nakl ya akl-79 in Hindi Fiction Stories by Swati books and stories PDF | नक़ल या अक्ल - 79

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नक़ल या अक्ल - 79

79

खून

 

गाड़ी में ही दोनों के हाथ और मुँह बाँध दिए गए हैं,  अब गाड़ी शहर से दूर एक इंडस्ट्रियल उधोग के पास आकर रुक गई I जहाँ दूर दूर तक सिर्फ फैक्ट्री ही हैI उन दोनों को भी पकड़कर एक फैक्ट्री में  लाया गया और फिर एक कमरे में बंद कर दिया गयाI बंद करने से पहले, उनके हाथ और मुँह खोल दिए और फिर दोनों की खूब पिटाई हुई और तलाशी लेने पर उनकी जेब से वो सबूत के पेपर निकले, जिन्हें लेकर वह जगदीश के घर से निकले थेंI दोनों अधमरे से वहाँ पर पड़े हैंI नंदन को निहाल से ज़्यादा लगी है, उसने खुद को संम्भाला और वहाँ रखा पानी उसे पिलाया, उसने दर्द से कराहते हुए कहा,

 

निहाल, मुझे यमदूत नज़र आ रहें हैंI

 

जब तक साँस बाकी है, तब तक बचने की उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए I

 

यहाँ से निकलना नामुमकिन  है, हमें  मारकर अगर  चील कौवों  को भी डाल दिया जायेगा तो भी हमारे बारे में किसी को पता नहीं चलेगा I

 

“कुछ सोचते हैं I” निहाल ने आसपास देखा तो चमड़े का सामान रखा है वह लंगड़ाते हुए उसके पास गया तो देखा कि चमड़ा जला हुआ है और उसमें से बदबू  आ रही है, कमरे में एक छोटा सा रोशनदान है और इतना छोटा की परिंदा भी पर नहीं मार सकता I अब निहाल फिर नंदन के पास आकर बैठ गयाI

 

यार!! इन्होंने वो पेपर भी ले लिए, सारी मेहनत बेकार हो गई I

 

वो फोटो स्टेट थें I निहाल ने जवाब दिया I

 

इसका मतलब असली पेपर स्कूटर की डिक्की में  है I तभी दरवाजा खुलता है और अंदर जगदीश  आता है, “तुम्हें क्या  लगा, तुम्हारा पता नहीं चलेगा I मैंने उस स्टोर रूम में  हिडन  कैमरे  लगा रखें  हैं I तुम्हारी तस्वीर उसमें साफ़ नज़र  आ गई I” अब उसने जेब से सिगरेट निकाली फिर उसे लाइटर से जलाया और उसका एक कश लेते हुए धुँआ हवा में छोड़ने लगा I फिर एक आदमी ने उसे कुर्सी लाकर  दी और वह वही बैठ गया और दोनों की तरफ देखते हुए बोला,  “बेटा यह हमारा बहुत पुराना धंधा है, हम इसमें किसी को सेंध नहीं लगाने देंगेI”

 

नंदन ने उसे विनती की, “सर हमें जाने दीजिए, पेपर तो आपने रख ही लिए हैI” जगदीश ज़ोर से हँसा, “हमने तुम्हारे लिए कुछ और ही प्लान सोच रखा हैI”

 

अब दोनों एक दूसरे का मुँह देखने लगेI “घबराओ मत, कुछ दिन आराम करोI हमारे बॉस आएंगे, तब तुम्हें  बताएँगे कि तुम्हारे साथ क्या होगा I” यह कहकर वह चला गया I उसके जाते  ही नंदन डरते  हुए बोला,

 

इसका बॉस कौन है और वो हमारे साथ क्या करने वाला है I

 

मंत्री  होगा? हमें  यहाँ से निकलना होगा I निहाल ने सोचते  हुए कहा I

 

देखते देखते चार दिन और बीत गए,  निहाल और नंदन चाहकर भी उस कैद से निकल नहीं पाये I एक बार वो दोनों उनके आदमी को खाना लेने के बहाने अंदर बुलाकर, उसे धक्का मारकर निकल भी गए, मगर फिर पकड़े गए और उनकी फिर ज़बरदस्त पिटाई हुई I अब सिर्फ पानी के सहारे ही दोनों ज़िंदा हैI

 

दोनों के घरवाले उन्हें  फ़ोन कर  रहें हैं, मगर दोनों के फ़ोन बंद  आ रहें हैं I किशोर ने रिमझिम को फ़ोन करकर कहा कि  “वह निहाल के किराए  के कमरे में  होकर  आये I” वह  वहाँ  भी गई, मगर कमरे के बाहर  ताला लगा हुआ है I

