ये सुनते ही कनिषा समझ गई की इशांक उसे अपनी कंपनी से बाहर फेंकने के लिए हर मुमकिन कोशिश करेगा,फिर भी वो ऑफिस जाने या इशांक की गिरती हदों को देखने से घबराई नही,हॉस्टल पहुंच जब वो कमरे में गई उसकी दोस्त सौम्या भागते हुए उसके गले लग गई...."कहां थी तुम,मुझे लगा तुम्हे किसी ने किडनैप कर लिया है!"....
अपने कान के पास उसके रोने की आवाज कनिषा जब बर्दाश्त ना कर सकी उसने बोझल तरीके से कहा...."मैं डैड के साथ थी,वो हॉस्पिटल में है।।"
"क्या हुआ है अंकल को?"....सौम्या ने पूछा,जिसके जवाब में कनीषा ने कहा..."मुझे तीन बजे जगा देना,इंटरव्यू के आखरी राउंड के लिए जाना है!"
"ठीक है आराम कर ले".....किसी चंचल चिड़िया के तरह हमेशा इधर से उधर भागने वाली कनिषा को ऐसी हालत में देख सौम्या काफी उदास महसूस करने लगी,बेड पर बैठते हुए उसने उसके सिर पर हाथ रखा और कहने लगी....."अंकल ठीक हो जाएंगे,परेशान मत....
"कल इशांक देवसिंह की दुल्हन बनी थी मैं!".....सौम्या की बात खत्म होती उससे पहले ही कनिषा बोल पड़ी,जिस पर ध्यान दिए बिना सौम्या ने अपना कहना जारी रखा...."हम्मम.. इसमें भी परेशान होने की जरुरत"...अचानक जब उसे समझ आया की कनिषा ने क्या कहा है तो अचानक खड़ी होते हुए चिल्लाई...."क्या?अभी अभी क्या कहा तुमने?क्या बनी थी तुम?"
"उसने कहा की वो मुझसे शादी करना चाहता है,और फिर मुझे ही दोषी बना दिया,उसने कहा की मैं लालची और आधी रात तक तफरी करने वाली लड़की हूं!"......अपने ही धुन में रटते हुए कनिषा बिना रुके कहती जा रही थी,उसके आंखो के कोने से गिरते आंसुओ की छोटी छोटी बूंदे गवाह थी की उसके हर लफ्ज़ सच्चाई समेटे हुए थी,पहले कुछ पलों तक सौम्या ने सोचा कि वो मजाक कर रही है,लेकिन उसके वो बेबाक गिरते आंसू सारी कहानी सुना गए......"मै अपनी जिंदगी का सबसे बड़ा सौदा कर के आई हूं!".....
"कनिषा तू जो भी कह रही है,मेरे कुछ समझ नहीं आ रहा,,मुझे ठीक से समझाओ की पिछले चौबीस घंटे से तू कहां थी?"......सौम्या उत्सुकता और फिक्र में पूछने लगी,जिस पर कनिषा जवाब देने के बदले अपने कंबल को खींचते हुए सिर तक ले आई और अगले हो पल करवट घुमा कर सौम्या के सवालों को अनसुना कर दिया।।
"नींद आ रही है तो सो जा,लेकिन उठने के बाद मुझे सब कुछ जानना है!".....कहते हुए सौम्या ने उसके पीठ को कंबल से ढका और उठ कर खिड़की के परदे बंद कर दिए,,कंबल के अंदर चेहरा ढक लेने के बाद भी कनिषा जागते हुए आंखो से निरंतर आंसू बहाती रही,भले ही उसे इस बात का एहसास नही था,लेकिन कमरे में स्टडी टेबल पर बैठी सौम्या उसकी दबी हुई सिसकियों को आसानी से सुन सकती थी।।।
काफी देर तक सिसकियों की आवाज कमरे के वातावरण में नमी भरते रहा,जो धीरे धीरे मद्धम और फिर शांत पड़ गया,काफी रो लेने के बाद कनिषा कब गहरी नींद की आगोश में खींची चली गई,उसे महसूस तक ना हुआ।।।
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जब घड़ी में तीन बजा सौम्या ने कनिषा का नाम कई दफा पुकार कर उसे जगाने की कोशिश की,लेकिन जब कंबल के भीतर से कोई हलचल ना हुई,सौम्या थोड़ा हड़बड़ाते हुए चेयर से उठ कर सौम्या के बेड की ओर भागी,कंबल खींचते ही उसकी नजर कनीषा पर पड़ी।

