BARISH KI BOONDE AUR WO - 2 in Hindi Love Stories by ANOKHI JHA books and stories PDF | बारिश की बूंदें और वो - भाग 2

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बारिश की बूंदें और वो - भाग 2

 

 

पहली बातचीत

जब वे बातें कर रहे थे, आदित्य ने जाना कि स्नेहा एक डिज़ाइनर है और अपने करियर में बहुत सफल है। उनकी सोच और विचारधारा में एक गहरी समानता थी। बातचीत में समय का पता ही नहीं चला।

"क्या आप अक्सर यहाँ बस का इंतज़ार करते हैं?" स्नेहा ने पूछा।

"जी हाँ, लेकिन आज तो बस के आने में काफी समय है," आदित्य ने हंसते हुए कहा।

इस अनपेक्षित मुलाकात ने दोनों के दिलों में एक नया एहसास जगा दिया।

पहली बातचीत

जब वे बातें कर रहे थे, आदित्य ने जाना कि स्नेहा एक डिज़ाइनर है और अपने करियर में बहुत सफल है। उसकी आँखों में अपने काम के प्रति जुनून था, जो आदित्य को बहुत भाया। वे दोनों अपनी-अपनी दुनिया में व्यस्त होने के बावजूद, इस पल में एक-दूसरे के साथ थे। उनकी सोच और विचारधारा में एक गहरी समानता थी, जिससे उनकी बातचीत और भी रोचक हो गई।

"क्या आप अक्सर यहाँ बस का इंतज़ार करते हैं?" स्नेहा ने जिज्ञासा से पूछा, अपने कंधे पर लटकी छतरी को ठीक करते हुए।

"जी हाँ, लेकिन आज तो बस के आने में काफी समय है," आदित्य ने हंसते हुए कहा। "पर शायद यह इंतज़ार भी सुखद है, खासकर जब आप जैसी कोई साथ हो।"

स्नेहा ने थोड़ी शरमाते हुए कहा, "मुझे भी यही लगता है। कभी-कभी अनपेक्षित मुलाकातें सबसे खूबसूरत होती हैं।"

बातचीत में समय का पता ही नहीं चला। आदित्य ने स्नेहा से उसकी डिजाइनिंग के बारे में और पूछा। "आपको यह काम क्यों पसंद है?"

"मेरे लिए डिज़ाइनिंग सिर्फ एक करियर नहीं, बल्कि एक कला है। मैं रंगों और पैटर्नों के साथ खेलना पसंद करती हूँ। जब कोई ग्राहक मेरे डिज़ाइन को पसंद करता है, तो वो मेरे लिए सबसे बड़ा पुरस्कार होता है," स्नेहा ने अपनी बात साझा की।

आदित्य ने ध्यान से सुना, उसकी बातें सुनकर ऐसा लगा जैसे वह अपने सपनों को जी रही हो। "यह तो सच में अद्भुत है। मुझे आपकी मेहनत और समर्पण देखकर प्रेरणा मिलती है।"

उनकी बातचीत में एक गहराई आ गई थी। आदित्य ने अपनी ज़िंदगी के कुछ पल साझा किए, जैसे उसकी नौकरी के संघर्ष और उसकी इच्छाएँ। "मुझे भी अपने काम में कुछ नया करने की चाह रहती है, लेकिन कभी-कभी डर भी लगता है।"

स्नेहा ने सहमति में सिर हिलाया, "डर के बिना आगे बढ़ना मुश्किल होता है। लेकिन यही तो जिंदगी है, हमें अपनी इच्छाओं के पीछे भागना चाहिए।"

उनकी बातें धीरे-धीरे गहरे संबंध में बदल रही थीं। आदित्य ने महसूस किया कि स्नेहा के साथ बिताया गया यह समय उसके दिल को छू गया था। वे दोनों एक-दूसरे के विचारों को सुनते हुए, अपनी-अपनी दुनिया को एक नई दिशा देने का सोच रहे थे।

अचानक बारिश थोड़ी तेज हो गई और उन्होंने अपनी छतरी के नीचे और करीब खड़े होने का निर्णय लिया। इस निकटता ने उनके बीच एक नई ऊर्जा भरी।

जैसे ही उनकी बस आई, उन्होंने एक-दूसरे से अलविदा लेते हुए वादा किया कि वे फिर मिलेंगे। "आपका नंबर ले सकता हूँ?" आदित्य ने हिम्मत जुटाते हुए पूछा।

"बिल्कुल," स्नेहा ने मुस्कुराते हुए कहा।

इस अनपेक्षित मुलाकात ने दोनों के दिलों में एक नया एहसास जगा दिया। उन्होंने अपनी राहें अलग की, लेकिन इस मुलाकात ने उनके मन में एक मीठा सा एहसास छोड़ दिया, जो भविष्य में उनकी जिंदगी को और भी दिलचस्प बना सकता था।