अब तक :
प्रशांत बोले " क्या ये तुमने पहली बार बनाई है... ?? अगर ऐसा है तो मैं मान नही सकता.. । it's too good... " ।
तभी मनीषा बोली " absolutely... Too too good... और मीठा भी बिलकुल सही है... " ।
शिविका मुस्कुरा दी ।।
शिविका संयम की ओर देखने लगी ।
राज " actually bhabhi.. ये बोहोत सही बनी है... " ।
शिविका ने अपने लिए भाभी सुना तो एक पल को ब्लश सा करने लगी । फिर उसने थैंक यू कह दिया और वाणी जी की ओर देखने लगी ।
अब आगे :
वाणी जी अपनी जगह से उठी और वहां से चली गई । शिविका ने उन्हें बिना कुछ कहे जाते देखा तो उसका चेहरा उदासी से भर गया ।
मीरा और प्रियल ने एक दूसरे को देखा और फिर मीरा शिविका से बोली " भाभी आप भी खाइए ना... " ।
शिविका ने सेवइयों की ओर देखा । उसे भी बोहोत भूख लग रही थी ।
शिविका ने जमीन पर पड़ी सेवाइयों को देखा और बोली " hmm.. । खा लूंगी.... । पहले इसे साफ कर दूं... " । बोलकर वो नीचे गिरी सेवइयां उठाने लगी तो मोनिका बोली " अब तो दादी को भी सेवइयां पसंद नहीं आईं... । तो इस सारी बनी सेवइयों को फेंक ही देना चाहिए... । " ।
विक्रम ने मोनिका को घूरा और बोले " ये डिसाइड करने वाली तुम कोई नही होती हो मोनिका... । हमारी बहु ने पहली बार हमारी रसोई में कुछ बनाया है । जो कि बोहोत अच्छा बना है और अगर बुरा भी बनता तो भी हम लोग खाते... । तुम्हे नहीं पसंद तो मत खाओ... । " ।
मोनिका ने उसे घूरा और बोली " आपसे मैने कोई राय नहीं मांगी है.... । मैने अपनी राय बताई है... । Hey servent... जाओ मेरे लिए कुछ और बनाकर लाओ... " बोलते हुए मोनिका ने नेहा की तरफ देखा ।
नेहा अभी भी खा ही रही थी.. । मोनिका के बोलने पर वो जाने लगी तो शिविका ने उसे रोकते हुए कहा " रुकिए... । आप पहले खा लिजिए... । तब तक ये इंतजार कर लेंगी.. " कहते हुए शिविका ने उसे देखा ।
मोनिका उसे कुछ कहने लगी कि इतने में वाणी जी वापिस से हाथों में कुछ सामान लिए नीचे आ गई । सब उनकी ओर देखने लगे ।
वाणी जी ने अपने हाथ में पकड़े बक्से में से एक सोने की अंगूठी निकाली और बोली " ये पुश्तैनी अंगूठी है.. । अपनी पहली पोता बहु को देने का सोचा था । अभी बड़े पोते ने तो शादी की नही है लेकिन उससे छोटे ने शादी कर ली है तो पहली बहु तुम हो इसलिए तुम्हे पहली रसोई पर ये तोहफा दे रही हूं.... । "
बोलकर उन्होंने शिविका की उंगली में वो अंगूठी पहना दी । शिविका ने मुस्कुराकर उनके पैर छू लिए ।
मोनिका का तो मानो खून ही खौल गया । उसे पूरा विश्वास था कि इन सब चीजों पर उसका हक है लेकिन एकदम से उसके सपने चकना चूर हो गए थे । संयम चेयर से उठ गया । और अपने कमरे की ओर चल दिया ।
मोनिका ने शिविका को देखकर disgusting सा लुक दिया और फिर संयम के पीछे चल दी ।
शिविका वापिस से रसोई घर में चली गई और जल्दी से कटोरी में सेवाइयां निकाल कर खाने लगी । उसे अब बोहोत भूख लग रही थी ।
