Bairy Priya - 36 in Hindi Love Stories by Anjali Vashisht books and stories PDF | बैरी पिया.... - 36

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बैरी पिया.... - 36

संयम ने जेब में हाथ डाले और बोला " नरेन कौन है... ??? " ।


शिविका ने सुना तो संयम को देखने लगी ।


शिविका मन में " इन्हें कैसे पता नरेन के बारे में... । क्या कल रात मैने कुछ बोला था क्या.. ?? " ।


संयम ने उसे खोए हुए देखा तो बोला " ज्यादा सोचो मत... जो पूछा है उसका जवाब दो... । नरेन कौन है.... ?? " ।


शिविका बुझी हुई आंखों से फ्लोर को घूरने लगी फिर बोली " काश आपको बता पाती । पर शायद जिस रिश्ते में हम बंधे हैं वो रिश्ता ऐसा है ही नहीं कि अपना अतीत एक दूसरे को बताया जाए ।


आप मेरा अतीत ना ही जानें तो अच्छा होगा.... ।इस रिश्ते में बस सौदा ही है.. तो उसी को लेकर चलिए... । जब आपका मन भर जाए.. तो छोड़ दीजिए... बात खतम... " ।


संयम ने बाजू से पकड़कर उसे अपनी ओर खींचा और फिर बोला " जो पूछा है उसका जवाब दो.... । " ।
जोरों से पकड़े जाने पर शिविका की आह निकल गई ।


शिविका भीगी आंखों से उसके चेहरे को देखते हुए बोली " नरेन कौन है इसका आपसे कोई लेना देना नही है मिस्टर SK.... । मेरे ज़ख्मों को कुरेदिए मत.... । वैसे भी आप ज़ख्मों को कुरेदे बिना भी बोहोत दर्द दे सकते हैं.... वही काफी है मेरे लिए... ।

कुछ पल का साथ मांगने के बदले आपने बोहोत दर्दनाक और गहरे जख्म दे दिए है ( हाथ जोड़कर ) अब प्लीज... मेरी बीती जिंदगी के किस्सों को और उनसे जुड़े लोगों को मुझ तक ही रहने दीजिए... " ।
संयम ने उसकी बाजू छोड़ दी । और उसके निशानों की ओर देखा और फिर नजरें झुका ली ।


संयम को भी एहसास था कि उसने शिविका के साथ सही नही किया ।


और अभी शिविका की हालत देखकर संयम को खुद पर भी गुस्सा आ रहा था । हालांकि वो लाख बुरा इंसान था लेकिन ऐसा करना वो नहीं चाहता था । पिछले कल पता नही कैसे उसने शिविका को इतना दर्द दे दिया ।


लेकिन उसके बाद उसने खुद को भी तो दर्द दिया था कांच में अपना हाथ मारकर... । जिस वजह से उसके हाथ में भी चोट लग गई थी । लेकिन शिविका के मुकाबले में वो चोट कुछ भी नहीं थी ।


संयम की आंखों में गिल्ट साफ दिख रहा था । लेकिन शिविका उसे नहीं देख रही थी तो उसने उसकी आंखों में कुछ नहीं देखा ।


संयम ने अपना फोन उठाया और कमरे से बाहर निकल गया ।


शिविका वहीं बेसुध सी सोफे के पास जमीन पर बैठ गई । उसकी आंखों से आंसू अनायास ही बहने लगे । जितना दर्द उसे बदन में था उससे कहीं ज्यादा दर्द अब उसके दिल में हो रहा था । संयम के साथ उसकी नजदीकियां बढ़ी थी तो शिविका को लगने लगा था कि शायद कोई है जो उसे प्यार दे सकता है । वो जो सामने से दिखाता है वैसा इंसान नही है.... बल्कि उसकी एक अलग साइड भी है जो बोहोत अच्छी है ।


शिविका उसकी ओर खिंचाव सा महसूस करने लगी थी । लेकिन अब वो सब कुछ एक गलतफहमी जैसा लग रहा था । अब संयम उसे कुछ और ही नजर आ रहा था ।


शिविका बैठी ही थी कि इतने में दीवार में बने खांचे से रोबोट बाहर आया और दरवाजे की ओर बढ़ गया । दरवाजा खुला तो वो बाहर चला गया ।