उसका चेहरा हल्का लाल नजर आ रहा था, तेजी से उठता बैठता उसका सीना इशारा दे रहा था,की... वो ठीक से सांस नही ले पा रही,उसके माथे पर अपनी ठंडी हथेली रखते हुए सौम्या ने जब उसके शरीर को भट्टी की तरह तपता हुआ महसूस किया,उसने कनिषा की कलाई पर कुछ ढूढा,जिसके दूसरे पल ही कमरे में अपनी नजरे दौड़ा कर कनिषा के बैग को तलाशने लगी,कमरे में आते हुए कनिषा ने बैग को दरवाजे के पास ही गिरा दिया था,जिसे लेने के लिए सौम्या दौड़ी।।
उस बैग के चैन को हड़बड़ी में खोलते हुए सौम्या ने बैग के सारे सामानों को फर्श पर फैला दिया,जिसमे उसने कई इंजेक्शन देखा, जो पूरी तरह दवाइयों से भरी हुई थी, उनमें से एक लेकर वो कनिषा के पास वापस आई और बिना देरी किए इंजेशन के ऊपर लगे कैप को निकाल कर, इंजेक्शन के नुखीले नीडल को एकांशी के बाह पर चुभा दिया।
इंजेक्शन में मौजूद सारे लिक्विड को कनिषा के बॉडी में उतारने के बाद सौम्या ने इंजेक्शन खींचा,और हांफते हुए वहीं फर्श पर बैठ गई,चेहरे पर लटकते अपने बालो को पीछे समेटते हुए वो खुद में ही बड़बड़ाई......"कितनी बार मैने कहा है कि अपनी हार्ट रेट मेजरमेंट वॉच पहन के रखा कर,अगर आज थोड़ा भी लेट होता तो ना जाने क्या हो जाता।।"..... इतना कहते हुए उसने कनीषा की हथेली को पकड़ा और फूट फूट कर रो पड़ी।।
आधे घंटे के बाद कनिषा का शारीरिक तापमान वापस सामान्य हो चला और उसने अपनी पलकों को भी हिलाना शुरू कर दिया,आंखे खोलते ही सौम्या एकदम से उठ कर उसके गले लग गई....."मेरी तो जान ही निकल गई थी, थैंक गॉड तू होश में आ गई!"
सौम्या के गले लगने से कनिषा को अपने गले पर दबाव महसूस हुआ,जिसके कारण उसे खांसी आनी शुरू हो गई,ये सुन सौम्या तेजी से उठ खड़ी हुई....."तेरी हार्ट रेट मेजरमेंट वॉच कहां है,अगर उसे पहना होता तो उसके अलार्म से मुझे पहले ही पता चल जाता की तेरी तबियत बिगड़ रही है, इंजेक्शन देने से पहले तेरी बॉडी किसी भट्टी की तरह तप रही थी,,ऊपर से तू सांस भी नही ले पा रही थी,क्या ऐसा कर के मरना चाहती है?"
"मुझे पता नही चला!"......सौम्या की चिंता को दूर करने के लिए कनिषा मात्र इतना ही कह सकी।।
"पता नही चला?तुझे पता नही है की जब किसी चीज से तू बेहद डर जाती है या चिंता करती है तो...तेरी दिल की धड़कने बेहिसबान धीमी हो जाती है,बुखार ना होते हुए बॉडी ट्रंप्रेचर हाई ही जाता है और सांसे फूलने लगती है?"........सौम्या की डांट सुनते हुए कनिषा आहिस्ते से उठ कर बेड पर बैठी,तभी उसकी नज़र सामने दीवाल पर टंगी घड़ी पर पड़ी,जिसने साढ़े तीन बज गए थे,तीन पंद्रह तक उसे इंटरव्यू के आखरी राउंड के लिए ऑफिस पहुंचना था,देर होता देख वो तेजी से बेड से उतरी,लेकिन जैसा की उसके हार्ट की स्थिति अभी तक स्थिर नही हुआ थी,उसे दर्द महसूस हुआ,जिससे उसने अपने सीने पर हाथ रख लिया,जिसके बाद थोड़ी लड़खड़ाई सी आवाज में सौम्या से बोली....."मेरे साथ.... इंटरव्यू चल, अगर....मेरी तबियत और बिगड़ती है....तो...मुझे तुरंत इंजेक्शन लगा देना,कोई सवाल....मत करना,मुझे इस जॉब की बहुत जरूरत है!"