Zindagi Ke Panne - 5 in Hindi Motivational Stories by R. B. Chavda books and stories PDF | जिंदगी के पन्ने - 5

Featured Books
Categories
Share

जिंदगी के पन्ने - 5

रागिनी अब चार साल की होने वाली थी, और घर में सभी बहुत उत्साहित थे क्योंकि अब वह स्कूल जाने के काबिल हो गई थी। उसकी मम्मी और पापा ने काफी दिनों से उसके स्कूल में दाखिला करवाने की तैयारियां शुरू कर दी थीं। नए स्कूल बैग से लेकर यूनिफॉर्म तक, सब कुछ बड़े प्यार से चुना गया था। रागिनी खुद भी इस सब के लिए बेहद उत्साहित थी। स्कूल जाने का ख्याल ही उसे खुशी से भर देता था, और उसे अपनी यूनिफॉर्म, किताबें और स्टेशनरी बहुत पसंद आईं।

आखिरकार वह दिन आ ही गया जब रागिनी का स्कूल का पहला दिन था। मम्मी ने उसे सुबह-सुबह बड़े प्यार से उठाया और तैयार होने के लिए कहा। मम्मी ने उसके बालों में दो प्यारी-प्यारी चोटी बनाई, जिसमें उन्होंने गुलाबी रंग के रिबन बांध दिए थे। रागिनी बहुत प्यारी लग रही थी, और उसे देखकर मम्मी-पापा की आंखों में गर्व और खुशी थी।

पापा ने साइकिल निकाली, और रागिनी को साइकिल के पीछे की सीट पर बिठाया। वह भी पूरे उत्साह में थी, अपनी पहली स्कूल यात्रा पर जाने के लिए तैयार। पापा ने जैसे ही साइकिल चलाना शुरू किया, रागिनी ने पूरे रास्ते की रौनक का आनंद लिया। स्कूल जाने का रास्ता उसके लिए नया था, और वह हर चीज़ को ध्यान से देख रही थी – सड़कों के किनारे खड़े पेड़, रास्ते में दिखने वाले लोग, और छोटे-छोटे बच्चे जो अपने माता-पिता के साथ अपने-अपने स्कूल की ओर जा रहे थे।

स्कूल के गेट पर पहुंचकर पापा ने रागिनी को साइकिल से उतारा और उसका हाथ पकड़कर स्कूल के अंदर ले गए। गेट पर खड़े गार्ड अंकल ने उन्हें देखकर मुस्कुराया और पापा से कहा, "बेटी का पहला दिन है, सही?" पापा ने गर्व से हां में सिर हिलाया। रागिनी थोड़ी घबराई हुई थी, लेकिन जैसे ही उसने अंदर कदम रखा, उसका डर धीरे-धीरे कम होने लगा।

रागिनी को उसकी कक्षा तक पापा छोड़ने गए। कक्षा में बहुत सारे बच्चे पहले से ही थे, कुछ रो रहे थे और कुछ चुपचाप बैठे हुए थे। लेकिन रागिनी को कोई डर नहीं था। उसने पहले ही अपनी मम्मी और पापा से सुन रखा था कि स्कूल एक बहुत मजेदार जगह होती है। पापा ने उसे उसकी सीट पर बिठाया और उससे कहा, "बेटा, मैं तुम्हें लेने आऊंगा। तुम अच्छे से पढ़ाई करना और मस्ती भी करना।"

उसकी क्लास टीचर ने भी रागिनी का स्वागत बड़े प्यार से किया। उन्होंने उसकी दो चोटी देखकर कहा, "अरे, कितनी प्यारी लड़की है! और ये चोटी तो बिल्कुल गुड़िया जैसी हैं।" रागिनी को टीचर की यह बात सुनकर बहुत अच्छा लगा और वह तुरंत मुस्कुराने लगी। धीरे-धीरे बाकी बच्चे भी उससे बातें करने लगे और उसने कुछ नए दोस्त बना लिए। उसका आत्मविश्वास धीरे-धीरे बढ़ने लगा।

