Devil se Mohhabat - 24 in Hindi Love Stories by aruhi books and stories PDF | Devil se Mohhabat - 24

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Devil se Mohhabat - 24

जिसे सुन माया एकदम से डर जाती है,,,और फिर वह अनिरुद्ध को अपनी बात ना मानता देखा है,,,,,अपनी हिम्मत हार जाती है ,,,,,,जिससे वह पीछे पलट कमरे से बाहर जाने लगती है ,,,,,,कि तभी अनिरुद्ध,,,,,किसी बॉडीगार्ड की मदद ले ,,,,,,,,उसे ले जाओ हॉस्पिटल,,,,,,और हां कोई तमाशा नहीं होना चाहिए ,,,,,यह कहे,,,वह सोफे से उठ,,,,,खिड़की साइड चला जाता है,,

जिसे सुन माया दौड़ते हुए,,,कमरे से दोबारा बाहर निकाल,,,,,वह सबसे पहले विधि के कमरे में जाती है,,,,,और फिर विधि को कपड़े पहने दौड़ते हुए ,,,,नीचे एक बॉडीगार्ड की मदद से,,,,विधि को अस्पताल ले जाती

🩵🩵🩵🩵

और वहीं दूसरी तरफ विराज गुस्से से पागल होता जा रहा था,,,,आज जिंदगी में पहली बार ,,,,उसे इतना डर लग रहा था,,,,,उसकी सांस उखड़ रही थी ,,,,,कि तभी उसके पास एक आदमी आता है,,,,,जो उसे विधि की एक-एक खबर देता है,,,,,जिसे सुन विराज गुस्से से ,,,,अपने कदम उस मेंशन से बाहर बढ़ा देता देता है ,,,,,और फिर गुस्से से दांत पीसते हुए ,,,,,तुमने सही नहीं किया ,,,,,मेरी बहन को बीच में लाकर ,,,,,उसका इस्तेमाल करके,,,,यह कहे वह ,,,,,बहुत ही गुस्से में कार ड्राइव कर रहा था,,

Aab aage_____

और फिर कुछ ही देर का फासला तैये कर के विराज ,,,,,,कुछ ही देर में अनिरुद्ध के मेंशन पहुंचता है ,,,,,और फिर चिखते हुए,,, अनिरुद्ध के बच्चे,,,बाहर निकल,,,,,सुना तूने,,,,,यह कहते हुए विराज काफी गुस्से में लग रह रहा था,,,,,,,जैसे कि वह अनिरुद्ध को जान से ही मार देगा,,

जिसे सुन अनिरुद्ध भी बाहर निकल जाता है ,,,,,,और फिर विराट को ऊपर से नीचे देखते हुए,,,,,बड़े एटीट्यूड से,,,वह सीडीओ से उतरते हुए ,,,,,,

के एकदम सामने खड़ा हो,,,,,विराट को घूमते हुए ,, ,क्यों क्यों गला फाड़ रहे हो ,,,,,यह कहते हुए अनुरोध के चेहरे पर आब भी घमंड साफ देखा जा सकता था,,,,

की तभी विराज एकदम से अनिरुद्ध का कॉलर पकड़,,,,,अपने हाथों का मुक्का बना ,,,,अनुरोध के चेहरे पर दे मारता है ,,,,

जिससे अनुरोध के होठों से खून बहने लगता है,,,,,,जिसे देख अनिरुद्ध भी बगैर देरी किए,,,,,विराज का कॉलर पकड़,,,,,,,उसके पेट पर दे मारता है , कुछ ही देर में ,,, वहां पर वह दोनों आपस में लड़ने लगते हैं ,,,,,और काफी तोड़फोड़ हो गया था

इस वक्त अनिरुद्ध जमीन पर ,,,,,और विराज अनिरुद्ध के ऊपर ,,,,उसे मार रहा था ,,,,और भी चिखाते हुए,,,,तेरी हिम्मत कैसे हुई ,,,,इन सब में ,,,,,मेरी बहन को बीच में लाने की ,,,,कहां है मेरी बहन ,,,,,क्या किया तूने मेरी बहन के साथ ,,,,,,अगर उसे गलती से भी कुछ हुआ तो,,,,,,मैं तुझे जान से मार दूंगा,,,,,बता मेरी बहन कहां है,,

की तभी अनिरुद्ध भी विराज का कॉलर पकड़ ,,,,उसे पलट जमीन पर कर,,,,,उसके ऊपर,,,,क्यों अब मिर्ची लग रही है ,,,,,,जब तूने मेरी बहन का इस्तेमाल किया ,,,,,,तब,,तब तुझे कुछ नहीं हुआ,,,,,, यही सवाल मैं पूछूं ,,,तो,,,,,कि कि मेरी बहन कहां है,,,,,,इस वक्त,,।

