Bairy Priya - 63 in Hindi Love Stories by Wishing books and stories PDF | बैरी पिया.... - 63

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बैरी पिया.... - 63


अब तक :


वाणी जी " पर विक्रम... " विक्रम ने उन्हें बीच में ही टोकते हुए कहा " सो जाइए दादी... । रात काफ़ी हो गई है..... " ।


बोलकर विक्रम वहां से बाहर निकल गया । वाणी जी वहीं खड़ी उसे जाते हुए देखती रही ।


वाणी जी खुद से बोली " कुछ सही नहीं लग रहा विक्रम... । तुम कुछ गलत मत होने देना... " ।


अब आगे :


विक्रम बाहर गार्डन में आकर बैठ गया । उसने अपनी कोहनी को घुटने पर टिकाया और चेहरे को हाथों में भरकर झुक कर बैठ गया ।


शिविका के साथ बिताए हुए पल उसकी आंखों के सामने घूमे जा रहे थे । विक्रम ने अपने बालों को अपनी मुट्ठी में कस लिया ।


संयम की गाड़ी आकर रूकी तो विक्रम ने गाड़ी की तरफ देखा । संयम गाड़ी से उतरा तो उसने विक्रम को बाहर बैठे हुए देखा ।


संयम अंदर चला गया । शिविका ने संयम को आते हुए देखा तो जल्दी से कमरे के अंदर चली गई ।

उसने अपने पेट पर हाथ रखा और बोली " आपके आने की खबर सबसे पहले आपके पापा को ही सुनाएंगे... " बोलते हुए शिविका खुश थी लेकिन थोड़ी नर्वस भी थी.. ।


उसने लाइट बंद कर दी । जैसे ही संयम अंदर आया तो शिविका ने उसे पीछे से hug कर दिया और बोली " i love you संयम... । i really love you... " ।

बोलकर शिविका उसकी पीठ पर सिर टिकाए हुए रही.. ।


संयम ने कोई रिस्पॉन्स नही दिया ।


शिविका " आपने कहा था ना कि वो प्यार ही क्या जिसका इजहार न हो.. । लेकिन उस वक्त मैं इजहार नही कर पाई थी क्योंकि ऐसा कोई एहसास नहीं था.... । लेकिन अब लगता है जैसे सिर्फ आपके लिए ही एहसास है.. । हर एक सांस में आपका नाम शामिल है... ।


इसलिए अब आपके सामने दिल से कहती हूं.. i love you so much... " ।


संयम तिरछा मुस्कुराया और बोला " क्या सच में प्यार करती हो.. ?? " ।


शिविका ने हान में सिर हिला दिया ।


संयम " क्या कर सकती हो मेरे लिए.. ?? " ।


शिविका " जो आप कहो... " ।


संयम मुस्कुराया और उसका हाथ पकड़े नीचे फ्लोर पर आ गया और उस कमरे में शिविका को ले गया जहां पर बड़ी बड़ी तस्वीरें लगी हुई थी ।


संयम ने अंदर से दरवाजा बंद किया और बोला " आज इतना अच्छा मौका है तो एक कहानी सुनो.. । सुनोगी... ?? " ।


शिविका ने हान में सिर हिला दिया ।


संयम ने शिविका को कुर्सी पर बैठाया और बोलने लगा ।


करीब 15 साल पहले की बात है.. । एक प्यारा सा परिवार था.. । करीब 5 लोगों का.. । 5 लोगों में एक शादीशुदा जोड़ा और उनके 3 बच्चे । सबमें बोहोत प्यार था । एक दूसरे पर जान देते थे । भले इतने कि जो भी मदद मांगने आए उसकी हमेशा मदद करते थे । काम भी अच्छा खासा चलता था । किसी चीज की कमी नहीं थी । न दौलत की न शौहरत की और न प्यार की... ।


फिर कहते हैं ना.. खुशियों को नजर जल्दी लगती है... । किसी का खुशहाल परिवार ज्यादा वक्त तक लोगों की बुरी नज़र से बचता नही है... । कुछ ऐसा ही उस फैमिली के साथ भी हुआ.... ।


परिवार का सबसे बड़ा मेंबर । उस औरत का सुहाग उजड़ गया और 3 बच्चों का बाप उन्हें हमेशा के लिए छोड़कर चला गया । उसके साथ क्या हुआ.. किसी को पता नही चला । अचानक से अकाल हुई मौत एक राज ही बनकर रह गई । कोई सपोर्ट कहीं से नही मिला । कोई छान बीन भी नहीं की गई ।


3 बच्चों में से सबसे बड़े बच्चे को विदेश भेज दिया गया था । आखिर में बचे दो छोटे बच्चे और उनकी मां ।


