अब तक :
संयम उसकी ओर घुमा और उसे गले लगाते हुए बोला " मेरा इस दुनिया में कोई नही है शिविका... i am all alone in this world... " ।
शिविका ने उसके सीने में सिर छुपाते हुए कहा " मेरा भी इस दुनिया में कोई नहीं है संयम... । मैं भी अकेली हूं... " बोलते हुए शिविका फूटकर रो पड़ी ।
संयम उसके बाल सहलाने लगा और फिर बोला " छानबीन करने का शौक था ना... तो कर ली छानबीन.... !! हो गई तसल्ली या फिर से उन लाशों के ढेर में जाना चाहती हो.... " ।
शिविका ने जल्दी से ना में सिर हिला दिया ।
संयम ने उसका हाथ पकड़ा और फिर उसे साथ लेकर बाहर निकल गया ।
संयम ने उसे पैसेंजर सीट पर बैठाया और खुद ड्राइविंग सीट पर आकर बैठ गया । फिर गाड़ी विला से बाहर चला दी ।
अब आगे :
संयम ने विला से बोहोत दूर आगे जाकर रेत के टीलों के बीच गाड़ी रोक दी और गाड़ी से बाहर निकल गया ।
शिविका भी उसके पीछे गाड़ी से बाहर निकल गई । संयम ने डिक्की से एक बॉक्स निकाला और रेत के टीले की ओर चल दिया । शिविका ने उसे जाते देखा तो उसके पीछे चल दी ।
संयम रेत पर जाकर बैठ गया । शिविका उसके बगल में आकर बैठी । दिन भर की तप्ति गर्मी के बाद ठंडी रात की ठंडी हवाएं जैसे सुकून दे रही थी । रेत भी हल्की ठंडी पड़ चुकी थी ।
संयम ने बॉक्स में से एक बॉटल निकाली और शिविका की ओर बढ़ाते हुए बोला " तुमने कहा था ना कि beverage कुछ काम नहीं करती.. । लेकिन ये करती है... अब पीकर देखो... " ।
शिविका ने संयम को देखा और फिर बॉटल उसके हाथ से ले ली । शिविका ने कुछ देर बॉटल को घूरा और फिर होंठों से लगा ली । संयम उसे देखता रहा । शिविका ने बॉटल को होंठों से अलग किया तो संयम ने उसके हाथ से बॉटल लेकर अपने मुंह से लगा ली ।
कुछ घूंटें लेने के बाद संयम ने बॉटल मुंह से अलग की तो शिविका ने फिर से ले ली और पीने लगी । कुछ ही देर में एक बॉटल उन्होंने खतम कर दी ।
शिविका हाथ से अपना चेहरा पोंछते हुए बोली " और है... ?? " ।
संयम ने एक और बॉटल बॉक्स से निकाली और cap खोलकर उसकी ओर बढ़ा दी । शिविका ने कुछ घूंटे ली और फिर अपना अतीत याद करके रो दी.. । उसकी आंखों से आंसुओं की धारा बेतहाशा बहने लगी ।
संयम ने उसके कंधे पर हाथ रखा तो शिविका उसके सीने से लिपट गई । संयम ने बॉटल शिविका के हाथ से ली और बोला " अब बताओ क्या भूलना चाहती हो... ?? " ।
शिविका सिसकते हुए बोली " भूलना नहीं चाहती.... बस इंसाफ चाहती हूं... " ।
संयम " कैसा इंसाफ... ?? " ।
शिविका ने गहरी सांस ली और संयम को बताते हुए पिछली यादों में चली गई ।
फ्लैश बैक :
हिमाचल प्रदेश ( शिमला ) :
रात का पहर :
11 बजे :
" भैया एक पानी की बॉटल देना " बोलते हुए पाखी अपने पर्स से पैसे निकालने लगी ।
दुकानदार ने एक पानी की बॉटल काउंटर पर रखी । पाखी ने उसे पैसे पकड़ाए और बॉटल लेकर पानी पीने लगी ।
