अब तक हम ने पढ़ा की लूसी के पड़ोस में एक पायल नाम की बच्ची पर कोई छोटी सी भूत बच्ची हावी थी जो निहायत ही बेचैन लग रही थी। लूसी ने उसे अपने पास बुलाया और उस से पूछा के वो कौन है लेकिन बच्ची बताने के बजाए बहुत दर्द भरी आवाज़ में ईश्वर के पास जाने की गुहार लगाने लगी। उसकी बेचैनी लूसी को भी बेचैन कर गई।
अभी तक उसे कुछ समझ नहीं आया था के वो बच्ची आखिर कौन है और उसे इतनी सख़्त तिलमिलाहट क्यों है। आधी रात के बाद उसे मुश्किल से नींद आ ही गई।
सुबह की धुंधली फ़जाओ में सूरज की नर्म गरमाहट घुली हुई धूप बिखर गई थी। देर तक जागने की वजह से लूसी अब भी सो रही थी। सिरहाने पर रखा मोबाइल बज उठा। लूसी उसकी आवाज़ से जाग गई। सूझी सूझी आंखों से फोन स्क्रीन पर रूमी का नाम देखा तो हड़बड़ा कर उठ कर बैठ गई। जल्दी से फोन उठा कर भारी आवाज़ से बोली :" गुड मॉर्निंग रूमी!"
रूमी ने खिली खिली आवाज़ में कहा :" तुम अब तक सो रही हो! ओह घर में हो ना कॉलेज तो जाना नही है तुम्हें!.... लेकिन मैने कॉलेज की बात करने के लिए ही कॉल किया है।"
" हां बोलो ना क्या बात है?"
लूसी ने जानने की उत्सुकता से पूछा।
रूमी ने बताया :" तुम्हें तो पता भी नही शायद की नताशा मैम ने असाइनमेंट बनाने को कहा है। कल इंगेजमेंट है और फिर शादी की तैयारियां!... तुम असाइनमेंट कब और कैसे बनाओगी? मैं तो जैसे तैसे बना लूंगी लेकिन तुम तो दुल्हन हो!....तुम्हें तो पता है ना नताशा मैम कितनी स्ट्रिक्ट है।"
लूसी उकताहट से आह भरते हुए बोली :" उफ्फ इस छोटे से कंधे पर एक साथ कितने काम आ पड़े हैं! बस एक बार शादी हो जाए फिर आधे काम तुम्हारे मामा के चौड़े कंधो पर डाल दूंगी। नताशा मैम का दिया हुआ असाइनमेंट तो बनाना ही पड़ेगा।"
रूमी :" ओह मैडम! क्या मेरे मामा के साथ तुम इसी लिए शादी करना चाहती हो? जल्दी उठो और अपने काम में लग जाओ!"
" मामा की चमची!"
लूसी ने बिदबिदा कर कहा और बिस्तर से उठने लगी। एक कदम बढ़ाया ही था के उसे याद आया कि बिस्तर में एक छोटी सी भूत भी सो रही थी। उसने झट से मुड़ कर देखा तो अब उसके बिस्तर पर या कमरे में वो बच्ची नहीं थी जो कल रात पायल के शरीर से बाहर आई थी।
लूसी ने जल्दी में इधर उधर नज़र दौड़ाई पर उसे वो कहीं नज़र नहीं आई। उसे उसका नाम तो पता नहीं था इस लिए उसने खिड़की से मुंह बाहर निकाल कर उसे मुन्नी मुन्नी कह कर आवाज़ लगाने लगी लेकिन उसका कोई आता पता नहीं था।
"मुन्नी कौन है यहां ?"
मम्मी कमरे में दाखिल होती हुई ताज्जुब से बोली।
लूसी ने हिचकिचाते हुए कहा :" ओह मां मैं तो लायला को आवाज़ लगा रही थी। वो स्कूल चली गई!"
मां ने ध्यान नहीं दिया और कहा :" उसे मुन्नी कब से बुलाने लगी!....देखो कल घर में मेहमान आने वाले हैं तो अपना और अपने स्किन का थोड़ा ख्याल रखो!.... चाय नहीं पीना मैं जूस लाई हूं। इसे पी लो और बाहर आओ!"
" हां मम्मी ठीक है।"
उसने जल्दी में कहा और वाशरूम चली गई। मां जूस का ग्लास टेबल में रख कर बाहर चली गई।
अब लूसी के घर में शादी की तैयारियां शुरू हो गई थी। सभी व्यस्त नज़र आ रहे थे। लूसी के मन में कई परेशानियां चल रही थी इस लिए वो अपने शादी के बारे में सोच ही नहीं पा रही थी क्यों के उसकी शादी कोई आम शादी नही बल्के डरावनी रात की तरह थी जिसके सही सलामत कट जाने की दुआ रोवन और लूसी दोनो कर रहे थे। रोवन ज़्यादा डरा हुआ था। उसे ऐसा लग रहा था जैसे वो एक पतली सी रस्सी पर चल रहा है जिसके ज़रा सा संतुलन बिगड़ते ही आग की खाई में गिर जाएगा। साथ ही उसे लूसी पर भरोसा था की वो कमेला से जीत जाएगी लेकिन उसके नादान होने का भी उसे अंदाज़ा था। कहीं नादानी में अपने आप को किसी मुसीबत में न डाल दे।
रोवन हर वक्त खोया खोया हुआ बस यही सोचता रहता के आखिर लूसी का प्लान क्या है? वो कमेला से कैसे लड़ेगी अगर वो मरती ही नहीं तो उसे कैसे हराया जायेगा और कैसे हमारी ज़िंदगी एक आम ज़िंदगी की तरह गुजरेगी? वो शादी की रात को ज़रूर आयेगी जैसे वो पिछले दो शादियों में आ चुकी थी।
बालकनी में धीरे धीरे चलते हुए वो इन्हीं ख्यालों में उलझा हुआ था की दीदी वहां आई। वहां रखे छोटे छोटे सोफे पर बैठते हुए बोली :" रोवन इधर आ कर बैठ! बात करनी है तुझ्से!"
