सुबह का समय,
फातिमा हॉस्पिटल,
सिद्धांत और लक्ष्मी की नोंक झोंक देख कर यश को हँसी आ गई और वो अपना सिर नीचे करके हँसने लगा ।
ये देख कर सिद्धांत ने चिढ़ कर कहा, " तुम क्या दांत दिखा रहे हो ? "
उसकी आवाज सुन कर यश ने तुरंत अपनी हँसी को दबा लिया । वहीं सिद्धांत ने कुछ सोच कर कहा, " और कौन, हो कौन तुम ? "
तो भरत ने कहा, " बेटा, ये मेरा बेटा है, यशस्विन ! "
सिद्धांत ने उनकी बात सुन कर कहा, " ओह ! "
तभी लक्ष्मी ने कहा, " और इसने ही तुम्हारी जान बचाई है । "
सिद्धांत ने कहा, " ओह, आई सी ! "
फिर उसने यश की ओर देख कर कहा, " थैंक्स बडी, फॉर सेविंग माय लाइफ एंड सॉरी अभी जैसे बात की उसके लिए ! "
उसके शब्द सुन कर यश को झटका सा लगा क्योंकि सिद्धांत उसे पहचान नहीं रहा था लेकिन फिर भी उसने मुस्करा कर कहा, " मेंशन नॉट, बडी ! "
ये सब हो ही रहा था कि इतने में डॉक्टर वहां आ गए । उन्होंने भी आते ही कहा, " व्हाट्स गोइंग ऑन, सिड ! "
सिद्धांत ने उन्हें देख कर एक्साइटेड होते हुए कहा, " अंकल ! हम, हम आपके हॉस्पिटल में हैं !
डॉक्टर ने कहा, " जी हां ! "
( सिद्धांत बचपन से ही यहां रहा था और उसके पापा के रिलेशन सबके साथ बहुत अच्छे थें । पूरा शहर उन्हें जानता था इसलिए सिद्धांत लगभग सभी लोगों के साथ फैमीलियर था । )
सिद्धांत ने आराम से कहा, " फिर तो टेंशन वाली कोई बात ही नहीं है । "
डॉक्टर ने अपनी भौंहें उठा कर कहा, " क्यों ? "
सिद्धांत ने कहा, " ये तो हमारे लिए घर जैसा है । "
डॉक्टर ने एक तिरछी मुस्कान के साथ कहा, " अच्छा है, तुम्हें दो - चार दिन यहां रहना जो है । "
सिद्धांत ने शॉक के साथ कहा, " क्या ! "
डॉक्टर ने उसी मुस्कान के साथ कहा, " हां ! "
सिद्धांत ने उठते हुए कहा, " नहीं, हमें यहां से जाना है । "
डॉक्टर ने उसे फिर से लिटाते हुए कहा, " क्यों ? ये तो तुम्हारे लिए घर जैसा है न ! "
सिद्धांत ने कहा, " तभी तो कह रहे हैं कि हमें यहां से जाना है । "
डॉक्टर ने नासमझी से कहा, " मैं कुछ समझा नहीं । "
सिद्धांत ने अपनी मां की ओर इशारा करके कहा, " माता श्री से पूछ लीजिए कि हम घर पर कितना समय बिताते हैं । "
डॉक्टर ने अपनी भौंहें उठा कर कहा, " रियली ! "
इतने में लक्ष्मी ने कहा, " हां अंकल, ये समझ लीजिए कि ये घर पर सिर्फ सोने के लिए ही आता है । "
डॉक्टर ने सिद्धांत की ओर देख कर कहा, " तब तो भई, बहुत घुमक्कड़ हो तुम । "
सिद्धांत ने भी बड़ी सी मुस्कान के साथ कहा, " बिलकुल, जो मजा घुमक्कड़ी में है वो कहीं और कहां ! "
डॉक्टर ने उसे एग्जामिन करते हुए कहा, " हम्म, वो तो है । "
फिर उन्होंने सिद्धांत की ओर देख कर कहा, " वैसे तुम्हें कपड़ों में देख कर कोई कह नहीं सकता है कि तुम्हारे एट पैक एब्स हैं । "
ये सुनते ही सबका मुंह खुला का खुला रह गया ।
सिद्धांत ने उनकी ओर देख कर अपनी आँखें बड़ी करके कहा, " अंकल, आपने हमारी बेहोशी का फायदा उठाया ! "
डॉक्टर ने उसे और ज्यादा चिढ़ाते हुए कहा, " हां, और पेट वाले हिस्से के तो कहने ही क्या ! "
सिद्धांत ने अपने हाथों को क्रॉस करके अपने सीने पर रख कर कहा, " अंकल ! "
डॉक्टर ने जोर से हंस कर कहा, " अरे, मजाक कर रहा हूं । "
