एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में तीन प्यारे बच्चे रहते थे - सोनू, मोनू और रीना। तीनों बहुत शरारती और जिज्ञासु थे। एक दिन गर्मियों की छुट्टियों में, वे जंगल की ओर घूमने के लिए निकले। गाँव के बुजुर्गों ने उन्हें कई बार जंगल के बारे में सावधान रहने की हिदायत दी थी, लेकिन उत्साहित बच्चे यह सोचकर जंगल की ओर चले गए कि वे एक रोमांचक साहसिक यात्रा पर जा रहे हैं।
जंगल के अंदर घुसते ही, चारों तरफ हरियाली, बड़े-बड़े पेड़ और पेड़ की शाखाओं पर झूलते बंदर उन्हें दिखने लगे। पक्षियों की चहचहाहट और ठंडी हवा ने उन्हें जंगल के अंदर और गहराई तक खींच लिया। वे इतनी मस्ती में थे कि उन्हें यह एहसास नहीं हुआ कि वे रास्ता भटक गए हैं। धीरे-धीरे शाम होने लगी और जंगल का वातावरण थोड़ा डरावना लगने लगा।
सोनू ने कहा, "हम कहाँ हैं? मुझे रास्ता याद नहीं आ रहा।"
मोनू ने भी घबराते हुए कहा, "हम तो शायद गुम हो गए हैं। हमें अब घर कैसे जाना है?"
रीना ने उन्हें शांत करने की कोशिश की, "डरो मत, हम कुछ सोचेंगे। शायद हमें यहाँ कोई मदद मिल जाए।"
इसी बीच, एक बड़ी चिड़िया ने पेड़ से झाँका और अपनी मीठी आवाज में कहा, "अरे बच्चों, क्यों डर रहे हो?"
बच्चों ने चौककर देखा और कहा, "तुम कौन हो? और तुम बोल कैसे सकती हो?"
चिड़िया हंस पड़ी, "यह जंगल है, यहाँ हर कोई बात कर सकता है। मैं हूं बुलबुल, इस जंगल की सबसे तेज आवाज वाली चिड़िया। तुम लोग यहाँ कैसे आ गए?"
सोनू ने जवाब दिया, "हम घूमने आए थे, लेकिन रास्ता भटक गए हैं। क्या आप हमारी मदद कर सकती हैं?"
बुलबुल ने मुस्कुराते हुए कहा, "जरूर। लेकिन पहले तुम्हें जंगल के नियमों को सीखना होगा। यहाँ हर जानवर और पेड़-पौधा अपने जीवन के लिए कुछ नियम मानता है। अगर तुम उन्हें समझ लोगे, तो न केवल तुम यहाँ सुरक्षित रहोगे, बल्कि तुम्हें एक महत्वपूर्ण सबक भी मिलेगा।"
बच्चे चौंक गए। रीना ने उत्सुकता से पूछा, "कौन से नियम?"
बुलबुल ने पंख फैलाते हुए कहा, "आओ, मैं तुम्हें इस जंगल की सैर करवाती हूँ। तुम खुद ही समझ जाओगे।"
बुलबुल बच्चों को जंगल के अंदर और गहराई में ले गई। थोड़ी दूर चलने के बाद, उन्होंने देखा कि एक खरगोश एक गाजर को जमीन में छिपा रहा था। सोनू ने उत्सुकता से पूछा, "यह खरगोश क्या कर रहा है?"
बुलबुल ने कहा, "यह जंगल का पहला नियम है - मेहनत करो और अपने भविष्य की तैयारी करो। यह खरगोश आने वाले सर्दियों के लिए खाना इकट्ठा कर रहा है ताकि ठंड में भूखा न रहे। इसे देखो, यह कभी आलस नहीं करता। अगर तुम भी समय पर मेहनत करोगे, तो मुश्किल समय में सुरक्षित रहोगे।"
बच्चों ने समझते हुए सिर हिलाया और आगे बढ़े। आगे चलने पर, उन्होंने एक तालाब के पास एक समूह में हाथियों को देखा। वे मिलकर पानी पी रहे थे और एक-दूसरे की मदद कर रहे थे। मोनू ने हैरानी से पूछा, "ये हाथी क्या कर रहे हैं?"
