि.लाल अपना फोन जानबूझ कर घर पर छोड़ गए होंं। लेकिन आजकल बिना फोन लिए कोई बाहर कहाँ जाता है। वो भी तब जब परिस्थितयां अनुकूल ना हों। बेटा किडनैपर के पास हो। तो फिर या तो वो अपने गाँव गए ही नहीं हैं। या फिर किडनैपर के लिए कोई दूसरा नंबर इस्तेमाल कर रहे हों। इन सवालों का जवाब जानने के लिए इंस्पेक्टर आकाश मि.लाल के घर के लिए निकल गए। 


मि. लाल घर पर नहीं थे। मिसेज़ लाल ने बताया कि उनके पति किसी आवश्यक काम से बाहर गए हैं। देर रात लौटेंगे। उनकी बात सुनकर इंस्पेक्टर आकाश ने पूछा,


"अपना फोन साथ नहीं ले गए हैं क्या ?" 


मिसेज़ लाल ने जवाब दिया,


"ले गए हैं। क्यों आप ऐसा क्यों पूछ रहे हैं।"


"वो मैंने फोन मिलाया था पर उठाया नहीं।"


"हो सकता है किसी कारण से ना उठा पाए हों।"


तभी घर का नौकर पवन पानी लेकर आया। इंस्पेक्टर आकाश ने पानी पिया और मिसेज़ लाल को धन्यवाद कर निकल गए। उनका दिमाग तेज़ी से काम कर रहा था। अवश्य ही मि.लाल की किडनैपर से कोई बात हुई है। उसी सिलसिले में वो अपने गाँव गए हैं। इसका अर्थ हुआ कि मि.लाल किडनैपर से बात करने के लिए कोई और ही नंबर प्रयोग कर रहे हैं। उन्हें याद आया कि जब पवन उन्हें पानी देने के लिए झुका था तो उसकी शर्ट की जेब में उन्होंने एक नया चमचमाता मोबाइल फोन देखा था। फोन मंहगा था। पवन के लिए अपने वेतन से ले पाना बहुत कठिन था। उसी समय उनका माथा ठनका था। किंतु उन्होंने जानबूझ कर चुप्पी साधे रखी। 


इसलिए अब उन्होंने इस बारे में पवन से पूछताछ का मन बनाया। वह जानते थे कि रोज़ शाम के वक्त पवन सब्ज़ी और दूसरा सामान लेने बाज़ार जाता था। इंस्पेक्टर आकाश बाज़ार में उसकी प्रतीक्षा करने लगे। कुछ देर में उन्हें पवन दिखाई पड़ा। वह अपने नए फोन से किसी से बातें कर रहा था। इंस्पेक्टर आकाश ने उसे रोका। उन्हें वहाँ देख कर पवन को अचरज हुआ। इंस्पेक्टर आकाश आवश्यक पूछताछ के लिए उसे थाने ले गए।


इंस्पेक्टर आकाश के कड़ाई से पूछने पर पवन ने सबकुछ बता दिया। किडनैपर के बैग लेकर भाग जाने के दो दिन बाद रात के लगभग नौ बजे किसी ने गेट पर लगी कॉलबेल को दो तीन बार जल्दी जल्दी बजाया। सब पहले से ही परेशान थे। मि. और मिसेज़ लाल बाहर की तरफ भागे। पवन भी उनके पीछे पीछे गया। मि.लाल ने गेट खोल कर देखा तो कोई नहीं था। जब वह अंदर लौट रहे थे तो उन्हें एक एनवलप दिखा। किसी ने बेल बजाने के बाद गेट के नीचे से अंदर सरका दिया था। एनवलप के ऊपर कुछ नहीं लिखा था। अंदर से टाइप की गई एक चिठ्ठी निकली। उसमें लिखा था।


'तुमने पुलिस को शामिल कर बहुत बड़ी गलती की लेकिन हम फिर भी तुम्हें एक और मौका दे रहे हैं। इस बार कोई भूल की तो बेटे की मौत का मातम मनाने के लिए तैयार रहना। हमें नीचे दिए नंबर पर संपर्क करो। लेकिन अपने फोन से नहीं। किसी नए नंबर से।'