तभी उसका फोन बजता है ।
पाखी " हेलो " ।
सामने से आवाज आई " कहां है बेटा अब तक क्यों नहीं पहुंची "।
पाखी " मम्मा आ ही रही हूं । बस छूट गई थी और उसके बाद कोई भी बस नहीं आई, अभी पैदल आ रही हूं "।
सामने से घबराई हुई आवाज आई " पाखी मेरा जी बोहोत घबरा रहा है । तू जल्दी से आजा बेटा ।"
पाखी " don't worry मम्मा मैं जल्दी पहुंचने की कोशिश करती हूं । Ohk by " ।
पाखी ने फोन रखा । वहीं पाखी की मां ने भी अनमने मन से फोन कॉल कट करके फोन को कसकर अपने हाथों में पकड़ा । और सोफे पर बैठ गई ।
पाखी की मां " सुनिए जी मेरा जी बोहोत घबरा रहा है । आप प्लीज उसे लेने के लिए जाइए ना । वो जहां कहीं भी पहुंची हो बस आप उसे अपने साथ ले आइए " ।
पाखी के पापा " देखो सुषमा । तुम शांत हो जाओ । अभी उससे बात हुई है ना वो रास्ते में ही है "
सुषमा जी " नहीं नहीं आप लोग जाइए बस मुझे कुछ नहीं सुनना है " ।
तभी 15 साल का यश , इनका सबसे छोटा बेटा आते हुए कहता है " मां मैं और पापा जाकर ले आते है। दी को आप फिक्र मत करो " ।
पीछे से शिविका ने आते हुए कहा " पता नहीं ये कछुआ कही की इतना आराम से क्यों आती है ??? जल्दी चलना तो मानो इस आता ही ना हो । ( घड़ी को देखते हुए ) 12 बजने को आए हैं । और इस वक्त पापा और यश कहां उसे ढूंढने जायेंगे ??? सबको परेशान करके रखा है इस मंदबुद्धि ने " ।
सुषमा जी " चुप कर तू । एक तो पता नही मेरी बच्ची कैसे कैसे आ रही होगी और उपर से तूझसे ये सब बुलवा लो बातें करवा लो बस । काम धंधा कुछ है नहीं चपड़ चपड़ चाहे दुनिया भर की करवा लो बस । बड़ी बहन अभी तक घर नहीं पहुंची है और ये है कि उसे भला बुरा कहे जा रही है बस" ।
शिविका को समझ में नहीं आता कि उसकी मां इतनी सी बात पर इतना क्यों भड़क रही है । शिविका सोफे पर पालथी मारकर बैठते हुए " मां अभी तो आप ऐसा कह रही हैं पर जब वो घर आएगी तो आप ही उसे सबसे ज्यादा भला बुरा कहके सुनाएंगी । लेकिन इन सब में भी जैसे ही आपको मौका मिलेगा तो आप मुझे भी कुछ न कुछ सुनाने में पीछे नहीं हटेंगी जैसा आप हमेशा करती हैं " ।
सुषमा जी ने उसे घूरा तो शिविका चुप हो गई । और छोटा सा मुंह बनाकर अपने पापा को देखने लगी ।
( ये है शिविका चौधरी , विवेक चौधरी और सुषमा चौधरी की दूसरी बेटी । उम्र 19 साल । गोरा रंग , तीखे नैन नक्श बड़ी बड़ी पलकें और गहरे काले रंग की आंखें । Height 5 फूट 2 इंच । सांचे में ढाला शरीर और कमर तक लहराते हुए घने काले लंबे बाल । पतले पतले होंठ और आगे के दो दांतों में बीच में हल्का सा gap । फिलहाल शिविका कॉलेज में 2nd year medical science की स्टूडेंट है । )
