Bairy Priya - 39 in Hindi Love Stories by Wishing books and stories PDF | बैरी पिया.... - 39

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बैरी पिया.... - 39

शिविका " आपने kiss फीलिंग की बात की.. ?? हमारे बीच क्या फीलिंग है.. ?? "।


संयम " कुछ तो है बटरफ्लाई.. वर्ना रात को इतने प्यार से तुम मुझे खाना नहीं खिलाती... " । बोलकर संयम ने शिविका के होंठों को चूम लिया । इस बार भी शिविका ने रिस्पॉन्स नहीं किया लेकिन इस बार संयम ने kiss बीच में नहीं छोड़ा । शिविका को सांस लेने में दिक्कत न होने तक वो उसे पैशनैटली kiss करता रहा ।


अब आगे :


Kiss के बाद जब संयम ने शिविका को छोड़ा तो शिविका बोली " एक बात पूछूं... ?? " ।


" Hmm.. " संयम ने जवाब दिया और शिविका के चेहरे पर आए बालों को कान के पीछे किया ।


शिविका " मैने आपको पूछा वो मेरा कॉल था मेरी जरूरत थी... पर आपने मुझसे शादी क्यों की... ?? " ।


संयम ने कुछ पल उसे देखा और फिर बोला " मैंने कब , क्या , क्यों और किसलिए किया यह बात सिर्फ मुझे पता है और मेरे अलावा यह जानने का हक और किसी को नहीं है... " ।


शिविका ने सुना तो चुप हो गई फिर कुछ सोचते हुए फिर बोली " एक और बात पूछनी है.. " ।


संयम एक आईब्रो ऊपर करके उसे देखने लगा ।
शिविका उसके जवाब का इंतजार किए बिना ही आगे बोल पड़ी " मुझे बाहर आना जाना है पर हर बार आपको बताना जरूरी नहीं होना चाहिए... " ।


" यह तुम पूछ रही थी या अपना फरमान जारी कर रही थी.... " संयम ने गहरी आवाज में कहा ।


" मैं बस अपनी बात रख रही थी.. " शिविका ने निर्मली जवाब दिया ।


संयम ने एक गहरी सांस ली और फिर शिविका के चेहरे पर उंगली फेरते हुए बोला " माना तितली खुले आसमान में उड़ती हुई अच्छी लगती है.. लेकिन इस तितली पर मेरा अधिकार है और यह मेरे कब्जे में है तो यह जहां भी जाएगी मेरी मर्जी से ही जाएगी । " ।


" सारे अधिकार तो आपको दे दिए हैं । इससे ज्यादा आपको क्या चाहिए... ?? खुद को पूरी तरह से सौंप चुकी हूं मैं आपको..... । इससे ज्यादा आपको और कौन से अधिकार चाहिए..." बोलते हुए शिविका ने अपने गाल पर चल रही संयम की उंगली को देखा जो अब शिविका की गर्दन पर चलने लगी थी ।।


" मेरे लिए अधिकार मतलब डोमिनेंस... मैं हर किसी को डोमिनेट करना चाहता हूं । मैं नहीं चाहता कि मेरे आगे किसी और की जरा सी भी चले... " संयम ने बेहद सर्द आवाज में जवाब दिया ।


" मतलब मैं अपनी मर्जी से कहीं नहीं जा सकती... ?? " शिविका ने उदासी भरे लहजे में पूछा ।


संयम ने उसकी कॉलर बोन पर किस किया तो शिविका ने गहरी सांस ली । संयम ने उसे अपनी गोद से उठाया और अपना कोर्ट सीधा करते हुए बोला " तुम जा सकती हो लेकिन तुम रहोगी हमेशा मेरी निगरानी में और मुझसे पूछे बिना यहां से बाहर जाने की सोचना भी मत.... " बोलकर संयम वहां से बाहर निकल गया ।


शिविका सोफे पर बैठी घूरती हुई निगाहों से उसे जाते हुए देखती रही ‌। फिर सोफे पर पड़े कुशन को उसने अपने हाथ में कसकर पकड़ लिया और मरोड़ने लगी ।

" इस तरह तो मैं इस कमरे में बंद होकर रह जाऊंगी और जो मेरा मकसद है वो भी धरा धराया रह जाएगा.... कुछ तो करना होगा शिवि...... " सोचते हुए शिविका कमरे में जल रहे लाल बल्ब को देखने लगी ।

" क्या इस दुनिया में लाल और काले के सिवाय और कोई रंग नहीं है...... लगभग हर जगह लाल और काले रंग की चीजें हैं.... । " सोचते हुए शिविका ने कुशन को सोफे पर रखा और खड़ी हो गई ।