तब तू क्या बोलेगा ,,,,आब खुद की बहन पर आई,,,,,तो तुझे तकलीफ हो रही है,,,,,,लेकिन मेरी बहन का क्या ,,,,,,क्या कसूर था मेरी बहन को ,,,,,,,जो तूने अपने फायदे के लिए ,,इस्तेमाल किया उसे,,,,,,यह कहते हुए अनुरोध गुस्से से चौक पड़ता है,,,,

जिसे सुन विराज एक पल के लिए शांत हो जाता है ,,,,,और फिर वह अनिरुद्ध को देखते हुए,,,,,,एकदम से,,,,,,मैं तुम्हारी बहन के साथ कुछ नहीं किया,,,,सुना तुमने,,,,,,,,तुम्हारी बहन मेरे पास बिलकुल सेफ पड़ी है,,,,,,,यह कह विराज एकदम से अनिरुद्ध को खुद से दूर कर,,,,,वह जमीन से उठ खड़ा होता है



और वही अनुरोध भी कैसे-कैसे यकीन करूं,,,,,,मैं,,,,,की तूने मेरी बहन के साथ कुछ नहीं किया,,,,,,,,मैंने खुद अपनी आंखों से देखा ,,,,,,,कि तू कैसे मेरी बहन को उसी के डैड के सामने,,,,,किस कर रहा था,,,,,,और क्या सुबूत चाहिए

,,,

जिसे सुन विराज,,,,,,शर्ट आप अनुरोध,,,,,तुम मुझे जानता है ,,,,,,फिर भी तूने ऐसा किया ,,,,,रुक तुझे यकीन नहीं हो रहा है, ना ,,,

वह सब सिर्फ नाटक था ,,,,,मैं तेरी बहन को आज तक हाथ तक नहीं लगाया है ,,,,,,,तुझे यकिन नहीं हो रहा है,,,,ठीक है ,,,,,,यह कहे वह एकदम से अपने मेंशन फोन लगा देता है,,,,,,,और दूसरी तरफ से ,,,,,दाई मां होती है ,,,,,,जिससे विराज बात कर,,,,,,वहां फोन अंजलि को देने को कहता है ,,,,,जिसे सुन दाई मा जी आजली ,,,,फोन दे देती है

जिसे सुन विराज गुस्से से घुरते हुए ,,,,अंजलि मैं तुमसे जो सवाल पूछूं ,,,,,,तुम उसका सही सही जवाब दोगे ,,,,,बगैर किसी डर से ,,,,सुना तुमने

जिसे सुन अंजलि एक पल के लिए चुप हो जाती है ,,,,,और फिर कुछ सोचने लगती है,,,,,,क्योंकि उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था, ,,,,कि विराट को अचानक से क्या हुआ ,,,,,,कि क्यों, उसे फोन करें ऐसी बातें कर रहा है ,,,जिससे वह,,सर,,हा में हिलाते हुए ,, जी कहती है

जिससे विराट गुस्से से ,,,,और अपनी तेज आवाज में ,,,,,,अब बताओ कि,,,,,,,इन 10 दिनों में,,,,,,,मैं तुम्हारे साथ क्या-क्या किया ,,,,,एक-एक चीज बताना ,,,,,,क्या मैं अब तक तुम्हारे साथ कोई जोर जबरदस्ती की ,,,,,,,कोई,,,कोई ,,,और थोड़ा हीचक जबरदस्ती कर,,,,फिजिकल रिलेशन बनाया,,,बोलो जल्दी

जिसे सुन अंजलि ,,,वह तो कुछ पल के लिए चौक जाती है ,,, अचानक विराज को क्या हुआ ,,,,जो ऐसी बातें कर रहा है ,,,,,,,जिससे दूसरी तरफ से बात ना सुन विराज ,,,,गुस्से से सुना नहीं तुमने,,,,,,,क्या तुमने कान में रुई दाल के रखा है ,,,

जल्दी बोलो अंजलि,,,,,उसका इतना ही कहना था ,,,,कि अंजलि हरबराहट में नई-नई ,,,,,,तुम तुमने मेरे साथ कुछ नहीं किया ,,,,

और बोलो ,,,,उस दिन तुम्हारे डैड के सामने मैंने तुम्हें,,,,अपनी बाहों में ,,,,कमरे तक ले गया था,,,,,उसके बाद मैंने,,,,,,तुम्हारे साथ क्या किया ,,,,बोलो