कक्षा में पूरे दिन बहुत सारी गतिविधियां हुईं। टीचर ने उन्हें एक छोटी कहानी सुनाई, कुछ चित्र बनाए और सभी बच्चों के साथ गेम भी खेले। रागिनी को हर चीज़ में मजा आ रहा था। वह पूरे ध्यान से सब कुछ सीख रही थी और हर गतिविधि में भाग ले रही थी। वह दूसरों से अलग थी, क्योंकि उसने बिल्कुल भी रोया नहीं था, जबकि बाकी कई बच्चे अपने माता-पिता से अलग होने के कारण अभी भी थोड़े असहज थे।

रागिनी के पास बैठी एक और लड़की, जिसका नाम प्रिया था, थोड़ी डरी हुई थी और उसने अपने माता-पिता को याद करते हुए रोना शुरू कर दिया था। रागिनी ने उसे तुरंत सांत्वना दी और कहा, "तुम मत रो, हम दोनों दोस्त हैं। देखो, स्कूल में कितना मजा है!" उसकी इस मासूमियत और प्यारी बात ने प्रिया को थोड़ी राहत दी, और दोनों ने फिर मिलकर क्लास में दिए गए गेम्स में हिस्सा लिया।

लंच टाइम में रागिनी ने अपने टिफिन में मम्मी द्वारा बनाई गई आलू परांठे और दही को बड़े चाव से खाया। उसने प्रिया और बाकी दोस्तों के साथ मिलकर अपना खाना शेयर भी किया। स्कूल में हर कोई रागिनी से प्रभावित था। उसकी टीचर ने भी उसकी तारीफ की, क्योंकि उसने अपने पहले ही दिन में न केवल अपनी नई जगह को अपनाया, बल्कि दूसरे बच्चों को भी आराम महसूस करवाया।

स्कूल का पहला दिन खत्म हुआ और पापा उसे लेने आए। रागिनी ने अपने पापा को दूर से देखा और खुशी से दौड़कर उनके पास पहुंच गई। पापा ने उसे गोद में उठाया और पूछा, "कैसा रहा तुम्हारा दिन?" रागिनी ने बड़े उत्साह से कहा, "बहुत मजा आया पापा! मैंने बहुत सारे दोस्त बनाए और टीचर ने भी मेरी चोटी की तारीफ की।"

पापा ने उसकी बातें ध्यान से सुनीं और उसकी पीठ थपथपाई। रास्ते भर रागिनी अपने दिन के बारे में पापा को बताती रही। वह इतनी खुश थी कि उसे महसूस भी नहीं हुआ कि कब वे घर पहुंच गए।

घर पहुंचते ही रागिनी ने मम्मी को अपनी स्कूल की पूरी कहानी सुनाई। मम्मी ने उसे प्यार से गले लगाया और कहा, "मुझे पता था कि मेरी रागिनी बहुत बहादुर है।" रागिनी ने मम्मी को बताया कि कैसे उसने प्रिया को रोने से रोका और कैसे टीचर ने उसकी चोटी की तारीफ की थी। मम्मी-पापा दोनों उसकी बातें सुनकर बहुत खुश हुए।

रागिनी के स्कूल के पहले दिन ने उसे और उसके माता-पिता को बहुत सारी खुशियों से भर दिया था। उसने पहले ही दिन में यह साबित कर दिया कि वह बहुत समझदार और मिलनसार है। जैसे-जैसे दिन बीतेंगे, रागिनी का आत्मविश्वास और भी बढ़ेगा और वह स्कूल में नई-नई चीजें सीखने के साथ-साथ और भी यादगार पल बनाएगी।

अब देखना यह है कि आने वाले समय में रागिनी का L.K.G और U.K.G का सफर कैसा रहेगा। क्या वह इसी तरह से नए-नए दोस्त बनाती रहेगी? क्या उसकी पढ़ाई के साथ-साथ उसके स्कूल के अनुभव और भी मजेदार बनेंगे? यह सब जानने के लिए बने रहिए हमारे साथ, अगले एपिसोड में...