Swayamvadhu - 21 in Hindi Fiction Stories by Sayant books and stories PDF | स्वयंवधू - 21

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स्वयंवधू - 21

मैं भी हमारे आगंतुक से मिलने गयी, ऊपर छत में।
"तो क्या हम बात कर सकते है?",
वहाँ भैय्या, आर्य खुराना, शिवम, दी और दिव्या भी वहाँ थे।
वो आदमी ने कहा, "वृषा बाबा को उनकी माँ ने उन्हें टुकड़े-टुकड़े कर मारने की कोशिश की थी।"
ये सुन सब हैरान थे, भैय्या और शिवम भी।
"? 'वृषा बाबा?' पर मैंने आपको यहाँ पहली बार देखे है।", भैय्या ने रूखे स्वर में पूछा,
"नहीं सरयू ये जीवन काका है जो बच्चपन में वृषा के अंगरक्षक हुआ करते थे, पर उस घटना के बाद से वे गायब हो गए और हमारी दोस्ती...", शिवम रूक गए,
"मैं भी यहाँ अपने बच्चपन से हूँ पर मुझे कुछ ऐसा याद क्यों नहीं? तुम कहते हो कि तुम मुझे जानते हो, हम साथ खेलते थे पर मैं तुमसे इसी बार, पहली बार मिल रहा हूँ! ऐसा कैसे हो सकता है?",
भैय्या और शिवम दोंनो अजीब और हताश थे।
"आखिर हुआ क्या था, सब अपनी कहानी बताओगे तो हम कोई निष्कर्ष पर पहुँचेंगे।", दी ने सुझाव दिया।
"सरयू पहले तुम बताओ।", दी ने भैय्या से कहा,
मुझे इन सबके बीच किसीका अहसास हुआ।
(अपने पीछे मत देखना बस सुहासिनी को धीरे से बोलो।) मेरे सिर में आवाज़ गूँजी।
मैंने यहाँ-वहाँ नज़रे घुमाई पर अगल-बगल कोई नहीं था।
(तुम महाशक्ति कैसे हो सकती हो पता नहीं! गंभीरता और चतुराई का अंश मात्र भी तुम्हें छूकर नहीं जाती।) मेरे ही दिमाग में, कोई मुझे ही सुना रहा था या मेरा भ्रम था?
"प्पी! ...चुप्पी!", दी ने मुझे हिलाकर बुलाया।
"हाँ?", झटके से।
"कहाँ खो गयी?",
"दी, भैय्या? क्या हमे सभी को कही भेज देना चाहिए?", मैंने सुझाव दिया,
"किन्हें?", दी ने पूछा,
"क्या?", भैय्या ने पूछा,
"मेरा मतलब है, जो भी हो ये मामला वृषा, भैय्या, शिवम जी और राज के लिए निजी है और हम ये नहीं भूल सकते, एक छोटी चीज़ इन्हें तबाह कर सकती है। और ये बात तो इतनी संवेदनशील है। और वृषा ने भी वादा किया है कि वो आज सारी बात साफ करेंगा तो...", मेरी आवाज़ धीरे होती गयी,
"ठीक है!", भैय्या ने सबको स्पा और हीलिंग सेशन के नाम पर उन्हें दूसरे राज्य भेज दिया। तो, अब भैय्या हॉल में अपनी कहानी बता रहे थे,

