Shubham - Kahi Deep Jale Kahi Dil - 18 in Hindi Moral Stories by Kaushik Dave books and stories PDF | शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल - पार्ट 18

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शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल - पार्ट 18

"शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल"( पार्ट -१८)

संतान जब बड़े हो जाते है तब माता पिता को अपना मित्र मानना चाहिए । कभी कभी संतान भी अच्छे सुझाव देते हैं।और अच्छी सोच का आदर करना चाहिए।
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शुभम अपनी बेटी प्रांजल के साथ फोन पर बातचीत करते हैं। प्रांजल बताती है कि उसकी एक सहेली के साथ वह घर पर आ रही है।

अब आगे...

डॉक्टर शुभम:- "ठीक है बेटा, तुम उसे हमारे घर ले आओ। लेकिन उसका नाम दिव्या कल्याणम है! मुझे थोड़ा सा अजीब लगा। क्या यह कल्याणम उसका उपनाम है? दिव्या अच्छा नाम है।"

प्रांजल:- "पिताजी, उसका नाम दिव्या कल्याणम है। उसने यह भी बताया कि उसको यह नाम कैसे और क्यूं मिला। लेकिन पिताजी, उसका स्वभाव बहुत अच्छा है। उसके परिवार को भी जानती हूं।"

डॉक्टर शुभम:-" क्या दिव्या कल्याणम दक्षिण भारतीय हैं? उनका निवास स्थान हमारे से अलग होगा! खानें पीने के तरीके भी अलग होते हैं।"

प्रांजल:- "नहीं पापा। नाम से जज मत करना।दिव्या दक्षिण भारतीय नहीं है। वह गुजराती है। उसके पिताजी गुजराती है।उसका निवास हमारे जैसा ही है, इसलिए उसे कोई आपत्ति नहीं होगी। उसका व्यक्तित्व बहुत अच्छा है। वह मेरे साथ घुल-मिल जाती है।"

डॉक्टर शुभम:- "जब मुझे यह नाम सुना तो मुझे लगा कि साउथ की होगी। वैसे ऐसे नाम साउथ में होते हैं,इसलिए यह सवाल मेरे मन में उठा। फिर इसके नाम के पीछे कल्याणम क्यों रखा गया है?"

प्रांजल:-"पिताजी, उनकी माँ दक्षिण भारतीय हैं। उनका नाम परमेश्वरी है। जबकि पिता गुजराती हैं। दिव्या के पिताजी उसकी माता को पहली बार कल्याण स्टेशन पर मिले थे और फिर एक-दूसरे के साथ बातचीत होती रही ।फिर एक दूसरे को पसंद करने लगे।वे कल्याण स्टेशन पर मिलते थे। फिर उन्होंने प्रेम विवाह किया। उनकी मां ने नाम दिव्या रखा था। जब उनकी आंटी ने उसे दिव्या कल्याणम नाम से संबोधन किया तो दिव्या को यह नाम बहुत पसंद आया।और दिव्या कल्याणम हो गया। दिव्या के जन्म के बाद दिव्या के पिताजी की तरक्की हो गई थी।"

डॉक्टर शुभम:- "ठीक है ठीक है.. मुझे नाम पसंद है। दिव्या कल्याणम। अगर बेटा,उसे साथ लाएगी तो मुझे भी उससे मिलकर खुशी होगी।"

प्रांजल:-" ज़रूर पापा। अब हमने बहुत बातें कर ली हैं। आपको रूपा आंटी से भी बात करनी होगी। मेरी बात ध्यान में रखना। रूपा आंटी के बारे में।"

डॉक्टर शुभम:- "ठीक है बेटा। लेकिन एक बात है।"

प्रांजल:- "पापा , पूछो।"

डॉक्टर शुभम:-"यह दिव्या कल्याणम आपकी दोस्त है। इसकी आंटी का नाम क्या है?"

इससे पहले कि डॉ. शुभम आगे पूछताछ करते, नेटवर्क न होने के कारण फोन कट गया।

डॉक्टर शुभम ने बेटी प्रांजल को दोबारा फोन करने की कोशिश की लेकिन उसका फोन व्यस्त था।

प्रांजल का मैसेज आया कि पापा आप अब आराम करें, हम कल बात करेंगे।

डॉक्टर शुभम को प्यास लगी तो उन्होंने पानी पी लिया।
कुछ मिनटों के बाद वह अपने बिस्तर पर आराम करने लगे।

जब कोई व्यक्ति घर पर अकेला होता है तो उसे पुरानी यादें याद आ जाती हैं।

डॉक्टर शुभम को याद आया कि रूपा का फोन आया था, बात अधूरी रह गयी थी।
मुझे उसे फोन करना चाहिए लेकिन शायद वह आराम कर रही है!  नहीं.. नहीं.. कल बात करते हैं.

डॉ.शुभम ने बिस्तर पर करवट बदल ली और अपने कॉलेज के दिनों की याद करने लगे।डॉ.शुभम याद करते-करते सो गये।

आधी रात में, शुभम आँखे खोलकर उठा।
ओह... पता नहीं क्या होता है, 
आज अकेलापन महसूस होता है।लगता है बेटी सच कह रही थी, अकेलापन आदमी को खा जाता है, लेकिन इस उम्र में शादी करना अजीब लगता है, अगर रूपा के पिता ने उस दिन शर्तें मान ली होतीं। फिर.. तो रूपा के पिताजी मुझसे कहते कि  पैसे लेकर  शादी करने को तैयार हो गया। लेकिन मैंने रूपा के पिताजी की शर्तें नहीं मानी थी।

क्या मुझसे कोई गलती हो गई थी?  मैंने युक्ति से शादी करके रूपा के साथ अन्याय किया है इसलिए शायद भगवान उसका दंड कर रहा है युक्ति से शादी करने का कोई विशेष कारण नहीं था।  जब कोई व्यक्ति भावनाओं के वशीभूत होकर अपने हित के बारे में नहीं सोचता तो क्या मुझे भी वैसा ही पछतावा हो रहा है ?

आख़िरकार डॉक्टर शुभम सोने की कोशिश करते हैं लेकिन नींद नहीं आती वह उठते हैं और अपनी अलमारी से एक डायरी निकालते हैं।

हम्म्म..यह डायरी एक युक्ति की है, इसे दोबारा पढ़कर रात बिताएंगे।  
‌सो नहीं सकता हूं ।मैं रूपा को तभी फोन करूंगा जब रूपा सुबह अस्पताल जा रही होगी।
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शुभम ने युक्ति की डायरी पढ़ना शुरू कर दिया।

मुझे अपने भाई की याद आई है। वे कहते हैं कि उसके खिलाफ भी एक मामला दर्ज हुआ था, लेकिन मैं जानती हूं कि वह निर्दोष था। गुनहगार मैं थी। पिताजी की हत्या मैंने की थी।वह अब तक मुझसे मिलने नहीं आया है। वैसे मेरा दिमाग ठीक है लेकिन कभी-कभी मुझे विचार वायु के कारण गुस्सा आ जाता है।  अगर मुझे सहानुभूति चाहिए तो यहीं रहना बेहतर है।  मैं जेल में नहीं रहना चाहती।
डॉक्टर अच्छा है, इसलिए वह मेरे काम में आयेंगे । अगर डॉक्टर आएगा तो मैं उससे कहूंगी कि मेरे भाई को एक चिट्ठी पहूंचा दे।
( आगे की कहानी जानने के लिए पढ़िए मेरी धारावाहिक कहानी)
- कौशिक दवे