Life in Hindi Moral Stories by veena kumari books and stories PDF | जिंदगी

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जिंदगी

 'जिंदगी '  कितना सुकून देता है यह शब्द ।मतलब कितना प्यारा शब्द है ।सिर्फ सोचने से ही मन में ऐसी तरंगे उठती है मानो आज ही सारी दुनिया जीत लेंगे ऐसा लगता है जैसे वाकई में जिंदगी इसी शब्द में बस गई हो पर नहीं जिंदगी एक शब्द नहीं है जिंदगी तो वह है जो जो अभी आपके दिल के जरिए अपनी आंखों में उभर आए। जिंदगी है तो सबके पास पर जिंदगी जीते बहुत कम लोग ही है। मैं आपको जिंदगी की एक छोटी सी झलक दिखाऊं तो चलिए।

जिंदगी है गांव की जहां न कोई पढ़ाई की फिक्र थी ना किसी खुशी की और ना किसी गम का पता था। कैसा था वह बचपन होश नहीं थी खुद की । रोज सुबह उठते ही आंखों में एक अभी चमक होती, आज क्या करने को मिलेगा कहां जाने को मिलेगा क्या खेलने को मिलेगा दोस्तों के साथ घूमने को मिलेगा इकट्ठे होकर गलियों में तो ऐसे घूमते ,जैसे खुद का घर ही ना हो लोगों को बगीचे से फल चुराने  बेवजह उनकी फसल खराब करना घर ओरहने तो बहुत आते।पर हमको क्या ही फर्क पड़े , हम ठाहरे पक्के ढीथ कौन सा हमें  फर्क पड़ जाता। गांव में जब मेला लगता या फिर  बाजार सजता , घर वाले इजाजत दे या ना दे हमें तो जाना ही होता पैसे नहीं होते थे पास चीज देखकर मन तो बहुत करता था कि यह भी खरीदे वह भी खरीदे बच्चे का पेट तो यही सोच कर भर जाता घर वालों को बिना बताए बाजार देखने को मिला। ललचाई  हुई नजरों से घर वापस आ जाते । कुछ नहीं था पास फिर भी घंटा फर्क नहीं  पता।

औरआज सब है पर वह आजादी नहीं,वह एहसास नहीं है जो तब था जिंदगी मानो जैसे कहीं बुक सी गई है बैंड सी गई है कैद हो गई है किसी पिंजरे में बड़े हुए स्कूल जाने को मिला सोचा कुछ सीखने उसको तो सीखने की जगह है नया सीखेंगे और जैसे-जैसे टीम शुरू हुआ सब खत्म हो गया बैंड गए ऐसे संसार की जंजीरों जहां से आजाद पुणे तक ख्वाब तक नहीं आया भूल गए कि हम पहले कैसे थे कभी मिले ही नहीं खुद से उसके बाद दूसरों से आगे नहीं करना पता नहीं कैसे आ गया अपने आप को बेहतर बनाना वह बात नहीं है क्योंकि बेहतर हम बेहतरीन के लिए नहीं लोग नजरियों के लिए लोगों को नजरों में उतरने के लिए बना रहे हैं कहां हमने खुद को बेहतर बनाया यही करते-करते स्कूल लाइफ निकल गया फिर कॉलेज में शुरू हो गई कुछ नहीं अभी एक दूसरे से आगे निकलने की भाग दौड़ शुरू रही ।कहां हम बेहतर बन पाए तू कहते हैं जितना भी बड़ा हो आजादी नहीं दे सकता। हमसे हमारा मन छीन लिया गया हमें छीन लिया गया आज की दुनिया कहती है ज्ञान सब कुछ है तो क्या हमें विज्ञान मिल रहा है नहीं ज्ञान सब कुछ है पर जो हमें दिया जा रहा है वह ज्ञान नहीं है। जो हमें हमसे दूर कर दें उगने से पहले ही हमारे पंखों को काट दे वह कैसा ज्ञान। ज्ञान से स्कूल में मिलता है कॉलेज में मिलता है हर जगह हर इंसान से मिल सकता है तो क्यों आज हमारी ऐसी कॉलेज जरूरी है जो हम करना चाहते हैं क्यों अपने पैरों को खोल नहीं सकते मुझे आसमान में उड़ नहीं सकते कि हमें रोक लिया जाता है समाज घर वाले इसमें शामिल है। मैं जीना चाहता हूं मुझे जीने दो  मैं कुछ करना चाहता हूं मुझे करने दो। परिंदा हूं मैं नहीं रह सकता मुझे आसमान में जाने दो जरूरत नहीं है मुझे तुम्हारे पिंजरे कि मैं खुले आसमान में अपना बसेरा बना दूंगा। मत रुको मुझे मत रोको मुझे यह जिंदगी है यार मेरी है,मुझे मेरे हिस्से की जिंदगी तो जीने दो।