उसके पापा ने उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा " कभी तो रह लिया कर बिना कुछ सुने । हमेशा बस किसी न किसी बात पर अपनी मां से सुनती ही रहती है पगली " ।
शिविका ने अपने पापा का हाथ पकड़ते हुए कहा " आप लोग जा रहे हैं तो क्या मैं भी चलूं ??? " ।
पापा " नहीं तू कहां चलेगी तू यहीं अपनी मां के पास रह । मैं और यश उसे लेकर आते हैं " ।
शिविका " पर पापा गाड़ी तो खराब है और दूसरी गाड़ी पड़ोसी ले गए हैं आप लोग कैसे जाओगे ??? "।
विवेक जी जूते पहनते हुए " बेटा हमारे पास तेरी दी की तरह कछुवे के पांव नहीं हैं हम लोग जल्दी चलना भी जानते हैं "।
शिविका मुस्कुरा देती है । दरवाजे पर खड़ी सुषमा जी बाहर झांकते हुए कहती है " जल्दी जाइए ना इतनी देर क्यों लगा रहे हैं आप ??? " ।
" अरे आ रहा हूं भाग्यवान । बस जूते लगा लूं "। कहते हुए वो अपना फोन अपनी जेब में डालकर घर से निकल जाते हैं ।
पाखी दुकानदार से " यहां से कोई बस अभी जायेगी क्या ?? " ।
दुकानदार " नहीं अभी तो कोई बस नहीं जाने वाली "।
पाखी ने आगे देखा तो खाली सड़क पर घना अंधेरा छाया हुआ था । वो एक गहरी सांस लेते हुए खुद से बोली " चल पाखी अब यहां से पैदल जाने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है " ।कहते हुए वो सड़क पर चल दी । थोड़ा आगे ही आई थी कि तभी फोन बजा ।
पाखी ने फोन उठाया और बोली " हेलो "।
पाखी के पापा " बेटा कहां पर पहुंची मैं और यश आ रहे हैं तुझे लेने " ।
पाखी " पापा आप लोग क्यों इतनी फिक्र कर रहे है वैसे मैं ज्यादा दूर नहीं हूं बस 5 km की दूरी है घर से " ।
पापा " 5 km कम होते हैं क्या तू जल्दी जल्दी आ हम भी तेरी ओर ही आ रहे हैं "।
" ठीक है " कहकर पाखी फोन रखा ।
तभी पीछे से एक जीप आई जिसमे से खूब शोर करने की आवाज़ें आ रही थी । पाखी अपने बैग को कसकर पकड़ लिया । और सीधा चलने लगी ।
जैसे ही जीप उसके पास आई तो झटके के साथ रुक गई । पाखी जीप के अचानक से रुकने से डर गई । पर वो रुकी नहीं और आगे चलती रही ।
जीप में 6 लड़के बैठे हुए थे । जो लड़का ड्राइव कर रहा था वो गाड़ी को पाखी के साथ साथ चलाने लगा । पाखी के कदम लड़खड़ाने से लग गए । पर उसने उनकी ओर नही देखा ।
एक लड़का सीटी मारते हुए बोला " oye hoye छम्मक छलो । अरे इधर भी देख लो.... "।
तभी दूसरा लड़का गाना गाने लगा " सुहाना सफर और ये मौसम हसीं हमें डर है हम खो न जाएं कहीं । अरे मैडम कहो तो हम कहीं छोड़ दें । अकेले अकेले चलकर थक जाओगी " ।
पाखी कुछ नहीं कहा और जल्दी जल्दी आगे चलने लगी ।
तभी एक लड़का फिर से बोला " अरे मैडम जवाब तो दे दो ऐसा भी क्या बिगाड़ा है हमने कि , जवाब भी नहीं दे रही हो " ।
पाखी बिना उनकी तरफ देखे बोली " आप लोग जाइए मैं खुद से चली जाऊंगी " ।
