नवरात्रि के आते ही जैसे शहर में महापर्व का बिगुल बज उठा हो। चारों तरफ गरबा और डांडिया की धूम है। सड़कों से लेकर गलियों तक एक ही आवाज़ गूंज रही है – “जय माता दी, डीजे वाला भैया, थोड़ा गाना लगा दो ,बेबी को बेस पसंद है ।” डी जे की रीमिक्स धुन ,डांडिया बजाते लोग लुगाई..,जैसे की शहर को एक बुखार चढ़ गया है..गर्मी के नौ तपे से भी तेज बुखार ... अजी, ये वही नवरात्रि है ना, जो माँ दुर्गा की भक्ति, पूजा, और साधना का पर्व माना जाता था? अब देखिए, इस गरबा महोत्सव ने कैसा रूप धर लिया है – लगता है जैसे फैशन शो, डेटिंग साइट ,मौज मस्ती ,रेव पार्टी जैसी चल रही हो । महिलाएं और बच्चियां..तन पर धोती की लीर लपेटे स्लीव लेस ब्लाउज और नंगी पीठ पर माँ दुर्गा की पेंटिंग चिपकाए ..फैशन की दौड़ में अंधी भागती लडखडाती संस्कृति के प्लेटफार्म को रोंद्ती हुई चली जा रही है ।गरबा नहीं कोई मॉडलिंग कांटेस्ट हो गया जी ।
माँ दुर्गा के तश्वीर देख रहा हूँ में एक कोने में पडी सिसक रही है.. आयोजक ने दो फूल माला प्रायोजकों के हाथों चढ़वाकर ,दो अगरबत्ती लगाकर डोनेशन की मोटी रकम का जुगाड़ कर लिया है.. । माँ इंतज़ार कर रही है इस कैद से छूट जाने का..9 दिन का कारावास ..! किधर देवी माँ की भक्ति और किधर वो पुरानी परंपराएँ?
पहले जहाँ माँ दुर्गा की स्तुति के साथ आरती होती थी, वहीं अब डीजे वाले बाबू की धुनों पर लोग और लुगाइयां अपनी कमर मटका रहे हैं। रातभर डीजे के भोंपू मोहल्ले की नींद हराम करने को आतुर । जब हर तीज त्यौहार को बाजार ने गिरफ्त में ले लिया तो भला गरबा कहाँ से बचेगा रे..लड़कियाँ अपने गरबा ड्रेस की चमक और चूड़ियों की खनक से इन्स्ताग्राम की खिडकियों पर खडी बुला रही है ...आओ गरबा खेलें.. । और लड़के अपनी नयी-नयी स्टाइलिश मूंछों के साथ आज की रात का इंतज़ाम हो जाए ..कल की कल जानी..बस अपनी सेटिंग करने में लगे है ... ।
कौन करेगा ऐसे गरबा पर गर्व ..एक सार्वजनिक रोमांस का खेल ...देवी माँ की आड़ में । लड़के-लड़कियां एक-दूसरे को देखकर गरबा करते हुए आँखों ही आँखों में इश्क़ फरमा रहे हैं। बीच बीच में किसी कोने में खड़े होकर मोबाइल पर ‘सेल्फी विद गरबा क्वीन’ का सीन सेट कर रहे हैं। सबकुछ बदल गया है, होली के रंग फीके पड़ गए ..दीवाली के दीयों तले अंधेरा व्याप्त है .. नवरात्रि के गरबा में प्रेम के पींगे चढ़ाए लोग बौरा गए हैं है।
हमरे तीज त्यौहार गली मोहल्ले आस पड़ोस घर बार में कम और फेसबुक इन्स्टा पर धूमधाम से मनाये जा रहे हैं.. प्रेम, श्रृंगार भक्ति रीतिकाल का सौन्दर्य ..जैसे की प्रेम की नदियाँ बह रही हो । स्टेटस पर सावन की बौछारें वाल भिगो रहे है , प्रेम के गीत गूँज रहे है , और श्रृंगार का भोंडा प्रदर्शन तो हो ही रहा है, लेकिन असल ज़िंदगी में क्या हो रहा है? ..तनिक ठहर कर देखो ना...गर्मी से भरी रसोई में पसीने-पसीने हो रही महिलाएँ, बिजली के कटौती से परेशान घर, और शहर की सड़कों पर पानी का सैलाब। पर ये सब तो कौन देखता है? सोशल मीडिया की दुनिया में तो सब कुछ अद्भुत और सुंदर है! दिल बहलाने को ग़ालिब ये ख़याल अच्छा है .. ।
ये गरबा का मौसम है ..भूल जाइए सब ..तनिक रोमांटिक हो जाइए, असलियत से आँखें मूँद लीजिये । कुछ नजर नहीं आयेगा सड़कों पर पानी का सैलाब बह रहा है, लोग जाम में फंसे हुए हैं, और बच्चों की बेसमेंट में डूबने से मौत हो रही है, ..ये आवाजें बेसुरी है...ताल पर नहीं है.. धुन बदलो..बाजार की धुन पर थिरको.. । गरबा के ठुमके लगाते हुए नाचो..चिकनी चमेली पर । नाचो उनके सर पर जिनके सर के ऊपर की छत से पानी टपक रहा है।
बाढ़ और बारिश की चिंता छोड़िए..चिंता चिता के समान , पुल गिर रहे हैं..गिरने दो , पहाड़ दरक रहे हैं दरकने दो .., आग पड़ोस में लगी है ..लगने दो..हमारे दरवाजे फायर प्रूफ है.. । हाँ एन ओ सी ले ली है...५ हजार रु खर्च करके..देखो ..हमारे दरवाजे पर आग लग ही नहीं सकती...हम दिखा देंगे,,एन ओ सी..आग को.. । पड़ोसी को बुझाने दो आग..हम तो चले खेलने गरबा...धोलिडा..ढोल बाजे...। सभी के लिए गरबा कुछ ना कुछ लेकर आया है.. । नेता के लिए चुनावी फसल उगाने को वोट रुपी बीज मिलेंगे , संस्थाएं चंदा वसूली करेंगी ,दिशाहीन भटकते नौजवानों को दिशा मिलेगी,आधुनिकता की अंधी दौड़ में पागल नारी शक्ति को अपना शक्ति प्रदर्शन दिखाने का मौका .. । सबकी झोली में कुछ न कुछ देकर जायेगा ये गरबा । कुछ स्वछन्द लड़कियों को जो अभी जवाने की दहलीज पर कदम ही रखी है ,उनकी झोली में भी एक अनचाहा गर्भ...एबॉर्शन क्लिनिक के लिए ग्राहकों की लम्बी कतार ..!
चलो भाई, गरबा करो, डांडिया खेलो, पर कभी-कभी नजर उठा कर देख भी लिया करो, कहीं आसमान से बादल तो नहीं फट रहा, या सड़कों पर पानी का सैलाब तो नहीं बह रहा! अगर कुछ नजर बची हो तो...नहीं तो सब रतोंधी के मारे ..दिन के उजाले में कुछ नजर नहीं आता...रातें सिर्फ गुनाह करने के लिए बनी हैं शायद.. ।
रचनाकार –डॉ मुकेश असीमित
Mail ID drmukeshaseemit@gmail.com