I can see you - 28 in Hindi Women Focused by Aisha Diwan books and stories PDF | आई कैन सी यू - 28

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आई कैन सी यू - 28

अब तक हम ने पढ़ा की लूसी के घर वालों और रोवन के घर वालों की आपस में मुलाक़ात हुई। सभी एक दूसरे से बहुत घुल मिल गए थे। रोवन की फैमिली ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी लूसी के परिवार वालों को प्रभावित करने में, हर तरह से उनकी खातिरदारी में कोई कमी नहीं रखी थी। 
रूमी एक एक पल की खबर लूसी को वीडियो कॉल पर दे रही थी। लूसी ने वहां कमेला को देखा तो उसका खून उबलने लगा। गुस्से में आ कर उसने फोन बंद कर दिया और बेचैनी में यहां वहां टहलने लगी। 
दरअसल उसे इतना गुस्सा नही आता अगर भूत कोई मर्द होता और वो रोवन के आसपास मंडराते रहता, उसे अब कमेला से जलन महसूस हो रही थी क्यों के वो भूत ही सही पर है तो एक औरत ही। जब लूसी को इस बात का एहसास हुआ के उसे जलन हो रही है तो वो सोचने बैठ गई। सन्नाटे छाए लिविंग रूम में उसने अपने आप से कहा :"क्या मुझे मरी हुई कमेला से जलन हो रही है?...मैं तो ये भी नही जानती के उसका रोवन सर से क्या रिश्ता था!.... मुझे जलना नही चाहिए और समझदारी से काम लेना चाहिए!.....शादी से पहले तो मैं फुलवारी के कब्रिस्तान वाले बाबा से मिल नहीं सकती क्यों के रोवन सर अभी ट्रैवल नहीं कर सकते तब तक मैं कमेला का क्या करूं?... मुझे रोवन सर से बात करनी होगी!"

लयाला अपने दादा जी के पास थी वो दौड़ते हुए आई और बोलने लगी :" बुआ!... दादा जी ने प्याज़ के पकोड़े बनाने को कहा है और कहा है की अब मम्मा पापा, चाचू और दादी होने वाले फूफा जी के यहां से निकल गए हैं और सीधा घर आ रहे हैं।"

   " हां मुझे पता है! और अभी से उन्हें फूफा जी मत बुलाओ! बहुत अजीब लग रहा है।"

ये कह कर लूसी किचेन में चली गई। 

उसके दिमाग में एक ही बात घूम रही थी के कमेला को कुछ दिन तक दूर कैसे किया जाए, वो कई तरह के तरीके सोच रही थी लेकिन इसमें उसकी कोई मदद नहीं कर पाएगा सिवाए दुलाल और रोवन के लेकिन दुलाल ज़्यादा कुछ मदद कर नहीं सकता और रोवन को पूरी तरह ठीक होने में कम से कम एक महीने का समय तो लग ही जायेगा। ये सब सोचते सोचते रात हो गई। घर के लोग वापस आ गए, इन लोगों ने रोवन के परिवार को घर बुलाया लेकिन उन लोगों ने कहा के अब सगाई करने ही जायेंगे। लड़की को हम सब ने देख ही लिया है। 

लूसी अपने कमरे में स्टडी टेबल के सामने कुछ किताबों को खोल कर बैठी थी लेकिन पढ़ाई के बजाए मोबाइल को घूर कर देखते हुए यही सोच रही थी के " रोवन सर को कॉल करूं या ना करूं!... कॉल तो करना ही पड़ेगा।"

उसने टेबल से मोबाइल उठाया ही था के कियान भैया कमरे में आ गए। उन्होंने आते ही कहा :" क्या कर रही है तू?
लूसी हड़बड़ा कर उठते हुए बोली :" कुछ नहीं बस पढ़ाई कर रही थी!"

कियान भैया ने उसके किताबों में झांकते हुए कहा :"पढ़ाई दिमाग में घुस भी रहा है की ध्यान कहीं और है?... एक बात सच बता!... ये लव मैरिज है ना?

लूसी हक्का बक्का हो कर टुकुर टुकुर तकने लगी। उसका दिमाग कुछ देर के लिए उलझन में पड़ गया के क्या जवाब देना चाहिए फिर अचानक कुछ सोच कर उसने कहा :" हां!"

कियान भैया ने एक बार उसे घूर कर देखा फिर दबी आवाज़ में कहा :" ठीक है फिर ! अगर लव मैरिज नहीं होता तो मैं कहीं से भी रोवन पार्कर के पास्ट,प्रेजेंट की सारी जानकारी इकट्ठा कर ही लेता लेकिन वो बात चीत से और देखने में काफी इंप्रेसिव लगा इस लिए मैंने हां कहा है शादी के लिए!... अगर उसने शादी के बाद कोई प्रॉब्लम किया तो छुपाना नहीं और रहम तो बिलकुल मत करना समझी!"

