BEKHBAR ISHQ - 21 in Hindi Love Stories by Sahnila Firdosh books and stories PDF | बेखबर इश्क! - भाग 21

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बेखबर इश्क! - भाग 21

अचानक इशांक के स्पर्श में आने से कनिषा स्तब्ध हो गई,उसकी शरीर की हरकतों के साथ साथ उसकी सांसे भी रुक गई,अपने चेहरे के बगल में इशांक के सुंदर नैन नक्श देख,एक पल के लिए वो कहीं खो सी गई,तभी इशांक ने उसे अपने गुस्से भरी आंखो से घूरा और अगले ही पल उसके कमर में दोनो हाथ फांसते हुए खींच कर सीट पर बैठ गया।।

कनिषा उससे छूटने के लिए छटपटाती उससे पहले ही इशांक ने उसे अपने जांघों पर अर्जेस्ट किया और एक हाथ के इस्तमाल से उसके दोनो हाथों को पकड़, दुसरे हाथ से उसके कमर को जकड़ लिया।।

"गाड़ी आगे बढ़ाओ!".....बॉडीगार्ड को ऑर्डर देते इशांक ने राहत की सांस ली और कनिषा के मुंह से एक भी शब्द ना निकलता सुन जब उसे हैरानी होने लगी,उसने अपनी पलकों को उठा कर कनिषा के मुंह को देखना शुरू किया,इस वक्त उसका चेहरा हल्का लाल नजर आ रहा था और आंखे सामान्य से अधिक बड़ी लग रही थी......"तुम्हारे चेहरे को क्या हुआ,किसी तरह की अलर्जी तो नही है ना??"

इशांक के उस आवाज से कनिषा ने अपनी आंखो की पुतलियों को हिलाया और अपना मुंह खोल एकदम से गहरी गहरी सांस भरते हुए एक ओर झूंक गई,कुछ देर में जब उसके फेफड़ों में हवा जाने लगी,उसने कहा...."मैं सांस लेना भूल गई थी,ये सब आपकी वजह से हो रहा है!"

"क्या?तुम सांस लेना कैसे भुल सकती हो?".... इशांक ने पूछा।।

"आपने मुझे ऐसे पकड़ रखा है,जैसे मैं कोई छमिया या बेब हूं और आप किसी क्लब में बैठे हैं,ऐसे में मुझे सांस लेना कैसे याद रहेगा!".....

"वॉच योर लैंग्वेज".....उसके इस्तमाल किए शब्दो पर खुद को शर्मिंदा महसूस करते इशांक झेप गया,कनिषा को अपने गोद में बैठाना अब उसके लिए असहज होने लगा,इसलिए दूसरे ही पल उसने कनिषा को सीट पर एक बगल धकेल दिया और अपनी असहजता को छुपाने के लिए हाथो को झटकते हुए,गले को साफ कर, बोला....."तुम बहुत हैवी हो!"

कनिषा भी इन सब से काफी अनकंफर्टेबल गई थी,जिससे अपने चेहरे को खिड़की के शीशे पर टिकाए मन ही मन बड़बड़ाई....."शीट!मैं क्लबों में जाने वाली आवारा लड़की लग रही हूं, अब मैं क्या करूऊऊ,मुझे बहुत शर्म आ रही हैं".....अपने सिर को खिड़की से अलगा कर इशांक की ओर एक लम्हे तक देखने के बाद मन हो मन उसे कुछ सूझा....."नही,शायद मुझे ये ड्रामा जारी रखना चाहिए,क्या पता ये इसी बात से डर के मुझे आजाद कर दे।"

इतना सोचते ही उसने सीट पर अपने बॉडी के पोजीशन को सीधा किया और अपनी लंबी टांगों को आगे कर,बालों को झटकते हुए बोली...."ह्हा,,मैने तो पहले ही सही गेस किया था,तुम जैसे खानदानी लड़के सिर्फ मीडिया के सामने ही ढोंग कर सकते हो,वरना क्लब वगैरा तो तुम अमीरजादों से ही भरता है ना।।"

वो जानती थी की इशांक उसे लगभग किडनैप कर के ले जा रहा है,फिर उसके चेहरे पर चिंता या डर की भाव की जगह अजीब सी चंचलता थी,जिस पर गौर करते हुए इशांक कुछ समझ ना सका,अपने कॉलर बटन को खोलते हुए उसने वही शांत लहजे में पूछा......"क्लब के बारे में इतना सब कुछ जानती हो,तो वहां के रेगुलर कस्टमर होगी,आज तक कितने लडको को चिटिंग किया है?"

