Beyond Words : A Love Born in Silence - 15 in Hindi Fiction Stories by Dev Srivastava Divyam books and stories PDF | बियोंड वर्ड्स : अ लव बॉर्न इन साइलेंस - भाग 15

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बियोंड वर्ड्स : अ लव बॉर्न इन साइलेंस - भाग 15

   रात का समय,

   फातिमा हॉस्पिटल,

   सिद्धांत के वार्ड के बाहर बैठा हुआ लड़का आंखें बंद किए हुए कुछ समय पहले हुई घटना के बारे में सोच रहा कि कैसे उसने सिद्धांत की चीख सुन कर कैब रुकवाया । 


   फ्लैशबैक,

   उस लड़के को लगा कि सिद्धांत उसकी बात पर भी कुछ कहेगा लेकिन सिद्धांत की तरफ से कोई जवाब न आता देख कर उसने अपनी गर्दन उसकी ओर घुमाई तो सिद्धांत फिर से बेहोश होने लगा था । 

   लड़के ने फौरन सिद्धांत की कंडीशन चेक की तब उसे समझ आया कि सिद्धांत के सिर पर भी चोट है । 

   उसने तुरंत कैब वाले की ओर देख कर कहा, " चलो, इसे उठाने में हमारी मदद करो । "

   उन दोनों ने मिल कर सिद्धांत को कैब में लिटाया और वो लड़का सिद्धांत का सिर अपनी गोद में लेकर बैठ गया । कैब वाले ने कैब आगे बढ़ा दी और वो लड़का सिद्धांत के बहते खून को रोकने की कोशिश करने लगा ।

   उसने अपना रुमाल निकाल कर सिद्धांत के सिर पर बांध दिया जिससे उसकी हल्के हल्के से खुलती और बंद होती हुई आँखें नजर आने लगीं । 

   जैसे ही उस लड़के की नजरें सिद्धांत की नजरों से मिली उसकी पलकें तो जैसे झपकना ही भूल गई थीं । 

   उस लड़के की नजरें उन पर से हटने का नाम ही नहीं ले रही थीं और इसी के साथ उसके मुंह से निकला, " सिड ! "

   इतने में कैब वाले ने कहा, " साहब, इसकी जेब वगैरह चेक करके इसके बारे में पता करिए । "

   उस लड़के ने भी सोचते हुए कहा, " हां, इसके घर वालों को भी इनफॉर्म करना जरूरी है । "

   इतना बोल कर उस लड़के ने सिद्धांत की पॉकेट्स चेक की तो उसे सिद्धांत के जिम का कार्ड मिला जिस पर उसका नाम सर्वांश लिखा हुआ था । ये देख कर उस लड़के की आंखें सिकुड़ गईं । 

   उसने अपने मन में खुद से ही कहा, " ये क्या, इसका नाम तो सिद्धांत है फिर इस पर सर्वांश क्यों लिखा हुआ है ! "

   इतने में सिद्धांत का फोन बज उठा । उस लड़के ने फोन निकाल कर देखा तो उस पर माता श्री लिखा हुआ दिख रहा था । 

   ये देख कर वो लड़का फिर से सोच में पड़ गया, " माता श्री ! अब तो ये कन्फर्म हो गया कि ये सिड ही है, कोई और नहीं । "

   उसने कॉल आंसर किया और मिसेज माथुर को सब कुछ बता दिया । उसने जैसे ही कॉल रखा, कैब वाले ने कहा, " साहब, ये जिंदा तो है न ! "

   कैब वाले की आवाज सुन कर वो लड़का होश में आया । उसने कैब वाले की ओर देख कर कहा, " हां, हां, जिंदा है ये, बस बेहोश है । "

   कैब वाले ने कहा, " अरे तो उसका मास्क हटा दीजिए न, ताकि उसे सांस लेने में तकलीफ न हो ! "

   उस लड़के को भी ये बात सही लगी । उसने मास्क हटाने के लिए अपना हाथ उठाया ही था कि तभी उसके दिमाग में कुछ खटका ।

   उसने तिरछी नजरों से कैब वाले को देख कर कहा, " ये तुम ही हो न ! "

   कैब वाले ने नासमझी से कहा, " मतलब ! "

   उस लड़के ने कहा, " अभी कुछ देर पहले तक तुम इसे वहीं मरता हुआ छोड़ने के लिए कह रहे थे और अब इतना कंसर्न दिखा रहे हो, ये बात कुछ समझ नहीं आई । "

   कैब वाले ने कहा, " वो क्या है न भैया, अगर हम इसे हाथ नहीं लगाते तो इतना फिक्र करने की कोई जरूरत नहीं थी लेकिन अब इसे लेकर तो हम ही जा रहे हैं, ऐसे में ये जिंदा रहे इस बात का ख्याल तो हमें ही रखना पड़ेगा न ! "

