Heer... - 34 in Hindi Love Stories by रितेश एम. भटनागर... शब्दकार books and stories PDF | हीर... - 34

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हीर... - 34

राजीव एक जिम्मेदार और समझदार इंसान था और वो कहीं ना कहीं ये बात बहुत पहले ही समझ चुका था कि अंकिता उसे धोखा दे चुकी है लेकिन किसी भी बात को समझना और उसे स्वीकार करना... दो अलग अलग चीजें होती हैं बस इसीलिये सब कुछ अपनी आंखों के सामने होता देखने और अंकिता की रूड बातों को खुद अपने कानों से सुनने के बाद भी राजीव का दिल अक्सर उसे कहीं ना कहीं ये महसूस कराता रहता था कि... "शायद हमारे बीच सब ठीक हो जाये, मैंने कभी किसी भी लड़की के साथ गलत नहीं किया तो भगवान मेरे साथ भी गलत नहीं होने देंगे, शायद मेरा प्यार मुझे वापस मिल जाये... भले अंकिता नहीं मानती कि हमने अपनी अपनी इच्छा से साईं मंदिर की अग्नि के चारों तरफ़ सात फेरे लिये हैं लेकिन भगवान तो जानते हैं ना कि अग्नि के सात फेरे लेने का क्या मतलब होता है, वो मेरे साथ कुछ गलत नहीं होने देंगे... देखना मेरी अंकिता एक दिन जरूर वापस आयेगी!!"

राजीव अंकिता को भूलने की हर संभव कोशिश कर रहा था, वो अपना मन इधर उधर के और घर के कामों में लगाने तो लगा था लेकिन अंकिता की यादें और उन यादों में... अतीत में किये गये उसके वादों की गूंज के साथ साथ उसके खुद के दिल से उठने वाली ये आवाज़ कि" अंकिता वापस जरूर आयेगी!!" उसे फिर से उसी दलदल में वापस खींच लेती थी जिससे  बाहर निकलने के लिये वो छटपटाता रहता था... 

इधर दूसरी तरफ़ राजीव को चारू से मिले हुये करीब चार पांच दिन हो चुके थे, चूंकि मार्च का महीना था और मार्च के महीने में बैंकों में इयरली क्लोजिंग की वजह से काम जादा होता है इसलिये इन दिनों चारू से उसका मिलना नहीं हो पा रहा था लेकिन चारू चूंकि राजीव की सिचुवेशन जानती थी इसलिये वो दिन में तीन चार बार उससे बात ज़रूर कर लिया करती थी और चारू से बात करके राजीव को भी बहुत रिलैक्स फ़ील हो जाता था... 

कानपुर आने के बाद मिला अपने मम्मी पापा का साथ, उनका प्यार, घर का खाना और घर... राजीव को जादा तो नहीं पर थोड़ा थोड़ा नॉर्मल करने लगे थे, उसने खुद के दिल को भी ये समझाना शुरू कर दिया था कि "अंकिता से पहले भी तो मेरी एक लाइफ़ थी जो कि बहुत अच्छी थी.. वापस आयेगी आयेगी नहीं आयेगी तो ना आये... भाड़ में जाये!!" लेकिन अपने प्यार को भूल जाना और इतनी आसानी से अपनी लाइफ़ में आगे बढ़ जाना अगर इतना ही आसान होता तो फिर हीर-रांझा, लैला-मजनूं, शिरीन-फरहाद, देवदास-पारो और ना जाने कितनी दिल को चीर कर आंखों से छलक जाने वाली कहानियां ऐसे ही थोड़े ना लिख जातीं... कभी तो कहीं कोई आशिक टूटकर  रोया ही होगा तभी तो उसने उस दर्द को बखूबी अपने शब्दों में संजोया होगा... हैना?? 

ऐसा अक्सर होता है कि जो इंसान हमारे दिल के बहुत करीब रहा हो और जिसके साथ हमारा एक पूरा का पूरा अतीत गुजरा हो उसे हम खुद याद करें या ना करें लेकिन हमारा दिमाग किसी ना किसी तरह से घूम फिर कर हमें उसकी याद दिला ही देता है और फिर.. फिर सब कुछ वापस से उसी जगह पंहुच जाता है जहां से दूर होने के लिये हम छटपटा रहे होते हैं, ऐसा ही कुछ हुआ राजीव के साथ.... इधर कुछ दिनों से राजीव को ये लगना शुरू हो चुका था कि वो अंकिता को अब भूल जायेगा लेकिन 
एक रात... 

"देखो राजीव... हम जानते हैं कि तुम हमसे बहुत प्यार करते हो लेकिन आई एम सॉरी... हम तुम्हारे साथ नहीं रह सकते, हम किसी और से शादी करने जा रहे हैं!!" अंकिता ने अपनी बात राजीव से कही और... सामने खड़ी एक बस में बैठकर वहां से चली गयी और राजीव... राजीव अपनी आंखों में आंसू लिये हुये उसे वहां से जाते देखता रह गया लेकिन कुछ बोल नहीं पाया और उसकी आंखों के सामने वो बस जिसमें अंकिता जाकर बैठी थी वो वहां से चली गयी कि तभी... अंकिता की बस के वहां से जाते ही राजीव.. पीठ के बल एक गहरी खाई में गिरने लगा, खाई में गिरते हुये भी राजीव का दिल अपनी मौत के डर से ना रोकर अंकिता के दर्द को महसूस करते हुये लगातार रोये जा रहा था कि तभी... उस खाई में 'बुद्धं शरणम् गच्छामि, धम्मम् शरणं गच्छामि!!' मंत्र बहुत तेज़ आवाज़ में गूंजने लगा.... कि तभी राजीव की नींद खुल गयी.... वो सपना इतना रियल था कि जागने के थोड़ी देर बाद तक राजीव को ऐसा महसूस होता रहा कि वो मंत्र अभी भी उसके कानों में गूंज रहा हो और अंकिता भी सच में उसके सामने आकर खड़ी हो गयी हो...

राजीव नहीं जानता था कि अंकिता उसे धोखा देने के बाद भुवनेश्वर में क्या गुल खिला रही थी इसलिये उस सपने में अंकिता की कही गयी ये बात कि "हम किसी और से शादी करने जा रहे हैं!!" याद कर करके राजीव जो बड़ी मुश्किल से अंकिता से बाहर आ पा रहा था... वापस से फिर उसी मानसिक स्थिति में पंहुच गया और फिर से वो ये सोच सोचकर दुखी और परेशान होने लगा कि "नहीं... नहीं मेरी अंकिता किसी और से शादी नहीं कर सकती, भगवान मेरे साथ इतना बड़ा अन्याय नहीं कर सकते... अंकिता प्लीज वापस आ जाओ, प्लीज अंकिता वापस आ जाओ!!"

क्रमशः