 

अब बंद कमरे के बाहर हलचल हुई तो वे  दोनों सतर्क हो गए I दरवाजा खुला और अंदर पहले कुछ आदमी, फिर जगदीश और एक कोट पैंट में सभ्य सा अधेड़ उम्र का आदमी दिखा तो दोनों सोचने लग गए कि “यह कौन हैI” वो आदमी उसकी सवालियाँ चेहरे को देखकर हँसते हुए बोला, “अरे!!! मुझे पहचाना नहीं, मैं शिक्षा मंत्री मोहन दास जी का पर्सनल सेक्रेटरी हेमंत रावत हूँI इस रैकेट का बॉस मैं  हूँ, मंत्री जी को तो पता भी नहीं कि उनकी स्टैम्प का मैं कैसे सदुपयोग कर रहा हूँII बच्चे मरने से पहले पूरी कहानी सुनता जा, दरअसल पेपर हमारे ऑफिस आने का कोई मतलब नहीं बनता I मगर हमारा एक आदमी है, जो शिक्षा विभाग में बना पेपर मुझ तक पहुँचाता है और वहीँ आदमी कॉलेज का प्रोफेसर है, जो पेपर बनाता है I फिर मैं स्टैम्प लगाता हूँ, ताकि उसे मान्यता मिलें कि यह सही पेपर है I तुम्हारे  जैसे नकलची  स्टूडेंड हमें लाखों रुपय देकर उसे खरीदते है I बाकि तुम्हें पता तो चल गया होगा कि  कितने लोग इस धंधे से जुड़े हुए हैं I”

 

अब हेमंत  को एक आदमी  ने पानी लाकर  दिया और वह पानी पीता  हुआ वही  बैठ गया  I दोनों ने हेमंत को नफरत से देखा तो उसे हँसी  आ गई, तभी एक इंस्पेक्टर अंदर आया तो दोनों के चेहरे पर मुस्कान  आ गई I

 

“कमलेश तू?” भाई, सही टाइम पर आया हैI यही इस पेपर कांड का असली सरगना हैI पकड़ ले, इसेI” दोनों ने एकसाथ बोला तो कमलेश ने पिस्तौल निकाल ली और हेमंत की तरफ मुड़ गयाI अब उन्होंने चैन की सांस ली कि वह बच जायेगेI कमलेश ने घूरते हुए मंत्री को देखा तो वह डर गया और फिर  कमलेश और वो ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगेI निहाल और नंदन को काँटों तो खून नहींI “इसका मतलब.....” निहाल इससे पहले कुछ बोलताI कमलेश बोल पड़ा, “हाँ भाई!! मैं भी इनके साथ हूँ, मैं भी पेपर खरीदकर  पास हुआ था, यह धंधा बहुत पुराना है, मगर कुछ तुम जैसे बेवकूफ उम्मीदवारों की वजह से पेपर लीक की बात सामने आनी शुरू हो गई हैI नमूने!!! एक तो पेपर खरीदते है, फिर उसके बारे में दूसरों से बात करते हैं, अब हर कोई विश्वास के लायक थोड़ी न होता हैI क्यों ?” वह फिर ज़ोर से हँसाI 

 

कमलेश तुझसे ऐसी उम्मीद नहीं थीI

 

मैं भी क्या करो, सब नकल करकर पास हो रहें थेंI मैंने भी वही कर लियाI और तू भी कर सकता था, मगर तुझे अपना दिमाग लगाने की ज़्यादा पड़ी थीI 

 

सर, इनके साथ क्या करना है? हेमंत से पूछा I

 

कमलेश!! प्लान यही है कि यह दोनों पेपर लीक करवाते थेंI पकड़े गए तो पुलिस से हाथापाई हुई और इस चक्कर में सभी मारे गएI “बाकी मैं अब सभाल लूंगाI” निहाल और नंदन ने सुना तो दोनों के होश उड़ गए, अब कमलेश ने पिस्तौल दोनों की तरफ तान दीI 

 

“देख भाई, हम किसी को कुछ नहीं कहेगे, हमें जाने देंI” नंदन गिड़गिड़ाते हुए बोलाI “निहाल तो कमलेश को नफरत से घूर रहा है

 

“मुझे तुम दोनों अपने खून के लिए माफ़ करना,” अब उसने पिस्तौल के ट्रिगर पर ऊँगली रख दीI  गोली की आवाज़ से नंदन ज़ोर से चिल्लायाI “नहीं !!!!”!