Teri Meri Yaari - 1 in Hindi Children Stories by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | तेरी मेरी यारी - 1

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तेरी मेरी यारी - 1


  (1)



ग्रीनवुड पब्लिक स्कूल की छुट्टी का समय हो रहा था। स्कूल के बाहर आइसक्रीम बेचने वाले आकर खड़े हो गए थे। एक काले रंग की वैन दो बार स्कूल के सामने से गुज़र चुकी थी। 


छुट्टी की घंटी बजते ही हर क्लास से बच्चे शोर मचाते हुए निकले। कुछ ही देर में स्कूल गेट पर बहुत चहल पहल हो गई। सब बच्चे ग्रुप बना कर स्कूल से बाहर निकल रहे थे। आपस में हंसी मज़ाक कर रहे थे। 


कुछ बच्चों को उनके अभिभावक लेने आए थे। कुछ वैन का इंतज़ार कर रहे थे। जो उन्हें रोज़ स्कूल छोड़ने और लेने आती थी।


जो अपने आप ही आते जाते थे वह अपने साथियों के साथ घर जा रहे थे। पर उनमें से कई स्कूल के सामने वाली पट्टी पर खड़ी दो आइसक्रीम कार्ट्स के इर्द गिर्द जमा थे। 


करन और कबीर भी अपनी अपनी साइकिल लिए हुए स्कूल के गेट के बाहर निकले। करन की नज़र भी आइसक्रीम कार्ट्स पर पड़ी। वह बोला,


"चल यार एक एक ऑरेंज बार खाते हैं।"


कबीर ने कुछ शिकायती अंदाज़ से उसकी तरफ देखा। वह उसे चेतावनी देते हुए बोला,


"याद है ना कुछ ही दिनों पहले बीमारी से उठे हो। दोबारा बीमार पड़ने का इरादा है।"


करन ने कहा,


"अरे यार तुम भी मम्मी की तरह बात करते हो। उसको पंद्रह दिन हो गए। चुपचाप चलो।"


करन साइकिल लेकर आगे बढ़ गया। कबीर भी अपनी साइकिल लेकर उसके पीछे चल दिया। दोनों ने ऑरेंज बार खरीदी और खाते हुए बात करने लगे। कबीर बोला,


"यार मैम ने कैमेस्ट्री का जो प्रोजक्ट दिया है वह समझ में आया तुम्हें।"


करन अपनी बार से एक बाइट लेने के बाद बोला,


"तुम्हें तो पता है भाई कि कैमेस्ट्री में मेरा डब्बागुल है। मैं तो सोंच रहा था कि तुझसे मदद लूँगा।"


"ठीक है मैं नेट पर मैटर सर्च करता हूँ। फिर तुम्हें भी बताऊँगा।"


"माई डियर फ्रेंड...."


कह कर करन अपनी ऑरेंज बार के साथ कबीर को गले लगाने के लिए बढ़ा। उसे रोकते हुए कबीर ने कहा,


"ओए दूर हट....मेरी शर्ट पर दाग लग गया तो मम्मी बहुत डाटेंगी। फिर समझ ले तेरी खैर नहीं।"


करन पीछे हट गया। बड़े ही नाटकीय अंदाज़ में बोला,


"जा देख ली तेरी दोस्ती....शर्ट मुझसे भी ज़्यादा प्यारी है।"


उसकी यह नौटंकी देख कर कबीर हंस दिया। उसे हंसते देख करन भी हंस दिया। आइसक्रीम खत्म कर दोनों घर की तरफ चल दिए। तभी काले रंग की वैन आकर उनके सामने रुकी। जब तक दोनों कुछ समझते वह आगे बढ़ गई।


कबीर और करन अपनी साइकिल चलाते हुए चले जा रहे थे। दोनों पक्के दोस्त थे। इसी तरह साथ में घर लौटते थे।अचानक करन बोला,


"यार मैम ने जो प्रोजेक्ट दिया है उसके लिए पंच शीट्स खरीदनी है। तुम ठहरो मैं सामने की दुकान से खरीद कर अभी आता हूँ।"


करन ने अपनी साइकिल और बैग वहीं छोड़ दिए। कबीर वहीं रुक कर इंतज़ार करने लगा। करन सड़क पार कर दूसरी तरफ बनी दुकान में चला गया। कुछ ही देर में वह लौटता हुआ दिखाई दिया।


तभी अचानक काली वैन आकर रुकी। वैन इस तरह से खड़ी थी कि उसकी वजह से कबीर करन को नहीं देख पा रहा था। जब वैन चली गई तो करन वहाँ नहीं था। पंच शीट्स सड़क पर गिरी थीं।


कबीर घबरा गया। वह इधर उधर खोजने लगा। पर करन कहीं नहीं दिखा। वह समझ गया कि वैन में उसके दोस्त को किडनैप करके ले जाया गया है। कबीर भाग कर उस दुकान पर गया जहाँ से करन ने पंच शीट्स खरीदे थे। उसने दुकानदार से पूछा तो उसने कहा कि करन के जाते ही एक दूसरा ग्राहक आ गया था। वह उसमें व्यस्त हो गया। इसलिए वह कुछ भी नहीं देख सका। 


