उनकी शादी का सच सिर्फ विवेक को ही पता था,एक वो ही जानता था की उस दिन कनिषा ने वो पेपर्स जल्दबाजी में साइन नही किए थे, उस पेपर को साइन करते हुए उसने सोचा था की वो कनिषा और इशांक को सही वक्त देख के सच्चाई बता देगा,लेकिन शादी के बाद से दोनों का एक दूसरे से मुख्तलिफ बरताव कर रहे थे की उसे उन दोनो को शादी कराने के फैसले पर डर लगने लगा था,और इशांक के गुस्से से डर कर उसने ये सच्चाई अपने दिल में ही दफना लिया था,हालांकि जब वो उन बीती बातों के बारे में सोच रहा था...डर की एक खौफनाक एहसास उसके पूरे जिस्म को घेर लेती थी,जो इस वक्त कार ड्राइव करते हुए उसके कांपते हाथ से साफ पता चल रहा था,हर दो पलों के बाद वो कनखी नजरों से इशांक को देख लेता,माथे के रास्ते बहती घबराहट के पसीने की पोंछते हुए उसने खुद को इशांक से ये पूछते हुए संभाला....."सर!आप कुछ सोच रहें है क्या?"
राघव के कठोर और तेज आवाज ने इशांक को कनिषा और उसकी शादी के ख्यालों से बाहर घसीट लिया,अपने माथे पर हाथ फेरते हुए इशांक ने कोई जवाब ना दिया और तब तक अपने मुंह पर खामोशी इख्तियार किए रहा,जब तक की उसकी कार बगले तक ना पहुंच गई,एक बार जब उसके पिता कार से निकल कर हलील के साथ अंदर चले गए, इशांक ने विवेक से कहा....."मुझे न्यू इंटर्स का इंटरव्यू लेना है,मैं खुद देखूंगा को कौन मेरी कंपनी के लायक है!"
कार ड्राइव करते हुए विवेक ने सड़क पर जब कोई सवारी ना देखी,उसने अपनी आंखे इशांक की तरफ मोड़ ली....."कहीं आप ये सब मिस कनिषा को निकालने के लिए तो नही करने वाले ना,हमने....उन्हें शादी..... के लिए.... मजबूर किया था,तो उनके डैड....के इलाज में हमे उनकी मदद.... करनीईई चहिए,ना की उन्हे और परेशानी.... में डालना चाहिए!"
"शादी के लिए मजबूर करना मेरी सबसे बड़ी गलतफहमी थी,वो सारे गुरुर भरे उसके नखरे इसलिए थे,क्योंकि वो मुझसे एक बड़ी रकम ऐंठना चाहती थी,ये लड़कियां हर चीज का कीमत लगा सकती हैं,खुद के जज्बातों के भी".....
"मुझे तो समझ ही नही आ रहा,आखिर आप दोनो एक दूसरे से लड़ किस बात पर रहे हैं,,आप दोनो की शादी किस्मत से हुई थी,बीच में इगो आप दोनो ले आएं हैं".....
"उसे लगता है,इस पूरी दुनिया में एक वही ईमानदार है....मैं बस उसकी ये गलतफहमी दूर करना चाहता हूं,और जताना चाहता हूं की वो एक लालची लड़की से ज्यादा कुछ नही है।।".....
