Swayamvadhu - 22 in Hindi Fiction Stories by Sayant books and stories PDF | स्वयंवधू - 22

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स्वयंवधू - 22

"मान्या मैम चाहती थी कि वृषा बाबा को क्रूरता से मारा जैसा कभी किसीने नहीं सुना हो।", जीवन जी भरे अपराधबोध से कहा, "मैं देश का एक जाना-माना क्रूर हत्यारा था। मेरा लक्ष्य केवल अमीर लोग थे। मैं अपने करियर के शिखर पर था, तब मेरी मुलाकात एक पूर्व अभिनेत्री और मॉडल से हुई, जिसने मुझसे संपर्क किया था। वह दुनिया के एक स्थापित शक्तिशाली गैंगस्टर की पत्नी के रूप में अंतर्राष्ट्रीय पहचान चाहती थी जो उसे नहीं मिल रहा था। वह अपने जीवन से नाखुश थी। वह चाहती थी कि, या तो मैं समीर को मारूँ या वृषा बाबा को।

मैं एक मृत व्यक्ति के बारे में बुरा नहीं कहना चाहता परन्तु आगे के लिए इसकी ज़रूरत है। सबसे पहली बात, उस मासूम शक्ल पर मत जाना, उसका व्यक्तित्व बहुत खराब और बेशर्म था। वह सुन्दर थी, बुद्धिमान थी, लेकिन गलत वाली अत्यंत चतुर थी। मैंने अब तक कुछ नहीं कहा क्योंकि भले ही वह उसे एक बुरी माँ होने के कारण नफरत करता रहा, फिर भी उसने हमेशा उसका सम्मान किया और उसका ध्यान आकर्षित करने के लिए कड़ी मेहनत की।

वह उस समय एक प्रसिद्ध अभिनेत्री और मॉडल थीं, लेकिन अभी भी शीर्ष अभिनेत्रियों और मॉडलों में शामिल होने के लिए संघर्ष कर रही थीं। उसका सपना था कि वह एक अमीर आदमी की पत्नी बने और उसके पैसे और शोहरत पर बस जाए। उसने अपनी लालची जरूरतों के लिए उस उम्मीदवार को ढूँढ लिया।
वह समीर बिजलानी था, जिनकी उम्र करीब बीस-पच्चीस साल थी। वह पुलिस विभाग के खिलाफ अपनी जीत का जश्न मनाने के लिए बार में था। उस समय उसने जो कुछ भी किया, उसने मुझे एक हत्यारा होते हुए भी अंदर तक का हिला दिया था। उसने एक नवजात शिशु जो बमुश्किल पाँच मिनट का था और उसकी माँ को अस्पताल में जिंदा जला दिया जो पुलिसवाले के परिवार थे, जिसमें कोई भी जीवित नहीं बचा। इस घटना में लगभग तीन सौ लोग मारे गए, जिनमें बूढ़े और बच्चे भी शामिल थे। कोई भी जीवित नहीं बचा!", उनके हाथ डर से काँप रहे थे,

