Bairy Priya - 55 in Hindi Love Stories by Wishing books and stories PDF | बैरी पिया.... - 55

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बैरी पिया.... - 55


अब तक :


वाणी जी ने उसके सिर पर हाथ फेरा तो शिविका बोली " मैं संयम की जिंदगी में रंग वापिस लाऊंगी दादी... । मैं वादा करती हूं... " ।


शिविका ने कहा और फिर खड़ी होते हुए बोली " अच्छा अभी मैं चलती हूं.. बोहोत काम करने हैं... । शुरुवात कहां से करनी है वो मैने सोच लिया है..... । Good night दादी... " बोलकर शिविका जल्दी से कमरे से बाहर निकल गई ।


अब आगे :


शिविका कमरे में आई नोटबुक और pen ढूंढने लगी । ढूंढते हुए शिविका की नजर उस किताब पर गई जो संयम ने उसे पकड़ाई थी । शिविका ने जाकर किताब को उठाया । फिर संयम की कही बात उसे याद आ गई कि उसके पास इस किताब को खोलने का आखिरी मौका बचा है ।


शिविका ने पहला पेज खोला तो उसमे एक नंबर लॉक लगाया हुआ था । शिविका ने उसे बंद करके वापिस से रख दिया । और कोई और नोटबुक ढूंढने लगी । पर उस कमरे में उसे कुछ नही मिला ।


" मीरा से मांग लूंगी... उन लोगों के पास जरूर होंगी... । "। बोलते हुए शिविका बाहर बालकनी में चली आई । और संयम के लौटने का इंतजार करने लगी लेकिन संयम पूरी रात वापिस नही आया और शिविका को वहीं पर बैठे बैठे नींद आ गई ।


अगली सुबह :


शिविका उठी तो वो बेड के उपर सोई हुई थी । उसे अपने उपर भार महसूस हुआ तो उसने अपने बगल में देखा । संयम पेट के बल लेटा हुआ था । उसने चेहरा शिविका की गर्दन में छुपाया हुआ था और अपना हाथ उसने शिविका के पेट पर रखा हुआ था ।


शिविका के पेट में गुदगुदी होने लगी । उसने संयम के हाथ को अपने पेट से हटाया और उठकर जाने लगी तो संयम ने उसे वापिस से अपने उपर खींच लिया । शिविका उसके सीने के उपर जा गिरी ।


संयम ने आंखें खोली और शिविका को देखने लगा ।
संयम ने उसे पलटा और अपने नीचे ले लिया फिर उसके गाल पर हाथ रखा और उसके होंठों पर अपने होंठ टिका दिए । संयम उसे प्यार से suck करते हुए kiss करने लगा । शिविका ने आंखें बंद कर ली । संयम ने उसके दोनो हाथों को पकड़कर बेड से लगा दिया ।


कुछ वक्त बाद संयम ने उसके होंठों को छोड़ा तो शिविका गहरी सांसें लेने लगी ।


संयम " बाहर क्यों सो रही थी.... ?? " ।


शिविका " आपका इंतजार कर रही थी.... "।


संयम ने सुना तो गार्डन टेढ़ी की और शिविका की गर्दन में चेहरा छुपाकर उसकी गर्दन पर kiss करने लगा । शिविका को goosebumps आ गए ।


शिविका ने मुट्ठियां कस ली... ।


संयम ने गर्दन से उपर आकर उसके कान पर kiss कर दिया ।


शिविका " एक बात पूछूं.... " ।


संयम शिविका के गले पर kiss करते हुए " हम्मम... "।
शिविका " मोनिका से आपका क्या रिश्ता है... ?? " ।


संयम के होंठ उसके गले पर ही ठहर गए ।


शिविका की सांसें गहरी चल रही थी ।


संयम ने उसके चेहरे को देखा और बोला " वो मेरी दोस्त है... । जिससे पहले मेरी शादी होने वाली थी... " ।


शिविका " तो फिर आपने मुझसे शादी क्यों की.. । आपकी जिंदगी में पहले से एक लड़की थी तो आप क्यों माने.. ?? मुझे तो नही पता था लेकिन आपको तो पता था कि कोई है जो आपके इंतजार में है । तो फिर आपने क्या सोचकर शादी की ?? " ।


संयम " मुझे जो चाहिए वो उससे नही मिल सकता... । "


शिविका " और ऐसा क्या चाहिए आपको... ?? " ।


संयम " तुम... " । बोलकर संयम दूसरी तरफ शिविका की गर्दन पर चूमने लगा ।


शिविका " अब तो आपके दिल में उनके लिए कुछ नहीं है ना.... " ।


संयम " मेरे दिल में किसी के लिए कुछ नही है... " बोलकर संयम ने शिविका की कमर में हाथ डाल कर उसे कसकर अपनी बाहों में जकड़ लिया तो शिविका ने उसके बालों में हाथ डाल दिए ।


