Bairy Priya - 49 in Hindi Love Stories by Wishing books and stories PDF | बैरी पिया.... - 49

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बैरी पिया.... - 49


अब तक :



पहले से ही चोटिल लड़कों की दर्द भरी चींखें निकलने लगी । शिविका बेतहाशा उन लोगों को मारने लगी । एक एक पल में बसे दर्द का हिसाब आज उसे लेना था ।


वो हर एक दर्द भरी सांस जो उन लोगों ने उस दहशत भरे माहौल में ली थी उन सब का बदला आज इन लड़कों को दर्द भरी सांसों से लेना था ।


कमरे में खड़े गार्ड्स शिविका को उन लड़को को मारते हुए देखते रहे ।


संयम भी दरवाजे पर खड़ा शिविका का रूद्र रूप देखे जा रहा था । भले ही उस पर शिविका जैसा दर्द बीता ना हो लेकिन वो समझ सकता था कि शिविका को कैसा महसूस हो रहा होगा.... ।



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अब आगे :


शिविका के हाथों में जब तक छाले नही पड़ गए तब तक वो उन लोगों को कोड़े मारती रही । उसके हाथों से खून निकलने लगा । संयम ने देखा तो शिविका के पास आकर उसके हाथ से हंटर लिया और नीचे फेंक दिया ।


फिर उसे लिए वहां से बाहर निकल गया ।


संयम शिविका को कमरे में लाया और फर्स्ट एड निकालकर उसके हाथों पर लगा दी । फिर हाथों पर बैंडेज कर दी । शिविका की आंखें अभी भी नम थी और लाल पड़ चुकी थी ।


शिविका ने उसे देखा तो संयम के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे ।


संयम ने फर्स्ट एड बॉक्स साइड रखा और फिर शिविका के पास आकर बैठ गया । शिविका को उसका care करना अच्छा लग रहा था ।



सभी अपनों की जाने के बाद और इस दुनिया में अकेली रह जाने के बाद शिविका को कोई अपना नहीं मिला था । और ना ही किसी से प्यार और केयर की उसे कोई उम्मीद थी । लेकिन संयम का इतनी केयर करना और इतना साथ देना उसे एक अपनेपन का एहसास दे रहा था ।


शिविका " उन लोगों को वहां से उठवा लिया , मेरी इतनी केयर कर रहे हैं , जितने मांगे उतने पैसे दे देते हैं... । पर आखिर क्यों.... ?? । इससे आपका क्या फायदा... " । । । । ।


संयम ने शिविका के गाल पर हाथ रखा और उसे अपनी गोद में बैठाते हुए बोला " सब कुछ मतलब के लिए नही किया जाता... कुछ चीजें अपने मन की शांति के लिए भी की जाती हैं । और शादी की है तुमसे तो तुम्हारा दर्द मेरा दर्द... " बोलते हुए संयम उसके गले पर उंगली चलाने लगा । । । ।


शिविका की सांसें तेज़ हो गई । संयम ने उसकी गर्दन पकड़कर उसके चेहरे को अपने करीब किया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए । शिविका ने आंखें बंद कर ली । । । ।


संयम उसे पैशनेटली kiss करने लगा । शिविका को तो लग रहा था कि संयम उसे kiss करते करते खा ही जायेगा... । । ।


कुछ देर बाद जब संयम ने उसे छोड़ा तो शिविका गहरी सांसें लेने लगी । संयम ने उसके सिर पर हाथ फेरा और कमरे से बाहर निकल गया ।



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शाम का वक्त :


एक बड़े से कमरे में संयम बड़ी सी कुर्सी पर बैठा हुआ था । और उसके सामने वो सब लड़के लाइन में खड़े थे । संयम ने आंखें बंद करके पीछे सोफे से सिर लगाया हुआ था ।


पास ही में खड़ा दक्ष संयम को देखे जा रहा था ।


संयम " हम लोग कल मुंबई निकल रहे हैं दक्ष... । इन लोगों को एक कमरे में बंद कर दो जहां कोई हवा न जाए.. । और उसी कमरे में मर जाने दो... " बोलकर संयम उठा और बाहर निकल गया ।


पारस ने सुना तो उसकी जान हलख में आ गई । वो जान चुका था कि अब उनका बच्चा बोहोत मुश्किल है । वहीं बाकी लड़के भी आती हुई मौत को देखकर बोहोत घबरा गए थे ।



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अगली सुबह :


शिविका सोकर उठी तो वो संयम के बेड पर थी । पिछली रात संयम कमरे में नही आया था । शिविका उसका इंतजार कर रही थी और उसी इंतजार में उसे नींद आ गई थी ।


शिविका ने देखा तो अभी भी संयम वहां नहीं था । शिविका बेड से उठी और वाशरूम की ओर चल दी । फिर नहा भी ली । Bathrobe पहन कर वो बाहर आई तो उसी वक्त स्टडी रूम का दरवाजा खुला और संयम वहां से बाहर निकला ।


उसके हाथ में वो लोहे से प्रोटेक्टेड बुक थी । शिविका को याद आया कि ये वही किताब थी जिसके इर्द गिर्द करंट दौड़ता रहता था ।


संयम शिविका के पास आया और बोला " get ready शिविका... आज हम लोग मुंबई के लिए निकल रहे हैं... । यहां का काम पूरा हुआ... " ।


