शाम का समय,
सिद्धांत का घर,
काव्या ने एक नजर उस ओर डाली जिधर सिद्धांत गया था और फिर कहा, " वो हमेशा अपने होठों पर मुस्कान रखता है, हर बात को मजाक में ले लेता है और सोचता है कि उसके अंदर जो भी तूफान चल रहा है उसके बारे में किसी को पता नहीं चलेगा लेकिन हम तो सब जानते हैं न ! "
मिसेज माथुर ने नासमझी से कहा, " तुम कहना क्या चाहती हो ? "
काव्या ने कहा, " कहीं अपनी तकलीफ भूलने के चक्कर में वो अंदर ही अंदर घुटता न रह जाए । हमें डर है मम्मी कि कहीं हम हमारे इस हंसमुख से सिड को न दें । "
ये कहते हुए उसकी आँखों में आंसू आ गए थे । मिसेज माथुर ने उसे गले लगा कर कहा, " ये सब सोचना बंद करो । ऐसा कुछ नहीं होगा । "
इतने में लक्ष्मी ने कहा, " अच्छा ये बताइए कि आप लोग यहां पहुंचे कैसे क्योंकि इस घर में तो हम लोग कुछ समय पहले ही शिफ्ट हुए हैं । "
काव्या ने कहा, " हम यहां पहुंचे, अंकल की वजह से ! "
लक्ष्मी ने नासमझी से कहा, " अंकल की वजह से ! "
काव्या ने कहा, " हां, जब हम यहां पहुंचें तो हमें अंकल नजर आए । वो सिड की बाइक लेकर यहीं आ रहे थें जिसे हमने पहचान लिया तो हमने इनसे बात की और इन्होंने ही हमें यहां पहुंचाया... "
काव्या इतने पर ही चुप हो गई तो युगल ने कहा, " और उन्हीं से हमें सारी बातें अच्छे से पता चलीं वरना मम्मी ने तो सिर्फ इतना ही कहा था कि सिड हॉस्पिटल में है और खतरे से बाहर है । "
इसी तरह बातों का सिलसिला चल पड़ा ।
कुछ देर बाद,
भरत और यश अपने घर चले गए थे । मिसेज माथुर काव्या के साथ कमरे में बैठी हुई थीं । उनके साथ ओम भी था । लक्ष्मी किचन में खाना पका रही थी और काव्या के अलावा सारे बच्चे एक साथ किचन में बैठे हुए थे, यहां तक कि युगल भी ।
वो सभी मिल कर काव्या के बर्थेडे पार्टी की प्लैनिंग कर रहे थे जो 4 दिन बाद आने वाला था । सिद्धांत भी उनके साथ लगा हुआ था लेकिन उसे इस बात की भनक तक नहीं लगी कि कोई बड़ी ही शिद्दत से उसे देखे जा रहा था ।
अपने घर के किचन में बैठा यश बड़े ही प्यार से सिद्धांत को देख रहा था । उन दोनों ही घरों के किचन लगभग आमने सामने ही थे और सिद्धांत खिड़की पर ही बैठा हुआ था इसलिए यश उसे आराम से देख पा रहा था ।
वो अपने काम में मग्न ही था कि तभी उसे अपने कंधे पर किसी का हाथ महसूस हुआ और उसकी सांसें ऊपर नीचे होने लगीं । उसने घबराते हुए अपनी गर्दन पीछे घुमाई तो वहां पर भरत खड़ा था ।
उसे देख कर यश की सांस में सांस आई । उसने कहा, " क्या पापा, आपने तो डरा ही दिया था । "
भरत ने उसके हाथ में कॉफी का मग देते हुए कहा, " अगर ऐसे देखते रहोगे, तो किसी को शक हो जाएगा । "
यश ने मुंह बना कर कहा, " पापा, आप जानते हैं कि हमारे दिल में उसके लिए क्या है । फिर भी आप हमें चिढ़ाते रहते हैं । " और मुंह फेर कर बैठ गया ।
भरत ने हंस कर कहा, " अरे, एक तू ही तो है जिसे हम ऐसे छेड़ सकते हैं वरना वो, उसे तो किसी में कोई इंटरेस्ट ही नहीं है । "
यश ने उसकी ओर देख कर कहा, " हमें भी तो लड़कियों में इंटरेस्ट नहीं है पापा । "
भरत ने कहा, " अरे किसी में तो है । हम इसी से खुश हैं और वैसे भी तूने सिड को चुना है, तो हमारे लिए इससे अच्छी बात तो हो ही नहीं सकती । "
