Nagendra - 2 in Hindi Fiction Stories by anita bashal books and stories PDF | नागेंद्र - भाग 2

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नागेंद्र - भाग 2

अवनी अपने माता-पिता के साथ उसे रहस्यमई जंगल में एक नाग मंदिर के सामने बैठी हुई थी जहां पर उसकी शादी एक सांप के साथ होने वाली थी। वक्त पर वह साफ तो नहीं आया था लेकिन एक दूसरा किंग कोबरा जाकर उसकी जगह पर बैठ गया था। वह पंडित जो उन दोनों की शादी करवा रहा था उसने यह उपाय दिया की अवनी की शादी इसी नाग से करवाई जाए।
" लेकिन पंडित जी आपने देखा ना कि यह कोई मामूली नाग नहीं है यह किंग कोबरा है। पता है इसका जहर कितना खतरनाक होता है?"
अवनी के पिताजी गिरधारी लाल में डरी हुई आवाज में कहा। सावित्री भी इस बात को अच्छे से जानती थी, लेकिन बड़े पंडित के हिसाब से अब मुहूर्त आने वाला था और अभी तक वह सपेरा या नहीं था। उसने हाथ जोड़कर ऊपर आसमान की तरफ देखा और फिर कहा।
" श्री भगवान मेरी तो समझ में नहीं आ रहा कि मैं क्या करूं।"
फिर उसने कुछ सोचा और फिर पंडित जी की तरफ देखकर कहा।
" आप जाकर देख लीजिए अगर वह सब कुछ हरकत नहीं करता है तब तुम दोनों की शादी करवा दीजिए। क्योंकि मुझे तो बहुत डर लगता है। वह सपेरा जो सांप लाने वाला था उसका उसने जहर निकाल लिया है लेकिन यह तो बहुत जहरीला दिख रहा है।"
पंडित जी भी उस किंग कोबरा से डर तो रहे थे लेकिन फिर भी हिम्मत करके वह उसे तरफ गए। धीरे-धीरे अपने कदम बढ़ाते हुए पंडित जी अपनी जगह पर जा कर बैठ गए। उन्होंने देखा कि सब कोई हरकत नहीं कर रहा है चुपचाप ऐसे बैठा हुआ है जैसे कि वह साफ ही इस समय दूल्हा बन कर बैठा हो। 
पंडित जी ने डरी हुई अवनी से कहा।
" अवनी बेटा डरने की कोई जरूरत नहीं है चुपचाप बैठ जाओ।"
अवनी जिसका चेहरा डर की वजह से सफेद हो गया था उसने अपनी गर्दन हल्के से हिलाई और अच्छे से बैठने लगी लेकिन फिर भी उसकी नजर बार-बार अपने बाजू में बैठे हुए उस जहरीले किंग कोबरा की तरफ ही थी। पंडित जी धीरे-धीरे मंत्रोचार करने लगे। समय आगे बढ़ने लगा और धीरे-धीरे सावित्री जी और गिरधारी लाल भी उन लोगों के पास जा कर बैठ गए। 
करीब 1 घंटा हो गया था लेकिन फिर भी वह सांप अपनी जगह से हिला नहीं था। उसे सांप को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे कि वह भी चाहता हो कि वह इन सब में शामिल हो। हिरनी की बात यह थी कि जैसे-जैसे पंडित जी करने को कह रहे थे वह साप बिल्कुल वैसा कर कर रहा था।
जब आखिर में पंडित जी ने मांग भरने को कहा तो यह देखकर सब लोग हैरान हो गए कि उसे सांप ने अवनी की मांग भी भरी। जब सारी विधि हो गई तब पंडित जी ने खुश होते हुए कहा।
" आप दोनों की शादी संपन्न हुई और आज से आप दोनों पति-पत्नी है। ईश्वर से मैं यह कामना करता हूं कि आप दोनों की जोड़ी सही सलामत रहे और आपकी जोड़ी को किसी की नजर ना लगे।"
पंडित जी की यह बात सुनकर सावित्री जी ने पंडित की तरफ देखकर गुस्से में कहा।
" अरे ओ पंडित यह कौन सा आशीर्वाद दे रहा है तू? अब इसके बाद यह नाग अपनी जगह पर चला जाएगा और मेरी बेटी अपने घर वापस चली जाएगी।"
सावित्री जी की बात सुनकर पंडित जी थोड़े हड़बड़ा गए लेकिन उन्होंने सावित्री जी के सामने गलत बोल दिया था। उन्होंने अपने शब्दों को सुधारते हुए कहा।
" माफ करना मुझसे गलती हो गई।"
उसे बेचारी पंडित जी का डरना लाजमी था क्योंकि सावित्री से अपने गुस्से के बारे में बहुत पॉपुलर थी। वह भी क्यों ना आखिर राजस्थान के देलवाड़ा परिवार की आखरी वंशज जो थी। परिवार के नाम पर अब सिर्फ सावित्री जी और उनका परिवार ही बचा था। लेकिन परिवार का पैसा बहुत मिला था उनको। एक राजकुमारी की जिंदगी जीते हुए उन्हें इस बात का इल्म नहीं रहा था कि दूसरे लोगों से किस तरह से बात करनी चाहिए।
छोटी-छोटी बात पर गुस्सा करना और छोटी बातों की भी बड़ी सजा दे देना जी सावित्री के लिए आम बात थी। 
" हां ठीक है ठीक है लेकिन अभी से आपके बच्चे को दूर करो मेरी बेटी से।"
वह सांप जब से आया था तब से खामोशी से बैठा हुआ था इसलिए सबका डर दूर हो गया था। पंडित जी ने जैसे ही सांप को हटाने के लिए अपना हाथ बढ़ाया उसे सांप ने पंडित जी की तरफ देखकर जोरदार फुंकार की। सांप के इस तरह से फुंकारने की वजह से पंडित जी दो कदम पीछे गिर गए। 
सबको अचानक गुस्सा होते हुए देखकर सावित्री जी और गिरधारी लाल भी डर गए। अवनी तो शुरुआत से लेकर अब तक खामोशी से बेटी हुई थी और अभी भी वह खामोश ही थी बस उसके चेहरे में डर का पसीना दिखाई दे रहा था।
" हे भगवान अभी इसे क्या हो गया? अभी तक तो चुपचाप बैठा हुआ था और अभी इतना गुस्सा क्यों हो गया?"