सीमा अंदर आई तो शिविका को जल्दी जल्दी खाता देखकर उससे बोली " आपको इतनी भूख लगी थी तो सबके साथ क्यों नही खाया... " ।
शिविका " वो.. मुझे भूख तो लगी थी लेकिन मम्मा कहती थी कि ससुराल में पहले ही दिन असली रंग नही दिखाते... । " बोलकर शिविका हंस दी.. ।। सीमा को भी हंसी आ गई ।
शिविका ने कुछ सोचा और फिर बोली " ये मोनिका जी जो है... । इनका संयम के साथ क्या रिश्ता है.. ?? और सब घर वालों से ऐसे बदतमीजी से क्यों बात करती हैं.. ?? कोई कुछ कहता भी नहीं है... " ।
सीमा " वो... ये संयम सर की दोस्त हैं.. जो पिछले कई सालों से हैं. और ज्यादातर यहां पर ही रहती हैं । संयम सर को घर में किसी से कोई मतलब नहीं है तो मोनिका भी किसी की कोई इज्जत नहीं करती । बस दादी की इज्जत करती है क्योंकि संयम सर दादी से बोहोत प्यार करते हैं... । " ।
शिविका ने सिर हिला दिया और फिर पूछा " क्या इनके बीच में सिर्फ दोस्ती है... ?? मतलब अभी तक जो मैने देखा और जो बातें सुनी.. उनसे तो लगता है कि बात कुछ और है... " ।
सीमा ने आस पास देखा कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा और फिर बोली " दोनो के रिश्ते की बातें भी चलती थी.. । मोनिका तो संयम सर के नाम पर सबके सिर पर तांडव करती है... । और हर कोई उससे डर भी जाता है क्योंकि संयम सर वाकई उसकी बातों को मानते हैं... और उसको परेशान करने वालों को सजा भी देते है.. । जो इंसान अपनी दादी के सिवाय और किसी की फिक्र नहीं करते पता नहीं वो उसकी बात क्यों मानते हैं.... " ।
शिविका " पर ऐसा क्यों... ?? क्या दोनो एक दूसरे को सच में प्यार करते हैं... ?? " ।
सीमा " अक्सर दोनो साथ दिखते हैं... । और अगर इतना करते हैं तो प्यार ही करते होंगे... । इससे ज्यादा हमे कुछ नही पता.. । ये तो वो चीजें हैं जो हम सब देखते हैं... इसके अलावा और क्या है कैसा है.. ये हमे नही पता । आपके लिए यह सब देखना और सुनना बहुत मुश्किल होगा । नई नई शादी हुई है और यह सब सुनना पड़ रहा है तो मैं समझ सकती हूं कि आप कैसा महसूस कर रही होंगी... । " ।
शिविका ने सिर हिला दिया ।
शिविका ने जल्दी से सेवइयां खत्म की और अपने कमरे की ओर चली गई । थर्ड फ्लोर पर कमरे के बाहर पहुंचकर शिविका ने देखा कि दरवाजा खुला था । शिविका जल्दी से अंदर चली गई ।
सामने उनके बेड पर मोनिका लेटी हुई थी और अपना फोन चला रही थी । वहीं संयम कमरे में नही था ।
शिविका को वाशरूम से पानी गिरने की आवाज आई तो वो समझ गई कि संयम अंदर है ।
शिविका ने गला साफ किया तो मोनिका मुड़कर उसकी ओर देखने लगी ।
मोनिका " तुम यहां क्या कर रही हो ??? " ।
शिविका " शायद आप भूल रही हैं.. ये मेरा कमरा है... । और ये सवाल तो मुझे आपसे पूछना चाहिए कि आप हमारे कमरे में हमारी बेड पर क्या कर रही है... ?? " ।