"जब भी आप ऐसा कुछ कहते हैं,मुझे आपके आगे के इरादे से डर लगने लगता है!".....इतना कहते हुए विवेक ने जैसे ही ऑफिस के पार्किंग एरिया की ओर अपने कार को मोड़ा,अचानक से उनके सामने रेविका आ कर खड़ी हो गई,उसकी आंखे सूझी हुई और लाल नजर आ रही थी,माथे पर पड़ी अनगिनत बल उसकी चिंता के भार को अपने में समेटे हुए था,जिसे देख विवेक ने इशांक की तरफ घूरते हुए कहा......"इनके एक्सप्रेशन से ऐसा लग रहा है की आपकी शादी की खबर इन्हे पची नही है,,मैने तो पहले ही कहा था की इन्ही से शादी करो,अब झेलिए इनके काली का औतार।।"

कार से नीचे उतरने से पहले इशांक ने विवेक को यूं घूरा मानो उसकी चलती हुई,जबान को काट कर कहीं फेंकने के लिए धमका रहा हो, इशांक की विषमय निगाहों से डर कर विवेक ने होंठो को चैन की तरह बंद करने करने का इशारा किया और अगले ही पल कार से निकल कर उसके लिए दरवाजा खोल दिया, कार से निकलते ही इशांक ने अपने ब्लेजर के दोनो बटन को लगाया और सामने खड़ी रेविका को अनदेखा कर ऑफिस एंट्रेंस की ओर बढ़ा,तभी रेविका अपने दोनो बाह को फैलाए उसके सामने खड़ी हो गई।।
"तुम नही जा सकते इशांक,पहले मेरे सवालों का जवाब दो...क्या ये न्यूज सही है की तुमने शादी कर ली है?".... झंझुलते हुए रेविका ने पूछा
"तुम से मतलब!"....उसके टूटे दिल की परवाह किए बिना इशांक ने कठोरता से कहते हुए वहां से निकलना चाहा,उसी पल रेविका ने उसकी कलाई पकड़ी और नीचे घुटनो के बाल बैठ गिड़गिड़ाते हुए बोली....."बचपन से लेकर सिर्फ मैने तुमसे प्यार किया,और तुमने मुझे धोखा दे कर एक पल में किसी और को अपना बना लिया?तुम्हारे लिए ये सब इतना आसान था?क्या एक बार भी ये ख्याल नही आया की मैं तुमसे प्यार करती हूं?"
"मुझसे प्यार करने की इजाजत तुमने कभी नही ली थी,ये फैसला तुम्हारे अकेले का था,इसलिए मैं चाहूंगा की तुम अपने टूटे दिल के लिए मेरे सामने भीख मत मांगो,मैने तुमसे कभी भी शादी का वादा नही किया था"....कहते हुए इशांक ने अपने हाथ को रेविका के पकड़ से झटक कर अलग कर लिया, अपनी लंबी टांगों को कांच के बड़े से दरवाजे की ओर बढ़ते हुए इशांक ने जैसे ही ऑफिस के भीतर अपना कदम रखा,पार्टी पॉपर की तेज आवाज उसके कानो में गूंजी और अगले ही पल उसके पूरे शरीर पर छोटे छोटे चमकती टुकड़े गिरने लगी।।
"सीईओ,आपको शादी की बहुत बहुत बधाईयां!"....सभी इंप्लॉयज की आवाज एक साथ पूरे ऑफिस में गूंजी,जिसके खत्म होने से पहले ही इशांक गुस्से से फटते हुए चिल्लाया...."सब के सब...बंद करो ये बकवास!!"
इशांक की गुस्से से धकधकती आवाज जब ऑफिस के हर कोने में गर्मी भरने लगी,तब अचानक से सभी इंप्लॉयज ने अपने होंठो को बंद कर लिया,और इशांक की ओर एक उलझन के साथ देखने लगे।।
"क्या मैं तुम सभी को मैं इसी काम के लिए पैसे देता हूं?ऐसे ही टाइम वेस्ट कारण है..तो किसी दूसरी कंपनी में चले जाओ!"......चिल्लाते हुए इशांक ने सभी को सरसरी निगाह से देखा,कुछ के हाथ में फूल के बुक्के तो कोई उसके लिए तौफा पकड़े खड़ा था...."पांच मिनट देता हूं सब को...अगर इस पांच मिनट के बाद किसी के हाथ में कोई बुक्के या गिफ्ट नजर आया तो...नेक्स्ट दो सेकंड के अंदर वो ऑफिस के बाहर जाता दिखाई देगा।।"
इतना सुनना था की सभी अपने हाथ में लिए फूलों पर तौफों को इशांक की नजरों से छुपाने के लिए इधर उधर भागने लगे,जब तब सभी इंप्लॉयज ने अपनी गिफ्ट्स छुपाए इशांक ऊपर अपने केबिन में चला गया।।
इशांक का मूड देखते हुए सभी ने अपने भीतर उठ रहे सवालों और चुगली को दबा दिया,जिसके बाद ऑफिस में शांति कायम किए हुए अपना काम करने लगे।।
दूसरी ओर राघव ने रेविका को उसके असिस्टेंट के साथ घर भेज दिया और चारो इंटर्न को कॉल कर इनफॉर्म किया की उन्हे ज्वाइनिंग से पहले एक और इंटरव्यू देना होगा,जो खुद कम्पनी के सीईओ लेंगे!!