कुछ मिनट बाद दरवाजा वापिस से खुला और रोबोट फूड ट्रॉली लेकर अंदर आ गया ।


शिविका शांत सी सोफे के पास ही बैठी रही । उसने खाने पर कोई ध्यान नहीं दिया ।


उसे घुटन सी हो रही थी । मानो वो किसी पिंजरे में फंस गई थी । ये जगह उसके लिए एक जेल की तरह थी जहां उसे हर वक्त कैमरा की निगरानी में कैद रखा जाता था । और समय समय पर उसे उसके गुनाहों के जख्म भी दिए जाते थे लेकिन शिविका के गुनाह क्या थे... ये तो उसे भी नहीं पता था ।


शिविका को भूख लगी तो उसने अपने पेट पर हाथ रखा लेकिन खाना गले से नीचे निगलने की भी हिम्मत उसमे नही थी । उसने खाना न खाना ही सही समझा । । कमरे में अंधेरा लगा तो शिविका बाहर बालकनी में आकर दीवार से टेक लगाकर बैठ गई ।


ये एक ऐसी जगह थी जहां वो खुल कर सांस ले पाती थी । शिविका ने उपर आसमान की ओर देखा और बोली " क्यों छोड़ कर चले गए आप लोग मुझे... ?? आखिर क्यों... ?? ऐसी भी क्या गलती थी मेरी... जो इतना अकेला छोड़ दिया ।


दुनिया बोहोत बुरी है पापा... । आपकी शिवि इतनी हिम्मतवाली नहीं है कि इन सब से अकेले लड़ ले । मेरी हिम्मत आपसे ही थी और अब सारी हिम्मत सारा हौंसला... सब कुछ बिखर गया है... कुछ भी नहीं बचा है... । " शिविका ने आंखों से लगातार बहते आंसुओं को पोंछा और आगे बोली " सही कहती थी मम्मा... उनके बिना मेरा कुछ भी नहीं हो सकता.... ।आपके जाने के बाद मेरे पास तो कुछ भी नहीं बचा... । किसी से प्यार मिलने की उम्मीद जागी तो वो भी एक रात में टूट कर बिखर हो गई । " बोलते बोलते शिविका का गला रूंध गया ।



वो बिलखती हुई वहीं लेट गई और कुछ ही देर में उसे नींद आ गई ।


दोपहर में संयम कमरे में आया तो उसे फूड ट्रॉली में खाना वैसा का वैसा ही पड़ा मिला । उसने कमरे में देखा तो शिविका नही दिखी । संयम बालकनी में चला गया ।


शिविका वहीं लेटी हुई थी । संयम उसके पास घुटनों के बल बैठा और उसके चेहरे को थपथपाने लगा । शिविका को होश नहीं आया ।


संयम गौर से उसे देखने लगा । ना जाने क्यों पर शिविका की कही बातें संयम को चुभ सी रही थी । आज से पहले किसी ने उससे ऐसे बात करने की हिम्मत नही की थी और ना ही वो किसी की ऐसी बातें सुन सकता था । लेकिन शिविका के पास एक वजह थी और वो वजह जायज थी संयम ने उसके साथ गलत किया था ।



शिविका ने सिर्फ उसका साथ मांगा था और संयम उसके साथ क्या क्या कर गया । उस वक्त अपने गुस्से में वो सब कुछ भुला चुका था । संयम को इस गलत का एहसास था शायद इसलिए संयम सब कुछ सुनता रहा ।


लेकिन वो गलत करने पर भी ऐसा कुछ कभी नहीं सुनता.. था तो फिर शिविका से आखिर क्यों सुन लिया ?? ये सवाल खुद उसके मन में भी उठ रहा था ।


संयम उसके चेहरे को देखता रहा । शिविका का मासूम सा चेहरा उसकी आखों में जैसे बस चुका था । जब से शिविका आई थी तबसे संयम की जिंदगी में कुछ नयापन भी आया था । सुबह साथ खाना खाने के लिए उसे कोई मिला था ।


इस डेढ़ महीने में शिविका के साथ की उसे भी एक आदत हो गई थी । शिविका की ही वजह से वो रातों को सोने लगा था वर्ना उसकी रातें बॉन्सिंग करते हुए , jim करते हुए , स्टडी रूम में या फिर ड्रिंक करते हुए गुजरती थी ।


