सुबह का समय,
राणा जिम,
सिद्धांत ने यश के मुंह पर अपना हाथ रख कर कुछ कहा और फिर अपना हाथ हटाया तो यश लंबी लंबी सांसें लेने लगा । ये देख कर सिद्धांत ने पानी की बॉटल उसकी ओर बढ़ा दी । यश ने उसकी ओर देखा तो सिद्धांत ने उसे पानी पीने का इशारा किया ।
यश ने पानी पी लिया तो सिद्धांत ने धीरे से कहा, " ऐसे बर्ताव के लिए सॉरी लेकिन अभी तुम हमारा भांडा फोड़ने वाले थे, इसलिए ऐसा करना पड़ा । "
ये सुन कर यश के होठों पर मुस्कान आ गई । उसने भी धीरे से कहा, " ठीक है । हम तुम्हें तुम्हारे नाम से नहीं बुलाएंगे, लेकिन बुलाएं क्या कह कर ? "
सिद्धांत ने आराम से कहा, " उसी नाम से जो तुमने हमारे कार्ड पर देखा था । "
यश ने सोचते हुए कहा, " सर्वांश ! "
सिद्धांत ने कहा, " हम्म ! मेमरी अच्छी है तुम्हारी । "
इतना बोल कर सिद्धांत आगे बढ़ गया तो यश ने कहा, " पर हम यहां करें क्या ? "
सिद्धांत ने कहा, " अब ये तो तुम जानो । बहुत भूत सवार था न हमारे साथ यहां आने का, तो अब झेलो । "
यश के मुँह से निकला, " हां ! "
वहीं सिद्धांत ने उसकी ओर पलट कर कहा, " और हां ! हम अंदर जा रहे हैं, लेकिन तुम वहां मत आना । "
यश ने सवाल करते हुए कहा, " क्यों ? "
सिद्धांत ने दरवाजे की ओर बढ़ते हुए कहा, " क्योंकि तुम्हारा वहां आना अलाउड नहीं है । "
यश ने चिढ़ कर कहा, " पर क्यों ? "
सिद्धांत ने दरवाजे की नॉब घुमाते हुए कहा, " क्योंकि हम कह रहे हैं इसलिए । "
इतना बोल कर वो अंदर चला गया तो यश ने अपना सिर पकड़ कर कहा, " अब हम क्या करें । "
सिद्धांत ने दरवाजे के अंदर से झांक कर कहा, " इतना बड़ा जिम है । इतनी सारी लड़कियां हैं । जो मर्जी वो करो । "
ये बोल कर वो फिर से अंदर चला गया । उस कमरे के साइड में स्टोर रूम लिखा हुआ था । उसने अंदर आते ही दरवाजा अंदर से बंद कर दिया और फिर पलट कर सामने देखने लगा ।
उस कमरे में जिम की ही सारी चीजें थीं लेकिन फर्श पर टाइल्स लगे हुए थे । वहां के दीवारों पर बहुत से बॉक्सर्स और बॉडी बिल्डर्स की फोटोज भी टंगी हुई थीं ।
सिद्धांत ने एक नजर हर तरफ डाली और फिर अपना सिर झटक कर गामा पहलवान की फोटो के सामने चला गया । उसने बहुत ही आराम से फोटो उतार कर साइड में रखी ।
जैसे ही वो फोटो हटी वहां एक छोटा सा दरवाजा नजर आने लगा । वो दरवाजा मुश्किल से डेढ़ फीट बड़ा और एक फूट चौड़ा रहा होगा ।
सिद्धांत ने वो दरवाजा खोला तो वहां एक लीवर नजर आने लगा । सिद्धांत ने जैसे ही वो लीवर खींचा वैसे ही वहां की टाइल्स में से एक टाइल साइड में सरकने लगी ।
उस टाइल के हटते ही वहां नीचे जाने के लिए सीढ़ियां नजर आने लगीं । सिद्धांत ने तेज़ी से वो दरवाजा बंद किया और वो फोटो वापस उसकी जगह पर टांग दी ।
फिर वो आगे बढ़ कर उन सीढियों के रास्ते नीचे उतरने लगा । करीब बीस सीढ़ियां उतरने के बाद वो एक गैलरी में था जिसमें दोनों तरफ कुछ कमरे बने हुए थे । उस गैलरी में राहुल पहले से ही मौजूद था ।
सिद्धांत ने उसे देख कर कहा, " सारे के सारे मिल गए न ! "
राहुल ने मुस्करा कर कहा, " बिल्कुल सिड, बस तुम्हारा ही इंतजार था वरना अब तक तो वो सब अपनी असली जगह पर पहुंच चुके होते । "