"आह्हह्हहां,,मैं और चिटिंग?...मैने अपनी पूरी जिंदगी में कभी चीटिंग नही की है, तीन चार लड़कों को साथ में डेट किया है,पर सभी से परमिशन ले कर".....

"क्या मतलब?".....इशांक ने पूछा।।

"उफ्फ आप नही समझोगे,आप तो बूढ़े हो गए हो ना,,मेरी उम्र की लडकियों की एक ही कमजोरी होती है...और वो हैं मर्द,,मैं क्या करूं मर्द मेरी कमजोरी है!"......अपनी कहे बात पर इशांक के बदले भाव को देख कनीषा अपने मन में ही मुस्कुराई और फिर अपने होंठो पर हथेली रख उसके कानो तक बढ़ते हुए आहिस्ते से फुसफुसाई......"जानती हूं ये सब हजम करना मुश्किल हैं,इसलिए मुझे छोड़ दीजिए,क्योंकि मैं आपसे शादी के बाद भी ये सब नही छोड़ने वाली!"

"फर्क नही पड़ता क्योंकी ये शादी सिर्फ दिखावा है,जब तक मेरी फैमली के इज्जत पर बात नही आयेगी,मुझे तुम्हारे किसी शौक या मजबूरी से फर्क नही पड़ेगा!".....कहते कहते इशांक ने अपनी पलके कस कर बंद की ओर कनिषा को तर्जनी उंगली दिखाते हुए फिर से बोला......"और....मैं बूढ़ा नही हूं,मैं सिर्फ उनतीस साल का हूं!"

"अहहां....ये कैसे हो सकता है,कोई भी लड़का ये सब सहन नही कर सकता,,आखिर आपको मुझसे ही शादी क्यों करनी है,देखो.... कनीषा अपना हर एक दाव उल्टा पड़ता देख अब झल्लाने लगी थी,उसे यकीन नही हो रहा था की इशांक सच में उससे शादी के लिए इतना उतावला है की उसकी किसी भी उटपटांग हरकतों और बातों का असर नही हो रहा....."देखो मैं बहुत बिगड़ी हुई लड़की हूं,मेरे मुहल्ले के बच्चों से जा कर पूछ लो,मैं आते जाते लोगों को रोक रोक कर परेशान करती हूं,राह चलते किसी के भी घर का बेल बजा कर भाग जाती हूं,यहां तक की मेरी नाक भी बहती है।"


"मैं टिशू या रुमाल खरीदने की औकात रखता हूं,तुम्हे अपने नाक बहने की फिक्र करने की जरूरत नही!".....इशांक सपाट बोला।।

"साफ साफ कहती हूं,मुझे आप से शादी नही करनी"....अचानक से चीखते हुए...."मुझे जाने दीजिए!"......

उसके चीख पर इशांक कुछ रिएक्ट करता उससे पहले ही आगे की सीट पर बैठे बॉडीगार्ड ने कार रोक दिया...."सर हम पहुंच गए!".....कहते हुए उसने अपनी सीट बेल्ट खोली और जल्दी से कार से निकल कर इशांक के लिए दरवाजा खोला दिया।।

"चलो"....निकलने से पहले इशांक ने कनिषा की कलाई पकड़ी और उसे खिंचते हुए कार से उतर गया,उतरते के साथ ही उसने अपना ब्लेजर निकाला और अगले ही पल कनिषा के सिर से लेकर चेहरे को ढकते हुए उसकी बांह पकड़े चलने लगा।।

उससे छूटने के लिए कनिषा कसमसाई,पर वो जितना ही कोशिश करती,इशांक उसे उतनी ही मजबूती से पकड़ लेता,आखिर में उसने किसी तरह की बीप सुनी और उसके कुछ हो पलों बाद इशांक ने उसके चेहरे से ब्लेजर खींच लिया।।

काफी देर तक ब्लेजर के नीचे ढके रहने से कनिषा का चेहरा लाला दिखाई पड़ रहा था,और उसके बालों की छोटी लेटें माथे से नाक तक लटक रही थी,इशांक को गुस्से से घूरते हुए अचानक उसकी आंखे आंसुओ से भरनी शुरू हो गई,और बड़ी हो तेज आवाज में वो चिल्लाई...."मैं नही करूंगी आप जैसे राक्षस से शादी मुझे जाने दीजिए वरना...वरना!"....कहते हुए जब उसे काफी देर तक कुछ सूझा नही तो अंतिम में उसने अपनी बात को खत्म करते हुए कहा......."वरना...मैं आपसे कभी बात नही करूंगी!"