जिसे सुन अंजलि थोड़ी हिचकी चाहत और डरते हुए ,,,,,उस दिन कुछ कुछ नहीं,,,,,,,,मुझे डाटा गुस्सा मतलब कुछ नहीं किया

और बताओ अंजलि,,,,,,,क्या मैं अब तक तुम्हारे पर एक हाथ उठाया है,,,,,,,या मैं तुम्हारे साथ कोई बदतमीजी की है,,,

जीसे सुन आजलि एक पल के लिए चुप हो जाती है,,,,,,और उसकी आंखों में आंसू आ जाते हैं,,,,,,जिसे विराज भी,,,उसकी सिसकियां से महसूस कर सकता था ,,,

जिसे अंजलि रोते हुए ,,,,अपनी सिसकियो को काबू कर ,,,,कुछ नहीं,,,,,आपने कभी भी मेरे साथ कुछ भी नहीं किया,,,,,,,सीसी शिवाय की किस,,,,,,,,,यह कहते हुए वह काफी हिचकिचा रही थी

जिससे विराज एकदम से फोन कट कर,,,,,,,उसे अपनी पॉकेट में डाल ,,,,,अनुरोध की तरफ देखते हुए,,,,,,,,अपनी आंखों में घुस्सा लिए ,,,,,,अपने हाथों की मुठी बनाए ,,,,,,विराट पर ,,,,,,सुना तुमने कि मैं तुम्हारी बहन के साथ कुछ नहीं किया,,,

अभी यकीन हुआ तुम्हें ,,,,,,अपनी बहन के मुंह से,,,,,,सब जान कर ,,,,,कि मैं अब तक तुम्हारी बहन को हाथ तक नहीं लगाया ,,,,,,,तो आप बताओ मेरी बहन कहां है,,,,,,,और तुमने इसके साथ क्या किया,,

क्योंकि मैं जितना हद तक जानता हूं ,,,,,,,कि तुम कुछ भी कर सकते हो अनिरुद्ध ,,,,यहां तक की अपनी हदे भी पार कर है

और वही अनुरूप तो एक तक बस विराज के फोन को देख कर सोच रहा था,,,,,

वह तब होश में आता है जब वह विराज के आगे बात सुनता है, सुन अनिरुद्ध विराज की तरफ देखने लगता है,,,,,,लेकिन कुछ बोलना नहीं है ,,,,,,अनिरुद्ध को कुछ ना बोलना देख ,, गुस्से से सुना नहीं अनुरोध ,,,,,,,मैंने कहा मेरी बहन कहां है , ,

विराज दोबारा ,,,अनिरुद्ध की तरफ देखते हुए, ,,देखो अनुरोध , बहन मासूम है ,,,,,,,,,इस सब के बीच मेरी बहन को मत लाओ,,, तुम्हारी बहन को भी ना लाता ,,,,,,,अगर वह तुम्हारे साथ तेरे सौतेले,,,,बाप ,,,,,के इतनी दिल करीब ना होती तो ,,

मुझे सिर्फ और सिर्फ तुम्हारी आइयास डैड को मजा चखाना था ,,, मेरा तुम्हें तुम्हारी बहन के बीच में आने का कोई मकसद नहीं था,,,,,,,अगर तुम्हें इतनी प्रॉब्लम है,,,,,,,तो ठीक है मैं तुम्हारी बहन को ,,, सोपने को तैयार हूं ,,,,,,,

लेऊ उसके बदले ,,,,,मुझे मेरी बहन चाहिए,,,,,,वह भी सही सलामत ,,,,,क्योंकि मैं तुम्हें तुम्हारी बहन से ही सलामत दूंगा,,,,,,उसके बाद मुझे भी मेरी बहन भी,, मुझे सही सलामत चाहिए ,,,,,,,यह कहते हुए विराज की आंखें,,,,आब भी गुस्से से लाल थे,,,,

आज के लिए बस इतना ,,,,,तो देखते हैं ,,,,,,कि अब अनिरुद्ध आगे क्या करेगा क्या,,,

सॉरी मेरे ऑल रीडर्स मेरी तबीयत कुछ दिनों से ठीक नहीं थी इसलिए मैं नवल नहीं लिख पा रही थी

लेकिन आब से मैं इस नॉवेल को रोज कंटिन्यू करूंगी ,,,,तो प्लीज आप सभी इसे रीड कीजिए ,,,,और अपना प्यार यूं ही देते रहीये,,
आज के लिए बस इतना अगर आप सबको कहानी अच्छी लग रही हो तो प्लीज फॉलो  जरूर करें