यश ने उदास होकर कहा, " पर क्या, वो भी कभी हमें इस नजरिए से देखेगा ? "
भरत ने उसके पास बैठते हुए कहा, " देखो, अगर तुम्हारा प्यार सच्चा है, तो वो अपना रास्ता ढूंढ ही लेगा । "
यश ने उम्मीद भरी नजरों के साथ कहा, " आपको सच में ऐसा लगता है, पापा ? "
भरत ने मुस्करा कर उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, " हमें लगता नहीं है, हमें पूरा भरोसा है । "
यश ने निराशा के साथ कहा, " अगर ऐसा हो भी जाए फिर भी, शायद वो हमें अपना न पाए । "
भरत ने कहा, " तुम ऐसा क्यों सोच रहे हो ? "
यश ने कहा, " क्योंकि उसे हम याद भी नहीं हैं । उस वक्त उसने हमसे एक बात कही थी, " कीप योरसेल्फ सेफ अनटिल वी मीट अगेन " और उसकी उस बात को हम आज तक निभाते आ रहे हैं लेकिन वो, उसने ना अपना वादा निभाया और ना ही हमें याद रखा । "
भरत ने कहा, " क्या तुम सिड के बारे में ऐसा सोचते हो ? "
यश ने तुरंत कहा, " नहीं पापा, हम उसके बारे में कुछ बुरा नहीं सोचते हैं लेकिन जो दिख रहा है उसे झुठला भी तो नहीं सकते हैं न ! "
भरत ने कहा, " तुम टेंशन मत लो । सिड ऐसा नहीं है । जरूर इस सबके पीछे कोई वजह होगी । "
यश ने फिर से सिद्धांत की ओर देख कर कहा, " आई होप सो । "
अगले दिन,
सिद्धांत अपने डेली रुटीन के हिसाब से ही जिम के लिए निकल रहा था कि तभी काव्या ने कहा, " सिड, कहां जा रहे हो ? "
उसकी आवाज कानों में पड़ते ही सिद्धांत ने अपनी आँखें मिंच लीं । फिर उसने अपने होठों पर झूठी मुस्कान चिपका ली वो बात अलग है कि मास्क की वजह से वो किसी को नजर नहीं आई । वो काव्या की ओर पलटा तो काव्या अपने हाथ बांधे खड़ी थी ।
सिद्धांत ने अपना सिर खुजाते हुए धीरे से कहा, " वो, जिम जा रहे थें । "
काव्या ने साफ शब्दों में कह दिया, " नहीं, तुम जिम नहीं जाओगे । "
सिद्धांत ने विनती करते हुए कहा, " दीदी, प्लीज ! "
काव्या ने कहा, " कहा न, नहीं जाओगे । "
सिद्धांत ने विनती करते हुए कहा, " प्लीज दीदी, हमारा जाना बहुत जरूरी है । "
काव्या ने कहा, " अच्छा, ठीक है । तुम्हें जिम जाना है न, तो जाओ । "
ये सुनते ही सिद्धांत खुश हो गया लेकिन उसकी ये खुशी ज्यादा समय के लिए नहीं थी क्योंकि तुरंत ही काव्या की आवाज आई, " लेकिन... ! "
सिद्धांत ने उसकी ओर देखा तो काव्या ने कहा, " साथ में अपने जीजा को भी ले जाओ । "
सिद्धांत ने अपनी आँखें बड़ी करके कहा, " जीजू, बट इन्हें क्यों ? "
काव्या ने कहा, " क्योंकि तुम्हारा कोई भरोसा नहीं है । डॉक्टर ने जिस काम के लिए मना किया है, वो भी करोगे तुम । "
फिर उसने युगल की ओर इशारा करके कहा, " इसलिए इन्हें अपने साथ लेकर जाओ । "
सिद्धांत को समझ नहीं आ रहा था कि अब वो करे तो क्या करे लेकिन तभी उसके दिमाग में एक खुराफात आया । उसने युगल को एक नजर ऐसे देखा जैसे कोई शिकारी अपने शिकार को देखता हो ।
फिर उसने काव्या की ओर देख कर कहा, " ठीक है । हम जीजू को अपने साथ ले जाते हैं पर... "
इसके आगे उसने कुछ नहीं कहा तो काव्या ने कहा, " पर... ! "
सिद्धांत ने कहा, " अगर इस वजह से आगे चल कर आपको कोई प्रॉब्लम हुई, तो हमें मत कहिएगा । "