"मुझे यहाँ आमलिका दादी लाई थी जब हमारे परिवार की आखिरी सदस्य, मेरे मरते हुए पिता ने मुझे उनके हवाले छोड़ दिया था। उस वक्त मैं सिर्फ पाँच साल का था। मैं वृषा से पहले यही मिला था समीर सर और मान्या बिजलानी के साथ। मुझे ठीक से याद नहीं पर उसने खुले हाथ से मुझे स्वीकारा था और अपने साथ खिलाया था पर जैसे ही आमलिका दादी का स्वर्गवास हुआ, वृषा के लिए उसकी ज़िंदगी बत से बत्तर हो गयी और मुझे छह साल की उम्र में पढ़ाई के नाम पर इनके दो नंबर के काम पर लगा दिया गया पर ज़ंजीर सर का शुक्रिया उन्होंने मुझे बटलर की ट्रेनिंग दी और बारह साल की उम्र में उसके पास वापस आ सका, उसपर चौबीस घंटे नज़र रखने के लिए।",
"पर क्यों?", शिवम ने पूछा,
"कारण का पता नहीं पर उसकी हँसी गायब हो चुकी थो। उसके शरीर पर गहरे घाव रहते थे और वो हर वक्त दर्द में रहने के कारण बेड रेस्ट में रहता था। वो मान्या मैम से नज़रे नहीं मिला पाता था। समीर सर के आने के बाद उसकी हालत और खराब हो जाती थी। पहले वह डरा हुआ रहता था लेकिन धीरे-धीरे वह एक भावनाहीन व्यक्ति बन गया जो अब उसकी पहचान बन गई है। बस यही है मेरे हिस्से की कहानी।",
"शरीर पर निशान कैसे हो सकता है? मान्या आंटी उसे सर आँखो पर बिठाकर रखती थी।", शिवम ने कहा,
"उनक शरीर में कच्चे चोंटे अब भी है। मैंने उनसे पूछा पर उन्होंने मुझे नज़रअंदाज कर दिया।", मैंने कहा,
"कच्चे चोट? कैसे चोट?", शिवम और भैय्या ने पूछा,
"जैसे कोड़े से उन्हें घंटो तक पीटा गया हो, जब तक वो अपने पीछे गहरे निशान ना छोड़ जाए।", मैनें कहा।

शिवम ने कहना शुरू किया, "जब आमलिका दादी ने तुम्हें, वृषा से मिलवाया था, वहाँ हम भी थे। तुम डरे हुए बागीचा के पेड़ के पीछे छिप गए थे। राज तुम्हें अपने साथ खेलने के लिए तंग कर रहा था और तुम उससे डरकर दादी के पीछे छिप जाते थे।
हमे ये कहा गया था कि दादी के देहांत के बाद तुम्हारे किसी रिश्तेदार ने तुम्हें गोद ले लिया था पर तुम छह साल के बाद पूरे बदलकर आए थे। भले हम मिले नहीं थे पर खबरे उड़ते थी-",
तभी जीवन जी बीच में आए, "यहाँ मैं कुछ कहना चाहूँगा। शिवम की कहानी सही है सरयू। तुम चारो एक साथ भाईयों जैसे खेला करते थे। तुम वृषा बाबा पर नज़र रखने और उनके आत्मविश्वास को तोड़कर उनके कदमों में रखने के लिए प्रशिक्षित किया गया।",
"पर मुझे तो लोगो को- मतलब बटलर का-", भैय्या सोच में पड़ गए कि उनके साथ हुआ क्या था? और उन्हें किस चीज़ के लिए प्रशिक्षित किया गया था? उनके छह साल की यादे धुंध में समाई हुई थी।
जीवन जी ने उन्हें शांत कर कहा, "शांत हो जाओ बच्चे। इसमे तुम्हारी कोई गलती नहीं है। तुम ज़िंदा बचे हो, वो ही एक बड़ा चमत्कार है।
मान्या मैम उन्हें सांत्वना और सहानुभूति के लिए- शिवम बाबा आप ही बताइए कि एक सात साल के बच्चो के साथ क्या हुआ था?",