   ये सुन कर उस लड़के ने अपना सिर ना में हिला दिया और सिद्धांत के चेहरे पर से वो मास्क हटाने के लिए अपने हाथ बढ़ा दिया लेकिन जैसे ही उसने मास्क के किनारे को पकड़ कर हटाना शुरू किया, अचानक से सिद्धांत ने उसका हाथ पकड़ लिया ।

   ये सब इतने अचानक से हुआ कि वो लड़का एक पल के लिए तो डर ही गया लेकिन फिर वो नॉर्मल हो गया । उसने नासमझी से सिद्धांत की आंखों में देखा तो सिद्धांत ने उसे आंखों से ही मास्क न हटाने का इशारा कर दिया ।

   उस लड़के ने कहा, " पर इससे तुम्हें सांस लेने में प्रॉब्लम होगी । "

   सिद्धांत ने दृढ़ आवाज में कहा, " डोंट, जस्ट डोंट ! "

   तो उस लड़के ने एक गहरी सांस छोड़ कर कहा, " ठीक है, नहीं उतार रहे हैं तुम्हारा मास्क । ओ के ! "

   उसके इतना बोलते ही सिद्धांत ने अपनी पलकें एक बार झपकाई और फिर उसकी आंखें पूरी तरह से बंद हो गईं ।

   फ्लैशबैक दी एंड




   वो लड़का आंखें बंद किए हुए ये सब सोच ही रहा था कि तभी एक आदमी उसके पास आकर बैठ गया । उसके हाथों में दो कप चाय थी ।

   उस आदमी ने उस लड़के के कंधे पर हाथ रखा तो वो सीधा होकर बैठ गया । उस आदमी ने एक कप उस लड़के की ओर बढ़ाया तो उसने मना कर दिया ।

   उस आदमी ने कहा, " टेंशन मत लो बेटा, वो ठीक हो जाएगा । "

   लड़के ने आदमी की ओर देख कर भरी हुई आंखों के साथ कहा, " और अगर नहीं हुआ तो ! " 

   फिर उसने उस आदमी के सीने में अपना सिर छिपा कर कहा, " पापा, हम दुबारा उसे नहीं खो सकते हैं । "

   उस आदमी ने उसके सिर पर हाथ फेरते हुए पूरे कॉन्फिडेंस के साथ कहा, " ऐसे कैसे नहीं होगा, हमारे बेटे ने इतने साल उसके लिए इंतजार किया है और अब उसकी जान बचाने की कोशिश की है । भाई ! ठीक तो उसे होना ही होगा । "

   फिर उसने अपने बेटे को वापस अच्छे से बिठा कर चाय का कप उसके सामने करके कहा, " चलो, कुछ खाना नहीं है तो कम से कम चाय तो पी लो । "

   उस लड़के ने चाय ले ली और न चाहते हुए भी अपने पिता के लिए उसे पीने लगा । जैसे ही उसकी चाय खत्म हुई वैसे ही वहां पर मिसेज माथुर भी लक्ष्मी और शांतनु के साथ पहुंच गईं । 

   वो आते ही सिद्धांत के वार्ड में झांकने लगीं जहां उसका इलाज चल रहा था । उस लड़के का पिता मिसेज माथुर को देख कर हैरान हो गया ।

   उसने मिसेज माथुर के पास जाकर कहा, " अरे भाभी जी, आप यहां ! "

   उन्होंने इतना ही कहा था कि इतने में डॉक्टर बाहर आ गए । उन्हें देखते ही मिसेज माथुर डॉक्टर से पूछने लगीं, " भैया, सिड कैसा है ? "

   डॉक्टर ने कहा, " घबराने वाली कोई बात नहीं है, दीदी । चोट गहरी है, लेकिन फिलहाल वो खतरे से बाहर है । "

   मिसेज माथुर ने कहा, " क्या हम उससे मिल सकते हैं ? "

   डॉक्टर ने कहा, " अभी नहीं, अभी उसे आराम की जरूरत है, इसलिए मैंने उसे नींद का इंजेक्शन दिया है । कल सुबह आप सब उससे मिल सकते हैं । "

   शांतनु ने कहा, " थैंक यू, अंकल ! " तो डॉक्टर ने हां में सिर हिलाया और दूसरे वार्ड में चले गए ।

   उनके जाते ही उस आदमी ने एक नजर अंदर सो रहे सिद्धांत पर डाली और फिर मिसेज माथुर से कहा, " आप यहां सर्वांश के लिए आई हैं ! "

   मिसेज माथुर भी उस आवाज को सुन कर हैरान हो गईं लेकिन जब उन्होंने पलट कर उस आदमी को देखा तो कन्फ्यूज हो गईं जैसे कि उसे पहचानने की कोशिश कर रही हों ।