डेढ़ महीने में उसने शिविका के कई सारे इमोशंस देखे थे । और उससे एक लगाव संयम को हो चुका था । इस वक्त भी शिविका के चेहरे की मासूमियत कम नही हुई थी बस संयम ने उसे बोहोत बेदर्दी से नोचा था । जिसका गम शायद अब संयम को बोहोत सताने लगा था ।


संयम ने उसे गोद में उठाया और अंदर ले आया । शिविका के चेहरे पर पानी की कुछ बूंदें उसने डाली तो शिविका ने धीरे धीरे आंखें खोल दी । सामने संयम को देखकर वो घबरा गई और जल्दी से उठकर बैठ गई ।


उसकी धड़कने तेज चलने लगी ।


संयम " खाना क्यों नही खाया तुमने... ?? " ।


शिविका ने नजरें घुमाते हुए कहा " भूख नहीं थी.... " ।


संयम उसका हाथ पकड़ने लगा तो शिविका ने घबराकर हाथ पीछे खींच लिया ।


संयम ने हाथ की मुट्ठी बनाई और हाथ पीछे खींच लिया ।


फिर रोबोट दुबारा से गर्म खाने वाली फूड ट्रॉली लेकर आया तो संयम ने उसमे से खाने को एक प्लेट में निकाला और शिविका की ओर आ गया ।


फिर प्लेट उसके पास रखकर बोला " खाओ.. " ।

शिविका ने ना में सिर हिला दिया और बोली " भूख नहीं है... " ।


संयम उसके बगल में बैठ गया । शिविका दूर खिसकने लगी तो संयम ने उसे अपने करीब कर लिया ।


शिविका नम आखों से उसे देखते हुए बोली " मत कीजिए संयम.... । आपको दर्द देना है दे दीजिए... लेकिन ये प्यार से रहने का दिखावा मत कीजिए... मैं नही झेल सकती.... । प्लीज मत कीजिए.. प्लीज मेरे हाल पर छोड़ दीजिए.... । ये दया मत दिखाइए.. " ।


शिविका की हालत संयम को सच में बोहोत एफेक्ट कर रही थी । संयम ने उसे सीने से लगा लिया और बोला " i am sorry.. । i am sorry Butterfly... । माफ कर दो.... । मैं मानता हूं कि मैंने बोहोत गलत किया... लेकिन वादा करता हूं.. ऐसा दुबारा कभी नहीं होगा.... । ऐसा सुलूक दुबारा जिंदगी में कभी भी नहीं होगा.. " । बोलते हुए संयम शिविका की पीठ सहलाने लगा ।


शिविका अब और जोर से रोने लगी और संयम के सीने से लिपट गई । शिविका बेतहाशा उसकी बाहों में लिपटी हुई रोए जा रही थी और संयम उसके बालों पर हाथ फेरते हुए उसे कंसोल कर रहा था ।



चाहे जो भी हो शिविका को संयम के साथ एक safe environment फील हुआ था । हालांकि अभी संयम ने ही उसे दर्द दिया था लेकिन संयम ने ही उसे बचाया भी तो था । तो उसके लिए जो एक जगह दिल में बनी थी उसको शिविका निकाल नही पाई थी । यही वजह थी कि संयम के एक बार प्यार से बात कर लेने से शिविका उसी से लिपटकर रोने लग गई थी ।


काफी देर तक संयम ने उसे रोने दिया और खुद आंखें बंद किए उसकी पीठ थपथपाता रहा ।


जब शिविका का रोना सियाकियों में बदला तो वो संयम के सीने से अलग हुई ।


संयम ने उसे खाना खिलाया और पानी पिलाकर उसका चेहरा साफ किया फिर दवाई का बॉक्स निकाला और शिविका के ज़ख्मों पर मरहम लगा दिया ।


मरहम लगाते हुए संयम देख सकता था कि उसके दिए जख्म शिविका के लिए कितना दर्द देने वाले निशान बन चुके थे । संयम ने उसे दवाई दी और बेड पर लेटाकर.... खुद वहां से बाहर निकल गया ।
दवाई के असर से शिविका को लेटते ही नींद आ गई ।



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