Soldier in Hindi Motivational Stories by Sami Ahmad books and stories PDF | सैनिक

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सैनिक

राजस्थान के छोटे से गाँव में जन्मे अर्जुन सिंह को बचपन से ही वीरता और साहस के किस्से सुनने का शौक था। उनके दादा एक सेवानिवृत्त सैनिक थे, जिन्होंने उन्हें आजादी की लड़ाई के किस्से सुनाए और भारत माता की सेवा के महत्व को समझाया। अर्जुन के दिल में बचपन से ही देशभक्ति की भावना ने जन्म लिया।गाँव के खुले मैदानों में दौड़ते-भागते हुए, अर्जुन अक्सर खुद को एक सैनिक के रूप में कल्पना करता। उसकी एक ही तमन्ना थी—देश की सेवा करना। स्कूल की पढ़ाई के बाद, जब अन्य बच्चे अलग-अलग पेशों की ओर बढ़ने लगे, अर्जुन ने सेना में भर्ती होने का निर्णय लिया। गाँववालों ने उसका हौसला बढ़ाया, और उसके माता-पिता ने उसके निर्णय का समर्थन किया, हालांकि उनकी आँखों में चिंता भी साफ झलकती थी।अर्जुन का चयन भारतीय सेना में हुआ, और वह प्रशिक्षण के लिए देहरादून की मिलिट्री अकादमी चला गया। यहाँ उसकी मुलाकात देश के कोने-कोने से आए अन्य युवाओं से हुई, जो उसी तरह से अपने परिवार और देश के लिए कुछ करना चाहते थे।शारीरिक और मानसिक चुनौतियों का सामना करते हुए, अर्जुन का व्यक्तित्व और अधिक मजबूत हुआ। कठिन ट्रेनिंग के बावजूद, उसकी देशभक्ति और सेवा की भावना उसे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती रही। अर्जुन ने अकादमी से बेहतरीन प्रदर्शन के साथ स्नातक किया और उसे एक प्रतिष्ठित रेजिमेंट में शामिल किया गया।अर्जुन का पहला मिशन कश्मीर घाटी में था, जहाँ वह आतंकवादियों से लड़ने वाली एक विशेष टुकड़ी का हिस्सा बना। घाटी में हालात बेहद तनावपूर्ण थे। दिन-रात वहाँ की सेना चौकसी करती थी, और किसी भी क्षण हमला होने का डर बना रहता था। अर्जुन को अपनी पहली तैनाती के दौरान एक गाँव में जाना पड़ा जहाँ आतंकवादियों ने हमला किया था।यहाँ अर्जुन को अपनी वीरता और बुद्धिमानी का परिचय देना पड़ा। जब आतंकियों ने एक गाँव पर हमला कर दिया, अर्जुन और उसकी टुकड़ी ने गाँववालों को सुरक्षित जगह पहुँचाया। कई घंटों की मुठभेड़ के बाद, अर्जुन ने अपने साथियों के साथ मिलकर आतंकवादियों को हरा दिया, लेकिन इस मुठभेड़ में उसने अपने कई साथियों को खो दिया। यह अनुभव उसे अंदर तक हिला गया, लेकिन उसने अपनी भावनाओं को काबू में रखते हुए अपने कर्तव्य पर ध्यान दिया।अर्जुन की अगली तैनाती कारगिल युद्ध के समय हुई। यह वह समय था जब पूरा देश भारतीय सेना के वीर जवानों की ओर देख रहा था। अर्जुन की बटालियन को महत्वपूर्ण पोस्ट पर तैनात किया गया था, जहाँ उन्हें दुश्मनों के कब्जे वाले क्षेत्र को फिर से भारत के अधिकार में लेना था।इस दौरान अर्जुन और उसकी बटालियन ने कई दिनों तक बिना रुके लड़ाई लड़ी। कड़ी ठंड, दुर्गम पहाड़, और लगातार गोलाबारी के बीच, अर्जुन ने अपने साहस का परिचय दिया। एक दिन, दुश्मनों ने भारी हमला किया, और अर्जुन की बटालियन के कई सैनिक घायल हो गए। अर्जुन ने खुद घायल होते हुए भी अपने कमांडर का आदेश मानते हुए आखिरी दम तक लड़ाई लड़ी और अपने साथियों को सुरक्षित स्थान तक पहुँचाया।कारगिल युद्ध में अर्जुन की वीरता के लिए उसे वीर चक्र से सम्मानित किया गया। पूरा देश उसके साहस की सराहना कर रहा था। लेकिन अर्जुन के लिए यह सिर्फ एक सम्मान नहीं था; यह उसके कर्तव्य की याद दिलाने वाला एक प्रतीक था। उसने खुद से वादा किया कि वह हर दिन अपने देश की सेवा के लिए पूरी ईमानदारी और समर्पण के साथ काम करेगा।अर्जुन ने सेना में कई और मिशन पूरे किए, लेकिन हर बार जब वह युद्ध क्षेत्र में गया, उसे अपने परिवार और देश के प्रति अपने कर्तव्यों का एहसास होता।सेना में अर्जुन का समय सिर्फ लड़ाइयों और मिशनों तक सीमित नहीं था। उसकी व्यक्तिगत जिंदगी में भी उतार-चढ़ाव थे। अर्जुन की शादी गाँव की एक शिक्षिका से हुई थी, जिसका नाम सुमन था। सुमन ने हर समय उसका समर्थन किया और उसके कठिन समय में उसकी हिम्मत बनी रही। जब अर्जुन महीनों तक घर से दूर रहता, सुमन घर और परिवार की देखभाल करती थी।उनके दो बच्चे थे, और अर्जुन की सबसे बड़ी चिंता यह थी कि वह अपने बच्चों के साथ ज्यादा समय नहीं बिता पाता था। लेकिन सुमन हमेशा उसे समझाती कि वह देश की सेवा कर रहा है, और यही सबसे बड़ा कर्तव्य है।अर्जुन ने अपने पूरे करियर में कई युद्ध लड़े, मिशनों में भाग लिया, और कई बार मौत को करीब से देखा। आखिरकार, जब वह सेवानिवृत्त हुआ, तो उसने अपने गाँव लौटने का फैसला किया। गाँववालों ने उसका स्वागत धूमधाम से किया, और अर्जुन अब एक नए रूप में गाँव के युवाओं को प्रशिक्षित करने लगा, ताकि वे भी देश की सेवा के लिए तैयार हो सकें।अर्जुन का जीवन एक सैनिक के रूप में शुरू हुआ था, लेकिन उसने अपनी जिंदगी एक प्रेरणा के रूप में समाप्त की। उसने न केवल अपने देश के लिए बलिदान दिए, बल्कि अपनी भावनाओं, परिवार, और समाज के प्रति भी अपनी जिम्मेदारियों को निभाया।यह कहानी भारतीय सैनिक की बहादुरी, देशभक्ति और बलिदान को उजागर करती है। इसके माध्यम से हमें यह संदेश मिलता है कि सैनिक केवल युद्ध लड़ता हुआ व्यक्ति नहीं होता, बल्कि वह समाज के लिए एक प्रेरणा और आदर्श होता है।