सावित्री जी ने यह सवाल गिरधारी लाल की तरफ देखकर पूछा। गिरधारी लाल ने पहले इधर-उधर देखा और फिर सोचते हुए कहा।
" हो सकता है इस सांप को हमारी बेटी अवनी कुछ ज्यादा ही पसंद आ गई हो।"
गिरधारी लाल की बात पर सावित्री जी ने उनका घर कर देखा और कहा।
" तुम तो बस रहने ही दो।"
अब उन्हें इस बात की चिंता होने लगी थी कि कहीं यह साथ अवनी को या फिर किसी और को काट ना ले। दिखने में वैसे भी यह सब बहुत जहरीला दिखाई दे रहा था। व्हाट्सएप धीरे-धीरे अवनी की तरफ जाने लगा यह देखकर सबके सीने में धड़कन रुक गई।
अवनी ने खुद को बचाने के लिए जैसे ही अपना हाथ आगे किया उसे सांप ने अवनी की सीधे हाथ की हथेली में अपना मुंह रखा। डर के मारे अवनी ने अपनी आंखें बंद कर ली और सांप के काटने का इंतजार करने लगे क्योंकि इसके अलावा और वह कुछ नहीं कर सकती थी।
लेकिन जैसे ही उसने अपनी आंखें खोल कर देख अब सांप वहां से जाने लगा था। अवनी ने अपने हाथों की तरफ देखा तो वहां पर काटने का कोई निशान नहीं था। देखते ही देखते वह विशाल सांप जंगल में गायब हो गया। कुछ पल के लिए किसी को कुछ समझ नहीं आया कि उन्हें क्या करना चाहिए।
तभी जब पंडित के पास रखा हुआ हुआ उनका फोन बजा तब सब लोग बेध्यान हुए। उसे पंडित जी ने जैसे ही फोन उठाया तो सामने से बड़े पंडित जी का फोन था और वह पूछ रहे थे की पूजा संपन्न हुई या नहीं। पंडित जी ने यहां पर जो कुछ भी हुआ था वह सब कुछ बताया तब बड़े पंडित जी ने सावित्री जी से बात करने के लिए कहा।
" नमस्ते गुरुजी सब कुछ ठीक हो गया है।"
सावित्री जी ने जैसे ही यह बात कही सामने से गुरु जी ने कहा।
" वह सब तो ठीक है सावित्री की लेकिन समझ में नहीं आ रहा कि वह नागदेव अचानक कहां से आ गए। आप एक बात नहीं जानती है आपके परिवार के बारे में कि आपका देलवाड़ा परिवार नागों की पूजा करता है और ऐसा कहा जाता है कि आपके पूर्वज नागलोक के रक्षक थे। ऐसे में किसी नागदेव का इस तरह से आना मुझे अजीब लग रहा है।"
सावित्री जी को अपने परिवार के इतिहास के बारे में जानने में कोई इंटरेस्ट नहीं था उन्होंने बात को वहीं पर रोकते हुए कहा।
" अरे गुरु जी घबराने वाली कोई बात है ही नहीं सब कुछ ठीक हो गया है और वह सांप भी जंगल में चला गया है और अब हम तुरंत वहां पर आते हैं। हम हवेली में जाकर आपके पास आते हैं और आप फिर से एक बार अवनी की कुंडली देख लीजिए। अब मुझे पूरा विश्वास है कि सब कुछ ठीक हो जाएगा।"
" जैसी आपकी मर्जी सावित्री जी।"
गुरुजी इससे ज्यादा कुछ बोल नहीं पाए क्योंकि सावित्री जी ने फोन रख दिया था। उन्होंने अपनी जगह से उठाते हुए पंडित जी से कहा।
" जल्दी से यह सारा सामान समेटो हमें यहां से जाना है।"
वह लोग वहां से जाने की तैयारी कर रहे थे वहां दूसरी तरफ वह सांप जंगल के अंदर अंदर जा रहा था। वह एक पहाड़ के जलने के पास गया और चलने के अंदर चला गया जहां से एक रास्ता अंदर की तरफ जा रहा था। वहां पर एक विशाल सांप के मुंह जैसा एक दरवाजा था जिसके अंदर वह चला गया। 
वहां हर जगह कीचड़ लगा हुआ था। व्हाट्सएप उसे दरवाजे के अंदर जा रहा था लेकिन कीचड़ में किसी इंसान के पैरों के निशान छप रहे थे।
आखिर वह सांप कौन था? गुरुजी ने देलवाड़ा परिवार के पूर्वजों के बारे में क्या कहा था? देलवाड़ा परिवार के पूर्वजों के कारण ही अवनी को वह सपना दिखाई दे रहा था या फिर उसके पीछे कोई और कारण था?