फिर कमरे में जब दम घुटने लगा तो शिविका वहीं बाहर बालकनी में टहलने लगी और अपने फोन में कुछ करने लगी । इंटरनेट पर मिल रही इंफरमेशन को वो पढ़ रही थी । उसने उन्हें एक पेपर पर लिखने का सोचा और फिर जल्दी से स्टडी रूम की ओर चल दी ।



स्टडी रूम में जाकर शिविका बुक शेल्फ में कोई नोटबुक ढूंढने लगी । पर वहां पर सिर्फ बुक्स ही थी ।


शिविका मन में सोचने लगी " क्या संयम को पढ़ने का इतना शौक है जो इतनी सारी किताबें रखी हुई है... ?? पर अगर ऐसा है तो आज तक मैंने उन्हें पढ़ते क्यों नही देखा । " सोचते हुए शिवाक्ष बड़े से टेबल के पास चली गई जिसमे ड्रॉर थे । शिविका ने ड्रॉर खोलकर देखे तो उसमे उसे एक डायरी मिल गई ।


Pen box से शिविका ने एक पेन उठाया और वापिस बाहर जाने लगी तो उसकी नज़र उस अलग से रखी किताब पर चली गई ।


शिविका के कदम अपने आप ही उस ओर बढ़ गए । शिविका ने उसे हाथ लगाना चाहा तो उसे पिछली बार का झटका याद आ गया । उसने हाथ पीछे खींच लिया फिर बगल की बुक्शेल्फ में रखी एक किताब की ओर देखा जिसे शिविका से गलती से पिछली बार धक्का लग गया था और उस किताब के पीछे जाने के बाद किसी दरवाजे के खुलने की आवाज आई थी ।


शिविका ने एक बार फिर उस किताब को पीछे की ओर दबाया तो एक दरवाजा खुल गया । शिविका ने देखा तो वो दरवाजा दीवार में नहीं खुला था बल्कि फ्लोर पर खुला था ।


और उससे नीचे को सीढियां उतर रही थी ।


" एक अंडर फ्लोर रास्ता.. । क्या ये सीढियां नीचे से ऊपर आती सीढ़ियों से जुड़ती है... ?? क्या ये सीढियां मुझे नीचे ले जाएंगी... । मतलब मेरा अंदाजा सही था.. इस कमरे में आने का एक और रास्ता भी है... ।


शिविका ने सोचा और फिर उन सीढ़ियों पर नीचे की ओर चली गई । नीचे एक कमरा था जिसमे चारों तरफ ताबूत रखे थे ।।


" क्या ये Egypt वाले ताबूत हैं... ?? जैसे उन ताबूतों में mummy निकला करती थी... क्या इनमें भी ऐसा ही कुछ होगा... ?? " सोचते हुए शिविका चारों ओर घूमते हुए उन ताबूतों को देखने लगी । शिविका ने ध्यान से देखा तो उन ताबूतों पर एक निशान बनाया हुआ था । शिविका ने एक ताबूत के निशान पर हाथ फेरा और बोली " ये कोई कॉपीराइट साइन है क्या.. ?? संयम की ज्यादातर चीजों पर यही साइन बना होता है... " ।


शिविका सोच ही रही थी कि इतने में एक ताबूत पर उसकी नजर पड़ी । वो एक नया ताबूत था जो शायद अभी ही add किया हुआ था । ।


शिविका उसकी ओर बढ़ गई । शिविका की इच्छा हो रही थी कि वो इन ताबूतो के अंदर देखे । लेकिन संयम का डर भी उसे था । अगर संयम को पता चला कि शिविका फिर से छानबीन कर रही है तो वो बोहोत गुस्सा करेगा और इस गुस्से में वो क्या नुकसान पहुंचाएगा इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता.... ।


लेकिन फिर भी शिविका जानना चाहती थी कि आखिर उन ताबूतों में था क्या... ?? ।




" जय भोलेनाथ... " बोलकर शिविका ने आंखें बंद की और ताबूत का दरवाजा खोल दिया । ताबूत के अंदर का नजारा देखकर शिविका की रूह कांप गई उसका दिल धक से रह गया , उसके माथे पर पसीना आ गया और आंखों में नमी तैर गई । उसका सांस लेना तक मुश्किल हो गया था । शिविका ताबूत से दूर हट गई और आंखें बंद करके... अपने सिर पर हाथ रखे जोरों से चिल्ला दी " आआआह्हह........ " ।



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आखिर ऐसा क्या देखा शिविका ने... ??? ।
आखिर क्या रखा हुआ है उन ताबूतों में... ???


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