कमरे में मौजूद हर कोई डर से जम गया। उन्हें विश्वास नहीं हुआ कि उन्होंने क्या सुना।
"क्या बकवास कर रहे हो!?", शिवम जी गुस्से में उसका कॉलर पकड़कर चिल्लाये,
"यह कोई बकवास नहीं है। यह उन डरावनी घटना में से एक है, जिसका साक्षी मैं हूँ!", उसने अपना कॉलर छुड़ाकर कहा,
"सबूत दो?", उन्होंने पूछा,
उसने दाँत पीसते हुए कहा, "मैंने उसका पता लगाया। उस आगजनी में मेरी माँ की भी हत्या कर दी गई थी।", उसने गहरी साँस ले कहा, "हाह! खैर छोड़ो! जैसा कि मैंने कहा कि वह प्रसिद्ध थी, लेकिन स्थिर नहीं। इसलिए, उसे एक करोड़पति के साथ रहने के लिए मज़बूर किया जाता था, जो उद्योग में उसकी स्थिति सुनिश्चित करेगा। वह व्यक्तिगत रूप से समीर में दिलचस्पी रखती थी। उसने अपना लक्ष्य चुना और रात बिताने के लिए उसे बहकाया। जीत के नशे में चूर, उसे अपने साथ ले गया। और ठीक तीन महीने बाद उसने अचानक से शादी कर ली। क्या हुआ किसीको पता नहीं था। उड़ती हुई खबरे ये थी कि उस रात का नतीजा निकले वृषा बाबा और मान्या श्रीराज के पास उस रात के पुख्ता सबूत थे। अगर वो चाहता तो उसे वही खत्म कर सकता था परन्तु उसने ऐसा कुछ नहीं किया और उसे और उसके बच्चे को अपना नाम दिया।
मैंने ये भी सुना था कि वे अलग-अलग शयन कक्षों में सोते थे। लेकिन वृषा बाबा के जन्म के बाद, उसने उसे हर रात अपने साथ सोने पर मज़बूर करता था और सत्र के बाद उसे बेहरमी से बाहर निकाल देता था। उसे अपने बच्चे में कोई दिलचस्पी नहीं थी, वह तो बस उसके लिए एक स्थिर जगह चाहती थी और उसे वह मिल गया। वह पहले काम करती थी, फिर पार्टी करने की दीवानी हो गई। वह हर दिन पार्टी आयोजित करती थी। पहले तो अमलिका जी स्थिति को लेकर बहुत गंभीर थीं। उन्होंने सोचा कि यह प्रसवोत्तर अवसाद हो सकता है। उन्हें, उसे डॉक्टर के पास जाने के लिए मज़बूर करना पड़ा। कई निदान के बाद उसने अपने अवसाद और बच्चे की लापरवाही का इल्ज़ाम, अमलिका जी पर थोपना शुरू कर दिया।
उसने उन्हें फंसाया, लेकिन वह नहीं जानती थी कि वह किसेके साथ खेल रही थी। यह पाँच वर्षों तक चलता रहा। अमलिका जी को शुरू से ही पता था कि उनकी बहू कैसी है, पर इस मासूम बच्चे के लिए उसे झेलती रही। बच्चा अपने माँ के लिए रोता था और माँ उसे पीट, उसे नाकारा कह अपने अय्याश के सफर पर चल निकलती।
उनसे और नहीं हुआ! उन्होंने हर साक्ष्य इकट्ठा किया। बेबी वृषा के शरीर में घाव, उस घाव की पूरी रिपोर्ट एक प्रसिद्ध बाल रोग विशेषज्ञ द्वारा बनाई गई। उन्होंने रात की तेज़ आवाज्र वाली संगीत पार्टी को भी रिकॉर्ड किया जिससे वहाँ रहने वाले हर एक व्यक्ति को परेशानी हो रही थी और यह भी कि इससे बच्चे पर क्या प्रभाव पड़ा? अंत में, कैसे उन्होंने अपनी बहू को बेहतर बनाने में मदद करने की कोशिश की लेकिन वह पूरी तरह से सामान्य थी। यह भी एक प्रसिद्ध डॉक्टर द्वारा बनाया गया था जिसपर कोई सवाल नहीं खड़ा कर सकता था।
मान्या श्रीराज उर्फ मान्या बिजलानी को इस खुलासे के बारे में पता लग गया था। तो उसने सबसे कचरी चाल चली। उसने वृषा बाबा को एक दिन अपने पास प्यार से बुलाया। प्यार का भूखा बच्चा भी उसके पास भागा गया। उसके बाद वो अपनी जान से प्यारी दादी के पास जूस का गिलास ले गया और-", वे रुक गए,