बुलबुल ने जवाब दिया, "यह दूसरा नियम है - एकता में ताकत होती है। देखो, ये हाथी हमेशा समूह में रहते हैं और एक-दूसरे की मदद करते हैं। अगर कोई परेशानी आती है, तो सब मिलकर उसका सामना करते हैं। तुम्हें भी अपने दोस्तों और परिवार के साथ एकजुट रहना चाहिए। एकता से तुम हर कठिनाई का सामना कर सकते हो।"
अब बच्चों को धीरे-धीरे जंगल के नियम समझ में आने लगे थे। वे थोड़ी और दूर चले, तभी एक छोटे से बंदर ने आकर उनकी टोपी खींच ली और पेड़ पर चढ़ गया। बच्चे पहले तो डर गए, लेकिन फिर बंदर ने मुस्कुराते हुए टोपी वापस कर दी। सोनू ने झुंझलाते हुए कहा, "यह क्या कर रहा है?"
बुलबुल ने हंसते हुए कहा, "यह तीसरा नियम है - जीवन में खुश रहो और दूसरों को भी खुश रखो। यह बंदर हमेशा हंसता है और खेलता है। मुश्किलें जीवन का हिस्सा हैं, लेकिन उन्हें खुशियों के साथ जीना सीखो। हर समस्या का समाधान खुशी से होता है, और जब तुम हंसते हो, तो सब कुछ आसान लगता है।"
बच्चों को यह बात बहुत अच्छी लगी। उन्हें एहसास हुआ कि खुश रहना भी जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
आखिरकार, बुलबुल ने उन्हें एक बड़े पेड़ के पास पहुँचाया, जहाँ से गाँव का रास्ता दिखने लगा था। बुलबुल ने बच्चों से कहा, "यह चौथा और अंतिम नियम है - प्रकृति का सम्मान करो। यह पेड़ और यह जंगल तुम्हें छाया, भोजन और ताजगी देते हैं। हमें प्रकृति की देखभाल करनी चाहिए और उसे नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए। अगर तुम प्रकृति का ध्यान रखोगे, तो यह तुम्हारी भी रक्षा करेगी।"
बच्चों ने इस पूरे अनुभव से बहुत कुछ सीखा। अब वे जान गए थे कि मेहनत, एकता, खुशी और प्रकृति का सम्मान करना कितना ज़रूरी है। वे अब पहले से ज़्यादा समझदार हो गए थे।
सोनू ने बुलबुल से कहा, "धन्यवाद, बुलबुल। तुमने हमें बहुत कुछ सिखाया। अब हम कभी भी आलस नहीं करेंगे, हमेशा एक-दूसरे की मदद करेंगे, खुश रहेंगे और प्रकृति का सम्मान करेंगे।"
बुलबुल ने खुश होकर कहा, "तुम्हें देखकर मुझे बहुत खुशी हुई। अब जाओ, अपने घर लौटो और इन नियमों को अपने जीवन में अपनाओ।"
बच्चे खुशी-खुशी अपने गाँव लौट आए। उस दिन के बाद, वे हमेशा मेहनती, एकजुट, और खुशमिजाज रहते थे। उन्होंने गाँव के सभी बच्चों को भी जंगल के इन नियमों के बारे में बताया, जिससे गाँव का हर बच्चा एक बेहतर इंसान बनने की कोशिश करने लगा।
शिक्षा: इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि जीवन में मेहनत, एकता, खुशी और प्रकृति का सम्मान बहुत महत्वपूर्ण हैं। ये सभी गुण हमें एक अच्छा इंसान बनने और अपने जीवन को सफल बनाने में मदद करते हैं।