मोनिका ने सुना तो उल्टा जवाब सुनकर उसे बोहोत गुस्सा आया ।
मोनिका " क्या मतलब है तुम्हारा.. ?? " ।
शिविका " मतलब ये कि मेहमानों को इज्जत के साथ या तो लिविंग रूम में सोफे पर बैठना चाहिए या फिर गेस्ट रूम में आराम करना चाहिए । लोगों के कमरों में घुसकर उसके बेड पर नही पसरना चाहिए... " ।
मोनिका " तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझसे इस तरह से बात करने की.... ?? 2 मिनट में तुम्हें उठवा कर यहां से बाहर फेंकवा सकती हूं..... । अपनी औकात में रहो । "। ।
शिवाक्ष " औकात तो आप भूल चुकी हैं मोनिका जी और साथ ही साथ तमीज भी आप भूल ही चुकी हैं... " ।
मोनिका का खून अब शिविका की बातों से खौलने लगा था । वो बेड से उठी और गुस्से से शिविका की ओर बढ़ी कि तभी संयम वाशरूम से बाहर निकला और शिविका उसकी ओर बढ़ गई ।
मोनिका शिविका के पीछे संयम के पास आगे और पकड़ने की कोशिश करने लगी । शिविका संयम के पीछे जाकर खड़ी हो गई और बोली " हाथ मत लगाइएगा मोनिका जी..... । दादी ने सुबह ही आपसे साफ साफ कहा था कि अपनी बहू के साथ वो किसी तरह की बदतमीजी बर्दाश्त नहीं करेंगी.... " ।
मोनिका ने मुट्ठी कसी और बोली " मुझे मत बताओ कि किसने क्या बोला है और मुझे क्या याद रखना है... । समझी...... " ।
शिविका ने उसकी बातों को हवा में उड़ा दिया और संयम को देखते हुए बोली " दादी पूजा में बैठने के लिए बुला रही हैं... । चलिए.. " ।
संयम ने सिर हिला दिया ।
मोनिका संयम का हाथ पकड़ते हुए बोली " hmm चलो संयम साथ में चलते हैं.... " बोलकर उसने शिविका को देखा । ।
शिविका ने दोनो के हाथों की ओर देखा और फिर देखा कि संयम भी उसे दूर नही कर रहा है तो शिविका को बोहोत बुरा लगा ।
मोनिका उसका हाथ पकड़े कमरे से बाहर निकल गई ।
शिविका वहीं खड़ी कुछ सोचती रही और फिर वो भी उनके पीछे बाहर आ गई ।
संयम नीचे आकर पूजा में बैठ गया और मोनिका आकर उसके बगल में बैठ गई ।
शिविका वहां आई तो मोनिका को संयम के बगल में बैठे देखकर उसे बिल्कुल अच्छा नही लगा ।
शिविका ने वाणी जी की ओर देखा। वाणी जी मोनिका को ही देखे जा रही थी । पंडित जी पूजा शुरू करने लगे तो वाणी जी ने उन्हें हाथों के इशारे से रोका और बोली " ये पूजा हमारे पोते और पोतबहु के लिए है... तो इन दोनो को ही पूजा में बैठना है.. ।तुम्हारा यहां काम नही है मोनिका... " ।
मोनिका ने सुना और बोली " दादी.... लेकिन आपको आपके पोते की खुशी ज्यादा प्यारी होनी चाहिए ना... । और उसकी खुशी मेरे साथ है तो आपको उसकी ओर मेरी पूजा करवानी चाहिए ताकि बुरी नजरें हमसे दूर रह सकें... । " बोलते हुए मोनिका बेशर्मी से वहीं बैठी रही ।
प्रियल बोली " मोनिका... तुम्हे उठ जाना चाहिए... । दादी ने भाई और भाभी के लिए ये पूजा रखवाई है.... । तुम्हारा यहां काम नहीं है.. । और भाई की खुशी कहां है ये उन्होंने शादी करके बता दिया है... " ।
