Khamoshi ka Rahashy - 4 in Hindi Moral Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | खामोशी का रहस्य - 4

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खामोशी का रहस्य - 4

सपना देखने लगा।माया को अपनी पत्नी बनाने का।उसे अपना जज
जीवन साथी बनाने का।उसकी चाहत एक तरफा थी।माया के दिल मे क्या है।वह उसे चाहती है या नही।उससे प्यार करती है या नही वह नही जानता था।
यह तभी उसे पता चक सकता था जब वह उसके मन को टटोले।और वह कई दिनों तक इस पर विचार करता रहा।मन मे प्रश्न उठता।उससे कहे या नही।सीधी तरह से अपने प्यार का इजहार करे या पहले उसके मन को टटोले।कोई निर्णय नही कर पा रहा था।कुछ दिनों के सोच विचार के बाद उसने अपनी बात कहने का फैसला तो किया पर दूसरी तरह से
एक दिन ऑफिस से लौटते समय वह माया से बोला
हैंगिग गार्डन गयी हो
नही
तो कल सन्डे को चलते हैं
चलो
और वे सन्डे को छुट्टी वाले दिन हैंगिग गार्डन गए थे।इस गार्डन में प्रेमी जोड़े आते हैं।वे प्रेमालाप में लिप्त रहते हैं।मुम्बई में प्रेम करने वालो की पहली पसंद है यह जगह।
वे दोनों गार्डन का चक्कर लगाने लगे और एक जगह दीपेन को खाली नजर आयी थी।वह । माया से बोला
उधर बैठते हैं
और वे एक पेड़ के नीचे हरी नरम घास पर आकर बैठ गए थे।वह बाते करते हुए माया से बोला
माया अकेले रहते रहते अब ऊब गया हूँ
"अच्छा।"दीपेन की बात सुनकर माया बोली थी।
"जी चाहता है।कोई साथी हो जिसे मैं अपना कह सकूं।जब मैं घर से काम पर जाऊ तो मुझे छोड़ने के लिए दरवाजे तक आये।जब शाम को घर लोठू तो मुस्कराकर मेरा स्वागत करें।मीठी मीठी बाते करे।रात की तन्हाई उसके आगोश में काट सकू।
"तुम्हारी चाहत तो बहुत बड़ी है
"हां।माया एज हमसफ़र चाहिय
"तुम्हारी बात का आशय कही शादी से तो नही,"दीपेन की बात सुनकर माया बोली,"तुम शादी करना चाहते हो
"माया अकेले रहते अब मैं बोर हो चुका हूँ।अब मैं शादी करना चाहता हूँ।"
"तो कर लो।इसमें देर किस बात की है?"
"माया मैं डरता हूँ
"डर,"माया बोली,"डर किस बात का?"
"मैं जिस लडक़ी की चाहता हूँ।उससे प्यार का इजहार करू और अगर उस लडक़ी ने मना कर दिया तो
"अभी प्यार का इजहार किया भी नही और मन मे डर पहले से ही पाल लिया
"पालना पड़ता है।लड़कियों के मन को तो मैं नही पढ़ सकता।अगर इसने मना कर दिया तो मेरा दिल टूट जाएगा
"चिंता मत करो।तुम्हारा दिल नही टूटेगा,"उसकी बात सुनकर माया बोली थी,"तुम कुछ मत करो।तुम्हारे दिल की बात मैं उस लडक़ी तक पहुँचूंगी।"
"तुम मेरे प्यार का इजहार करोगी
"क्या मैं तुम्हारा इतना काम नही कर सकती
"इससे ज्यादा खुशी और क्या होगी मेरे लिए
"अगर उसने मना कर दिया तो
"कोई भी लड़की नही होगी जो तुम्हारे प्यार को ठुकरा दे।मुझे पूरा विश्वास है।वह अपने भाग्य पर इतराये बिना नही रहेगी,"माया बोली,"तुम मुझे उस लड़की के बारे में बताओ।कौन है वह।उसका नाम मुझे बताओ
"नाम बताऊ
"हा
"वो तो मेरे सामने ही है
मतलब
"वो तुम हो
मैं।"माया,दीपेन कि बात सुनकर चोंकते हुए बोली थी
"हां वह तुम हो वह लडक़ी तुम हो जिसे मैं चाहने लगा हूँ।प्यार करने लगा हूँ,"दीपेन अपने प्यार का इजहार करते हुए बोला,"मैं तुम्हे अपनी बनाना चाहता हूँ।तुमसे शादी करना चाहता हूँ
"यह नही हो सकता।मेरी तुमसे शादी नहीं हो सकती
"क्यो नही हो सकती
"मैं तुम्हारे लायक नही हूँ।तुम जवान और अच्छे हो तुम्हे कोई मेरे से अच्छी लडक़ी मिल जाएगी
"मुझे और से नही तुमसे प्यार है