काव्या ने चिढ़ कर कहा, " कहना क्या चाहते हो तुम ? "
सिद्धांत ने कहा, " हम कहना ये चाहते हैं कि वहां पर एक से एक खूबसूरत लड़कियां आती हैं । अगर जीजू किसी पर लट्टू हो गए तो ! "
ये सुन कर काव्या ने एक नजर युगल पर डाली तो वो सिद्धांत को ही घूरे जा रहा था जिससे सिद्धांत को कोई फर्क नहीं पड़ा ।
उसने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, " अब कुछ देर के लिए मान लेते हैं कि ऐसा नहीं होगा लेकिन ये बात भी तो सच है न कि हम वहां पर इतने फेमस हैं ।
और उस पर अगर उन लड़कियों को ये पता चल गया कि ये हमारे जीजू हैं तो वो हम तक पहुंचने के लिए इनका भी यूज कर सकती हैं । "
फिर उसने बिल्कुल मासूम सी शक्ल बना कर कहा, " बाकी, फैसला आपके हाथ में है । अगर आप चाहती हैं कि हम इन्हें अपने साथ ले जाएं, तो ले जाते हैं । "
फिर उसने आगे बढ़ कर युगल का हाथ पकड़ लिया और उसे उठाने की कोशिश करते हुए कहा, " चलिए, जीजू ! "
उसने युगल को उठा लिया और उसका हाथ पकड़ कर आगे बढ़ गया लेकिन इससे पहले कि वो घर की चौखट को पार करता, काव्या की आवाज आई, " कोई जरूरत नहीं है उन्हें ले जाने की । "
ये सुनते ही सिद्धांत की आँखें मुस्करा दी जिसे छिपाते हुए वो काव्या की ओर पलट गया । उसने कहा, " क्यों दीदी, आपने ही तो कहा था ! "
काव्या ने कहा, " और अब हम ही मना कर रहे हैं । "
सिद्धांत ने युगल का हाथ छोड़ कर कहा, " ठीक है, आप इन्हें रोक लीजिए लेकिन हम तो जा रहे हैं । "
काव्या ने कहा, " तुम भी नहीं जाओगे । "
इससे पहले कि सिद्धांत कुछ कहता, उसके पीछे से यश की आवाज आई, " हम चले जाएं इसके साथ ! "
उसकी आवाज सुन कर सिद्धांत एक झटके से उसकी ओर पलट गया । उसने हैरानी के साथ कहा, " यश, तुम ! "
यश ने आगे आते हुए कहा, " हां, हम ! "
फिर उसने काव्या की ओर देख कर कहा, " दीदी, हम चले जाएं इसके साथ ! "
सिद्धांत ने असमंजस के साथ कहा, " पर तुम कैसे ? "
यश ने अपना चेह⁸रा उसके चेहरे के सामने करके कहा, " क्यों ? कोई प्रॉब्लम है क्या हमें अपने साथ ले जाने में ? "
सिद्धांत ने कहा, " प्रॉब्लम हमें नहीं, तुम्हें होगी । "
यश ने अपने कंधे उठा कर कहा, " नहीं, हमें कोई प्रॉब्लम नहीं है । "
सिद्धांत ने अपने हाथ बांध कर कहा, " तुम शायद भूल रहे हो कि तुम्हारे अपने भी काम हैं । "
यश ने सोचने की एक्टिंग करते हुए कहा, " ओह, हमें तो याद ही नहीं था । "
फिर उसने सिद्धांत की ओर देख कर कहा, " तुम्हें लगता है कि हम तुम्हारे लिए अपने काम पेंडिंग छोड़ कर आएंगे । "
सिद्धांत ने फिर से कुछ कहना चाहा लेकिन उससे पहले ही काव्या ने कहा, " हां यश, तुम चले जाओ इसके साथ । "
यश के होठों पर बड़ी सी मुस्कान आ गई । उसने कहा, " ओ के, दीदी । "
फिर उसने सिद्धांत का हाथ पकड़ कर कहा, " तो चलें, सिड ! "
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ऐसा क्या जरूरी काम था जो सिद्धांत को जो ऐसी हालत में भी उसे जिम जाना था ?
यश के मन में क्या था ?
इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए पढ़ते रहिए,
बियोंड वर्ड्स : अ लव बॉर्न इन साइलेंस
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लेखक : देव श्रीवास्तव