  "जी भैया!"

लूसी ने शर्मा कर नज़रे झुका ली और मंद मंद मुस्कुराने लगी। 
भाई बहन में चाहे कितनी भी लड़ाई हो जब एक बिछड़ने वाला होता है तो ज़िंदगी का एक पहिया निकलने जैसा महसूस होता है। एक सुना पन छा जाता है क्यों के वो नोक झोंक, मारपीट और बात बात पर एक दूसरे को ताने मारना, मम्मी पापा से एक दूसरे की शिकायतें लगाना, सब कहीं पीछे छूट जाता है और ऐसा लगता है के अब बचपन खत्म हो गया। 

कियान भैया के चले जाने के बाद उसने अपने कमरे का दरवाज़ा अंदर से बंद किया और कांपते हाथों से रोवन को कॉल करने लगी। लेकिन जैसे वो उस से बेझिझक बातें कर लेती थी अब जब से शादी की बात चली है उस से बात करने में एक संकोच दिल की धड़कन बढ़ा रही थी। जैसे जैसे फोन की घंटी बज रही थी वैसे वैसे उसका दिल फड़फड़ाने में अपनी रफ्तार बढ़ा रहा था। उसने अपने दिल पर हाथ रख कर थपकी देते हुए कहा :" शांत हो जा, शांत हो जा! बिलकुल नॉर्मली बात करनी है सर से! उन्हें ऐसा न लगे के मैं बदल गई हूं।"

इतने में रोवन ने फोन उठा कर हेलो कहा। 
लूसी ने खुद को बड़ी मुश्किल से संभाल कर कहा :" गुड इवनिंग सर! आप कैसे हैं?"

रोवन ने हिचकते हुए कहा :" हां गुड इवनिंग! म ,मैं ठीक हूं!...क्या बात है बोलो!"

लूसी का दिल जो अब तक फड़फड़ा रहा था वो अचानक नॉर्मल हो गया। क्यों के रोवन की आवाज़ में कोई बदलाव नहीं था। वो अब भी उसी तरह बिना किसी भाव और एहसास के बात कर रहा था या फिर शायद वो भी अपने जज्बातों को काबू में रख कर बोल रहा था। 

लूसी ने भी अपने असली अंदाज़ में बात की :" क्या बात है बोलो!.... ये क्या तरीका है। क्या मैं बिना किसी बात के आपको कॉल नहीं कर सकती?... हाल पूछने के लिए भी तो कॉल कर सकती हूं ना!"

रोवन के आसपास घर के सभी लोग बैठे थे इस लिए उसने उसे जवाब देने से पहले सब की ओर एक एक नज़र डाली। उसके झिझकते नज़र को देख सभी समझ गए के शायद लूसी का ही कॉल होगा। धीरे धीरे सब अपनी अपनी जगह से घसकने लगे और अब रोवन वहां अकेला बैठा था। लूसी उधर से उसके जवाब का इंतज़ार करने के बाद फिर से बोल पड़ी :" रहने दीजिए आप के पास कोई जवाब ही नहीं है!.... हां एक ज़रूरी बात थी इस लिए मैंने कॉल किया था!... मुझे एक पॉवरफुल गन चाहिए! अगर नेगेव लाइट मशीन गन (एनजी-7) हो तो सब से बेहतर होगा!... आपको मुझे ये गन दिलाना होगा ताकी मैं उस कमेला को बादलों की सैर करा सकूं!"

पहले तो रोवन उसकी बातें सुन कर हल्का सा मुस्कुराया फिर बोला :" क्या मैं तुम्हें कोई आर्मी चीफ लग रहा हूं या कोई माफिया गैंग का लीडर!... मेरे पास NG -7 कहां से आयेगा!... मुझे तो इसका नाम भी याद नही था। हां अगर रायफल चाहिए तो वो मिल जायेगा! मेरे दादा जी का है।...लेकिन क्या तुम उसे उठा भी सकती हो?"

लूसी ने तेवर दिखाते हुए कहा :" आप ने मुझे सुखी लकड़ी समझ रखा है क्या!... मैं स्ट्रॉन्ग हूं! दिखती नहीं हुं वो अलग बात है।"

कुछ देर खामोश रहने के बाद लूसी ने कहा :" सर मुझे कमेला के बारे में जानना था! उसका आप से क्या रिश्ता था और उसने मरते हुए आपको श्राप क्यों दिया था?.... ये सवाल मुझे बार बार मछली के कांटे की तरह चुभ रही है इस लिए पूछ लिया!"

इस सवाल पर रोवन के दिल पर जैसे किसी ने दो तीन ज़ोर दार घुसे मारे हों। एक टीस सी मेहसूस हुई और वो बिलकुल खामोश हो गया। उसके आंखों में गहरे ज़ख्म की लालिमा छा गई थी। 

To be continued......