   ये देख कर उस आदमी ने मुस्करा कर कहा, " क्या हुआ भाभी जी, आपने हमें पहचाना नहीं क्या ? "

   मिसेज माथुर ने थोड़ा संकोच के साथ कहा, " नहीं, आपकी आवाज जानी पहचानी लग रही है लेकिन चेहरा याद नहीं आ रहा है । "

   उस आदमी ने हल्के से हंस कर कहा, " भाभी जी, हम भरत, बचपन में आपने और भैया ने ही तो हमें सहारा दिया था । "

   मिसेज माथुर ने याद करते हुए कहा, " अरे हां, भरत ! "

   भरत ने कहा, " जी भाभी जी । "

   मिसेज माथुर ने कहा, " सॉरी भरत, इतने सालों बाद तुम्हें देख रहे हैं इसलिए पहचान नहीं पाए । "

   भरत ने मुस्करा कर कहा, " कोई बात नहीं भाभी जी, हमें आप 22 साल बाद देख रही हैं । इतना कन्फ्यूज होना तो लाजमी है । "

   मिसेज माथुर ने कहा, " वो तो है, लेकिन तुम यहां क्या कर रहे हो मतलब कोई प्रॉब्लम है क्या ? "

   इससे पहले कि भरत कुछ कहता, उसके बेटे ने मिसेज माथुर से कहा, " आंटी, ये हमारे पापा हैं । "

   मिसेज माथुर उसे भी पहचान नहीं रही थीं, इसलिए उन्होंने नासमझी से कहा, " तुम ! "

   उस लड़के ने उनकी हालत समझते हुए कहा, " हमने ही आपसे फोन पर बात की थी । "

   मिसेज माथुर ने भरत की ओर देख कर कहा, " और ये ! "

   तो भरत ने तुरंत हां में सिर हिलाते हुए कहा, " हां, ये हमारा बेटा है।  "

   फिर उन्होंने अपने बेटे के कंधे पर हाथ रख कर कहा, " यशस्विन ! "

   मिसेज माथुर ने कहा, " यशस्विन ! " तो यशस्विन ने कहा, " आंटी, आप हमें यश कह कर भी बुला सकती हैं । "

   भरत ने उसके कंधे थपथपा कर कहा, " ठीक है बेटे, ये तुम्हें यश कह कर ही बुलाएंगी, लेकिन अभी के लिए तुम जाकर अपने कपड़े बदल लो । "

   मिसेज माथुर ने भी उसे देख कर कहा, " हां बेटा, ये कपड़े गंदे हो गए हैं । "

   फिर उन्होंने शांतनु की ओर मुड़ते हुए कहा, " रुको, हम कुछ कपड़े मंगा देते हैं । "

    इतने में भरत ने कहा, " अरे, नहीं भाभी जी, कपड़े हैं इसके पास ।  "

   उन दोनों की बातें सुन कर यश ने कहा, " आंटी, सॉरी टू से, लेकिन आप लोग एक दूसरे को कैसे जानते हैं ? "

   भरत ने कहा, " हां बेटा, जब हमारे पैरेंट्स की डेथ हुई थी तो ये और भैया ही थें जिन्होंने हमें सहारा दिया । हमारी पढ़ाई लिखाई, खाना पीना सब कुछ इन लोगों ने ही देखा था । "

   यश ने हैरानी के साथ कहा, " रियली ! "

   भरत ने कहा, " हां ! चलो पैर छुओ आंटी के । "

   यश ने मिसेज माथुर के पैर छूते हुए कहा, " हां ! "

   मिसेज माथुर ने उसे उठाते हुए कहा, " अरे नहीं बेटा, ठीक है । "

   तभी भरत ने कहा, " वैसे, भैया कहां हैं भाभी ? "

   ये सुन कर मिसेज माथुर की आंखों में नमी आ गई । उन्होंने अपनी आंखों में आते हुए आंसुओं को रोकते हुए कहा, " वो, अब इस दुनिया में नहीं रहे । "

   ये सुन कर भरत को तो जैसे विश्वास ही नहीं हुआ लेकिन जैसे ही उनकी नजर मिसेज माथुर के सूने मांग पर पड़ी, उन्हें इस बात पर यकीन करना ही पड़ा ।

   

   
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   बेहोशी की हालत में भी सिद्धांत ने उसका हाथ कैसे रोक दिया ?

   22 सालों से कहां था भरत ?

   इस सबके बाद भी यश सिद्धांत को कैसे पहचानता था ? 

   इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए पढ़ते रहिए,

   बियोंड वर्ड्स : अ लव बॉर्न इन साइलेंस

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                                     लेखक : देव श्रीवास्तव