"ये तो गुड न्यूज है,तुम्हरा मुंह बंद ही रहे तो अच्छा है,तुम्हारी आवाज सुन सुन के मेरे कानो में वैसे भी दर्द होने लगा है".....इशांक उसकी ओर अपने कदम बढ़ाते हुए गुर्राया,जिसके दूसरे पल ही उसने लिविंग रूम में खड़ी एक लड़की को देखा और कहने लगा....."इसे तैयार करो...जैसी भी दुल्हन ये बनना चाहती है,बिल्कुल उसी तरह तैयार करना।।"

इशांक का आर्डर सुनते ही वो लड़की हल्का सा मुस्कुराई और अपने हाथों को लहरा कर कुछ इशारा किया, कनिषा हैरानी से ये सब देख ही रही थी की तभी दो आदमी उसके सामने क्लॉथ स्टैंडिंग हैंगिंग पोल को धकलेते हुए आ खड़े हुए,जिन पर इतने तरह के लहंगे लटके हुए थे की कनिषा गिन भी नही सकती थी।।

"इनमे से तुम अपनी पसंद की ब्राइडल ड्रेस चुन सकती हो!".....इशांक गौरवशाली रूप से हाथ उठाते हुए कहा,जिस पर कनीषा मुंह बिचकते हुए बोली....."मुझे अपना दूल्हा चुनना है।।"

"यहां ऐसा कोई ऑप्शन नहीं है,मेरा वक्त बर्बाद मत करो,समझी".....इशांक खीजते हुए कर्कश आवाज में बोला।।

"फिर मुझे कफन ही पहना दो"...... कनिषा गुस्से से बोली और एकदम से आगे बढ़ कर हैंगिंग स्टैंड पर लात मार,उन्हे नीचे गिरा दिया....."ये अमीरी का दिखावा करते थकते नहीं हैं आप,,मैने कह दिया ना नही करनी आपसे शादी आपको समझ नही आ रहा?".....

इशांक की मनमानी और जबरदस्ती से तंग आ चुकी कनिषा जब इससे ज्यादा कुछ भी बर्दाश्त ना कर सकी,उसने जल्दी से लहंगे की एक चुन्नी उठाई और इशांक के चेहरे पर फेंकते हुए दरवाजे की ओर भागी।।

इधर अपने सिर से चुन्नी को हटा कर इशांक ने गुस्से में उसे सामने की दीवाल पर फेंक दिया,और मुड़ कर लंबे लंबे कदमों से कनिषा की ओर बढ़ते हुए अपने सर्वेंट हलील और बॉर्डीगार्ड्स पर चिल्लाया...."देख क्या रहे हो पकड़ो उसे,,बाहर निकलनी नही चाहिए।"

इधर कनिषा बेझिझक बस भागती जा रही थी,,सभी की नजरों को अपने ऊपर होने के बावजूद भी,वो सब को इग्नोर कर मेन एंट्रेस गेट की ओर दौड़ पड़ी,हालांकि जब उसकी नजर वहां इशांक द्वारा खड़े किए गए दो आदमियों पर पड़ी,तब अनायास ही उसने अपने कदमों को उल्टी दिशा में मोड़ लिया,और हॉल के उस हिस्से की ओर भागने लगी, जहां बड़े ही करीने से सजा कर सोफा और उनके बीच एक कॉफी टेबल रखा गया था,,टेबल और सोफे के बिल्कुल सामने एक बड़ी सी एलईडी टीवी भी लगा हुआ था,जिसके नीचे शेल्फ में कुछ किताबे और छोटे छोटे शो पीस रखे हुए थे।।

दूसरी ओर कनिषा को मुड़ता देख इशांक को लगा जैसे वो खुद को किसी कमरे या पास के ही किचन में बंद कर लेगी,जिसके कारण उसे वहां से निकालने में शादी करने का समय भी निकल जायेगा,इसलिए उसने हॉल में खड़े दो आदमियों को ऑर्डर देते हुए कहा....."पकड़ो उसे!"

इशांक का ऑर्डर सुन वो दो शख्स प्रतिक्रिया करते,उससे पहले ही कनिषा ने अपने भागने की गति को तेज कर लिया,लेकिन वो अंदर से इतनी डरी हुई थी,की....भागते हुए उसे सोफे का पिछला हिस्सा नजर ही नही आया और वो एकदम से उससे टकरा कर नीचे गिर गई,नीचे फर्श पर गिरते हुए उसे अपने कोहनी और घुटनो में चोट तो लगी,पर उसे वहीं पास में एक इंसेक्ट स्प्रे मिल गया,जिसे बिना देरी किए उसने हाथ में पकड़ा और उठ कर सोफे पर खड़ी हो गई।।