लड़के ना जीप में ब्रेक लगा दी । सब जीप से नीचे उतर गए । और पाखी के इर्द गिर्द खड़े हो गए । एक लड़का सामने से उसके नजदीक आते हुए बोला " अरे हम तो सिर्फ मदद करने ले लिए पूछ रहे थे तुम तो attitude में जवाब दे रही हो "।
तभी पीछे से एक लड़के ने पाखी को पकड़ लिया और उसके गर्दन में सिर छुपाते हुए बोला " ले लो ना हमारी मदद प्लीज"।
पाखी उसे खुद से उसे दूर झटकते हुए बोली " दूर रहो मुझसे । क्या कर रहे हो । देखो मेरे पास मत आना वर्ना अच्छा नहीं होगा " ।
लड़का " अच्छा और क्या अच्छा नहीं होगा ??? "। सारे लड़के एक घेरा बनाकर पाखी के इर्द गिर्द खड़े हो गए और उसके नजदीक आने लगे । पाखी देख सकती थी कि उन सभी ने पी हुई थी और सब नशे में थे ।
तभी जिस लड़के को पाखी ने धक्का दिया था वो पाखी की कमर में हाथ डालकर उसे अपने करीब खींचकर उसके बालों को कसकर पकड़ते हुए बोला " धक्का मारेगी मुझे हन धक्का मारेगी "। कहकर वो अपने दोनों हाथों को पाखी की कमर के इर्द गिर्द डाल दिया । और उस चूमने की कोशिश करने लगा पर पाखी अपने हाथों को उसके चेहरे पर रखकर उसे दूर धकेलने की कोशिश करती रही ।
पाखी ने एक जोरदार लात उसके पैर पर मारी जिससे वो लड़का कराह उठा और पाखी पर उसकी पकड़ से छूट गई । पाखी ने अपनी ओर बढ़ रहे लड़के को धक्का दिया । और वहां से आगे भाग गई ।
तभी जिस लड़के के पांव में उसने मारा था वो बोला " पकड़ो इसे । भागने ना पाए " ।
सब लोग पाखी के पीछे भागने लगे । एक लड़का जाकर जीप लेकर आया और सब लोग उसमे बैठ गए । जीप जल्दी ही पाखी के पास पहुंच गई । एक लड़के ने उसका दुपट्टा खींच लिया । और उसे अपने हाथ में लपेट लिया ।
पाखी वहां से जंगल में भाग गई । लड़के भी जीप से उतरकर उसके पीछा करने लगे । भागते हुए पाखी की चप्पल टूट गई पर वो रुकी नहीं और बिना चप्पलों के ही भागने लगी ।
थोड़ी दूर जाने पर उसके पांव में कांटा चुभा और वो लंगड़ाकर जमीन पर गिर गई । लड़के उसके पास पहुंच गए ।
एक लड़का उसके पास घुटनों पर बैठकर बोला " च च च क्या हुआ भाग नहीं पाई ??? कहां तक भागोगी हमसे बचके । तुम्हारे घर से भी उठवा सकते हैं तुम्हे । समझी " ।
कहकर वो लड़का पाखी के उपर आ गया ।
पाखी जमीन पर लेट गई । लड़का जबरदस्ती उसके होठों पर kiss करने लगा । और उसकी गर्दन में अपना सिर छुपा लिया ।
पाखी चिल्लाते हुए बोली " छोड़ दो मुझे जाने दो । मैने क्या बिगाड़ा है तुम्हारा "।
लड़का उसके चेहरे को अपने हाथ से कसते हुए कहता है " क्या बिगाड़ा है?? मना किया है baby तुमने हमें मना । अरे कितना प्यार से पूछा था हमने तुमसे । पर नहीं तुमने तो मना ही कर दिया " ।
पाखी आंखों में आंसू भरे हुए " प्लीज ऐसा मत करो मेरे साथ जाने दो मुझे " ।
लड़का " अरे ऐसे मत कहो ना जान मत कहो । हम क्या तुम्हे खा जायेंगे ??? । नहीं ना । बस थोड़ा सा काम है तुम्हारे साथ उसके बाद छोड़ देंगे तुम्हे । इतना डरो मत हमसे "।