शिविका " तो आपके घर मुंबई में हैं... " ।


संयम " hmm... । ये सिर्फ एक जेल है शिविका... या यूं कहें कि मुर्दा घाट है... । इसे घर कौन कहता है.. " ।


शिविका ने सिर हिला दिया । वाकई में ये घर मुर्दघाट ही तो था ।


शिविका " पर आपने इतने सारी dead bodies को यहां पर क्यों रखा है ?? " ।


संयम " बाहर फेंकुंगा.. तो पुलिस ढूंढ लेगी ना.... हालांकि पकड़ नहीं पाएगी लेकिन Why take risk... " ।


शिविका ने सुना तो सोचने लग गई । संयम ने अपने हाथ में पकड़ी किताब शिविका के हाथों में थमा दी ।
शिविका हैरानी से संयम को देखने लगी । जिस किताब को उसने इतना संभाल कर protection में रखा था वही किताब वो शिविका को थमा रहा था ।
संयम " संभालो इसे । यह किताब मेरे लिए बहुत खास है और बहुत जरूरी भी है " ।


शिविका " ये किताब.. आप मुझे क्यों दे रहे हैं ?? " ।


संयम ने उसे अपनी ओर खींचा । दोनो एक दूसरे से सट गए । संयम उसकी आंखों में देखते हुए बोला " because... You are my wife... And i trust you... । तो अपनी कीमती चीजें तुम्हे देने में मुझे कोई ऐतराज नहीं है.. । मुझे पता है कि तुम इसे बोहोत अच्छे से संभालोगी... ।



इस किताब के लॉक को खोलने का आखिरी मौका बचा है मेरे पास.. तो ध्यान रखना कि वो मौका चूक ना पाए.. । कहीं कोई गलती से भी लॉक खोलने की कोशिश ना करे.. " बोलकर संयम ने उसकी गर्दन पर kiss करना शुरू कर दिया । शिविका ने गर्दन स्ट्रेच कर दी । संयम का करीब आना अब उसे सुकून सा देने लगा था ।


संयम ने kiss करते हुए बाथरोब की डोर खोल दी और बाथरोब को दांतों से उसके कंधे से सिरका दिया ।


शिविका ने उसकी शर्ट को कसकर पकड़ लिया । शिविका की सांसें तेज़ हो गई थी । संयम ने उसका तेजी से चलती सांसों को महसूस किया और फिर उसकी कॉलर बोन पर kiss करके उससे दूर हट गया ।


शिविका ने आंखें खोल दी और संयम को देखने लगी । । । ।


" कपड़े आते ही होंगे.... । तैयार हो जाओ.. " बोलकर संयम बाहर निकल गया । । । ।


शिविका ने एक झलक जाते हुए संयम को देखा और फिर अपने हाथ में पकड़ी किताब को । । ।


शिविका खुद से बोली " जिस किताब को इतना संभाला.. उस किताब को मुझे थमा दिया । क्या संयम मुझपर इतना भरोसा करते हैं... " । बोलते हुए शिविका के दिल में एक अलग सा ही एहसास पनप उठा था । । ।


संयम का खुद पर भरोसा देखकर और उसकी मदद वाले नेचर ने शिविका को संयम के लिए कुछ अलग सोचने पर मजबूर कर दिया था । ।। ।


शिविका ने किताब को सीने से लगा लिया । वो एक भरोसा था जो शिविका को संभालना था । वहीं संयम ने शिविका के लिए जो किया था उसके आगे इस किताब को संभालना उसके लिए बोहोत जरूरी था... । । । ।

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दोपहर का वक्त :


शिविका ने संयम के भेजे हुए कपड़े पहन लिए थे । ये एक coffee कलर की ऑफ शोल्डर ड्रेस थी जिसमे शिविका बोहोत प्रीटी लग रही थी । । ।।


शिविका तैयार हुई तो नीचे उतर आई । संयम भी उसे नीचे ही मिल गया । उसने ग्रे कलर का बिजनेस सूट पहना हुआ था ।


शिविका ने उसे कुछ पल निहारा । संयम ने भी कुछ उपर से नीचे तक देखा और फिर उसे लिए वहां से बाहर निकल गया । । ।


गाड़ी में बैठकर शिविका विला को देखने लगी । ये जगह उसके लिए कभी डरावनी थी लेकिन अभी यहां से एक लगाव सा होने लगा था और यहां से जाने पर थोड़ा बुरा भी लग रहा था ।


संयम बैठा तो ड्राइवर ने गाड़ी चला दी । शिविका पीछे छूटते विला को देखती रही जब तक वो आंखों से ओझल नहीं हो गया । । ।


फिर शिविका सीधी होकर बैठ गई और संयम को देखते हुए बोली " अन लड़कों का क्या.... ?? " ।।


संयम " कुछ दिनो मे भूख और प्यास से मैं जायेंगे.. । उनके पास guns भी छोड़ी हुई हैं.. । हो सकता है खुद को ही गोली मार कर मर जाएं.. । " संयम ने बोहोत कैजुअली जवाब दिया ।


शिविका को अपनों को इंसाफ दिलाना था लेकिन वो इस तरह का कभी नही सोच सकती थी.. । ये इंसाफ संयम का था... जो उसने चुना था । । । । ।


शिविका ने आंखें बंद कर ली.. । कुछ ही देर में गाड़ी हेलीपैड पर रुकी और शिविका और संयम उसमे बैठकर मुंबई के लिए निकल गए । । । । । । ।



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