मोनिका सबको घूरने लगी और बोली " संयम को मेरे यहां बैठने से कोई प्रोब्लम नहीं है.. और उसने मुझसे कुछ नहीं कहा.. । तो मैं यहां से नही उठूंगी.. । मैं आपकी इज्जत करती हूं दादी.. लेकिन आपकी हर बात मानूं.. ये मुझसे नही होगा.... "।
वाणी जी ने संयम को देखा जो खामोश बैठा था । वाणी जी जानती थी कि वो कुछ बोलेगा भी नही... । अपनी मर्जी का तो वो हमेशा ही मालिक रहा है वहीं मोनिका की बढ़ती बदतमीजियों की वजह भी वही रहा है ।
शिविका ने देखा कि मोनिका नही उठ रही है तो वो जाकर संयम की गोद में बैठ गई । प्रशांत और मनीषा एक दूसरे को देखने लगे । मनीषा के चेहरे पर अलग ही खुशी थी ।
" अब मजा आयेगा ना... " बोलते हुए उसने प्रशांत का हाथ पकड़ लिया । प्रशांत भी हल्का मुस्कुरा दिए ।
वाणी जी संयम को देखने लगी ।
शिविका बोली " शुरू कीजिए पंडित जी... "।
मोनिका ने शिविका का हाथ पकड़ा और उसे उठाने लगी तो संयम ने उसके हाथ को रोक दिया ।
मोनिका संयम को देखने लगी । ।
संयम " दादी ने पूजा रखवाई है.. और जिसलिए रखवाई है वो होना चाहिए मोना.... " ।
संयम ने कहा तो वाणी जी को यकीन नही हुआ कि संयम ने मोनिका की मनमर्जी को टाल दिया । वहीं बाकी सब भी हैरानी से उसे देखने लगे ।
शिविका ने संयम के हाथ आगे किया और उसके उपर अपना हाथ रखकर आहुति को अपने हाथ में रख लिया फिर पंडित जी के बोलने पर धीरे धीरे आहुति डालने लगी ।
मोनिका संयम का हाथ पकड़े वहीं बैठी रही और गुस्से से शिविका को घूरती रही ।
पूजा खतम हुई तो शिविका संयम की गोद से उठ गई ।
दोपहर का खाना बन चुका था तो सब दोपहर का खाना खाने के लिए डाइनिंग टेबल के पास बैठ गए ।
वाणी जी ने शिविका को अपने साथ चलने को कहा तो शिविका उनके साथ चली गई ।
शिविका को अपने रूम में लाकर वाणी जी बोली " संयम किसी के लिए मोनिका के अगेंस्ट जाए... ऐसा हमने आज तक नहीं देखा । लेकिन आज ये हुआ... । और इसकी वजह शायद तुम थी... " ।
शिविका " लेकिन संयम ने कहा तो सही कि इसकी वजह आप हैं... " ।
वाणी जी " नहीं शिविका... आज से पहले ही कई बार मोनिका उसके सामने मेरे अगेंस्ट जाति रही है.. लेकिन संयम ने कभी ये खयाल नहीं किया कि मुझे बुरा लगेगा या मैने कोई काम शुरू किया है तो उसे पूरा किया जाए... । लेकिन आज मोनिका की बात को टालकर उसने पूजा तुम्हारे साथ की है.. जो कि एक बोहोत नई बात है... " ।
शिविका ने कुछ सोचा और फिर बोली " तो आपको क्या लगता है ऐसा क्यों है... ?? " ।
वाणी जी " हर किसी की जिंदगी में कोई एक इंसान ऐसा आता है जो उसे बदलने की ताकत रखता है... । और संयम की जिंदगी में शायद वो इंसान आ गया है... " ।
शिविका कुछ बोलने लगी थी कि इतने में उसे नीचे हॉल से जोरों की आवाज़ें सुनाई दी । शिविका और वाणी जी जल्दी से बाहर आ गई ।