Lawaris - 3 in Hindi Love Stories by puja books and stories PDF | लावारिस....!! (एक प्रेम कहानी) - 3

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लावारिस....!! (एक प्रेम कहानी) - 3




ये देख कर राहुल और उसकी मां के होश ही उड़ गए ।
राहुल ने घबराते हुए " कहा ये आप क्या कह रहे है डॉक्टर आप इसे कैसे भी बचा लीजिए ये मेरा भाई है मेरा सब कुछ है ।" शंकर की एक दोस्त की बहन के लिए ऐसी कुर्बानी देख कर राहुल की मां के आंसू भी नहीं रुके और वो भी शंकर और काव्या के बेड के बीच चेयर पे बैठ के दोनो बचो को ऐसे हालात में देख कर रोती रही । 

डॉक्टर ये कह के निकल गए की " शंकर के बारे में कल सुबह से पहले अब कुछ नहीं कहा जा सकता क्यू की इसका ब्लड ग्रुप पूरे शहर और आस पास कहीं नहीं है लेकिन ये जवान लड़का है ब्लड खुद रिकवर हो जाना चाहिए कल तक जिसके लिए हमने इसे ट्रीटमेंट भी दे दिया है और ग्लूकोज और ऑक्सीजन भी लगा दिया है अब कल सुबह तक इंतजार करने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है ।"

राहुल के पास अब कोई और रास्ता नहीं था महज दूसरी मुलाकात में वो राहुल के साथ घर आया था उसके परिवार से मिलने पहली बार जब वो आया था तब 2 दिन वो राहुल के साथ रुका था तब राहुल की बहन और मां को शंकर के बारे में बस इतना ही पता था की वो एक अनाथ है जिसने राहुल की कॉलेज में मदद की और दोस्त बन गया था । मां और बहन बोले तो कुछ नहीं लेकिन उसे शक से देख रहे थे की अच्छे घर के लड़के को कोई फसा भी सकता है और उस वक्त मेजर राजेश्वर शर्मा भी घर नहीं थे । 2 दिन बाद शंकर राहुल के साथ वापस लौट गया था जिसके अच्छे स्वभाव को उसकी मां और बहन ने कोई छल या चाल भी समझ लिया था मन ही मन । 


लेकिन आज दूसरी बार शंकर का ये रूप उसकी मां सुनीता को उसके पिछली बार की सोच पर पछतावा करवा रहा था और वो रोए जा रही थी। अनाथ इंसान कभी पैसे के भूखे नहीं होते बल्कि प्यार और परिवार के लिए तरसते रह जाते है शंकर उन्हीं बदनसीब इंसानों में से एक था ।

आज राहुल की मां के दिल में पछतावा था इस बात का की जब राहुल ने उन्हें बताया था की कैसे उसने अपनी जान दांव पर लगा दी थी राहुल को बचाने के लिए तब उन्होंने उसे उसकी चाल या कोई लालच समझा था लेकिन शंकर तो एक भोला इंसान निकला आज उसने दूसरी बार उनकी बेटी के लिए भी अपनी जान दांव पर लगा दी । पूरी रात आंसु दर्द और पछतावे में निकल गई और सुबह थोड़ी देर सुनीता जी की आंख लग गई थी लेकिन राहुल बिना पानी की एक बूंद पिए बिना पलके झपकाए अपने भाई और बहन के सामने बैठा मन ही मन भगवान से प्रार्थना करता रहा ।

सुबह 7 बजे राहुल के पापा सीधे हॉस्पिटल आए और उन्होंने वहां सब देखा लेकिन शंकर उनके लिए अनजान था । उस पर उनका ज्यादा ध्यान नहीं गया और डॉक्टर भी तुरंत उनके पीछे आ गए और उन्होंने काव्या को और शंकर को फिर से चेक कर मेजर राजेश्वर को कहा " काव्या अब ठीक है लेकिन आपका बड़ा बेटा शंकर बहत कमजोर है जैसा हमने सोचा था इसका ब्लड तो रिकवर हो रहा है लेकिन रिस्पॉन्ड बहोत्त धीरे है खतरा अभी टला नहीं है आज रात तक अगर ब्लड की मात्रा सही से इसके दिल तक न पहुंची तो इसकी जान जा सकती है, नहीं तो आप इसे बचाने के लिए ए. बी.नेगेटिव ब्लड का इंतजाम कीजिए जल्दी क्यू की ये ब्लड पूरे शहर में कहीं नहीं और जहां जहां हमने पता किया वहां भी कहीं कुछ हासिल नहीं हुआ है ।"