शिवम ने बताना शुरू किया,
"यह कुछ ऐसा था जिसे वृषा तो क्या मैं और राज कभी नहीं भूल सकते। जैसा कि जीवन जी ने कहा था, उसके बाद जो कुछ हुआ उसकी स्मृति हमारे मन में भी धुंधली है, लेकिन हमारे साथ जो हुआ, विशेष रूप से उस छोटे वृषा के साथ, जो उस समय सात साल का था सब मुझे ऐसे याद है जैसे ये कल की ही बात हो। लगता ही नहीं कि उस घटना को बीस साल हो गए है। इसी बगीचे के बाहर क्रिकेट खेल रहा था।", उसने बाहर दिखाकर कहा,
"यह अब की तुलना में पहले बहुत खुला था। इस घर में हम तीन लोग ही थे, हमारे बटलर और अंगरक्षक भी साथ थे। हमारी सुरक्षा के कारण हमारे लिए उनके साथ अकेले रहना सामान्य नहीं था। दादी माँ ने हमें कभी इसकी अनुमति नहीं दी, लेकिन उनके जाने के बाद ये आम हो गया था। और उसी का फायदा वृषा के अंगरक्षक ने उठाया। वह तीस साल का एक खुशमिजाज आदमी था, वह हमेशा हमारे साथ खेलता था। वह हमारे हर पल को यादगार बना देते थे और वह ही थे जो उस समय हमें क्रिकेट सिखा रहे थे। वृष क्रिकेट में बेकार है, नहीं, हर खेल में वह बेकार था। हाहा, यह आखिरी दिन था जब हमने बच्चों के रूप में खेला था।", उसने दर्द भरी आवाज़ से कहा,
"वह आखिरी बार था जब मैंने उसे मुस्कुराते हुए देखा था।", उसने भारी आवाज़ से कहा,
(पर वो तो तुझपर हँसते रहता है।)- मेरे मन में फिर से कुछ आवाज़ हुई।
 "शुरुआत में यह एक मज़ेदार दिन था। हमारे पास कोई होमवर्क नहीं था, इसलिए हम जितना चाहें उतना खेल सकते थे। कृष अंकल, हाँ मैं अभी भी उन्हें अंकल कहता हूँ, भले ही मैं कितना ना चाहूँ। उसने दोपहर से पहले ही हमारी बैटरी खत्म कर दी। जब हम अंदर गए तो उन्होंने हलवा जैसी कोई मीठी चीज बनाई। यहाँ तक कि उसने हमारे अंगरक्षकों को भी इसे खाने पर मजबूर किया था। खाना खाते समय उन्होंने अचानक हमारे कटोरे ज़मीन पर फेंक दिए। वे भारी साँस ले रहे थे और हम इसे बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे, हमारा कटोरा ज़मीन पर फेंक दिया गया। हम शिकायत करने ही वाले थे कि उससे पहले ही उन्होंने हमारा हाथ पकड़कर अपने आड़ में लिया और हमें किसी चीज़ से बचा रहे थे। तभी हमने एक ज़ोरदार धमाका सुना, यह बंदूक की आवाज़ थी, उसके बाद उनकी चीख और जगह-जगह खून के छींटे पड़ने की आवाज़ आई। इसी डाइनिंग टेबल के ठीक बगल में! वे मर चुके थे, गोली उनके दिल और दिमाग को चीरते हुए सामने दूर दीवार से जा टकराई।
हम जानते थे कि यह कोई खेल नहीं था, उस खुशमिजाज आदमी का चेहरा एक पागल आदमी में बदल गया। उसने हमें जबरन अपने साथ ले जाने कि कोशिश की, लेकिन हम सीढ़ियों तक पहुँचने में काफी तेज़ थे। उस समय वहाँ एक पुराना टेलीफोन था, जैसे ही हम वहाँ पहुँचे उसने उस फोन पर गोली चला दी। हा, हा! पता नहीं उस समय राज ने क्या सोचा, उसने टेलीफोन कॉर्ड निकाला और फोन को उसपर फेक मारा जिससे हमे ऊपर जाने का वक्त मिला।",
"पर तुमलोग बाहर भी तो भाग सकते थे?", दी ने पूछा,
"हम ऐसा करने ही वाले थे, तभी हमने खिड़की और दरवाजों के बाहर लोगों के एक समूह को छिपे हुए देखा। वे छाया के बारे में भूल गये। हमने खुद को वृषा के कमरे में बंद कर लिया, अब तुम्हारा कमरा है वृषाली। वहाँ से हमने देखा कि हम बिजलानी के आदमियों से घिरे हुए थे। और अब हम संदिग्ध रूप से थके हुए थे और हमें चक्कर भी आ रहे थे। यह सिर्फ मैं ही नहीं था, हम तीनों ही संदिग्ध रूप से थके हुए थे। हम डरे हुए थे लेकिन दादी ने हमें खुद को बंद करके किसी ऐसी जगह छिपने का प्रशिक्षण दिया था जिसे केवल परिवार के सदस्य ही जानते हों। हमने वैसा ही किया, हमने अपने आप को उसकी अलमारी में छिपा लिया जिसमें गुप्त कमरा था जहाँ एक वयस्क छिप सकता था और हवादार था। उस अंधेरे क्षेत्र में कदम रखते ही वृषा बेहोश हो गया और उसके बाद मैं भी बेहोश हो गई - मुझे बस इतना याद है कि होश में आने के बाद हमें वृषा से मिलने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। हमारे विरोध का कोई फायदा नहीं था। वृषा गायब था, घर से, स्कूल से, हमसे वो कही नहीं था। लोंगो का कहना था कि उसे किसीने उठा लिया था पर मान्या आंटी ने उम्मीद नहीं छोड़ी और उसे वापस ले आई।
फिर, कुछ महीनों के बाद हमें उसकी एक झलक मिली। मैंने उससे बात करने की कोशिश की लेकिन उसने ऐसे किया जैसे हम अजनबी हों। मैं बहुत दुखी था लेकिन उसने भी सोचा कि यह दूसरों की तरह हमारी वजह से हुआ। हालाँकि, यह आखिरी बार था जब मैंने उनसे बात की थी। सिर पिछले साल आर्य की वजह से हम मिल पाए। इस बार मैं उसका हाथ नहीं छोड़ सका। शायद अपराध बोध...शायद? ", कहते-कहते उनके आँखो में आँसू आ गए।