सिद्धांत ने चिढ़ कर कहा, " मजाक, ये मजाक था ! "
लक्ष्मी ने भी कहा, " सच में अंकल, ये कैसा मजाक था ! "
डॉक्टर ने हंसते हुए ही अपने हाथ ऊपर करके कहा, " आई एम सॉरी, आई एम सॉरी ! "
फिर उन्होंने सिद्धांत की ओर देख कर कहा, " बट तुम खुद ही सोचो, जो तुम्हारे बारे में जानता है वो ऐसा करेगा क्या कभी ! "
सिद्धांत ने बिना कुछ कहे अपना चेहरा चादर से ढक लिया तो डॉक्टर ने उसे हटाते हुए कहा, " चलो, चलो, अब रेडी हो जाओ । "
सिद्धांत ने चादर खींचते हुए कहा, " किसलिए रेडी होना है हमें ! "
डॉक्टर ने फिर से चादर हटाते हुए कहा, " तुम्हारे फैंस तुमसे मिलने जो आ रहे हैं । "
सिद्धांत ने नासमझी से कहा, " हमारे फैंस ! "
डॉक्टर ने कहा, " अरे, तुम्हारे ट्रेनीज जिनके क्रश हो तुम ! "
सिद्धांत के मुंह से निकला, " हां ! "
तो डॉक्टर ने कहा, " अब ये रिएक्शन देना बंद करो क्योंकि मैं उन्हें बुला रहा हूं । एक घंटे से कैसे भी कंट्रोल कर रखा है । अब और नहीं हो पाएगा मुझसे । "
इतना बोल कर डॉक्टर बाहर चले गए । उन्होंने सिद्धांत के जवाब का भी इंतजार नहीं किया ।
उनके जाने के बाद सिद्धांत ने अपनी मां को देख कर कहा, " माता श्री ! "
मिसेज माथुर ने मुंह बना कर कहा, " हां, हां, जा रहे हैं हम लोग । "
इतना बोल कर वो लक्ष्मी, शांतनु और बाकी सबको लेकर बाहर चली गईं ।
लगभग दो मिनट बाद दरवाजा खुला और बहुत सी लड़कियां भागते हुए अंदर आ गईं । उनके साथ कुछ लड़के भी थें और सबसे आगे था, राहुल ।
उसने आंखों ही आंखों में सिद्धांत को कुछ इशारा किया तो सिद्धांत ने भी अपनी पलकें झपका कर धीरे से हां में सिर हिला दिया ।
इतने में करिश्मा ने चिंता के साथ कहा, " सर्वांश, क्या हो गया तुम्हें ? किसने किया ये सब ? "
एक दूसरे लड़के ने भी गुस्से में अपने हाथों की मुट्ठियां कस कर कहा, " हां सर्वांश, हमें बताओ । उसका भर्ता बना देंगे हम । "
सिद्धांत ने उन सबको शांत कराते हुए कहा, " रिलैक्स गाइज, रिलैक्स ! हम ठीक हैं और तुम सबको कुछ भी करने की जरूरत नहीं है । पुलिस सब कुछ देख रही है । "
राहुल ने उसके पास बैठ कर कहा, " थैंक गॉड कि तुम ठीक हो । "
सिद्धांत ने उनसे सवाल करते हुए कहा, " वो सब तो ठीक है लेकिन आप सब लोग यहां क्या कर रहे हैं ? "
किसी लड़की ने पीछे से कहा, " तुम जिम में न आओ तो वहां ऐसा है ही क्या कि हम वहां जाएं ! "
सिद्धांत ने अपनी भौंहें उठा कर कहा, " हां ! "
तो उस लड़की ने बात बदलते हुए कहा, " मेरा मतलब है कि तुम ही हमारे ट्रेनर हो न, तो तुम्हारी चिंता तो होगी ही ना हमें । "
इतने में करिश्मा ने कहा, " वैसे किसे बचाने के चक्कर में अपनी हालत ऐसी कर ली तुमने ! "
इससे पहले कि सिद्धांत कुछ कहता, पीछे से निशा की आवाज आई, " मुझे ! "
आवाज को सुनते ही सबकी गर्दन दरवाजे की ओर घूम गई जहां निशा दरवाजे पर टेक लगा कर खड़ी थी ।
सिद्धांत ने जैसे ही उसे देखा, उसने हड़बड़ा कर कहा, " हे, क्लोज द डोर ! "
उसकी बात सुन कर बाकी सब भी बोलने लगे, " क्लोज द डोर ! क्लोज द डोर ! "
राहुल आगे बढ़ कर दरवाजा बंद कर ही रहा था कि तभी बाहर से किसी की भारी सी आवाज आई, " कौन है, जो हमारी बेटी को अंदर जाने से रोक रहा है ! "