तभी दूसरा लड़का बोला " हान थोड़ा सा काम वो करेगा फिर थोड़ा थोड़ा काम हम लोगो को भी है "।
पाखी के उपर लेटा लड़का पूरी तरह से उसके उपर लेट गया और उसके हाथों को एक साथ बांध कर उसके सिर के उपर कर दिया । लड़का पाखी के कपड़ों को फाड़ने लगा ।
पाखी चीखती चिल्लाती रही पर उन लोगों में से किसी पर कोई असर नहीं हुआ । वो सब बस पागलों की तरह हंसते रहे । पाखी के आधे से ज्यादा कपड़े फट चुके थे । पाखी उस इंसान को अपने ऊपर से धकेलने की बोहोत कोशिश की पर वो जानवर की तरह पाखी को अपने बाहों में जकड़े उसके साथ जबरदस्ती करता रहा ।
पाखी के चेहरे , गले और छाती के उपर उसके काटने के निशान पड़ चुके थे । जब बोहोत कोशिशों के बाद भी पाखी अपने आप को छुड़ा नहीं पा रही थी । उसने अपने घुटने से उस लड़के की टांगों के बीच में जोर से मार दिया । जिससे लड़का पाखी के उपर से हट गया । और जमीन पर लोटने लगा । पाखी जमीन से मिट्टी उठाई और उसकी तरफ बढ़ रहे बाकी लड़कों की आंखों में डाल दी ।
चलने की हालत में न होने के बावजूद भी वो वहां से भागने लगी । लड़के फिर से उसका पीछा करने लगे । पाखी समझ चुकी थी कि इन लोगों से बचकर वो अब नहीं भाग पाएगी । उसने देखा कि सामने एक कुवां है तो पाखी जाकर उस कुवें के इर्द गिर्द बने डंगे पर चढ़ गई और वापिस घूमकर उन लड़कों को देखने लगी ।
लड़के उससे थोड़ी दूर आकर रुक गए ।
एक लड़का बोला " अब कहां भागेगी ??? आना तो इधर ही पड़ेगा ना " ।
पाखी अपने चेहरे पर लगे खून को साफ करते हुए आवाज में दर्द लेकर हंसते हुए बोली " ये सोचने की गलती मत करना कि मैं यहां से वापिस तुम्हारे पास आऊंगी । इसे बेहतर मैं मरना पसंद करूंगी लेकिन तुम जैसों की हवस का शिकार नहीं बनूंगी " ।
पाखी अपने बदन को देखा जिसपर से उसका कुर्ता फाड़ कर फेंक दिया गया था । अब बस आधा फटा उसका inner ware ही बचा था । उसके चेहरे , गले और बाजू में उस जानवर के काटने से निशान बन चुके थे जिनमे से खून भी निकल रहा था ।
पाखी उखड़ी हुई सी सांसें लेने लगी फिर कुवें के अंदर देखा तो वो बोहोत गहरा था । एक पत्थर उसके पांव से लगकर कुवें में गिरा तो उसके जमीन पर गिरने की आवाज आई । इससे पता चल रहा था कि कुआं कितना गहरा था और पूरी तरह से सुखा हुआ और खाली था ।
लड़के उसे घूरते हुए देखकर हंसने लगे । एक लड़का बोला " नहीं कर पाएगी चुप चाप से खुद से इधर आजा । ज्यादा कुछ नहीं करेंगे और छोड़ भी देंगे ।लेकिन अगर हमने खुद पकड़ लिया ना तो उम्मीद करना कि तुम्हे जीने लायक भी छोड़ेंगे " ।
उसकी बात सुनकर पाखी जोरों से हंसने लगी । उसके चेहरे पर दर्द वाली हंसी की झलक साफ देखी जा सकती थी । उसे इस तरह से हंसता देखकर सब लड़के हंसना बंद हो गए ।