"इन सबमे तुम्हारी गलती कैसे? यह उसके आदमी थे जिन्होंने सात साल के बच्चों पर हमला किया था। यहाँ, तुम पीड़ित हो। उसने शायद तुम सबको बेहोश करने के लिए नींद की गोलियाँ खिलाई थीं। तुम भाग्यशाली थे कि तुम उस अज्ञात भयावहता से बच निकले जो तुम्हारा इंतजार कर रही थी।", दी ने शिवम को संभालते हुए कहा,
"शायद- पर सबसे बड़े होने के नाते मुझे थोड़ी और समझदारी दिखानी चाहिए थी।", वो अब भी खुद को कोस रहा थे।

जीवन जी जो वहाँ बैठे सारी बात सुन रहे थे, उन्होंने कहा, "एक आठ साल का बच्चा तीस, छः फुट के माफियाओं के सामने क्या कर सकता था, बताना? मैं उनमें से एक था। मुझे उस जगह के बारे में बताया गया था जहाँ आप सब छिपे हुए थे। जैसा कि आपकी भार्या ने कहा था, आपको नींद की गोलियां दी गई थीं और आपके अंगरक्षक को इसकी भनक लग गई थी, लेकिन वे नहीं जानते थे कि वह किस पागल आदमी उनका पाला पड़ा था।
जब मैंने गुप्त दरवाजा खोला तो आप बेहोश थे और आपने बेहोश वृषा बाबा को पकड़ रखा था। उस समय राज बाबा जागने के लिए संघर्ष कर रहे थे। मैंने उन्हें बेहोश कर वृषा बाबा को अपने साथ ले गया और आपको वहाँ सुरक्षित छोड़ दिया। मेरे हाथ कांप रहे थे लेकिन मुझे यह करना पड़ा।",
"पर क्यों? किसके इशारे पर?", शिवम ने पूछा,
उसने इसे टालने की कोशिश की लेकिन अंततः हमारे लगातार आग्रह के बाद उसने हार मान ली, 
"यह मान्या मैम की योजना थी। वह बस मिसेज बिजलानी के रूप में एक वैश्विक पहचन चाहती थी और जैसे ही उसकी योजना काम करती, वह उससे छुटकारा पाना चाहती थी। वह एक क्रूर हत्या चाहती थी और इसके लिए उसने एक पागल अपराधी को काम पर रखा था, कृष!"