पारुल जो दिखाने मे यही कुछ 22 सल की थी वो अपने कमरे में बैठी अपने फर्स्ट एनिवर्सरी के लिए रेडी हो रही थी ।
आज पूरे 1 साल हो गये थे पारुल का अद्विक से शादी हुए पर इन एक सालो मे उसे ना तो कभी पत्नी होने का जगह मिला था और ना हक़ । हक की बात तो बहुत दूर की है , अद्विक ने तो उसे अपने कमरे में रखना से भी साफ मना कर दिया था ।
आए दिन अद्विक के तने और नाराजगी सेहनी पड़ती थी उसे । वजहा भी उसे पता था । पर वो इस मामले में चाह कर भी कभी कुछ नहीं कर पाई ।
" क्या अद्विक जी मुझे सिर्फ इसलिए नफरत करते हैं क्योंकि मेरा रंग सांवला है? पर अब इसमें मैं क्या कर सकती हूं मैंने तो हर हद कोशिश की ।"
अपने मन में सोचते हुए पारुल के आँख से एक बार फिर आँशु की लहर फुट पड़ी ।
बचपन मे माँ के गुजर जाने के बाद पापा ने दूसरी शादी कर ली । सौतेली माँ ने कभी उस पे ध्यान नही दिया तो अपने ही परिवार के प्रति उसका गुस्सा जाग गया ।
जब शादी हुई तो लगा जैसे अब उसको एक नाया परवार मिले गा , खुशिया और प्यार मिलेगी और वो सब कुछ जो उसे कभी नाही मिला ।
पर उसे अपने किश्मत का पता तो तब चला जब शादी के बाद उसके पति ने उसको अपने से माना कर दिया । हालांकि उसको अपने ससुराल वाले से प्यार मिलता था सिबाये उसकी सास आरती के , पर ससुराल वाले का प्यार पति का प्यार तो पूरा नहीं कर सकता ना !
उसे एक बार फिर अपने शादी की पहली रात याद आ गयी जब अद्विक ने उससे कहा था ......
"तुम मेरी बीवी जभी नही बन सकती , इनफैक्ट तुम किसी से शादी करने लायक नही हो । वो तो मेरी मजबूरी थी तुम से शादी करना वरना ये अद्विक खुराना तुम जैसी लड़की को अपना नौकर भी ना बनाये । अब निकलो मेरे कमरे से ।"
अद्विक के बोले हुए हर एक शब्द पारुल के कान में गंज रहा था । अद्विक के बोले हर एक शब्द उसके दिल को छालनी कर रहा था । वो अभी ये सब कुछ सोच ही रही थी की डोर पर नॉक हुआ ।
एक 20-21 साल की लड़की अंदर आयी ।
" भाभी आप रेडी हो गई ? नीचे चलिए मेहमान आपका इंतजार कर रहे हैं ।"
" हां अवनी मैं रेडी हो गई चलो ।" पारुल अपने चेयर पर से उठनेे हुए बोली ।
" वैसे भाभी है आज आप बहुत क्यूट लग रही हो ।" अपनी पारुल को ऊपर से नीचे तक निहारत हुए बोली ।
आपने की बात पर पारुल के चेहरे पर एक दर्द भरा मुस्कान बिखर गया । पर वह बोली कुछ नहीं ।
पारुल और अपने नीचे गए । नीचे का माहौल बड़ा रंगीन था । मेहमान आपस में बात कर रहे थे चारों तरफ चहल-पहल थी ।
" भाभी वह रहे भैया ।" अवनी मुस्कान के साथ अद्विक की तरह इशारा करते हुए बोली ।
पारुल की नजर अद्विक पर गई । अद्विक की उम्र होगी यही कुछ 26-27 ,पारुल एक नजर अद्विक को देखती हैं और मन में सोचती है ।
" कितनी बद किस्मत हूं मैं जो अपने ही पति को इतने दिनों बाद देख रही हूं ।"
आज पारुल ने अद्विक कोपूरे 2 महीने बाद देखी थी । क्योंकि इससे पहले पारुल जब सोई होती थी तो अद्विक ऑफिस चला जाता था और पारुल के सोने के बाद ऑफिस से घर आता था ।
अद्विक की दादी सुनीता जी पारुल के पास आई उसका हाथ पकड़ अपने ले जाकर अद्विक के बगल में खड़ा कर दी । अद्विक के दोस्त पारुल को देखने लगे ।
" वह भाई भाभी तो बड़ी अच्छी ढूंढी है तूने ।" अद्विक के बगल में खड़े एक आदमी जो अद्विक का दोस्त था वो मुस्कुराते हुए पारुल को देखकर बोला ।
उसे आदमी की बात सुन अद्विक चिड़ गया । उसको लगा कि जैसे उसका दोस्त पारुल के सांवले रंग की वजह से आदमी का मजाक बना रहा है । उसको पारुल पर गुस्सा तो बहुत आया पर फेस के रिएक्शन को नॉर्मल रखते हुए बोला
" पारुल तुम दादी के साथ जो शायद कुछ काम होगा उन्हें और शिवम उसे डील का क्या हुआ । अद्विक ने बात बदलते हुए उसे आदमी यानी कि शिवम से सवाल किया ।
" क्या यार एक तो तूने शादी कर ली और हमें बताया तक नहीं । फिर उसके बाद एक साल हो गए हमें कभी भाभी से मिलवाया भी नहीं और आज जब हम मिल रहे हैं तो भी तुझे इतनी जलन हो रही है । यार एक बार बात तो कर लेने दे मुझे अपनी भाभी से ।" शिवम ने अद्विक को घूरते हुआ कहा ।
" वैसे भाभी मेरा नाम शिवम है और मैं अद्विक का बचपन का फ्रेंड हूं ।" शिवम ने पारुल की तरफ हाथ बढ़ा कर अपना इंट्रोडक्शन देते हुए कहा ।
तो वही अद्विक ये देख और ज्यादा चिड़ गया ।
(कहानी जारी रहेगी ...)