the knowledge of the reality of light in Hindi Astrology by Rudra S. Sharma books and stories PDF | यथावत्ता प्रकाश के यथावत् ज्ञान की

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यथावत्ता प्रकाश के यथावत् ज्ञान की

यथावत्ता प्रकाश के यथावत् ज्ञान की

अधिकतर हम देखते हैं कि कुंडली तो शुभ योगों या फलों कि ओर या अशुभ फलों कि संभावनायें बताती हैं पर वास्तविकता विपरीत होती हैं तो इसका कारण यह नहीं कि वह शाश्वत ज्ञान अर्थात् विज्ञान नहीं हैं अपितु ज्योतिष तो शिव अर्थात् शाश्वत (जो सदैव हैं उनके तीसरे नेत्र का यानी समझ के आयाम का सटीक वेदों के माध्यम् से प्राप्त हुआ और वेदांत के माध्यम् से सटीकता के योग सें स्पष्टता के साथ ज्ञात हुआ ज्योति का विज्ञान हैं। ज्योतिष को अहमियत नहीं देना उसके बारे में पूरी जानकारी के आभाव वश ही हैं और उसी तरह हैं जिस तरह जहर कि समझ नहीं होने वाले के लिए वह व्यर्थ यानी किसी काम नहीं आने वाला तो हैं ही बल्कि हानि दायक भी हैं अन्यथा जिसे जहर की समझ हैं, जो उसके बारे में पूरी जानकारी रखता हैं वह उससे खुद का भी हित करना जनता हैं और दूसरों का भी, उसे औसधी कि तरह उपयोग में लाकर के। जितना अधिक जीव अपनी आत्म उन्नति के प्रति ज्यादा परवाह करने वाला रहेंगा उतने ही कम ग्रहों से प्राप्त होने वाले अशुभ प्रभावों कि प्राप्ति का अधिकारी होने कि पात्रता अर्जित करेंगा अन्यथा कुंडली में योग कितनें ही स्वभाविकतः सिद्ध हों जितना ज्यादा खुद के विकास के प्रति लापरवाही का अनुपात उतना अधिक अशुभ फल देने वाले होते हैं।

- रुद्र एस. शर्मा (समय गुरुवार, २८ दिसंबर २०२३, १९:३९.)

ज्योतिष में एक पर्याप्तता के साथ में ऐतियातो के साथ अंक ज्योतिष म हीें की गई खोज सटीकता के साथ बड़ी ही सहजता से उपलब्ध हों रही हैं।

हलचलो का ध्यान रख लेना बहुत जरूरी हैं।

हलचलो का ध्यान रख लेना बहुत जरूरी हैं।
हर अहसास और हर एक वस्तु कम्पन से आकार में आयी हैं, उस कम्पन सें जो खुद से ही कंपित हुआ हैं, खुद में ही कंपित हुआ हैं और खुद में ही सदैव से सदा के लियें कंपित होता रहेगा, ओम का कम्पन, ओम से ओम में कंपित होता रहेगा, बाकी सारें कम्पन इसी की परिणाम स्वरूपितता हैं जों संज्ञान और अज्ञान के संयोजन के विभिन्न अनुपातो में अलग अलग तरीकों से होने से फलित हुई हैं इसलिए जो ध्वनि हमारी ओर हमारे नाम के रुप में या किसी भी रूप में ब्रह्मांड या ब्रह्मांडों के किसी भी नगण्य हिस्सों से लेकर हर आकार के हिस्से द्वारा धकेली या धक्का दी जा रही हैं यानी धकायी जा रही हैं और जिस अनुपात में हमारे अंदर से आ रहा कम्पन हमारे होश का उसकों स्वीकार कर रहा हैं जानें अंजाने उसके सभी के लिए और उसके लिए भी जो सुविधा जनक पहलू हैं उनको या असुविधा जनक पहलू हैं उनको, यह बहुत प्रभावी होता हैं, इसका हम पर बहुत ज्यादा असर होता हैं, यदि हमे हमारी और हमारे अपनो की सुविधा ध्यान में हैं यानी यदि हम इनके प्रति जागे हुए हैं तो कम्पन का सटीक ज्ञान भौतिक अहसासो से लेकर हर एहसासों के जगत में बहुत जरूरत रखता हैं अन्यथा दवाई की तरह नहीं लें पायें उसकी अज्ञानता वश तो मूल एहसास से लेकर हर अहसास और वास्तु की तरह यह हैं तो पक्का जहर हीं अतएव ध्वनियों के यानी नाम आदि के बाहर से धकेले और अंदर से स्वीकृति में लिए जा रहे प्रभावों को ख्याल में रख लेना बहुत जरूरी हैं और इसी अनुसंधान यानी कि खोज को अंक ज्योतिष में बड़ी ही फुरसत से किया जा रहा हैं अतएव अंक ज्योतिष के महत्व के प्रति जागृति रहेगी तो हर समस्याओं के समाधान की सटीकता यानी स्पष्टता से ज्ञाप्ति की या रक्खी जा सकती हैं।

- रुद्र एस. शर्मा (समय रविवार, ०६ अक्टूबर २०२४, ०९:१९.