Beyond Words : A Love Born in Silence - 17 in Hindi Fiction Stories by Dev Srivastava Divyam books and stories PDF | बियोंड वर्ड्स : अ लव बॉर्न इन साइलेंस - भाग 17

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बियोंड वर्ड्स : अ लव बॉर्न इन साइलेंस - भाग 17


   रात का समय,

   MLA का घर,
   
   हॉस्पिटल से निकल कर पुलिस निशा के घर पहुंची तो मिस्टर ठाकुर ने अपने सोफे पर बैठे हुए कहा, " क्या हुआ ऑफिसर ? कुछ पता चला, कौन थे वो लोग ?

   अनिरुद्ध जो उनके सामने बैठा हुआ था, ने कहा, " उन गुंडों के बारे में अभी पता किया जा रहा है सर, लेकिन उस लड़के के बारे में जरूर पता चल गया है । "

   निशा ने तुरंत एक्साइटमेंट के साथ कहा, " सच में, कहां है वो ? "

   अनिरुद्ध ने उन दोनों को भी वही वीडियो दिखा कर कहा, " आप इसी की तलाश कर रहे हैं न ! "

   निशा ने तुरंत अपने पापा से कहा, " हां, हां, पापा ही इज द वन ! "

   मिस्टर ठाकुर ने उस वीडियो में सिद्धांत को प्वाइंट करके कहा, " ये ! " तो निशा ने कहा, " हां, पापा ! "

   मिस्टर ठाकुर ने तुरंत अनिरुद्ध की ओर देख कर कहा, " ऑफिसर, कहां है ये ? "

   अनिरुद्ध ने कहा, " टेंशन लेने वाली कोई बात नहीं है । वो हॉस्पिटल में है और आउट ऑफ डेंजर है । "

   निशा ने तुरंत कहा, " किस हॉस्पिटल में है वो ? "

   मिस्टर ठाकुर ने उसे शांत कराते हुए कहा, " शांत बेटी, शांत ! "

   फिर उसने अनिरुद्ध की ओर देख कर कहा, " ऑफिसर, कहां है वो ? "

   अनिरुद्ध ने कहा, " सर, हमारी मानिए तो अभी वहां मत जाइए । "

   इससे पहले कि मिस्टर ठाकुर कुछ कहते, निशा ने कहा, " क्यों ? "

   अनिरुद्ध ने कहा, " क्योंकि अभी उसका पूरा परिवार उसके लिए परेशान है और बुरा मत मानिएगा पर... "

   फिर उसने MLA को ओर देख कर हिचकते हुए कहा, " उसके इस हालत की जिम्मेदार कहीं न कहीं आपकी बेटी भी है । "

   मिस्टर ठाकुर ने बिल्कुल गुस्से में चीखते हुए कहा, " ये क्या बकवास कर रहे हो ऑफिसर ! "

   अनिरुद्ध ने बिल्कुल शांत आवाज में कहा, " सर, हमारी बात समझने की कोशिश कीजिए । वो इस वक्त हॉस्पिटल में है । उसके सिर में गहरी चोट आई है वो भी आपकी बेटी को बचाते हुए । "

   मिस्टर ठाकुर ने कहा, " इसीलिए तो हम उसके पास जाना चाहते हैं ताकि उसे थैंक यू बोल सकें । "

   अनिरुद्ध ने कहा, " सर, अभी उसका पूरा परिवार हॉस्पिटल में है और उनके मन में क्या चल रहा है ये उनके अलावा और कोई नहीं जानता है । ऐसे में अगर आप लोग ऐसे, अचानक से उनके सामने चले जाएंगे तो बात बिगड़ सकती है । "

   इससे पहले कि मिस्टर ठाकुर कुछ कहते, निशा ने कहा, " ठीक है पापा, हम आज वहां नहीं जाएंगे । "

   मिसेज ठाकुर ने एक गहरी सांस लेकर कहा, " ठीक है, ऑफिसर ! हम अभी वहां नहीं जाएंगे लेकिन कल सुबह हम वहां जरूर जाएंगे । "

   अनिरुद्ध ने एक गहरी सांस लेकर हां में सिर हिलाया और बाहर चला गया ।

      


   सुबह का समय,

   फातिमा हॉस्पिटल,

   सभी लोग सिद्धांत के वार्ड में मौजूद थे क्योंकि सिद्धांत को होश आ गया था और मिसेज माथुर उसे गुस्से में घूर रही थीं जिन्हें देख कर सिद्धांत ने चादर से अपना चेहरा ढक कर अपनी आंखें मींच लीं ।

   मिसेज माथुर ने थोड़ी तेज आवाज में कहा, " ये क्या करके आए हो तुम ? "

   सिद्धांत ने धीरे से चादर हटाया और बड़ी ही मासूमियत से कहा, " हमने क्या किया है ! " इस वक्त भी उसने मास्क पहना हुआ था । 