मेजर ये बात सुन कर कुछ समझ नहीं पाए तो राहुल ने अपने पापा को सब बात समझाई और तब मेजर शर्मा ने डॉक्टर से कहा " मेरा अपना ब्लड इसी ग्रुप का है आप मेरा खून ले लीजिए और इसे बचाइए जल्दी से।" 

बस फिर किस्मत ही समझो की शंकर की जान बच गई लेकिन डॉक्टर ने हिदायत दी के कुछ दिनों तक दोनो बचो को हॉस्पिटल में ही देख रेख में रहना होगा।

24 घंटे लगे शंकर और काव्या दोनो को होश में आते हुए और होश में आने के बाद शंकर ने ये ही पूछा काव्या कैसी है?

राहुल ने इशारा कर दिया " ये रही तेरे पास वाले बेड पे एक दम नॉर्मल बस 6 टांके आगए है मैडम को अक्सर जल्दबाजी में भागती है अब सोई रहे आराम से और इतना कहते हुए राहुल की आंखे भर आई और उसने शंकर का हाथ थामते हुए कहा की तूने भी ये क्या बेवकूफी कर दी थी तुजे पता भी है तेरी जान जा सकती थी अगर पापा का खून तेरे खून से मैच ना करता तो?? तेरा खून कहीं नहीं मिल रहा था, मेरी बहन को भी बचाने के लिए तूने आज फिर से अपने आप को दांव पे लगा दिया अब पड़ा रह कुछ दिन यहीं बेवकूफ इंसान। वैसे तुम दोनो के दोनो बेवकूफ हो राहुल गुस्से से बोला ।"

शंकर राहुल की बात को सुन के बोला "बहन सिर्फ तेरी है क्या?"

फिर मुस्कुराता हुआ लेटा रहा और काव्या की तरफ भी देखा वो भी होश में आ चुकी थी उसने भी शंकर को देख के मुस्कुरा दिया और उसकी आंखों में भी आंसू थे की उसने जिस शंकर के बारे में गलत सोचा वो क्या निकला आज अगर वो न होता तो काव्या इस दुनिया में न होती। 

काव्या शंकर से कुछ बोलना चाहती थी लेकिन उसने और राहुल ने उसे चुप करवा दिया और कहा "अभी बोल मत सोजा चुप चाप।"

वो बेचारी भी खुश होते हुए वापस लेट गई वैसे भी एक और भाई जो मिल गया था उसे।
इस हादसे के बाद पहली बार मिले मेजर राजेश्वर शर्मा ने शंकर को अपना बड़ा बेटा बना लिया। और अब शंकर राहुल के परिवार का हिस्सा बन चुका था साथ ही मेजर को जब पता चला की शंकर जिस अनाथ आश्रम में बड़ा हुआ वहीं रह कर वहा के सभी बचो के लिए खुद मेहनत करके पैसे कमाता है और बड़े भाई की तरह उन्हें पालता है तो मेजर के दिल में उसके लिए और इजत बड गई उसके बाद वो कितनी ही बार राहुल के साथ उसके घर रहा और कई बार बड़ा बेटा होने का फर्ज घर परिवार के हर काम में बिना कहे निभाता रहा।

और अब तो राहुल के घर के फंक्शन होली दिवाली और शादियां भी शंकर के बिना अधूरी रहती ऐसे ही राहुल के मामा के बेटे की शादी में राहुल जबरदस्ती शंकर को अपने परिवार के साथ ले गया था। 



(जारी ....)