सिद्धांत ने अपने दांत पीस कर कहा, " क्या करें ब्रो, आप तो जानते है न कि जब कोई पीठ पीछे हम पर वार करता है तो हमसे बर्दाश्त नहीं होता है । "
ये सुन कर राहुल ने एक गहरी सांस ली तो सिद्धांत ने कहा, " तो चलिए इंतजार को खत्म करते हैं । "
इतना बोल कर वो और राहुल सीधे आगे की ओर बढ़ गए । चलते हुए ही राहुल ने कहा, " वैसे ये लड़का कौन है जो तुम्हारे साथ आया है ? इसे मैंने हॉस्पिटल में भी देखा था । "
सिद्धांत ने कहा, " वो, उसका नाम यश है, यशस्विन सिन्हा । उसी ने हमारी जान बचाई थी ।
राहुल ने कहा, " ओह, आई सी ! "
बातें करते हुए वो दोनों आखिरी कमरे के बाहर पहुंच गए । सिद्धांत ने उस कमरे का दरवाजा खोला और वो दोनों अंदर चले गए ।
उस कमरे के सेंटर में एक लाइट जल रही थी और बाकी तरफ अंधेरा था । उस बल्ब की रोशनी में कुछ लोग नजर आ रहे थे जिनके दोनों हाथ ऊपर, सीलिंग से बंधे हुए थे ।
सिर्फ एक आदमी था जो कुर्सी पर बंधा हुआ था । सिद्धांत ने वहां की लाइट्स ऑन की तो उस पूरे कमरे में रोशनी फैल गई और सब कुछ क्लियर नजर आने लगा ।
वो सारे वही आदमी थे जिन्होंने निशा पर अटैक किया था और फिर सिद्धांत को घायल कर दिया था और जो आदमी कुर्सी पर बंधा था वो उनका लीडर था ।
उन सभी के शरीर पर जख्म थे और वो सभी आधी बेहोशी में थे । वहीं जहां सिद्धांत खड़ा था वहां पर कुछ लड़के अपने हाथ बांध कर खड़े थे । उन सबने काले रंग की पैंट के साथ काले रंग का हाफ टी शर्ट पहना हुआ था ।
सिद्धांत ने उन सबकी और देख कर कहा, " लगता है कि ट्रेनिंग अपना असर दिखा रही है ! "
राहुल ने उसके कंधे पर हाथ रख कर कहा, " वो तो दिखाएगी ही, आखिर इनके इंस्पिरेशन तुम जो हो । "
तभी उनमें से एक लड़के ने कहा, " नहीं सर, ये हमारे लिए सिर्फ इंस्पिरेशन ही नहीं, हमारे मोटीवेटर, हमारे मेंटोर, सब हैं । "
सिद्धांत ने हल्के से हंस कर कहा, " बस - बस ! हमें मस्का लगाना बंद करो । "
फिर उसने उन गुंडों के लीडर की ओर इशारा करके कहा, " और इसे होश में लाओ । "
उन सभी लड़कों ने कहा, " यस सर ! "
और उन गुंडों के ऊपर ठंडे पानी की बौछार शुरू कर दी जिससे उन सबको पूरी तरह से होश आ गया ।
होश में आते ही उन्हें अपने सामने सिद्धांत खड़ा दिखा जिसे देखते ही उनके लीडर ने कहा, " तूने हमें यहां लाकर बहुत बड़ी गलती कर दी, लड़के ! "
उसका इतना ही कहना था कि एक लड़के ने उसे एक लात मार कर कहा, " साले, भूतिए ! तुझे पता भी है कि ये कौन हैं ! "
उस गुंडे ने चिढ़ कर कहा, " कौन है ? "
उस लड़के ने कहा, " पता चल गया न, तो तू अपने होश संभालने लायक नहीं रहेगा । "
उस गुंडे ने अपने दांत पीस कर कहा, " ऐसी भी कौन सी तोप है ये ! "
उस लड़के ने कहा, " ये हैं, डी एस ! "
ये सुनते ही उन सभी गुंडों की आँखें बड़ी हो गईं । उनके लीडर ने हकलाते हुए कहा, " ड, ड, डी, डी एस या, यानी, यानी कि डॉक्टर एस ! "
उस लड़के ने टेढ़ी मुस्कान के साथ कहा, " बिल्कुल सही पहचाना तूने । "
उस गुंडे ने चीखते हुए कहा, " नहीं, ऐसा नहीं हो सकता । डॉक्टर एस और ये बच्चा ! नहीं, कभी नहीं । "
इससे पहले कि कोई और कुछ कहता, सिद्धांत ने तेज आवाज में कहा, " अबे ओ, बकवास बंद कर । "