और इसी के साथ मिस्टर ठाकुर अंदर आ गए । उन्हें देख कर राहुल ने कुछ बोलने की हिम्मत ही नहीं की । वहीं सिद्धांत को मिस्टर ठाकुर का चेहरा नहीं दिख रहा था क्योंकि राहुल ठीक उनके सामने खड़ा था ।
मिस्टर ठाकुर ने वहीं से कहा, " सर्वांश ! "
तो सिद्धांत ने कहा, " कौन ? "
मिस्टर ठाकुर ने एक हाथ से राहुल को साइड किया तो सिद्धांत को उनका चेहरा दिख गया ।
उसने हैरानी के साथ कहा, " सर, आप यहां ! "
मिस्टर ठाकुर ने आगे आते हुए कहा, " मैं... "
लेकिन उनकी बात पूरी होने से पहले ही सिद्धांत ने कहा, " यहां के MLA हैं । "
मिस्टर ठाकुर ने मुस्करा कर कहा, " ओह, सो यू नो मी ! "
सिद्धांत ने अपने बेड पर साइड होते हुए कहा, " यस, बट वाई आर यू हियर ? "
मिस्टर ठाकुर ने उसके पास बैठते हुए कहा, " भई तुमने हमारी बेटी की जान बचाई है, तो तुमसे मिल कर तुम्हें थैंक यू बोलना तो बनता है न ! "
सिद्धांत ने कहा, " इसकी कोई जरूरत नहीं थी सर ! फिर भी आप अपने शेड्यूल में से थोड़ा समय निकाल कर हमसे मिलने आए, उसके लिए थैंक यू । "
मिस्टर ठाकुर ने हंस कर कहा, " ओह, तो तुम डिसेंट भी हो । "
इससे पहले कि सिद्धांत कुछ कहता, निशा ने आगे आकर कहा, " हां पापा, ये बहुत डीसेंट है । "
सिद्धांत ने उसे अपने पास देख कर हाथ जोड़ते हुए कहा, " मैम, प्लीज ! आप हमारे आस - पास भी मत आइए । "
मिस्टर ठाकुर ने उसकी ओर देख कर नासमझी से कहा, " क्यों सर्वांश, क्या हो गया ? "
सिद्धांत ने शिकायती लहजे में कहा, " होना क्या है सर, जब भी इनसे मिलते हैं, कुछ न कुछ हो ही जाता है हमारे साथ । "
मिस्टर ठाकुर ने कन्फ्यूजन के साथ कहा, " मतलब ! "
सिद्धांत ने कहा, " कल हम इनसे दो बार मिले और दोनों ही बार हमें गुंडों से लड़ना पड़ गया और दूसरे बार के बाद हमारी क्या हालत है ये तो आप खुद भी देख सकते हैं ।
उसकी बातें सुन कर सभी लोग हंस दिए । मिस्टर ठाकुर ने हंसते हुए ही कहा, " तुम बहुत मजाकिया हो । "
निशा ने भी कहा, " वो तो है । "
कुछ देर बातें करने के बाद मिस्टर ठाकुर ने कहा, " हां, मेन बात तो मैं भूल ही गया । "
सिद्धांत ने सवाल करते हुए कहा, " क्या सर ? "
मिस्टर ठाकुर ने सिद्धांत से कुछ कहने के बजाय बाकी सबकी ओर देख कर कहा, " एवरीवन आउट ! "
जैसा उनका लहजा था उससे सबको बहुत बुरा लगा । सबने सिद्धांत की ओर देखा तो उसने अपनी पलकें झपका कर धीरे से हां में सिर हिला दिया इसलिए सभी लोग बिना कुछ कहे बाहर चले गए ।
तब सिद्धांत ने मिस्टर ठाकुर की ओर देख कर कहा, " तो बताइए सर, ऐसी क्या बात थी जो आपको सबको बाहर भेजना पड़ गया । "
मिस्टर ठाकुर ने कहा, " क्या तुम इस हालत में हो कि इंटरव्यू दे सकोगे ? "
सिद्धांत ने नासमझी से कहा, " इंटरव्यू ! "
मिस्टर ठाकुर ने अपना सीना चौड़ा करके कहा, " हां, तुम्हें वीरता पुरस्कार जो दिया जाना है । "
_______________________
सिद्धांत को वीरता पुरस्कार क्यों दिया जाना है ?
क्या सिद्धांत इस सम्मान को स्वीकार करेगा ?
इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए पढ़ते रहिए,
बियोंड वर्ड्स : अ लव बॉर्न इन साइलेंस
लाइक, कमेंट, शेयर और फॉलो करना न भूलें ।
लेखक : देव श्रीवास्तव