   मिसेज माथुर ने उसे ऊपर से नीचे तक घूरते हुए कहा, " ये हालत कैसे हुई तुम्हारी ? "

   सिद्धांत ने कहा, " वो, वो ! " 

   लेकिन आगे की बात उसके मुंह से निकली ही नहीं क्योंकि अपनी मां का गुस्सा वो अच्छे से जानता था । उसकी हरकतें देख कर इस सिचुएशन में भी सबको हँसी आ रही थी । 

   मिसेज माथुर ने कहा, " ये वो, वो, करना बंद करो । हमने कितनी बार कहा है तुम्हें कि किसी और के फटे में टांग मत अड़ाया करो, लेकिन नहीं, तुम्हें कुछ सुनना कहां है ! अब सिर फूट गया तो सुकून मिल रहा है न ! "

   सिद्धांत ने मुंह बना कर कहा, " क्या माता श्री ! एक तो वैसे ही हम हॉस्पिटल के बेड पर पड़े हुए हैं, ऊपर से आप भी डांट लगाए जा रही हैं ! "

   मिसेज माथुर ने तुरंत कहा, " एकदम सही हुआ है तुम्हारे साथ, बिल्कुल यही होना ही चाहिए । "

   सिद्धांत ने हैरानी से उन्हें देखते हुए कहा, " आप हमारी ही माता श्री हैं न ! "

   मिसेज माथुर ने अपनी कमर पर हाथ रख कर कहा, " क्यों ?  कोई शक है तुम्हें ! "

   सिद्धांत ने कहा, " नहीं, शक नहीं है लेकिन नॉर्मली आप हमें ऐसे डांटती नहीं हैं । "

   मिसेज माथुर ने कहा, " और ऐसे काम करके आओ, तुम्हें डाटेंगे नहीं तो क्या तुम्हारी आरती उतारेंगे । "

   सिद्धांत ने फिर से मुंह बना कर कहा, " अगर डांट का कोटा पूरा हो गया हो तो क्या हमें कुछ खाने को मिल सकता है !

   इससे पहले कि मिसेज माथुर कुछ कहती, लक्ष्मी ने कहा, " उठते उठते ही खाना चाहिए तुम्हें ! "

   सिद्धांत ने चिढ़ कर लक्ष्मी से कहा, " हमने डिनर भी नहीं किया था । पेट में चूहे कूद रहे हैं । ऐसे में इंसान खाना नहीं ढूंढेगा, तो क्या ढूंढेगा । "

   लक्ष्मी ने भी उसे सुनाते हुए कहा, " और जाकर हीरो बनो । "

   मिसेज माथुर ने उसकी ओर देख कर गंभीर आवाज में कहा, " भोलू ! "

   तो लक्ष्मी ने मुंह बना कर सिद्धांत के सामने एक ढकी हुई प्लेट रख कर कहा, " ये लो ! "

   सिद्धांत ने ऊपर वाले प्लेट को हटाया तो उसमें खिचड़ी थी । उसने मुंह बना कर कहा, " ये क्या है ! "

   लक्ष्मी ने आराम से कहा, " इसे खिचड़ी कहते हैं ! "

   सिद्धांत ने चिढ़ कर कहा, " वो हमें भी पता है । हमें ये बताइए कि हमें ये क्यों खिलाया जा रहा है ! "

   लक्ष्मी ने स्ट्रेट फेस के साथ कहा, " क्योंकि तुम पेशेंट हो । "

   सिद्धांत ने बेचारगी से कहा, " अरे तो तहरी खिला दीजिए । ये खिचड़ी जरूरी है क्या ! "

   मिसेज माथुर ने उसके हाथ से प्लेट लेकर उसके पास बैठते हुए कहा, " जो मिल रहा है चुपचाप खा लो वरना ये भी नहीं मिलेगा । "

   फिर उन्होंने सिद्धांत का मास्क थोड़ा सा हटा कर एक चम्मच खिचड़ी उसके सामने करके कहा, " चलो खाओ । "

   सिद्धांत ने एक नजर उस निवाले पर डाली और फिर मिसेज माथुर के चेहरे पर । वो उनकी आंखों में देख रहा था जिनमें उसे अपने लिए फिक्र साफ नजर आ रही थी ।

   उसने उन्हें देखते हुए ही बिना कुछ कहे, तुरंत अपना मुंह खोल दिया । ये देख कर सभी लोग हैरान थें । सिद्धांत ने अपनी माँ की ओर देखते हुए ही वो निवाला अपने मुँह में ले लिया ।

   इस वक्त उसकी आंखों में आंसू आ गए थे जिन्हें वो चाह कर भी रोक नहीं पा रहा था । 

   उसके आंसुओं को देख कर मिसेज माथुर ने कहा, " क्या हुआ सिड, हमारी बातें इतनी बुरी लग गईं ! "