उसकी आवाज सुन कर वो गुंडा उसे घूरने लगा तो सिद्धांत ने पीछे लगे हुए कुर्सी पर बैठते हुए कहा, " तेरे इस रिएक्शन के लिए हमारे पास टाइम नहीं है और रही बात हमारे डॉक्टर एस होने की तो तेरे यकीन करने या ना करने से कुछ होने वाला नहीं है । "
उस गुंडे ने कहा, " मुझे यहां क्यों लाया है ? मुझसे क्या चाहता है तू ? "
सिद्धांत ने अपने पैर पर पैर डाल कर आराम से पसरते हुए कहा, " चाहत तो ये थी कि पहले तेरी अच्छे से कुटाई करेंगे लेकिन अब लगता नहीं है कि तू हमारा टॉर्चर झेल पाएगा । "
फिर उसने वहां खड़े लड़कों की ओर देख कर कहा, " हमारे लड़कों ने पहले ही तेरी अच्छी खातिरदारी की हुई है । "
उस गुंडे ने अपने दांत पीस कर कहा, " अभी बहुत मजा आ रहा है न मुझे ऐसे देख कर लेकिन एक बात याद रखना, मेरे अब्बू को पता चल गया न तो एक एक को चुन कर मारेगा वो । "
सिद्धांत ने एकदम गंभीर आवाज में कहा, " यही तो हम चाहते हैं । "
अपनी बात बोलते हुए वो बिल्कुल सीधा हो गया था और उसकी मुट्ठियां कुर्सी पर कस चुकी थीं । उसके शब्द सुन कर उस गुंडे का मुंह खुला का खुला रह गया जिसे देख कर सिद्धांत को हंसी आ गई ।
फिर अचानक से उसने गंभीर होकर कहा, " क्या हुआ ? यकीन नहीं हो रहा है ! "
फिर उसने खड़े होकर अपने हाथों में ग्लव्स पहनते हुए कहा, " हम चाहते हैं कि तेरा बाप हमें ढूंढे क्योंकि इसी बहाने वो बिल से बाहर जो निकलेगा । "
उस गुंडे ने अपनी आँखें बड़ी करके गुस्से में कहा, " मतलब कि ये सब तुम लोगों की चाल थी । "
सिद्धांत ने उसका मजाक उड़ाते हुए कहा, " अभी तक तुझे समझ नहीं आया । क्या माफिया बनेगा बे तू ! "
उस गुंडे ने फिर से कुछ बोलना चाहा कि इतने में सिद्धांत ने वहां पड़े हुए बॉक्स को खोल दिया । उस बॉक्स में अलग अलग तरह के टूल्स थे । सिद्धांत ने उसमें से एक कटर निकाली और बिल्कुल मस्तमौला चाल के साथ उस गुंडे की ओर बढ़ने लगा ।
उसने जाकर सीधे उस गुंडे के हाथ की सबसे छोटी ऊंगली पकड़ ली जिसे देख कर उस गुंडे के चेहरे पर डर और दहशत साफ दिखने लगी ।
उसने घबराई हुई आवाज में कहा, " न, न, नहीं, नहीं, तू, तू ऐसा कु, कुछ नहीं, कुछ नहीं करेगा । "
सिद्धांत ने उसे पूरी तरह से इग्नोर किया और एक झटके से उसकी उंगली काट दी और ऐसा होते ही उस गुंडे की चीख उस पूरे कमरे में गूंज उठी लेकिन उसकी आवाज बाहर नहीं गई क्योंकि वो कमरा साउंडप्रूफ था ।
सिद्धांत ने उस कटी हुई ऊंगली को एक पैकेट में रखते हुए बिल्कुल आराम से कहा, " अब क्या कर सकते हैं , अब तो ये कट गई । "
फिर उसने उस गुंडे की ओर देख कर कहा, " सॉरी, माय बैड ! "
फिर उसने उस पैकेट को अपने हाथ में लिए हुए ही अपने हाथों को पीछे किया और अपने ग्लव्स उतारते हुए आराम से चारो ओर घूम कर उन गुंडों को देखने लगा ।
एक राउंड लगा लेने के बाद उसने वहां खड़े लड़कों की ओर देख कर कहा, " गुड जॉब ! "
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क्या था सिद्धांत और राहुल का सच ?
सिद्धांत को वो सभी लोग डॉक्टर एस कह कर क्यों बुलाते हैं ?
क्या था डॉक्टर एस का राज ?
इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए पढ़ते रहिए,
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लेखक : देव श्रीवास्तव