सारी कहानी सुनकर इंस्पेक्टर आकाश ने कहा,


"इसी कारण तुम्हारे साहब ने तुम्हें नया फोन देकर तुम्हारा फोन ले लिया।"


"हाँ सर यह फोन साहब ने किडनैपिंग से तीन दिन पहले ही मेमसाहब के लिए खरीदा था। उन्होंने मुझे नया सिम खरीदने के लिए पैसे भी दिए।"


"उनकी किडनैपर से क्या बात हुई तुमने सुना।"


"नहीं सर...बात करते समय साहब कमरा अंदर से बंद कर लेते थे। मेमसाहब दरवाज़े पर पहरा देती थीं।"


इंस्पेक्टर आकाश कुछ क्षण सोच कर बोले,


"मि.लाल गांँव क्यों गए हैं इसका कोई अंदाज़ा है तुम्हें।" 


"कुछ नहीं पता है सर। बस यह बता सकता हूँ कि परसों किडनैपर से बात होने के बाद ही साहब का जाना तय हुआ।" 


"उनके गांँव के बारे में कुछ जानते हो।"


"सर मेरा और उनका गाँव तो एक ही है। सड़क से तीन घंटे का सफर है।"


"उस चिठ्ठी में किडनैपर ने जो नंबर लिखा था वह तुमने देखा था।"


"चिठ्ठी केवल साहब ने पढ़ी थी। उन्होंने मुझे सिर्फ उतना ही बताया जो मेरे लिए जानना ज़रूरी था।"


"ठीक है तुम जाओ। अपना पुराना नंबर लिखा दो। पर तुम्हें अगर कुछ पता चले तो बताना।"


पवन के जाने के बाद इंस्पेक्टर आकाश ने उसके पुराने नंबर के कॉल डीटेल निकालने का आदेश दिया। साथ ही उन्होंने तय किया कि वह खुद माधोपुर जाकर मामले की जाँच करेंगे। उस नंबर के कॉल डीटेल से पता चला कि पिछले कुछ दिनों में उस नंबर पर एक नंबर से करीब दस बारह बार संपर्क हुआ था। परसों रात करीब ग्यारह बजे भी उस नंबर पर कॉल आई थी। बातचीत करीब आधा घंटे चली थी। 


इंस्पेक्टर आकाश ने अंदाज़ लगाया कि ज़रूर परसों किडनैपर ने फिरौती की नई रकम बताने के लिए फोन किया होगा। दस लाख तो पहले ही उसके पास थे। इस बार रकम शायद पहले से बहुत अधिक रही होगी। मि.लाल किडनैपर से रकम को लेकर ही इतनी देर तक बात करते रहे होंगे। पर किडनैपर नहीं माना होगा। उन्हें फिरौती की अतिरिक्त रकम जुटानी थी। इंस्पेक्टर आकाश सोच रहा था कि क्या माधोपुर में कोई ज़मीन या संप़त्ति है जिसे मि. लाल बेचना चाहते हैं। इस सवाल का जवाब ढूंढ़ने के लिए उनका माधोपुर जाना आवश्यक था। 


लेकिन अचानक ही शहर में एक विशिष्ट अतिथि के आने के कारण इंस्पेक्टर आकाश की ड्यूटी सुरक्षा व्यवस्था देखने में लग गई। इस कारण से उनका जाना स्थगित हो गया। वह इस मामले में देर नहीं करना चाहते थे। पहले ही बहुत देर हो चुकी थी। और अधिक देर करने का मतलब किडनैपर को जीत का एक और मौका देना था। अतः उन्होंने अपने सहयोगी सब इंस्पेक्टर राशिद अली को इस काम के लिए माधोपुर भेजने का निश्चय किया।


उन्होंने सब इंस्पेक्टर राशिद को सारी बात बताकर कहा,


"तुम माधोपुर जाकर सच्चाई का पता करो। मि. लाल के बारे में जो कुछ भी पता चल सके पता करो।"


सब इंस्पेक्टर राशिद ने आश्वासन दिया कि वह गहराई से हर एक बात का पता करेगा।