मुश्किल से गुजारा होने लगा । घर तक बिक गया वजह क्या थी पता नही.. । उन बच्चों को बस इतना बताया गया कि उनके पापा सब बेचकर गए थे । सब लोग वहां से निकल गए और अपने दूसरे घर को चले गए जहां बाकी का पूरा परिवार रहता था जिसमे दादा दादी और चाचा चाची सब रहते थे । हालत में कुछ खास सुधार नही था । सिर के उपर छत थी लेकिन गरीबी बोहोत आ गई थी ।


फिर एक दिन बच्चों के पापा के दोस्त की अचानक से एंट्री हुई । उसने अपने पैसों का सहारा दिया । धीरे धीरे बच्चों की मां के करीब आया । उन्हें एहसास दिलाया कि वो उनकी फिक्र करते हैं... । और वो अपनी आगे की जिंदगी उनके साथ बिताए ।


बेचारी अकेली औरत अकेले इतना बोझ नहीं उठा पा रही थी । सिर पर छत आने से दो बुजुर्ग लोगों की जिम्मेदारी भी सिर पर थी क्योंकि चाचा और चाची ने हाथ झाड़ लिए थे यह कहकर कि उनकी खुद की फैमिली काफी बड़ी है और बाकियों का बोझ वह नहीं उठा सकते । उन्हें कोई मतलब नहीं था ।


औरत उस आदमी के झांसे में आ गई । अपने प्यार के जाल में फंसा कर उसने उस औरत से उसके मरे हुए पति के रुके हुए काम को पूरा करने के लिए कई जगहों पर दस्तखत ले लिए । बेचारी पढ़ी लिखी ना होने की वजह से सब जगह साइन करती गई । पर वो पेपर्स कोई उस औरत के पति के कामों के पेपर्स नही थे । बल्कि प्रॉपर्टीज के पेपर्स थे । जिस प्रॉपर्टी से धोखे से निकाल दिया गया था असल में वो प्रॉपर्टी उनकी ही थी.. । झूठ बोलकर और फरेब करके उन्हें वहां से निकाला गया था । औरत को उसके पति ने अगली दावेदार केेेे रूप में प्रॉपर्टी में हिस्से में रखा था । तो उसे औरत के साइन हर मायने में मान्य थे ।


आदमी ने उन्हें एक बेहतर जिंदगी देने का हवाला दिया और उस औरत और उसके दोनो बच्चों को अपने साथ ले गया ।



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अपने साथ ले जाकर उसने... " बोलते हुए संयम की जुबान लड़खड़ा गई । और वो हांफने लगा ।


शिविका उठी और उसके पास गई तो संयम ने अपने कदम पीछे खींच लिए ।



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संयम उससे दूर जाते हुए आगे बोला " अपने साथ ले जाकर उसने उस औरत का रेप करना चाहा.. । खुद के साथ उसने और भी कई दरिंदों को बुलाया था.... ।


उस जगह जाकर पता चला कि उस औरत के पति को उस इंसान ने ही मरवाया था । औरत ने गुस्से से उस आदमी के मुंह पर तमाचा जड़ दिया । आदमी ने उसे दूर धकेला और सब एक साथ उसपर टूट पड़े.. । औरत को अपने बच्चों को बचाना था । उसने उनसे खुद को छोड़ देने की भीख मांगी लेकिन उनकी आंखों में कोई शर्म नही दिखी । आखिर में उनके जुल्मों से थककर उसने दम तोड दिया ।


दोनो बच्चे अपनी आंखों के सामने सब देखते रहे ।
आदमी उस 7 साल की छोटी बच्ची की ओर बढ़े तो उसके भाई ने बंदूक उठाकर अपनी बहन के सिर के बीचों बीच मार दी । लड़की वहीं मर गई और लड़का जान बचाकर वहां से भाग गया । " ।



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शिविका " लेकिन लड़के ने अपनी बहन को ही क्यों मार डाला... ?? " ।


संयम " कोई और रास्ता नही था.... उस लड़की को लेकर वो कहीं नहीं भाग सकता था.... । और अगर अकेला भाग जाता ओर वो लड़की जिंदा रहती.. तो न जाने उसका क्या हाल होता.... " ।


शिविका का दिल दहल गया । वो चुप चाप बैठ गई ।

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संयम आगे बोला " लड़का भाग गया और दिमाग में चल रही थी वो लड़की जिसने उसकी ओर बंदूक फेंकी थी । उस दिन से उसका शुक्रगुजार सा वो हो गया था ।


भागते भागते वो बोहोत दूर निकल गया । बोहोत दूर जाकर एक और लड़के से मिला जिसे रेलवे ट्रैक पर मरने के लिए फेंक दिया गया था । ट्रेन उस तक पहुंचने से थोड़ी ही दूर थी । लड़के ने वक्त नहीं लगाया और उस लड़के को मरने से बचाया ।