रोवन दीदी के पास वाले सोफे पर बैठते हुए बोला :" हां बोलिए दीदी!"
दीदी ने फिक्रमंद हो कर उसे देखते हुए कहा :" कल हमे लूसी के घर जाना है। तू ठीक तो है ना! जाने में कोई दिक्कत तो नहीं होगी तुझे?
" दीदी मैं ठीक तो हुं लेकिन इंगेजमेंट ज़रूरी है क्या? मतलब बिना इंगेजमेंट के भी तो शादी हो सकती है ना!.... मैं इन सब रस्मों से डर गया हूं आपको तो पता ही है। ये सब मेरी ज़िंदगी में एक ज़ख्म की तरह है जो मेरे दिल वा दिमाग में लगा हुआ है।"
रोवन ने अफसोस भरे लहज़े में कहा।
दीदी ने उसे समझा कर कहा :" हां मैं सब समझती हूं लेकिन ये तुम्हारी तीसरी शादी है पर लूसी की तो पहली है ना और खुदा करे की ये तुम दोनो की आखरी शादी हो!....उसके कई अरमान होंगे हमे इस बात का ख्याल रखना होगा और तुम्हें भी! कोई कमी मत रखना, अपने लिए न सही पर उसके लिए वो सब करो जो एक अच्छा पति अपनी पत्नी के लिए करता है!...तुम्हारे ज़ख्मों को कुरेदना का हमारा कोई इरादा नहीं है लेकिन तुम इस उम्मीद से ये सब करो की लूसी इन जख्मों को भर देगी।"
रोवन ने एक गहरी सांस लेते हुए कहा :" हम्म्म! मैं कोशिश करूंगा!"
" आज शाम को हम कपल रिंग लेने जाएंगे!"
दीदी ये कह कर वहां से चली गई।
रोवन का दिल बिलकुल भी इन रस्मों से खुश नहीं था। वो बस चाहता था के किसी तरह शादी हो जाए और लूसी सही सलामत रहे, उसकी जान पर कोई खतरा न हो। सब के ज़िद से और मां के ज़िंदगी की आखरी पलों में खुशियां देने के लिए वो शादी के लिए मान तो गया लेकिन हर पल लूसी के लिए डरा हुआ मन ही मन दुवाएं करता रहता।
लूसी कामों में व्यस्त हो गई लेकिन उसके दिमाग से उस छोटी बच्ची की बेचैन आंखें जैसे घर बना कर बस गई थी। कामों में भी उसकी नज़रें उसे ढूंढने में लगी थी।
दूसरे दिन मेहमान आए, लूसी के परिवार ने कुछ रिश्तेदार और आस पड़ोस के लोगों को भी बुलाया था। उनके घर में चहल पहल थी और रसोई से कई तरह के पकवान की बेहतरीन खुशबू आ रही थी।
लूसी को भाभी ने अच्छी तरह तैयार होने के लिए बड़ी सख्ती से कहा था क्यों के वो जानती थी के लूसी सजने संवरने पर कभी ध्यान नहीं देती है। आज उसने एक हल्के नीले रंग का घेर दार गाउन पहना था जिसमे वो कोई फूलों की राजकुमारी लग रही थी।
रोवन ने ग्रे शेड का सूट पहन रखा था। बाद में उसने ब्लेजर उतार दिया था अब वो सिर्फ वाइट शर्ट और ब्लैक पैंट में था। सभी लोग उसे देख कर खुश हो रहे थे क्यों के इतने लोगों में वो सब से ज़्यादा चमकता हुआ खूबसूरत हीरा लग रहा था।
अंगूठी पहनाने की बारी आई तो दोनों के दिल में जैसे गुदगुदी सी होने लगी जो हाथ पैर में भी सिहरन पैदा कर रही थी। पहले रोवन ने लूसी के छोटे से नाज़ुक हाथ पर अंगूठी पहनाई फिर लूसी कांपते हाथों से बड़ी मुश्किल से उसके उंगली में अंगूठी पहनाने में कामयाब हुई। जब सभी लोग तालियां बजाने लगे तो उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसकी कामयाबी पर ताली बजाई जा रही है। वो दोनों एक दूसरे को शर्म से एक नज़र भर भी देख नहीं पा रहे थे क्यों के सभी की नज़रे उन्हीं पर टिकी हुई थी।
सगाई का एक साधारण सा समारोह खत्म हुआ। मेहमान वापस चले गए और अब बस शादी की रस्म करनी थी।
लूसी पूरे दिन के फंक्शन से थक चुकी थी। फिर भी फ्रेश हो कर छत पर गई इस उम्मीद से की शायद वो बच्ची मिल जाए लेकिन अब भी वो गायब थी। एक बार उसके दिल में ख्याल आया के कहीं वो फिर से पायल के बॉडी में तो नहीं चली गई लेकिन पायल की मां से पूछने पर पता चला के अब पायल नॉर्मल है।
(पढ़ते रहें अगला भाग जल्द ही)