कुछ देर बाद शिविका नीचे रसोई में आकर प्लेटफार्म पर बैठी सीमा को काम करते हुए देखे जा रही थी । उसने हाथ में नोटबुक और पेन पकड़ा हुआ था ।


शिविका " सीमा जी... अगर कुछ समान मंगवाना हो तो यहां पर किससे मंगवा सकते हैं... ?? " ।


सीमा " आप जो जिससे भी कहेंगी... हर कोई आपका काम करेगा... । आपको किसी से पूछने की जरूरत नहीं है... " ।


शिविका ने सुना तो सिर हिला दिया । फिर रसोईघर से बाहर निकल आई । बाहर आकर उसने एक सर्वेंट को आवाज दी तो वो उसके पास आ गया । शिविका ने वो लिस्ट उसे थमा दी... ।


सर्वेंट ने लिस्ट को देखा और फिर वहां से चला गया ।
शिविका अब उसके वापिस आने का इंतजार करने लगी ।


दोपहर में जब सब लोग खाना खा रहे थे तो उसी वक्त मोनिका घर में आ गई । शिविका ने पहला निवाला मुंह में डाला ही था कि मोनिका ने चिल्लाते हुए संयम का नाम पुकारा ।


शिविका उसकी ओर देखने लगी । वाणी जी ने उसे देखा तो बोली " संयम घर में नही है मोनिका... । आओ खाना खा लो... " ।


मोनिका ने शिविका को घूरा और बोली " मुझे नही खाना दादी... । आप अपनी बहू को खिलाइए.... " ।


मोनिका को वहां देखकर सबके मुंह कड़वे हो चुके थे । मोनिका उपर संयम के कमरे की ओर चल दी ।
शिविका ने देखा तो उसे बिल्कुल अच्छा नही लगा ।



मनीषा ने मोनिका को देखा और फिर शिविका के चेहरे को जो उदास हो चूका था ।



सबने मोनिका को इग्नोर किया और अपना खाना खाने लगे ।


शिविका ने खाना खाया । और रसोई घर की ओर चली गई ।


शिविका ने रसोई में रखी हरी मिर्च उठाई और उसे बाइट कर लिया । मुंह जलने लगा तो मनीषा ने उसके आगे पानी बढ़ा दिया । शिविका ने ग्लास की ओर देखा और फिर मनीषा के चेहरे की ओर देखा ।


मनीषा " ये मिर्ची क्यों खा रही हो शिविका... ?? अगर इतना ही बुरा लगता है उसका तुम्हारे कमरे में ऐसे चले जाना तो उसे क्यों नहीं कहा ?? " । । ।


शिविका ने मनीषा की ओर देखा और बोली " चाची क्या कहूं मैं उससे.... । वो दोस्त है संयम की.... और दादी कहती हैं कि उनका रिश्ता भी लग रहा था । और वो संयम से शादी करना चाहती थी... । उनका भी तो दिल टूटा है । उनसे कैसे कुछ कह दूं.... । मुझे लगता है कि उनके साथ गलत हुआ है.... और उसी का गुस्सा उनके अंदर भरा पड़ा है.. " । । ।


मनीषा मुस्कुराई और शुगर cube उसे मुंह में डाल दी । और बोली " तुम दोनो की शादी होने से उसमें गुस्सा जरूर आया है... लेकिन दिल टूटा हो ऐसा कुछ मुझे नहीं दिखता.. । जितनी ज्यादा तीखी तुम्हारी जुबान अभी हो रही है उतनी तीखी उसकी हमेशा से रही है । शुरू से ही वो सबसे बदतमीजी करती आई है । संयम के सहारे वो सब पर rule करना चाहती है... । । ।


आज तक कोई उसके अगेंस्ट नही बोल पाया.... ।क्योंकि संयम उसकी कोई बात नही टालता... । यहां तक कि मम्मी भी उसके अगेंस्ट नहीं बोलती.. । क्योंकि वो जानती हैं कि संयम उसके चंगुल में फंसा हुआ है । और वो क्यों है ये किसी को नही पता । ।



पर अभी मुझे लग रहा है कि गंगा उल्टी बहने लगी है । संयम उसकी बातों को मना करने लगा है ।
उस तीखी छुरी को हम तो सीधा नही कर पाए लेकिन तुम कर सकती हो शिविका.. । देखो बाकियों का पता नहीं लेकिन मेरे लिए तुम उम्मीद बनकर आई हो । अगर उसकी शादी संयम से हो जाती तो हम लोगों को तो यहां से बाहर ही फिंकवा देती और संयम कुछ भी नही कहता । लेकिन अब उसकी शादी संयम से नही हो सकती.. तो उसका राज खतम... । । । ।


पर अभी भी वो गई तो नही है तो मैं चाहती हूं कि जिस बदतमीजी से वो बात करती है उसका जवाब उसको मिले । और ये तुम ही कर सकती हो शिविका... । " ।


शिविका एक टक मनीषा को देखे जा रही थी । वो कितने इंटरेस्ट से अपनी स्टोरी सुना रही थी । शिविका को उसके बोलने के तरीके में ही खो सी गई थी । लेकिन मनीषा की भावनाओं को वो अच्छे से समझ रही थी । । ।