   सिद्धांत ने कुछ कहने के बजाय मिसेज माथुर को गले लगा लिया । उसने अपना सिर उनके सीने में छिपा लिया । ये देख कर सभी लोग हैरान थे । 

   सिद्धांत इस वक्त रो रहा था और ये सबको साफ दिख रहा था । दरवाजे के पास खड़े यश और भरत भी सिद्धांत को इस तरह देख कर हैरान थे । मिसेज माथुर तो स्तब्ध सी हो गई थीं । 

   उन्होंने सिद्धांत के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, " सिड, क्या हुआ ? हमारी बातों का इतना बुरा कब से मानने लगे तुम ! "

   ये सुन कर सिद्धांत उनसे अलग हो गया । उसने अपने आंसू पोंछ कर कहा, " अरे नहीं माता श्री, ये आंसू आपकी वजह से नहीं हैं । "

   मिसेज माथुर ने उसके सिर पर हाथ फेर कर कहा, " फिर ! "

   सिद्धांत ने हल्के से कहा, " वो, पापा की याद आ गई । वो भी तो इसी तरह से डांट भी लगाते थें और प्यार भी करते थें न ! "

   ये सुन कर सभी की आंखों में आंसू आ गए जिन्हें सभी छिपाने की कोशिश करने लगे । 

   मिसेज माथुर ने मुस्करा कर कहा, " तो हम पापा से अलग हैं क्या ? "

   सिद्धांत ने अपना सिर ना में हिला कर कहा, " बिल्कुल नहीं, तभी तो आप भी उन्हीं के तरह ऊपर ऊपर से डांट रही हैं और आपकी आंखों में हमें फिक्र साफ दिख जा रही है । "

   उसने इतना ही कहा था कि इतने में भरत भी वहां आ गया जिसे देखते ही सिद्धांत ने फिर से अपने मास्क पूरा पहन लिया ।

   भरत ने आते ही सिद्धांत से कहा, " तो कैसे हो बरखुरदार ! "

   सिद्धांत ने कन्फ्यूजन के साथ कहा, " आई एम सॉरी, बट हमने आपको पहचाना नहीं ! "

   भरत ने हल्के से हंस कर कहा, " पहचानोगे कैसे, हम पहले कभी मिले जो नहीं हैं । "

   सिद्धांत ने अपनी मां की ओर देखा तो उन्होंने कहा, " ये भरत है । "

   सिद्धांत ने अपनी भौंहें सिकोड़ कर कहा, " भरत ! "
   
   मिसेज माथुर ने हां में सिर हिलाते हुए कहा, " हां ! ये तुम्हारे पापा के काम में हेल्प करते थे और हमारे लिए फैमिली के तरह थे । "

   ये सुन कर भरत ने हैरानी के साथ कहा, " थे ! "

   मिसेज माथुर ने तुरंत अपने शब्दों को सुधार कर कहा, " अरे नहीं, अभी भी हो लेकिन अब तुम्हारा भी अपना एक परिवार है । "

   सिद्धांत ने देखा कि सभी लोग इमोशनल हो गए हैं इसलिए उसने माहौल को हल्का करने के लिए कहा, " तो भरत अंकल, मामू बनने के लिए तैयार रहिए । "

   लक्ष्मी ने उसके सिर पर हल्के से एक चपत लगा कर कहा, " अच्छा, तो तुम उन्हें मामू बनाओगे ! "

   फिर उसने भरत की ओर देख कर कहा, " कुछ नहीं अंकल, इसकी तो आदत है ऐसे ही मजाक करने की । " फिर उसने सिद्धांत को घूरते हुए चुप रहने का इशारा किया ।

   फिर भी सिद्धांत ने अपना सिर सहलाते हुए कहा, " हां, हां अब सब लोग अपना हाथ साफ कर लीजिए हम पर । "

   ये सब देख कर यश को हँसी आ गई और वो अपना सिर नीचे करके हँसने लगा ।

   ये देख कर सिद्धांत ने चिढ़ कर कहा, " तुम क्या दांत दिखा रहे हो ? "

   उसकी आवाज सुन कर यश ने तुरंत अपनी हँसी को दबा लिया । वहीं सिद्धांत ने कुछ सोच कर कहा, " और कौन, हो कौन तुम ? "

   तो भरत ने कहा, " बेटा, ये मेरा बेटा है, यशस्विन ! "

   सिद्धांत ने उनकी बात सुन कर कहा, " ओह ! "

   तभी लक्ष्मी ने कहा, " और इसने ही तुम्हारी जान बचाई है । "

   सिद्धांत ने कहा, " ओह, आई सी ! "

   
   

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   क्या होगा जब निशा और मिस्टर ठाकुर हॉस्पिटल पहुंचेंगे ?

   आगे क्या होगा सिद्धांत की जिंदगी में ?

   इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए पढ़ते रहिए,

   बियोंड वर्ड्स : अ लव बॉर्न इन साइलेंस

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                                  लेखक : देव श्रीवास्तव