दोनो साथ हो गए । दोनो का ही कोई नही बचा था... । दोनो के परिवारों को ही जालिम दुनिया के दरिंदों ने खतम कर दिया था ।


लड़के के दादा तक जब ये बात पहुंची तो उन्होंने अपनी सारी प्रॉपर्टी उस जिंदा बचे बच्चे के नाम कर दी... । और उसके कुछ मिनटों बाद ही उन्होंने दम तोड दिया ।


एक हंसता खेलता परिवार खतम हो गया... । कुछ नही बचा... " । बोलते हुए संयम घुटने के बल जमीन पर बैठ गया । ।


शिविका उसके पास आकर बैठी और बोली " दुनिया बोहोत जालिम है संयम... । यहां किसी को किसी से कोई मतलब नहीं है... । लोग पैसों के पीछे कुछ भी कर जाते हैं... " ।


संयम ने उसकी कर देखा और बोला " सही कह रही हो.... । दुनिया में सब धोखा है.. । प्यार भी एक धोखा है.. । अगर कुछ सच है तो वो है धोखा , नफरत.. , दरिंदगी... ।


जानना चाहती हो वो लड़का कौन था.... ?? वो परिवार किसका था... ?? वो कौन था जो मरा और वो कौन था जो बच गया... ?? "। ।


शिविका ने संयम को देखा और सिर हिला दिया ।
संयम खड़ा हुआ और अपना कोट सही करते हुए तस्वीर को देखते हुए बोला " वो परिवार था खुराना परिवार... । वो इंसान जिसे मारा गया वो था जयवंत खुराना... । वो औरत जिसकी मजबूरी का फायदा उठाकर और जिसे प्यार का हवाला देकर धोखा दिया गया वो थी सविता सानियाल... । वो लड़की जिसे उसके भाई ने ही मार दिया वो लड़की थी रंजना सनियाल खुराना.. । वो लड़की जिसने रोवोलवर लड़के की ओर फेंकी थी वो थी मोनिका जायसवाल.... ।



वो लड़का जो रेलवे ट्रैक पर मिला था वो था दक्ष रावल.. । वो बूढ़ा इंसान जो अपने बचे परिवार के मरने की खबर सुनकर मर गया वो था रंजीत खुराना... । उनकी पत्नी जो उनके जाने के बाद सदमे में जाते जाते बची.. वो थी वाणी खुराना... ।
और वो लड़का जिसने अपनी मां को मरते देखा और अपनी बहन को खुद मार दिया वो लड़का था... " ।बोलते हुए संयम रुक गया । उसकी आंखों से आसूं की एक बूंद गिर पड़ी । उसने गहरी सांस ली ।।


शिविका " वो लड़का था संयम सनियाल खुराना.... " बोलते हुए शिविका की जुबान लड़खड़ा गई । उसकी आंखें अब तक आंसुओं से भीग चुकी थी । संयम इतना कुछ फेस कर चुका था ।


संयम ने अपनी आंखे साफ की और स्ट्रेट लुक चेहरे पर लाते हुए बोला " और यहां से सफर शुरू हुआ एक माफिया का... । जुर्म की दुनिया में SK... और व्यापार की दुनिया में संयम सानियाल खुराना.... ।



जिसे किसी से कोई फर्क नही पड़ता । जिसकी दुनिया में अपने इंसाफ होते हैं । जो धोखा देने वालों से सख्त नफरत करता है.. जो बदला लेने में विश्वास रखता है... ।


जिसकी दुनिया में जुर्म का स्वागत है.. । हर वो जुर्म जो किसी injustice का जस्टिस लेने के लिए किया जाए... । वो संयम की अदालत में मान्य है.... " ।


शिविका ने आंसू पोंछे और बोली " आपका दर्द समझ सकती हूं संयम.. । एक गम का मातम बहुत लोगोंों जिंदगीी में छा जाता है । लेकिन भगवान उसकेे बाद उन्हें खुशियोंोंोंोंों की वजह भी देता है । और आज एक खुशी का दिन है... मैं आपको बताना चाह रही थी कि... " । शिविका ने इतना कहा ही था कि संयम ने उसे रोकते हुए कहा " उम्हुम्म... कहानी अभी पूरी नही हुई है... शिविका चौधरी... उर्फ.... मिष्ठा अग्रवाल... " ।



ये सुनकर शिविका को समझ में नहीं आया कि आखिर संयम ये क्या कह रहा है... ?? ।


शिविका असमंजस में " ये क्या कह रहे हैं आप.. ?? आप मुझे मिष्ठा अग्रवाल क्यों कह रहे हैं... ?? " ।



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