"और क्या?", शिवम जी की आवाज़ में कंपन साफ सुनाई दे रही थी।
"और क्या? उन्होंने वृषा बाबा को कसकर गले लगाता जैसे वो उनक उनकी आखिरी मुलाकात हो। मुस्कुराते हुए वो एक घूंट में बिना एक बूँद बहाए ज़हर को खुशी-खुशी पी लिया और फिर आधे घंटे बाद उनकी लाश एक सहायक को मिली। वो दिन वृषा बाबा की ऐकलौती कवच भी ढह गयी और वो यहाँ के कैदी बन गए।",
"कैदी?", मैंने बड़बड़ाया,
(उसने तुमसे पहले ही कहा था कि वो अपने पिता का दास है।), मेरे सिर में फिर वही आवाज़ गूँजी।
उसे नज़रअंदाज कर मैंने आगे की बात सुनने लगी।
"उसके बाद वह हँसमुख और जिंदादिल बच्चा फीका पड़ने लगा। उन्होंने सरयू को जासूस और हत्यारा बनाने के लिए प्रशिक्षण के लिए भेजा। अब जब वह बिल्कुल अकेला था, तो उसने अपनी सास का सारा खुन्नस उस बच्चे पर निकालने लगी। लगभग हर दिन वह घावों से ढका रहता था, एक ट्रॉफी की तरह।",
सभी लोग चौंक गए और पुष्टि के लिए शिवम की ओर देखने लगे। वह भी हिल गया, "लेकिन वह—", वह अपना वाक्य पूरा भी नहीं कर सका और जीवन जी ने कहा,
"उसे लगा...नहीं! उसे अभी भी ऐसा लगता है कि उसकी प्यारी दादी और कई अन्य की मृत्यु का कारण वह ही था। वो ही है! उसने कभी किसी बात पर सवाल नहीं उठाया, बस हल्की सी मुस्कुराहट बिखेर वयस्कों द्वारा किए जाने वाले हर अत्याचारों को सहता रहा।
उसने उसका इस्तेमाल अमीर मॉम के साथ अपनी जान-पहचान बढ़ाने के लिए की फिर उनकी पहचान से उनके पतियों से भी अच्छी खासी पहचान बनाई जिसका पता आजतक किसीको नहीं चला, 'आप जानते होंगे वयस्कों की ज़रूरत को?' उसने मुझसे यही कहा था जब वह चाहती थी कि मैं समीर को मार डालूँ।
मैं उससे बहुत नफ़रत करता था इसलिए मैंने तुरंत उसकी माफिया टीम में शामिल होने के लिए तैयार हो गया और जल्द ही उनका एक अंगरक्षक बन गया। उन्हें इतने करीब से देखने के बाद, मुझे तुरंत समझ आ गया कि वह इस आदमी को क्यों मारना चाहती थी। वह एक अच्छा पति तो नहीं था, और वो अपने इकलौते बच्चे को भविष्य का भोजन समझता था और अनुशासन के नाम पर वह हर रात घर आने के बाद उसे मारता था। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह सो रहा हो, अच्छा काम कर रहा हो या कुछ और। सुबह को वह उसकी अपनी माँ होती थी और रात को उसका अपना पिता। और वो चू से चा भी नहीं करता।
उसकी तकलीफ देख मैं अपना काम और जल्द निपटाना चाहता था। जैसे ही मैंने उसे मारने का ब्लू प्रिंट तैयार किया, उसने अपनी योजना बदल दी और इसे बच्चों पर स्थानांतरित कर दिया। मैं अचंभित था। वह एक बच्चे का उपयोग कैसे करेगी? जब मैंने स्पष्टीकरण माँगा तो उसने बस इतना कहा कि वह उसकी पत्नी के रूप में वैश्विक पहचान चाहती थी और फिर वह सोचेगी कि उसके साथ भविष्य में क्या करना है?
वह रेड्डी परिवार के प्रति भी कुछ गुस्सा थी कि वह चाहती थी कि मैं तुम्हें और तुम्हारे छोटे भाई राज को भी खत्म कर दूँ पर......",
जो क्रूरता हमने सुनी, उसे सुन मैं अपनी अपहरण वाली ज़िंदगी को इज्ज़त वाले नजरों से देखने लगी।

उनके अत्याचार की कहानी आगे जारी है :-