मनीषा से शिविका के हाथ से मिर्ची ली और बोली " और इस मिर्ची को खाने में समय बर्बाद मत करो । मिर्ची बम बनो और उसके उपर जाकर फटो... । ऐसे किसी दिन का बोहोत बेसब्री से इंतजार था मुझे... ।



अब चाहे जैसे भी हो लेकिन संयम पति है तुम्हारा और वो तुम्हारे पति पर डोरे डाल रही है... । उसको अपने पति से दूर रखना तुम्हारा काम है.. । क्योंकि तुम्हारा पति एक भटकू भंवरा इंसान है जो उस करमजली के पीछे पीछे घूमता है... " ।



चाची ने संयम को भटकू भंवरा कहा तो शिविका हैरानी से उन्हें देखने लगी ।


शिविका " लेकिन चाची.. । संयम अपनी मर्जी के मालिक हैं.. तो उसके आगे पीछे क्यों घूमते हैं.. ?? उसकी बातें क्यों मानते है... ?? उनको कोई कंट्रोल तो नही कर सकता ना... "।


मनीषा " वो तो नही पता शिविका... । हो सके तो वो भी तुम पता कर लो.. । पर उसको मजा जरूर चखाना.. । मेरी मदद लगी तो मैं हमेशा तैयार मिलूंगी.. बस एक आवाज देना... " ।


" Ohk... " कहकर शिविका हंस दी ।


फिर रसोई से बाहर निकल गई ।


शिविका बाहर आई तो वही लड़का जिसे पिछले कल मोनिका ने मारा था उसे सामने दिख गया । वो जमीन पर बैठा हुआ था । उसके सामने थाली थी । सीमा उसकी थाली में खाना डाल रही थी । शिविका जाकर उसके पास बैठ गई ।


लड़का शिविका को घूरते हुए देखने लगा । शिविका मुस्कुरा दी । लड़के ने अपनी थाली उठाई और दूसरी ओर घूमकर बैठ गया । शिविका को समझ में नहीं आया कि उसको क्या हुआ.. ?? ।


शिविका " अरे आप घूम क्यों गए... । क्या आपको मेरा यहां बैठना अच्छा नहीं लगा.... ?? " ।


लड़के ने कोई जवाब नहीं दिया । और तिरछी नजरों से उसे देखने लगा । शिविका ने उसके हाथ की ओर देखा तो उसके हाथ पर भी उंगली और अंगूठे के बीच स्टार का निशान था ।


उसे देखकर शिविका ने अपना हाथ देखा ।
शिविका ने अपना हाथ उसकी ओर बढ़ाया और बोली " अरे वाह.. हम दोनो ने सेम टैटू करवाया है... " । लड़का उसके हाथ को देखने लगा ।


फिर वापिस से खाने लग गया । उसकी प्लेट में चपाती खतम हुई तो शिविका ने एक और रख दी ।
लड़के ने खाई और फिर वहां से जाने लगा ।


दरवाजे के पास पहुंचकर उसने पलटकर शिविका को देखा । शिविका भी उसे ही देख रही थी । ।


उसके जाने के बाद शिविका ने सीमा से पूछा " सबका इंट्रो करवाया लेकिन इनके बारे में किसी ने नहीं बताया.. । ये कौन हैं.. ?? " ।


सीमा " पता नही.. मैम.. । कई सालों से यहीं पर रह रहा है... । दिमागी तौर से पागल है... । संयम सर लाए थे इसको.. । तब से घर के कोनो में लावारिस सा पड़ा रहता है । कोई नही पूछता इसे.. । भूख लगती है तो मैं खाना खिला देती हूं.. वर्ना कोई खाने का भी ना पूछे... । " ।


शिविका को उसके लिए बुरा लगा ।


शिविका " पर संयम इसे क्यों लाए । अगर ये दिमागी तौर से बीमार थे तो इनका इलाज करवाना चाहिए । इन्हें इस तरह से घर में क्यों अकेला छोड़ा गया है । " ।


सीमा " पता नही मैम... । कई बार बेचारे को मारा पीटा भी जाता है... । दिमाग खराब है तो इसमें इसकी कोई गलती नहीं है लेकिन घर के गार्ड्स इसे कई बार बिना बात के भी मारते हैं... । मानो अपना गुस्सा निकाल रहे हों... " ।।


शिविका ने सुना तो उसकी आंखों में नमी आ गई । वो बाहर दरवाजे के पास आई और बाहर उस लड़के को देखने लगी । जो फूलों की झाड़ियों के पास अपने घुटने समेटे हुए जाकर बैठ गया था । उसके कपड़े भी बोहोत फटे पुराने से थे ।


वो दिमागी तौर से बीमार था और उसके साथ ऐसा सुलूक किया जाता था ये जानकर शिविका के दिल में उसके लिए हमदर्दी सी हो चुकी थी ।