Heer... - 32 in Hindi Love Stories by रितेश एम. भटनागर... शब्दकार books and stories PDF | हीर... - 32

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हीर... - 32

चारू जब राजीव के कमरे में उसे जगाने के लिये पंहुची तब उसने देखा कि राजीव पेट के बल एक करवट लेटे गहरी नींद में सो रहा है, उसे ऐसे चैन से सोते देख चारू मुस्कुराने लगी और बिस्तर के दूसरी साइड करवट लेकर लेटे राजीव के पास कुर्सी डालकर बैठ गयी और इस बात से बेखबर होकर कि कोई उसके पास आकर बैठा है... चैन से सो रहे राजीव को मुस्कुराते हुये देखने लगी और सोचने लगी कि "परसों रात तुझे उस हालत में रोते देखने के बाद तुझे जगाने का मन नहीं कर रहा यार, तुझे अपने घर के अपने बिस्तर पर चैन से सोते देख बहुत अच्छा लग रहा है राजीव, भगवान तेरे मन को हमेशा ऐसा ही सुकून दें!!"

राजीव को प्यार भरी नजरों से एकटक देख रही चारू ने ये बात सोचते हुये अपना एक हाथ आगे बढ़ाया और बहुत सॉफ्टली अपना वो हाथ उसके बालों पर फेरने लगी और ये सोचते हुये कि "अभी जागेगा तब देखना...यही बोलेगा सुबह सुबह तेरी शक्ल देख ली अब मेरा पूरा दिन खराब जायेगा!!"... चारू हंसने लगी!! 

इधर चारू ने मुश्किल से दो मिनट ही राजीव के बाल सहलाये होंगे कि तभी राजीव ने नींद से बाहर आते हुये धीरे धीरे अपनी आंखें हल्की सी खोलीं और झटके से चौंककर अपना सिर तकिये से उठाते हुये बोला- अंकिता... अंकिता!! 

शायद राजीव कोई सपना देख रहा था और चारू का एक लड़की का प्यार भरा स्पर्श उसे अंकिता के स्पर्श की तरह महसूस हुआ लेकिन अंकिता का नाम लेते हुये जैसे ही उसने अपनी पूरी आंखे खोलकर सामने बैठी चारू को देखा तो अपने सिर पर हाथ फेरते हुये वो फिर से धप्प करके तकिये पर अपना सिर रखकर लेट गया और चारू की तरफ़ अलसायी और नींद से भरी नज़रों से देखकर मुस्कुराने लगा.... 

चारू ने राजीव को जब इस तरीके से अंकिता का नाम लेकर नींद से जागते देखा तो उसे.. जादा तो नहीं पर थोड़ा खराब लगा, नहीं नहीं प्यार व्यार की वजह से नहीं बल्कि ये सोचकर कि "राजीव के मन में अंकिता किस कदर बसी हुयी है और अंकिता.....!!".. लेकिन उसने अंकिता से रिलेटेड ना तो कोई बात राजीव से बोली और ना ही उस बात को खींचना या उस बात को लेकर राजीव को कुछ समझाना ठीक समझा बल्कि जाग चुके राजीव को अपनी तरफ़ देखकर मुस्कुराते देख चारू शैतानी सी करते हुये उससे बोली- बोल बोल... कि मुझे देखने के बाद अब तेरा दिन खराब जायेगा,बोल..!!

चारू की ये बात सुनकर राजीव तकिये पर सिर रखे रखे हंसने लगा और फिर कुछ बोलने की बजाय उसने अपना हाथ आगे बढ़ाकर चारू का हाथ पकड़ा और उसे खींचते हुये अपने बिस्तर पर अपने सिरहाने बैठा लिया और फिर  उसकी गोद में सिर रखकर लेटने के बाद उससे बोला - बालों में हाथ फेर दे, परसों कार में भी बहुत अच्छा लग रहा था.... 

"एक बात बोलूं राजीव?" राजीव के बालों में हाथ फेरते हुये चारू ने जैसे ही कहा वैसे ही राजीव बोला- तुझे तो पता है ना कि मुझे इन सब चीजों से कितनी नफ़रत थी!! 

राजीव जैसे समझ गया हो कि चारू क्या कहना चाहती है वैसे उसके सवाल पूछने से पहले ही वो उसके सवाल का जवाब देते हुये ये बात बोला और फिर चुप हो गया... 

चारू ने कहा- मैं समझती हूं और अच्छे से ये बात जानती हूं और... मैं तुझे कोई ना तो कसम दे रही हूं और ना ही किसी कमिटमेंट या प्रॉमिस से बांध रही हूं पर तू भी जानता है ना कि... वो सब सही नहीं था, किसी और के लिये ना सही मॉम और पापा जी के लिये वो सब..अब!!

राजीव फिर से पूरी बात सुने बिना.. लेटे लेटे ही चारू की तरफ़ देखते हुये उससे बोला- प्रॉमिस... अब नहीं पियुंगा!!
अपनी बात कहते हुये राजीव ने अपने कान पकड़े और चारू से बोला- सॉरी... गलती हो गयी!!

राजीव के मुंह से ये बात सुनकर चारू एकदम से खुश हो गयी और उसके गाल खींचते हुये उसने जैसे ही कहा कि "ये हुयी ना बात, दैट्स लाइक माई राजीव!!".. वैसे ही राजीव झटके से उठकर बैठ गया और अपना गाल सहलाते हुये चिड़चिड़ाकर चारू से बोला - क्या है.. इतनी जोर से नोंच लिया, ये सब मत किया कर...!!

चारू ताली बजाकर जोर से हंसते हुये बोली- अब सुकून मिला मेरे मन को... तेरी ये बात सुनकर, तू ऐसे ही भुनकता हुआ अच्छा लगता है!!

चारू की बात सुनकर राजीव ने जैसे ही कहा कि "पागल है तू!!".. वैसे ही चाय की ट्रे हाथ में लेकर कमरे के अंदर आ चुकीं मधु ने उससे कहा- ऐसे कैसे पागल है, इतनी तो समझदार है और तू ऐसे मत बोला कर उसके लिये!!

"आप हमेशा उसकी साइड ही लिया करो, इतनी जोर से गाल नोंच लिया मेरा!!" राजीव ने जैसे ही मधु से ये कहा वैसे ही अवध कमरे में आकर बोले- गाल ही तो नोंचा है और तेरी दाढ़ी जो उसे चुभी होगी उसका क्या, हैना चारू बेटा....

चारू भी राजीव की टांग खींचते हुये उससे बोली- हां पापा जी... कांटों जैसी तो दाढ़ी है इसकी, बहुत जोर से चुभ गयी..!!

चारू की बात सुनकर राजीव हंसते हुये बोला- बहुत बड़ी नौटंकी है तू... तुम सब मिले हुये हो!!

इसके बाद राजीव का वो कमरा जो रात में उसकी सिसकियों से गूंज रहा था वो खुद राजीव, मधु, अवध और चारू के हंसी के ठहाकों से गूंज गया फिर सबने खुशी खुशी मन से एक साथ बैठकर चाय पी और उसके थोड़ी देर बाद चारू तैयार होकर अपने और अवध अपने ऑफिस चले गये....

क्रमशः