कबीर घबराया हुआ करन के घर पहुँचा और उसके किडनैप होने की सूचना दी। करन के पापा कबीर को लेकर फौरन पुलिस में रिपोर्ट दर्ज़ कराने पहुँचे। उस समय पुलिस स्टेशन के इंचार्ज इंस्पेक्टर आकाश वहाँ मौजूद थे। उन्होंने कबीर से इस विषय में पूछतांछ की। उन्होंने कहा,


"कबीर ठीक से बताओ कि क्या हुआ था।"


कबीर ने सारी बात तफसील से बताते हुए कहा,


"सर करन मेरा पक्का दोस्त है। रोज़ की तरह हम घर लौट रहे थे। करन को रास्ते में पड़ने वाली स्टेश्नरी शॉप से कुछ पंच शीट्स लेने थे। वह सड़क पार कर वही लेने गया था। मैंने उसे लौटते देखा। पर तभी एक वैन आकर रुकी। उसके जाने के बाद करन नहीं दिखा। पंच शीट्स वहीं गिरे थे। सर मुझे पूरा यकीन है कि उसे उसी वैन में किडनैप कर ले जाया गया है।"


"तुमने वैन का नंबर देखा था।"


"नहीं सर वैन जिस तरह से खड़ी थी नंबर प्लेट नहीं दिख रही थी। फिर यह सब इतनी जल्दी हुआ कि कुछ समझ नहीं आया।"


"फिर भी वैन के बारे में कुछ तो याद होगा। कौन सी वैन थी ? रंग क्या था ?"


"सर वैन काले रंग की थी। कंपनी पता नहीं।"


कबीर ने याद करते हुए कहा,


"हाँ सर जब हम स्कूल के पास थे तब भी एक काली वैन हमारे सामने आकर रुकी थी। पर फौरन ही आगे बढ़ गई थी।"


"तुम यह कहना चाहते हो कि वह वैन तुम लोगों का पीछा कर रही थी।"


"हाँ सर मुझे यही लगता है।"


इंस्पेक्टर आकाश ने करन की किडनैपिंग की रिपोर्ट दर्ज़ कर ली। वह लोगों का बयान दर्ज़ करने के लिए किडनैपिंग वाली जगह पर पहुँचे। उन्होंने आसपास के दुकानदार व अन्य लोगों के बयान लिए। सबका यही कहना था कि सबकुछ इतनी जल्दी में हुआ कि कोई कुछ भी समझ नहीं सका। वहाँ कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं था। जिससे कोई मदद मिल सकती।


पुलिस इंस्पेक्टर आकाश ने करन के पापा मि.लाल से कहा कि यदि किडनैपर उनसे संपर्क करे तो उन्हें फौरन खबर दें। मि.लाल ने उन्हें आश्वासन दिया कि वह पुलिस का भरपूर सहयोग करेंगे। 


कबीर जब अपने घर लौटा तो उसकी मम्मी परेशान सी गेट पर ही खड़ी थीं। उसे देखते ही उसकी तरफ दौड़ीं। वह गुस्से में उसे डांटने ही जा रही थीं कि उसकी हालत देख कर सहम गईं। उन्होंने कहा,


"क्या हुआ बेटा ? बहुत दुखी हो। इतनी देर कर दी। क्या एक्सीडेंट हो गया था।"


यह कह कर वह कबीर का निरीक्षण करने लगीं। कबीर ने साइकिल स्टैंड पर खड़ी कर दी और अपनी मम्मी से लिपट कर रोने लगा। उसकी मम्मी और अधिक परेशान हो गईं। उन्होंने उसे चुप कराते हुए कहा,


"बेटा ठीक से बताओ कि क्या हुआ ? मेरा दिल बैठा जा रहा है।"


कबीर ने उन्हें सारी बात बताई। सुन कर वह बहुत दुखी हुईं। कबीर को अंदर ले जाकर उसे बैठाया और शांत करने की कोशिश करने लगीं। लेकिन अपने दोस्त के किडनैप हो जाने से कबीर बहुत दुखी था। उसकी मम्मी ने उसे समझाया कि पुलिस जल्दी ही करन को ढूंढ़ लेगी। उन्होंने उसे किसी तरह से समझा कर कमरे में आराम करने भेज दिया।


कबीर की मम्मी ने उसके बाद करन के घर फोन करके उसकी मम्मी से बात की। उन्हें तसल्ली दी कि जल्दी ही करन घर आ जाएगा। उन्होंने बताया कि जो हुआ उससे कबीर भी सदमे में है। बड़ी मुश्किल से उसे समझा कर उसके कमरे में भेजा है।


अपने कमरे में लेटा कबीर उस क्षण को याद कर रहा था जब उसके देखते देखते ही उसका जिगरी दोस्त गायब हो गया। उसकी आँखों से आंसू बहने लगे। वह ईश्वर से प्रार्थना करने लगा कि जल्दी से जल्दी करन का पता चल जाए।